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मेरी चुदाई कहानी में अब तक आपने पढ़ा था कि कमलेश सर ने मेरी चुत पर अपना मुँह लगा कर खूब चूसा था. फिर उन्होंने अपना लंड खोल कर मेरे मुँह के सामने कर दिया था. अब आगे..
मैं पहली बार लंड देख रही थी. सर बोले- वन्द्या इसे मुँह में ले लो.. चूसो, यह बहुत मजा देता है.. और लड़कियां इसे चूसने के लिए पागल रहती हैं. यह कहते हुए सर ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया और मेरे हाथ में पकड़ा दिया.
मैंने कमलेश सर के लंड को हाथ में पकड़ा तो बहुत गर्म लगा, बहुत ही गर्म होता है लंड.. यह मैंने आज जाना. आज पहली बार किसी मर्द के लंड को हाथ से छुआ. जैसे ही मैंने लंड हाथ में पकड़ा, सर ने मेरी मुट्ठी में पकड़वा कर उसे रगड़वाने लगे. वे बोले- वन्द्या, इसे रगड़ो. मैं उने लंड को रगड़ने लगी.
तो सर बोले- वन्द्या, तुम बहुत मस्त माल हो, तुम उम्र में भले 18 की हो पर अभी से बहुत चुदासी और बहुत सेक्सी हो. तुम्हें अब रोज चुदाई करवानी जरूरी है, इसमें कितना मजा है यह तुम आज ही जान जाओगी. मैंने बोला- सर मैं अभी छोटी हूं प्लीज मुझे मत चोदिए. सर ने बोला- वन्द्या, ठीक है जब तुम कहोगी, तभी तुम्हें चोदूंगा.
ना जाने मुझे क्या हुआ कि सर जो कर रहे थे, वो बहुत अजीब लगने लगा था, पर इसमें अलग तरह का मजा आ रहा था.
तभी टीचर ने अपना लंड मेरी तरफ करके कहा- वन्द्या इसे चूस लो, इसका टेस्ट ले लो. मैं बोली- नहीं सर.. ये अच्छा नहीं लगता.
सर अपना लंड लेकर मेरे मुँह के सामने होंठों पर टच कराने लगे और तभी मेरे दोनों बूब्स जोर से दबा दिए. मैंने ‘ऊंहहह..’ किया तो मेरा मुँह खुल गया और कमलेश सर ने मेरे मुँह में लंड डाल दिया. वे लंड को मेरे मुँह में पेल कर बोले- आह वन्द्या… बहुत अच्छे से चूस लो इसे..
अपने लंड को सर मेरे मुँह में अन्दर बाहर करने लगे. मुझे लंड की खुशबू बहुत अजीब सी लगी. लेकिन मैंने लंड चूसना शुरू कर दिया. सर मुझसे बोले- वन्द्या तुम बहुत मस्त लंड चूसती हो.. आज तक ऐसे मेरा लंड किसी ने नहीं चूसा.
कमलेश सर ने मेरे सर के बाल पकड़ लिए और अब वे अपना लंड मेरे मुँह में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगे. मुझे थोड़ा दर्द भी हो रहा था, पर मैं कुछ कर नहीं सकती थी. सर एकदम से मुँह में अपने लंड को अन्दर बाहर करते रहे और करीब 5 मिनट के अन्दर वह मुझे बहुत गंदा बोलने लगे.
सर बोले- आह चूसो.. साली तू बहुत बड़ी रंडी बनेगी.. वन्द्या पूरे शहर में सारे मर्द तुझे चोदना चाहेंगे, तू बहुत बड़ी माल है.. आह ले ले.. मेरा रस पी ले.. ऐसा कहते हुए एकदम से सर अकड़ गए और उनके लंड से गर्म-गर्म सफेद रस निकलने लगा. उन्होंने अपने लंड के रस को मेरे मुँह में पूरा भर दिया और बोले- मस्त मलाई है.. आह.. पी लो लंड रस को.. यह बहुत पौष्टिक होता है.
मैं उनकी बात मानकर उनके लंड से निकला हुआ गर्म-गर्म रस पी गई. मुझे अजीब सा टेस्ट लगा, पर क्या करती.. मैं पूरा का पूरा रस पी गई.
तभी सर अपना लंड खाली करके फिर से खड़े हुए. मैंने देखा कि अब उनका लंड एकदम से सिकुड़ कर छोटा हो गया था.
