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हैलो डियर अंतर्वासना साइट के सभी पाठको.. मैं भी इस साइट की कहानियों का हमेशा से फ़ैन रहा हूँ. मुझे भी चुदाई की कहानी लिखने का शौक है. मैंने कई बार अपनी कहानी लिख कर भेजने का सोचा है लेकिन समय न मिल पाने के कारण कोई कहानी नहीं भेज सका. खैर आपको और अधिक बोर न करते हुए सीधे अपनी बात पर आता हूँ.
वल्लिका 41 वर्षीया सुंदर महिला थी. वल्लिका पर उम्र का ज़्यादा प्रभाव उसके शरीर पे नहीं पड़ा था. सिर्फ़ उसकी चूची और गांड का आकार बढ़ गया था. लेकिन इससे उसकी सेक्स अपील ही बढ़ी थी. उसकी दो बेटियां थीं. एक 21 वर्षीया सुहानी और दूसरी 18 वर्षीया मोनू. वल्लिका के पति शालीन एक प्राइवेट फर्म में सेल्स अफसर के पद पर काम करते थे. पूरा परिवार एक किराए के मकान में रहता था.
सब कुछ ठीक-ठाक ही चल रहा था कि अचानक एक दिन शालीन को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. एक फ्रॉड सेल करने की वजह से उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. पूरे परिवार में भूचाल आ गया. आरोप ऐसा था कि शालीन को दूसरी नौकरी भी नहीं मिल पा रही थी.
फिर 6-7 महीने ऐसे ही गुजर गए. परिवार की आर्थिक स्थिति डावाँडोल होती जा रही थी. सुहानी की परीक्षाएं नज़दीक आ रही थीं.. लेकिन उसके पास परीक्षा की फीस भरने के पैसे नहीं थी. वल्लिका को घर का खर्च चलाने में भी दिक्कत हो रही थी. जबकि हताशा के कारण शालीन का स्वाभाव भी चिड़चिड़ा हो गया था.
ऐसे में नियोगी बाबा का शिविर लगा और उनके भक्तों की कतार भी दिन ब दिन लंबी होने लगी. उनके चमत्कारों की चर्चा का बाजार गर्म था. वल्लिका भी अपने पड़ोसन सुनाक्षी के कहने पे एक दिन नियोगी बाबा के शिविर में जा पहुँची. काफ़ी देर तक इंतजार करने के बाद वल्लिका को बाबा से मिलने का मौका मिला. एक बड़े से हॉल में कई भक्त पहले से ही इंतजार कर रहे थे. उसी हॉल से एक कमरे का रास्ता जाता था, जिसमें बाबा बैठे हुए थे.
एक शिष्या वल्लिका को बाबा के पास तक ले गई. वल्लिका के हाथ में एक पर्स था, जो उस शिष्या ने माँग लिया और वहीं पड़े एक टेबल पे रखते हुए कहा कि जाते समय ले लीजिएगा.
वल्लिका ने हां कहकर सर हिलाया और बाबा की ओर देखा. बाबा माला फेर रहे थे. उन्होंने इशारे से वल्लिका को बैठने को कहा.. वल्लिका बैठ गई.
कुछ देर बाद बाबा वल्लिका से मुखातिब हुए. बाबा- पति की नौकरी चली गई है? वल्लिका आश्चर्य से बोली- हां बाबा.. मैं बड़े कष्ट में हूँ. बाबा- पता है.. कष्ट दूर हो सकता है, लेकिन उपाय बड़ा ही दुरूह है. वल्लिका- बताइए बाबा.. मुझे क्या करना होगा? बाबा- इतनी आसानी से तो उपाय पता भी नहीं चलेगा. सिर्फ़ उपाय पता करने में ही 3 दिन लग जाएंगे. वो भी यदि तुमने मेरे बताए नियमों का पालन किया तो! वल्लिका- नियम बताइए प्रभु.. मैं सब करूँगी.
बाबा ने हवा में हाथ घुमाया और चमत्कारी रूप से उनके हाथ में एक फूल आ गया. वो फूल उन्होंने वल्लिका को दे दिया और जाने को कहा.
वल्लिका असमंजस में पड़ गई और संकोच करते हुए बोली- बाबा नियम तो आपने बताए ही नहीं.. मैं पालन किसका करूँगी. बाबा ने कहा- जिसे तुम फूल समझ रही हो वो मैं ही हूँ. यही तुम्हें सारे नियम बताएगा. उन नियमों का पालन कल से ही शुरू कर देना और फिर तीन दिन के बाद यहाँ आना.
