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हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम पुनीत वर्मा है और मैं 21 साल का हूँ और मेरा लन्ड 6.5″ का है और मैं अलीगढ़ से हूँ। मैं अपनी पहली सेक्सी स्टोरी शेयर कर रहा हूँ अगर कोई गलती हो जाए तो मुझे माफ करना। मैं अन्तर्वासना की कहानी काफी समय से पढ़ता आ रहा हूँ तो सोचा क्यों ना अपनी स्टोरी शेयर करूँ।
यह स्टोरी मेरी और मेरी बुआ की लड़की पूनम की है, पूनम की उम्र 20 साल, उसका फिगर करीब 34-30-36 का है और 5’5″ की एक बहुत सेक्सी लड़की है। बुआ का घर भी यही मेरे घर से थोड़ी दूरी पर है और उनके घर में बुआ फूफा एक लड़का और दो लड़की है, एक का नाम पूनम और दूसरी का नाम तनीषा है।
बात आज से 1 साल पहले की है जब पूनम मेरे घर पर रहने आयी थी वैसे तो मैं उसे हमेशा से चोदने के मन में था लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। जब वो हमारे घर रहने आई तो मेरे तो जैसे मन में लड्डू फूट रहे थे। वो घर के कामों में ज्यादा रहती थी तो जब भी कोई काम करती मैं उसे घूरता और उसकी गांड और चुचे देखता रहता था।
मेरे घर में हम सब लोग एक ही कमरे में सोते हैं, मैं मेरे पापा मम्मी और मेरी बहन और पूनम भी। मैं पूनम के पास ही थोड़ा दूर अलग पलंग पर सोता था। मैं रोज उसके नाम की मुठ मार रहा था लेकिन कभी मौका न मिला. लेकिन एक दिन वो दिन आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था। मैंने हिम्मत करके सोते समय उसके चुचों को छुआ जो एकदम टाइट थे। मैं क्या बताऊँ दोस्तो… मैंने पहली बार किसी लड़की के चुचों को हाथ लगाया था, मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई हो।
धीरे धीरे मैंने अपनी बहन के चुचों को दबाना चालू किया और बस इतनी ही हिम्मत मैं रोज दिखा पाता था और उसके नाम की मुठ मार कर सो जाता था।
एक रात मैं उसके चुचों से खेल रहा था तभी मुझे ऐसा लग शायद वो जाग गई है. तो मेरी तो फट गई और मैंने हाथ हटाकर दूर सोने का बहाना किया. लेकिन उसे पता नहीं क्या हुआ… उसने खुद मेरा हाथ ढूंढना शुरू कर दिया. मैंने भी अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया. अब मेरा और उसका हाथ आपस में एक लड़ाई सी कर रहे थे. मैंने एक हाथ उसके हाथों में रखा और दूसरे हाथ से बहन के बूब्स पर सहलाने लगा क्योंकि आग दोनों ही तरफ लगी थी इसलिए उसने मेरी हरकत का कोई विरोध ना किया. और मैं हल्के हल्के से अपनी बुआ की बेटी के स्तनों के साथ खेलने लगा।
मैं और वो थोड़ा दूर थे इसलिए थोड़ी परेशानी हो रही थी, मैंने हाथ हटा लिया तो वो तड़प उठी और उठकर बैठ गई क्योंकि कमरे में सब थे इसलिए कुछ बोली नहीं, बस उठकर बाहर चली गई. मैंने भी मौका देखा और बाहर आ गया.