अब कमलेश सर मेरे मम्मों को चूसने लगे और दबाने लगे. साथ ही वे मेरे होंठों को चूमते हुए बोले- तुम बहुत अच्छी माल हो.. बहुत सेक्सी माल हो वन्द्या.. लो हाथ से अपने लंड को पकड़ कर थोड़ी देर रगड़ो.. देखना ये पहले जैसा हो जाएगा.
सर ने मुझे अपना लंड हाथ में पकड़ा दिया, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया. मैं बोली- कोई आ गया सर, मैं मर जाऊंगी. कमलेश सर ने कहा- तुम मम्मी से कुछ मत बोलना. तुम जल्दी से कपड़े पहन लो. मैंने कपड़े पहने और सर ने भी अपने कपड़े पहने. फिर मैंने दरवाजा खोला तो मम्मी थीं.
मम्मी ने पूछा- पढ़ रही थी क्या? मैं बोली- हां मम्मी. मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया.
मेरे शरीर से पसीना बह रहा था, तो मम्मी बोलीं इतना पसीना- पसीना क्यों हो रही हो? मैं बोली- लाइट गुल हो गई थी मम्मी, गर्मी लग रही थी.
मम्मी अन्दर आईं तो कमलेश सर दिखे. कमलेश सर को मम्मी बोलीं- अगर लाइट गुल हो गई थी तो बाहर बैठ जाते, आप भी पसीने-पसीने हो गए. मैंने मम्मी को कुछ नहीं बताया, सब बात छुपा ली और इस तरह से आज पहली बार मैं यह सेक्स का थोड़ा सा, पर अजीब सा अलग एहसास पा गई थी.
कमलेश सर फिर दस मिनट बाद मुझे कुछ सवाल देते हुए जल्दी ही मेरे घर से चले गए.
इसके बाद वे जब भी आते तो इस ताक में रहते कि मैं अकेले में मिल जाऊं, पर ऐसा नहीं हुआ. बस वे अपनी पैन्ट के ऊपर से ही मुझसे लंड सहलवा कर मजा ले लेते थे. कभी कभी लंड खोल कर किताब से ढक कर बैठ जाते थे और मौका देख कर मेरे मुँह को अपने लंड के ऊपर कर लेते थे, जिससे मैं उनके लंड को चूस लेती थी. मुझे अब उनके लंड का स्वाद अच्छा लगने लगा था. साथ ही कभी कभी सर मेरी स्कर्ट में हाथ डाल कर मेरी मखमली चूत में उंगली भी करके मुझे झड़ने पर मजबूर कर देते थे.
अब तो मुझे अपनी चुत में उंगली करवाने की आदत सी हो चली थी इसलिए मैं बिना पेंटी के ही सिर्फ स्कर्ट पहन कर ही पढ़ने बैठ जाती थी और मौका मिलते ही अपनी स्कर्ट उठा कर सर को चुत का नजारा दिखा देती थी.
एक दिन सर ने मुझसे बोला- वन्द्या, तुम्हारे साथ उस दिन अधूरा रह गया था, मुझे पूरा करना है. मैं शरमा गई तो सर बोले- जानती हो क्या अधूरा रह गया था? मैं बोली- नहीं सर..
तो वो बहुत ही धीरे से बोले कि तुम्हें चोदना बाकी है, जब मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल कर जमके धक्के मारकर अन्दर बाहर चुदाई करता, तब तुम्हें बहुत ज्यादा मजा आता और तुम जन्नत की सैर कर आती. कमलेश सर एक बड़ी बात बोल गए जो मेरे दिमाग में बैठ गई.
सर बोले- वन्द्या, जब भी मौका मिले और कोई भी लड़का या मर्द तुमसे तुम्हारी चूत मांगे तो तुम उसे अपनी चूत देकर चुदाई ज़रूर करवा लेना, उससे तुरंत चुदवा लेना, बहुत बहुत मजा आएगा.
यह बात मेरे दिमाग में घूमने लगी और अब मैं जब भी अब अकेली होती तो सर ने जो सेक्स कहानियों की बुक दी थी, उनको जरूर पढ़ती और मैगजीन के नंगे चित्र देखती. फिर ना जाने मुझे क्या हो जाता कि मेरी पैंटी से पानी बहने लगता. मेरी पैंटी गीली हो जाती.