वल्लिका को कुछ समझ में तो नहीं आया. लेकिन वो बोझिल कदमों से वहाँ से जाने लगी. उसने पर्स में फूल रखा और शिविर के द्वार पे पहुँच गई. वहाँ एक शिष्या ने उसका पर्स चैक किया. फिर जाने को कहा.
वल्लिका घर पहुँची.. उसका मन बड़ा उदास था. अचानक उसे बाबा के दिए फूल की याद आई. उसने तुरंत पर्स खोला और वो फूल ढूँढने लगी. लेकिन फूल नहीं मिला. उसने परेशान होकर पर्स का सारा सामान एक मेज के ऊपर पलट दिया. उसे फूल तो नहीं दिखा, लेकिन एक कागज की पुड़िया जैसी दिखी. उसने उसे खोल कर देखा तो वो फूल उसी के अन्दर लिपटा हुआ था. उसे आश्चर्य हुआ. उस कागज को उसने पूरा खोला तो उसपर नियम लिखे थे, जो कुछ इस प्रकार थे.
- रोजाना दिन में दो बार पूरे बदन पे मलाई लगानी है. याद रहे सिर के अतिरिक्त शरीर का कोई हिस्सा छूटे ना.. और फिर कुछ देर बाद स्नान करना है. फिर नग्न अवस्था में ही फूल से अपने होंठों, वक्षों और योनि को स्पर्श करना है.
- सुबह, दोपहर और शाम को फूल को सामने रखकर पाँच-पाँच मिनट के लिए बाबा का ध्यान करना है.
- सिर और चेहरे के अतिरिक्त शरीर के सारे बाल साफ कर देने हैं.
- तीन दिनों तक किसी भी तरह का यौन संसर्ग नहीं करना है.
वल्लिका को लगा ये नियम तो आसानी से पूर्ण किए जा सकते हैं. उसे मन के अन्दर ही कहीं बाबा के चमत्कारी पुरुष होने का यकीन होने लगा था.
अगले दिन सुबह सबके लिए नाश्ते का इंतज़ाम कर वो बाथरूम में चली गई. तब तक घर के सारे लोग नहा चुके थे तो बाथरूम अब खाली ही था. वल्लिका ने अन्दर जाते ही हेयर रिमूवर् क्रीम अपनी बगलों और चूत के ऊपर के बालों पे लगाकर उन्हें साफ किया. फिर उसने अपने पूरे बदन पे मलाई लगाई.. और फिर नहा लिया.
फिर उसने बाबा के कहे अनुसार फूल से अपने होंठों को छुआ. अचानक उसे बाबा की कही बात याद आ गई, जिसे तुम फूल समझ रही हो, वो मैं ही हूँ. वल्लिका को अपने बदन में एक सिहरन सी महसूस हुई. फिर उसने फूल को अपने निप्पल और फिर अपनी चूत पे स्पर्श कराया. उसे एक अजीब सा रोमांच हो रहा था.
फिर वो कपड़े पहन कर बाहर आ गई और बाबा का ध्यान करने लगी. सब कुछ तीन दिनों तक बताए गए नियमों के हिसाब से चलता रहा. वल्लिका चौथे दिन फिर से बाबा के पास उपाय जानने के लिए पहुँची.
बाबा ने उसे बैठने को कहा और अपने सारे शिष्यों को कमरे से बाहर जाने को कहा. बाबा के चेहरे पे काफ़ी गंभीरता के भाव थे.
वल्लिका ने कहा- बाबा आपके बताए गए प्रत्येक नियम का पालन मैंने पूरी निष्ठा से किया. क्या कोई उपाय पता चला. बाबा- मुझे पता है.. मैंने कहा था ना वो फूल नहीं मैं ही हूँ. उस फूल के माध्यम से मुझे सब दिख रहा था. वल्लिका शरमा गई.. लेकिन बाबा अभी भी गंभीर बने हुए थे.
बाबा ने वल्लिका को अपने पास बुलाया और कहा- वल्लिका.. मैंने 3 दिनों तक ध्यान लगाया. लेकिन हर बार तुम्हारे कष्ट निवारण का जो उपाय मुझे ध्यान आया.. वो अत्यंत कठिन है. वल्लिका- बाबा.. आपके द्वारा बताया गया हर उपाय मैं करने को तैयार हूँ.
बाबा की आँखों में अचानक से आँसू आ गए. वल्लिका ये देखकर काफ़ी बेचैन हो उठी और उनके आँसू पौंछने लगी. बाबा ने उसे रोक दिया और कहा- हे नारी.. तुम्हारा सतीत्व सुरक्षित रहे. तुम महान हो.. इसी लिए मैं तुमसे उपाय बताने का साहस भी नहीं कर पा रहा हूँ. वल्लिका की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. उसने बाबा के पैर पकड़ लिए और रोने लगी.. कहने लगी- बाबा मैं अपने परिवार का दुःख नहीं देख सकती. कृपा करके मुझे उपाय बताएं.
