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अब तक आपने इस कामुक कहानी में पढ़ा था मैं अपने भांजे पीयूष और मौसी के बेटे लाल जी के साथ एकदम नंगी होकर चुदाई के पहले का मजा ले रही थी. लाल जी का लंड बहुत बड़ा था जिसे देख कर मैंने उससे पूछा कि तेरा लंड इतना बड़ा कैसे हो गया? क्या कोई दवा लेता है? अब आगे..
तो लाल जी बोला- हां वन्द्या, मेरा एक दोस्त है, वह लंड बड़ा करने कैप्सूल लाया था. हम दोनों ने दवा खाई है. हम दोनों का उस दवा से 3 महीने में मतलब केवल 90 दिन में जस्ट डबल हो गया है. मैं बोली- तेरे दोस्त का क्या नाम है? उसने बताया- अंकित शुक्ल नाम है.. और वह बहुत मस्त हॉट सेक्सी लड़का है, अंकित का लंड तो मेरे से भी मस्त है, तुझे उससे चुदना हो तो बता, मैं बुला लूंगा. वो दो-तीन दिन में आ जाएगा. जब तक मैं यहां हूं, उतने दिन के अन्दर वो तेरी टांगों के नीचे होगा.
मैं पूरी मदहोशी में डूबी हुई थी, मुझमें हवस का मानो पागलपन सवार था. मैं चुत में पीयूष की जुबान का मजा लेते हुए बोली- ठीक है बुला ले उसे.. चाहे जिसको भी बुला ले.. मेरा चुदने का बहुत मन कर रहा है.. मैं सबसे रंडी बन कर लंड घुसवा लूंगी.
जैसे ही मैंने कहा, उसने एक हाथ से मोबाइल लिया और अपने दोस्त को फोन लगा दिया. वो बोला- अंकित, तू यहां मेरी मौसी के यहां कल या परसों में आ सकता है क्या? उसने पूछा- क्या काम है?
लालजी बोला- बहुत मस्त माल दिलवाऊंगा.. ऐसी हॉट लड़की कि तूने सपनों में भी ना सोचा होगा, हीरोइन भी कुछ नहीं लगती उसके सामने, जो ब्लू फिल्म में तू देखता है, वो लड़कियां उसके पैरों के बराबर भी नहीं हैं. इतनी सेक्सी और हॉट है माल, तू उसे देखेगा तो पक्का पागल हो जाएगा यार. उसने बोला- पहले उसकी फोटो तो दिखा तो लालजी बोला- आकर ही नंगी करके देख लेना.
अंकित पूछा- कुछ तो बता कि कौन है यह तो बता? लालजी बोला- किसी से बोलना नहीं, मैं अभी तेरी उससे बात भी करा देता हूँ. वह मेरी मौसी की लड़की वन्द्या है, वह मेरे घर आती है.. तूने देखा ही होगा. अंकित बोला- हां याद है वन्द्या का.. पर वह तो अभी छोटी है.. हां है तो बहुत सुंदर.. भले छोटी थी, पर तेरी मौसी की बेटी वन्द्या की सुंदरता की सभी बातें करते थे.. मुझे सब याद आ गया. लालजी बोला- वो अब एक नंबर की माल हो गई है.
तो अंकित बोला- चल लालजी अब वन्द्या से बात करा.. तभी मैं मानूंगा, तू फेंकता बहुत है भोसड़ी के.. मुझे झूठ बोलकर बुला लेगा, कहीं मेरे साथ खड़े लंड पर धोखा हो जाए, इसलिए पहले उससे बात करा, तब मानूंगा. तभी लाल जी मुझसे बोला- ले वन्द्या, अंकित को तुमसे बात करनी है.. तभी वो मानेगा, अब तू ही बुला उसे, तेरे ही बुलाने से आएगा. मैंने फोन पकड़ लिया जैसे ही फोन पकड़ा कि उधर नीचे पीयूष जोर से मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी और मेरे मुँह से आह की आवाज निकल गई.
तो अंकित बोला- क्या हुआ? मैं बिल्कुल पागल हो गई थी, मुझे कुछ होश नहीं था. मैं बोली- हैलो अंकित बोल रहे हो? वह बोला- हां तुम वन्द्या हो? मैं बोली- हां वन्द्या हूं.