अब यह लगने लगा था कि किसी तरह मुझे अन्दर अपनी चूत में लंड डलवाना चाहिए. सब कहानियों में वही वही बात रहती थी. मेरे मन में वही सब सोच-सोचकर कई बार मेरी पैंटी गीली हो जाती थी. इसी तरह से एक साल बीत गया.
तभी मेरी बड़ी बहन का बेटा पीयूष पांच दिन के लिए आया. वो मुझसे सिर्फ एक साल छोटा था पर मेरे साथ ही खेलता, कभी पढ़ता हम दोनों ज्यादा वक्त साथ ही रहते.
एक दिन मैं और पीयूष गुड्डा गुड्डी की शादी वाला खेल खेल रहे थे, हालांकि अब हम दोनों अब इस खेल की उम्र से कहीं आगे बढ़ चुके थे, लेकिन तब भी हम दोनों को ही इस खेल को खेलने में मजा आता था. तभी एकदम से मेरे दिमाग में आया जो मैंने सेक्स कहानी में सुहागरात में चुदाई की कहानी पढ़ी थी, उसी का मजा लेती हूँ.
मैं पीयूष से बोली- चल अब इनकी सुहागरात करवाते हैं. उसने बोला- वन्द्या मौसी, अब इस खेल को आगे आप ही बताओ, मुझे इतना तक ही पता है. मैं बोली- बस इन दोनों के कपड़े उतार कर नंगी लिटा देना है, फिर दुल्हा-दुल्हन एक साथ सोएंगे और दोनों एक दूसरे को मिलकर चोदेंगे.
तभी पीयूष ने पूछा- वन्द्या मौसी, आप यह बताओ कि यह होगा कैसे? ये दोनों कैसे यह करेंगे? तब मैं बोली- पीयूष, चलो मैं तुम्हें सब सिखा देती हूं. पीयूष तुम मेरे दूल्हा बन जाओ, मैं तुम्हारी दुल्हन बन जाती हूं. बताओ अगर तुम्हें यह मंजूर हो मैं तुम्हें सब बता देती हूं. तभी पीयूष बोला- चलो जो ठीक लगे वही करो और मुझे सब बताओ. मैं खुश हो गई और बोली- जरा 5 मिनट रुक, मैं सज धज कर दुल्हन बन जाऊं, फिर सुहागरात का खेल खेलेंगे.
मैंने मम्मी की एक अच्छी सी साड़ी निकाली और उन्हीं का ब्लाउज और पेटीकोट, मेकअप का सामान निकाल कर मेकअप करने लगी.
इतने में पीयूष सामने आ गया और बोला- मौसी तुम बहुत सुंदर लगने लगी हो. मैं बोली- अब मुझे मौसी मत बोल, मैं तेरी बीवी वन्द्या बन गई हूं, तो सिर्फ मुझे वन्द्या ही बोल. पीयूष ने पहली बार मुझे वन्द्या कहकर बुलाया कि वन्द्या तुम बहुत मस्त लग रही हो.
शायद पीयूष भी कुछ जानता था. मैं बोली कि अरे तुम तो बहुत बड़े खिलाड़ी निकले.. मैंने सोचा था कि तुम बहुत छोटे हो. फिर भी चलो आज मैंने तुम्हें अपना पति बना लिया.
फिर मैं उसी के सामने अपने एक एक कपड़े उतारने लगी. जैसे ही मैंने अपना टॉप उतारा तो पीयूष मेरे सामने खड़ा हो गया और बोला- वन्द्या तुम पूरी हीरोइन लगती हो, मैंने टीवी में भी इतनी मस्त लड़की नहीं देखी है. जब मेरा दोस्त अपने मोबाइल में जब मुझे नंगी नंगी लड़कियां दिखाता है, तब बहुत अलग लगने लगता है.. लेकिन वो नंगी लड़कियां भी तुमसे मस्त नहीं लगतीं.