अब वो तो बिल्कुल मेरे इंतजार में बाहर खड़ी थी, जैसे ही मैं गया तो मैंने जाते ही उसको कस के पकड़ लिया और अपनी बांहों में भर लिया। अगले ही पल मेरे और उसके होंठ आपस में चिपक गए। क्या बताऊँ दोस्तो, सब पहली बार था, इतना मजा आ रहा था लेकिन घर में सब थे तो हम भाई बहन ने ज्यादा कुछ नहीं किया और फिर मैं मुठ मार कर सो गया।
सुबह वो अलग ही मूड में थी, मुझे बड़े प्यार से बार बार देख कर स्माइल दे रही थी. मैंने मन बना लिया कि आज इसे चोदकर ही रहूंगा और मेरा पूरा दिन बड़ी मुश्किल से गुजरा। रात हुई, सब खाना खाकर सोने चल दिये लेकिन मेरे और पूनम के दिमाग में बस कल वाली रात घूम रही थी. सबके सोने के बाद फिर वही हुआ, इस बार उसने सबसे पहले अपना हाथ मेरे बिस्तर पर इधर उधर घुमाना शुरू किया और मैंने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और फिर एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलना शुरू किया.
लेकिन थोड़ी देर बाद जब मैंने हाथ नीचे करना चाहा तो उसने मेरा हाथ हटा दिया। मैं फिर थोड़ा झूठा गुस्सा दिखाकर उससे अलग हो गया.
फिर वो उठी और कमरे से बाहर चली गई. मैं भी मौका देखकर उसके पीछे चल दिया. बाहर आंगन में जाते ही हम दोनों आपस में चिपक गए और आज मेरा शैतानी दिमाग बस मेरी फुफेरी बहन की चूत चाहता था। मैंने उसे ऊपर वाले रूम में चलने के लिए बोला और वो खुद बाथरूम मैं जाकर मुठ मार आया जिससे आज इसकी खूब अच्छे से चुदाई करूँ।
मैं ऊपर वाले कमरे में पहुँचा तो देखा लो वो दरवाजे पर मेरा ही इतंजार कर रही थी। अब तक हमारी इस बारे में कोई बात नहीं हुई थी तो मैंने कमरे के अंदर जाते ही ‘आई लव यू…’ बोला और उसने भी ‘आई लव यू टू बोला और फिर मैंने सारी बात बताई कि मैं कितने दिनों से तेरे नाम की मुठ मार रहा था। इतना सुनते ही बोली- मैं तो कबसे तुझे देख रही थी… तूने कभी बोला ही नहीं!
और उसके इतना कहते ही मैं अपनी बहन के बदन पर टूट पड़ा। मुझे पता था रात में ऊपर कोई आता नहीं इसलिए कमरे का दरवाजा बंद करके सीधा उसके ऊपर ऐसे टूटा जैसे कितने दिनों की भूख हो। मैंने उसको कस के पकड़ लिया जिससे उसके चूचे मेरी छाती से कस गए उसके होंठ मेरे होंठों में कस गए और मैं जन्नत में था। मैं अपने एक हाथ से उसके चूचों को दबाने में लगा था और एक हाथ पीछे उसकी पीठ पर घूम रहा था। उसकी थोड़ी थोड़ी सिसकारियां चालू हो गई थी क्योंकि वो गर्म हो चुकी थी। मैंने देर न करते हुए मौके का फायदा उठाया और उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर लेट गया और यहां वहां सब जगह चूमने लगा.
उसने टॉप और ढीला सा लोवर पहन रखा था। मैंने धीरे धीरे उसके टॉप को उतारने की कोशिश की और उतार कर अलग डाल दिया. क्या नजारा था दोस्तो… क्या बताऊँ! मुझे वो मिल गया था जिसे मैं कितने दिनों से चूसना चाहता था। उसने अंदर सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी, क्या कयामत लग रही थी वो!