अंकित बोला- यह लालजी क्या बोल रहा है तुम्हारे लिए.. क्या यह सच है? मैं बोली- हां अंकित आ जाओ, मुझे तुमसे लंड घुसवाना है, यह लालजी तुम्हारे सामान की बड़ी तारीफ कर रहा है. मैं बहुत चुदासी हूं. अंकित पूछा- अभी क्या कर रही हो? मैं बोली- अभी मैं लालजी और पीयूष से चुदवाने जा रही हूं. सच में मुझे कुछ होश नहीं था कि मैं क्या बोल रही हूं. बस फुल जोश में और सेक्सी मूड में थी.
अंकित बोला- तू तो बहुत बड़ी वाली हो गई वन्द्या, रंडी बन गई क्या? मैं बोली- हां तू कुछ भी समझ अंकित.. मैं रंडी ही हूं.. आ जा और चोद ले मुझे अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा, ले लालजी..
मैंने फोन उसे दे दिया तो लाल जी से अंकित बोला कि यार इसकी फोटो तो खींच ले और मुझे भेज, यह तो बहुत सेक्सी डॉल है, इसकी आवाज में इतनी प्यास है कि मेरा लंड अभी खड़ा हो गया है. तू अभी चोद रहा है क्या? लालजी बोला- हां अंकित, वन्द्या अभी बहुत चुदासी है.
अंकित बोला- सुन मैं अपने एक अंकल राघवेंद्र हैं, क्या उन्हें अपने साथ ले आऊं, उनसे मस्त लंड वन्द्या ने कभी देखा भी नहीं होगा और क्या तो उनका स्टाइल और स्टेमिना है चोदने का.. वन्द्या को बेहद मजा आएगा. वह मुझे हमेशा यह गोलियां देते हैं. ब्लू फिल्म वगैरह भी सब वही दिखाते हैं, हम दोनों आ जाएं? मेरे साथ आने के लिए एक साथी भी हो जाएंगा. लालजी ने मुझसे पूछा- वन्द्या अंकित के एक अंकल हैं, वही हम लोगों को सब देते हैं. बहुत सेक्सी अंकल हैं. वो बोलता है कि मैं साथ ले आऊं?
मैं उस समय होश में नहीं थी तो मैंने बोला- हां जिसको भी जिस जिसको लाना है, ले आओ.. मुझे बस अभी बड़े बड़े लंड घुसवाना है.. मेरा बहुत मन कर रहा है, लालजी तू हां बोल दे अंकित को.. बोल दे कि हां बुला लाए अपने अंकल को. लालजी बोला- अंकित ले आ अंकल को. अंकित ने बोला- कोई दिक्कत तो नहीं होगी? लालजी बोला- नहीं.. मैं यहां हूं कोई दिक्कत नहीं होगी. यह कहकर उसने फोन काट दिया.
लालजी ने अपना पूरा लंड मेरे अब मुँह में डाल दिया. उसका लौड़ा बहुत ही गर्म हो गया था. मैं उसे चूसने लगी, चाटने लगी. लाल जी मेरे बाल पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर करने लगा.
जैसे ही वो अपना पूरा लंड मेरे मुँह में डालता, मुझे खांसी आ जाती, मेरे गले में उसका लौड़ा अटक जाता. मैं एकदम से बहुत ही अधिक मदहोश हो चुकी थी. तभी लालजी गंदी गंदी गालियां देने लगा. वो बोला- साली छिनाल तू तो बहुत चुदवाती होगी यहां सबसे.. हर कोई तुझे चोदने के लिए पागल रहता होगा, वन्द्या भैन की लौड़ी तेरे से मस्त माल, तेरे से बड़ी छिनाल.. मैंने ब्लू फिल्म में भी नहीं देखी. मैं तुझे सबसे बहुत चुदवाऊंगा.
वो मेरे बाल पकड़कर बहुत जोर से खींच के अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर कर रहा था, उधर नीचे पीयूष अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल कर चूत को चूस रहा था. उसने अपनी नाक भी चूत में मेरे घुसा दी और बोला- आह.. क्या महक है वन्द्या तेरी चूत की.. साली कुतिया वन्द्या..