मैंने कहा- टीवी मतलब क्या हुआ.. क्या तुम ब्लू-फिल्म की बात कर रहे हो? उसने बोला- हां वन्द्या ब्लू फिल्म में लड़का लड़की दोनों मिलकर सेक्स करते हैं. कई बार तो एक लड़की को एक से अधिक 3 या 4 मर्द मिलकर उसकी चुदाई करते हैं. मैं जब मोबाइल में यह सब देखता हूं, तो मुझे बहुत मजा आता है और मेरा लंड खड़ा हो जाता है. आज तुम्हें यह बता दूं कि मैं उस समय सिर्फ तुम्हें ही सोचता हूं, अपने आप ही दिमाग में तुम आ जाती हो, सच में तुम उनसे भी सुंदर और सेक्सी लगती हो. मैं और मेरा दोस्त दोनों यही सब मेरे दोस्त के मोबाइल में देखते रहते हैं.
मैं उसकी बातें सुने जा रही थी. मैंने सोचा कि यह लड़का इतनी उम्र में यह सब सेक्सी वीडियो सेक्सी कहानियां पढ़ता है, मैं तो इससे बड़ी हूं. मैंने उससे पूछा कि तेरा दोस्त कौन सी कक्षा में है? वो बोला- हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं. फिर मैं बोली- तेरा दोस्त कहां है. तो बोला- गांव में है. मैं बोली- उसको भी बुला ले, फिर हम तीनों मिलकर यह खेल खेलते हैं.
वो बोला- मौसी, मैं तुम्हें बताऊं कि हम वीडियो देख कर जब मुठ मारते हैं. उस वक्त एक उसकी चाचा की लड़की निकिता है, उसके बारे में वह मुझे चुदाई के लिए बोलता है.. और मैं उसको तुम्हारे बारे में बोलता हूँ कि मेरी एक मौसी वन्द्या है. उसकी चुदाई करने में बड़ा मजा आएगा.. किसी दिन चुदाई का मजा लेंगे. मैंने आश्चर्य से पूछा- क्या तुम सच कह रहे हो?
वो बोला- हां सच कह रहा हूँ वन्द्या कि हम दोनों दोस्त वीडियो सेक्सी देखकर सिर्फ तुम्हें चोदने की बात करते हैं. यदि तुम सच बोल रही हो तो मैं अपने दोस्त नीरज को अभी बुला लूं. मैं चुदास से भर उठी और बोली- हां चल फोन लगा और बोल कैसे भी जल्दी से आधे घंटे के अन्दर मेरे घर पहुंच जाए.
तभी पीयूष ने मेरे फोन से अपने दोस्त को फोन लगाया और बोला कि जल्दी से मेरी ननिहाल में आ जा, आज तुझे अपनी सेक्सी मौसी वन्द्या की मस्त मस्त चिकनी चूचियां दबाने को दिलवाता हूं और भी बहुत कुछ आकर पा जाएगा. मैंने वन्द्या को पटा लिया है और फिर दोनों मस्त मिलकर चोदेंगे.
मैं उसकी बातें सुनकर बिल्कुल हैरान रह गई कि इतना छोटा लड़का कितनी सेक्सी बातें करता है, इसको चुदाई लंड चुत सबका पता है. फिर पीयूष फोन पर बोला कि मैंने बोला था ना कि मैं तुझे वन्द्या मौसी की चूत दिलाऊंगा, अब तुम भी अपनी कजिन निकिता की चुत दिलाने का इंतजाम कर लो. आज मैं अपना वादा आज पूरा कर रहा हूं, तुम भी अपना वादा पूरा करना. यह कह कर उसने फोन काट दिया. मुझसे बोला कि वन्द्या मेरा दोस्त नीरज आ रहा है.
मैंने उससे कहा- तुम इतने छोटे हो और ऐसा लगता है कि बिल्कुल जवान मर्द हो गए हो. तुम्हें सब पता है और मुझसे पूछे बिना तुम अपने दोस्त से मेरी चुत दिलवाने और मेरे साथ सोने का वादा कर आए.. तुम तो साले बहुत बड़े वाले हो.. मैंने तो सोचा था कि तुम्हें कुछ पता ही नहीं होगा, पर तुम तो मुझसे ज्यादा और सब जानते हो.
तभी मेरे पास को पीयूष आया और बोला- आज तुम मेरी बीवी हो.. जो मैं बोलूं, तुमको वही करना है. यह कह कर वो मुझसे आकर लिपट गया.
प्रिय पाठको, मेरी यह कामुक रसभरी चुदाई की कहानी कैसी लग रही है, आप अपने मेल मुझे भेज सकते हैं. [email protected] कहानी जारी है.
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