बाबा ने एक गहरी साँस ली और कहा- वल्लिका आज तक तुम पवित्र हो. लेकिन तुम्हारे पति को जो भी नौकरी मिल सकती है, उन सब में कुछ ना कुछ अशुद्धियाँ हैं.. और तुम्हारी पवित्रता की वजह से उनका संयोग तुम्हारे पति के साथ नहीं मिल पाता. इसी वजह से तुम्हारे पति की पिछली नौकरी भी चली गई थी. अशुद्धियां पवित्रता के साथ नहीं रहना चाहतीं. वल्लिका- मैं कुछ समझी नहीं प्रभु? बाबा- तुम्हारी पवित्रता तुम्हारे पति के मार्ग में बाधक है. इसलिए तुम्हें भी अशुद्ध होना पड़ेगा. वल्लिका- अशुद्ध? ल..लेकिन कैसे?
बाबा- तुम्हें अपने सतीत्व का त्याग करना होगा. पर पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने होंगे. संबंध भी तुम्हें उसी पुरुष से बनाने होंगे, जो कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण अपने मन में कर सके. वल्लिका लगभग चीखते हुए- बाबा.. ये क्या कह रहे हैं आप? बाबा- सत्य यही है और इसीलिए मैं तुम्हें ये उपाय नहीं बताना चाह रहा था. वल्लिका ने अपना सिर पकड़ लिया. बाबा ने कहा- मुझे पता था.. ये उपाय बहुत कठिन है. इसलिए अब तुम जाओ.
वल्लिका कुछ देर वैसे ही बैठी रही और सोचती रही. फिर उसने कहा- बाबा.. मैं तैयार हूँ. लेकिन वो पुरुष कहाँ से लाऊं, जो मंत्रों का उच्चारण कर सके? बाबा मौन रहे. फिर वल्लिका ने कहा- बाबा क्या आप मेरे साथ संबंध बनाएंगे? बाबा ने क्रोध से कहा- ये क्या कह रही हो तुम? वल्लिका ने कहा- मुझे क्षमा करें प्रभु. लेकिन आपके सिवाये मैं किससे ये प्रार्थना करूँ?
बाबा ने कुछ देर मौन रखा और आखें बंद कर लीं. ऐसा लगा जैसे वो किसी अदृश्य शक्ति से बातें कर रहे हैं, फिर उन्होंने वल्लिका से कहा- पवित्र शक्तियाँ आदेश दे रही हैं कि मुझे ही यह अशुद्धि नियोग करना होगा और वो भी आज ही. वल्लिका ने सर झुका लिया.
बाबा वल्लिका को अपने शयन कक्ष में ले गए. उनका बेडरूम काफ़ी आलीशान था.. खुशबूदार और ठंडा. बाबा ने कहा- वल्लिका.. मुझसे ज़रा भी शरमाने की ज़रूरत नहीं है.. इस नियोग से सिर्फ़ तुम्हारी देह अशुद्ध होगी. तुम्हारी आत्मा पवित्र ही रहेगी. इसलिए निस्संकोच अपने वस्त्र उतार दो. यह कहकर बाबा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. वल्लिका ने अपनी आखें बंद कर लीं.
बाबा वल्लिका के पास गए और बोले- तुम्हारा आँखें बंद कर लेना स्वाभाविक है. लेकिन मेरे पास समय का अभाव है इसलिए तुम्हें जल्दी करनी होगी.
यह कह कर बाबा ने वल्लिका की काली शिफोन की साड़ी को वल्लिका की गोरी देह से अलग कर दिया. फिर वल्लिका का पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया. अब वल्लिका सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में बाबा के सामने खड़ी थी. ये दृश्य देखकर बाबा के लंड में तनाव आने लगा. उन्होंने वल्लिका के अधरों को चूम लिया.
फिर बाबा ने वल्लिका के हाथों में अपने लंड को पकड़ाते हुए कहा- तुम इसे वही फूल समझो, जो मैंने तुम्हें दिया था.. और उसी क्रम में अपने शरीर के उन अंगों से स्पर्श कराओ, जिस क्रम में उस फूल से कराती थीं.
यह कहकर उन्होंने वल्लिका की ब्रा और पैंटी भी उतार दी. अब वल्लिका ने बाबा के लंड को अपने होंठों से छुआ. फिर अपनी चूचियों के बीच में दबाया और फिर खड़ी होकर अपनी चूत से सटाने लगी. दोनों के मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं. बाबा ने अचानक से वल्लिका को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पे लिटा दिया. फिर वल्लिका के ऊपर बाबा छाने लगा. उसके पूरे शरीर को अपने शरीर से रगड़ने लगा.