वो बहुत जोर जोर से मेरी चूत को चाटने लगा. उधर ऊपर मेरे चूचों को अपने हाथों से लाल जी जोर से दबाने लगा, नीचे पीयूष मेरी चूत चाट रहा था. इधर मैं लाल जी का लौड़ा चूस रही थी.
इतने में जोर से दरवाजा खट खट हुआ. मैं बिंदास बोली- तेरा दोस्त आ गया पीयूष.. जा साले दरवाजा खोल कर अन्दर ले आ उस लंड को भी.. तो लालजी बोला- मैं दरवाजा खोलने जाऊं..? मैं बोली- नहीं, पीयूष को जाने दे इसका दोस्त है…. जा जल्दी से उसको अन्दर कर ले पीयूष.. और फिर दरवाजा अन्दर से बंद कर देना.
तभी लंड हिलाता हुआ पीयूष दरवाजे की तरफ चलने लगा. मैं बोली- अरे बेवकूफ टावल तो लपेट ले.. ऐसे नंगा चला जाएगा क्या?
तो पीयूष ने सामने टंगी एक टॉवल को लपेट लिया और जाकर जैसे ही गेट खोला. मैंने सोचा कि यह पीयूष का दोस्त आ गया, पर 2 मिनट के अन्दर झटके से बस पीयूष की एक आवाज आई कि वन्द्या..!
और इतने में मेरे पड़ोस में रहने वाले अंकल आवाज़ लगाते उधर ही आते जा रहे थे, जहां मैं उस समय नंगी बिल्कुल बिस्तर में लेटी लालजी का लंड चूस रही थी और लालजी मेरे बूब्स को चूसने में लगा था.
जैसे उन अंकल ने आवाज दी कि कुल्हाड़ी कहां रखी है वन्द्या, कुल्हाड़ी लेने आया हूं.. कल मैं यहीं आंगन में रख गया था.
ये कह कर वे मेरे कमरे में झटके से आ गए. अंकल ने देखा कि मैं लाल जी का लंड मुँह में लिए चूस रही थी. अंकल आंख फाड़के देखने लगे.
मैंने झटके से लंड निकाला और बहुत डर गई. उन अंकल का नाम रोहण गर्ग था, वह आर्मी से रिटायर्ड थे. उनकी उम्र लगभग साठ से बासठ वर्ष की रही होगी. मुहल्ले के ज्यादातर लोग उन्हें चाचा कहते थे. मैं भी उन्हें चाचा ही कहती थी और वो मुझे वन्द्या कहते थे. उनका रोज हमारे घर आना जाना था. वह चाचा वहीं सामने खड़े रहे. मैं तुरंत इधर-उधर कपड़े देखने लगी, घबराहट में कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, न कपड़े मिल रहे थे.
तभी चाचा ने लालजी को गाली दी- मादरचोद और कोई नहीं मिला तुझे? अपनी मौसी की लड़की, अपनी बहन को ही चोद रहा है.. बहनचोद घटिया इंसान साले.
लालजी तो डर कर नंगा ही उस कमरे से बाहर निकल गया. डर और घबराहट के मारे मुझे कुछ नहीं समझ आ रहा था, कमरे में मुझे कुछ कपड़ा दिखाई नहीं दिया. उधर चाचा मेरे सामने खड़े मैं उनसे नज़रें चुरा रही थी, उनकी तरफ देखने की हिम्मत तो मुझमें थी ही नहीं. मैं उनकी तरफ अपना पिछवाड़ा करके खड़ी हो गई.
तभी चाचा बोले- वन्द्या तुम तो पूरी बड़ी हो गई हो.
इस समय उनको मेरी नंगी गांड दिखाई दे रही थी, अब जाकर सामने मम्मी का पेटीकोट मुझे नजर आया. जैसे ही उसे पकड़ने को बढ़ी और पेटीकोट को उठाया, तभी मुझसे पेटीकोट चाचा ने छीन लिया और बोली- तू ऐसे ही खड़ी रह वन्द्या, अब मुझसे क्या छुपा रही है, मैंने तेरा सब कुछ देख लिया.. वो भी बहुत अच्छे से देख लिया. आज तेरे मां-बाप भाई सबको बताता हूं तेरी ये करतूत कि तूने अपने मौसी के बेटे और बहन के लड़के से एक साथ दो लड़कों से मुँह काला करवा लिया जमकर चुदाई करवाई है.