तीन दिनों तक लगातार मलाई के उपयोग से वल्लिका की त्वचा काफ़ी चिकनी हो गई थी. बाबा को काफ़ी मज़ा आ रहा था. वल्लिका ने अभी भी अपनी आँखें बंद कर रखी थीं. इसलिए वो बाबा की आंखों में उतर आई हवस को नहीं देख पा रही थी. यह हवस देखकर कोई भी बता सकता था कि बाबा ढोंगी ही है.. और ये सारा ढोंग उसने केवल वल्लिका के शरीर को भोगने के लिए किया है.
धीरे-धीरे बाबा अपने होंठों को वल्लिका की चूत के पास ले गया और उस चूत को, जिसे वल्लिका ने बाबा के ही आदेश से चिकना किया हुआ था, चूसने लगा. वल्लिका की चूत गीली होने लगी. बाबा अब अपनी जीभ से ही चोदने लगा.
वल्लिका ने सर के नीचे पड़े तकिये को नोंचना शुरू कर दिया. वो भी उत्तेजित होने लगी थी. वो काफ़ी समय के बाद सेक्स कर रही थी, इसलिए बाबा की जीभ की हरकत उसे काफ़ी मस्त लग रही थी.
फिर कुछ ही देर में वल्लिका ने अपना पानी छोड़ दिया. अब बाबा ने अपना लंड वल्लिका के मुँह में डाल दिया और उसे वल्लिका को चूसने को कहा. वल्लिका ने भी आदेश का पालन किया और बाबा का लंड चूसने लगी. बाबा का लंड काफ़ी मोटा था. बड़ी मुश्किल से वल्लिका के मुँह में जा रहा था.
अचानक बाबा ने अपना लंड निकाल लिया और वल्लिका की गोरी चूचियों पे टूट पड़ा. उसने वल्लिका की गोरी चूचियों पे उभरे गुलाबी निप्पालों को चुटकी से मसल दिया. वल्लिका की चीख निकल गई.
इस वक्त बाबा पे पूरी तरह हवस हावी हो चुकी थी. उसने वल्लिका की टाँगों को फैलाया और अपने लंड को उसकी चूत पे रखकर एक धक्का लगाया. लेकिन लंड मोटा होने के कारण फिसल गया. बाबा ने दुबारा लंड पे थूक लगाया और वल्लिका की चूत पे सैट करके एक जोरदार धक्का लगाया. वल्लिका को अपनी पहली चुदाई का दर्द याद आ गया, उसकी चीख निकल गई और उसने कहा- बाबा आपका काफ़ी मोटा है..
वल्लिका के मुँह से निकली इस बात ने बाबा का जोश बढ़ा दिया और वो धकाधक वल्लिका की चूत में अपना लंड पेलने लगा. धीरे धीरे वल्लिका को भी मज़ा आने लगा. फिर दोनों एक ही समय पे झड़ गए.
अपना पूरा वीर्य वल्लिका की चूत में भरने के बाद बाबा आखें बंद करके बेड पे ही लेट गया. थोड़ी देर बाद जब उसने आंखें खोलीं तो देखा कि वल्लिका अपने सारे कपड़े पहन चुकी है और उदास बैठी है. बाबा ने वल्लिका के कंधे पे अपना हाथ रखा और कहा- जाओ अब तुम्हारा काम बन जाएगा.
वल्लिका जब घर पहुँची तो देखा शालीन कहीं गया हुआ है. शाम को जब शालीन घर आया तो उसके हाथ में एक नौकरी का ऑफर लेटर था. वो काफ़ी खुश था. सारे घर वाले काफ़ी खुश थे. वल्लिका ने मन ही मन बाबा को धन्यवाद दिया और ये सब बाबा का चमत्कार समझ, उसे मन से प्रणाम किया.
बाबा ने ये चमत्कार कैसे किया था, यह बात अभी तक वल्लिका को समझ न आ सकी थी. लेकिन ये बाबा बड़ा ही मादरचोद किस्म का था, उसके पास कई किस्म के भक्तों का जमावड़ा लगा रहता था. इसी तरह के एक परेशान भक्त को शालीन के लिए नौकरी का इंतजाम करने के लिए कह कर उसने वल्लिका की चूत अपने लंड के लिए फिट कर ली थी. आगे वल्लिका की भक्ति के दम पर उसने किस तरह से अपने सेक्स के जाल को फैलाया आप समझ सकते हैं.
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