मैं हाथ जोड़कर खड़ी हो गई और रोने लगी. ऐसा लग रहा था कि मुँह कैसे दिखाऊंगी अपने घर में, मैं बोली कि मुझसे गलती हो गई प्लीज किसी से नहीं बताना चाचा, नहीं तो मैं मर जाऊंगी, मुझसे गलती हो गई. मैंने चाचा के पैर पकड़ लिए.
तब चाचा बोले- नहीं कोई गलती नहीं हुई, तू इतना डर क्यों रही है वन्द्या? यह उम्र इसीलिए होती है, सब इस उम्र में करते हैं. यह कह कर वे एकदम से मेरी ओर घूरने लगे और मेरे सर पर हाथ रखकर बोले- रो और डर मत, मैं तुझे बचा लूंगा पर तुझे भी मेरा साथ देना होगा वन्द्या. बिना कुछ सोचे-समझे मैं बोली- चाचा मैं जिंदगी भर आप जो कहेंगे सब करूंगी, आपका पूरा साथ दूंगी गॉड प्रामिस, मम्मी की कसम चाचा, बस मुझे आज बचा लो और किसी को मत बताना बस.
चाचा बोले- फिर से सोच ले वन्द्या, मैं तुझे चोदूंगा और अपने दोस्त के साथ चोदूंगा.. क्योंकि तुझे दो मर्दों की जरूरत है, तू तो पागलपन कर देने वाली हद पार कर गई है..एकदम मस्त माल हो गई है तू. मैंने फिर कुछ ना सोचा-समझा और हां बोल दिया. मैं बोली- चाचा मुझे कोई दिक्कत नहीं है, बस ये आज की बात किसी को भी भी पता नहीं चले.
चाचा बोले- फिर डन.. वादा तुझसे वन्द्या कभी किसी को पता नहीं चलेगी आज की ये बात मैं तेरे साथ हूं. यह कह कर चाचा ने मुझे अपने गले से लगा लिया और बोले- सच बोलूं तुम्हें देखकर लगता है कि जैसे तू आसमान की परी है वन्द्या.
उन्होंने अपना हाथ धीरे से मेरे नीचे नंगी चूत में ले गए और बोले- यह तेरी चूत से रस बह रहा है, तू तो बहुत चुदासी हो रही है, चल जल्दी से तुम्हारी चूत को मैं साफ कर दूं और तुम्हें एक अलग सा मजा भी दे दूं.
मैं उस समय मजबूर थी, कुछ नहीं कह सकी चाचा से, पर मुझे उनकी ये बात बहुत अजीब सी लगी. वो बिल्कुल बुड्ढे थे, मैं छोटी सी लड़की थी, वो मुझसे उम्र में लगभग चालीस वर्ष के बड़े थे. चाचा ने मुझे उसी रजाई में बैठने को बोला. मैं झिझक रही थी क्योंकि वह मेरे बाबा की उम्र के थे, बहुत ही बड़े थे. मुझे थोड़ा नहीं बहुत बेकार सा लगा.
पर चाचा नहीं माने और मेरा हाथ पकड़ कर बोले- वन्द्या तू बैठ जा बस दो मिनट के लिए.. मुझे फिर जाना भी है.
मैं बोली- यह ठीक नहीं है चाचा, आप मुझसे बहुत बड़े हैं, मुझे छोड़ दीजिए, भगवान के लिए मेरे साथ ऐसा मत करिए. आपको चाचा सब कहते हैं तो मैं भी कहती हूं, पर आप मेरे पापा के चाचा हो, यानि मेरे बाबा हुए.. प्लीज मुझे छोड़ दो, मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं. चाचा बोले- चल छोड़ दिया पर आज तेरे बाप को ये सब तेरे कारनामे बताता हूं.
दोस्तो, मेरी वासना भरी कहानी पर आप अपने मेल भेज सकते हैं. [email protected] कहानी जारी है.
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