मैंने उसे थोड़ी देर तक देखा और फिर उसकी ब्रा से बाहर दिख रही चूचियों को चूमना, चाटना शुरू किया. मैंने अपनी बहन की ब्रा में से एक चुचे को बाहर निकाला और उसे मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबा रहा था. इस तरह मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसा. अब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने ब्रा का हुक खोल के उसे पूरा उतार फेंका।
अपनी बहन की पूरी नंगी चूचियां देख कर मेरे तो होश ही उड़ चुके थे, वासना मेरे दिमाग में भर चुकी थी, मैंने उसके उरोजों को चूसना चालू रखा और वो इतनी गर्म हो गई कि उसकी आवाजें कमरे में गूंज रही थी और वो ‘उह आह…’ सिसकारियां भर रही थी, उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था और न ही मुझसे कुछ बोला जा रहा था।
अब मैं अपनी बहन के नंगे बदन को चाटता चूसता हुआ नीचे चल दिया, पहले उसके गोरे गोरे पेट को चूसा और चूमा, फिर उसने मेरा हाथ रोक और मुझे ऊपर उठा कर मेरी टीशर्ट निकाल दी और मुझे चूमने लगी.
फिर तो इतनी चुदास चढ़ चुकी थी, मैंने उसका लोवर भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने कोई अप्सरा जैसी लग रही थी केवल लाल पेंटी में… उसके खड़े 34″ के चूचे मुझे सलामी दी रहे थे, मेरे लन्ड का तो बुरा हाल था, मैंने खुद अपना लोअर उतार कर खड़ा हो गया और अंडरवियर में कैद मेरा लन्ड मेरी नंगी बहन को देखने की कोशिश कर रहा था.
मैंने तुरन्त उसका हाथ पकड़ कर अपना लन्ड उसके हाथ में दे दिया और उसने हाथों से मेरे लन्ड को सहलाना शुरू किया और कुछ ही देर में अंडरवियर निकाल दिया और लन्ड को हाथ में लेकर बोली- पुनीत जान, तेरा तो बहुत बड़ा हो गया है! मैंने कहा- ये तो बस तुझे देख के सलामी दे रहा है! और लन्ड उसके मुंह के पास कर दिया।
पहले उसने मना किया लेकिन थोड़ी बहुत देर आनाकानी के बाद उसने लन्ड को चूसना शुरू किया और यह उसका पहली बार था। लेकिन उसने मेरे लन्ड को खूब अच्छे से चूसा लॉलीपॉप समझ कर!
मैंने भी देर न करते हुए अपनी बहन की पैंटी निकाल दी और हम 69 की पोजीशन में आ गए. मैंने उसकी चूत को पहले किस किया फिर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और खूब अच्छे से चाटा. वो पूरी तरह पागल हो चुकी थी, अब तो वो तुरन्त उठी और बोली- भाई, इतना मत तड़पा और चोद दे मुझे! मैंने भी देर न करते हुए उसे लिटाया और एक तकिया उसकी गांड के नीचे लगाया क्योंकि मेरा भी पहली बार था तो मैं भी कुछ जल्दी में ही था… और धीरे धीरे लन्ड अपनी बहन की चूत पर घिसने लगा। और मैंने एक जरा सा धक्का मारा, जिससे मेरे लंड का थोड़ा सा टोपा उसकी चूत में घुस गया, वो दर्द और घबराहट से उछल पड़ी और मेरा लन्ड निकल गया.
फिर मेरी बहन मना करने लगी- नहीं यार, दर्द हो रहा है बहुत! मैंने उसे समझाया और इस बार पकड़ मजबूत करके एक धक्का और मारा इस बार थोड़ा सा लन्ड गया और मैंने उसके मुँह को अपने होठों से बंद कर दिया ताकि वो चिल्लाये ना… और वो छटपटा रही थी लेकिन मैंने एक ना सुनी और एक धक्का और मार दिया इस बार वो बिल्कुल पागल हो गई और मेरी चंगुल से निकल भागने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उसके होठों को अपने होठों में भींच रखा था.
मेरा करीब आधा लन्ड ही मेरी बहन की चूत में गया होगा और दर्द तो मुझे भी हो रहा था क्योंकि मेरा भी पहली बार था लेकिन मैंने यहां अन्तर्वासना पर बहुत स्टोरी पढ़ी हैं तो मुझे मालूम था। मैं थोड़ी देर शांत रहा, जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने एक धक्के में पूरा लन्ड जड़ तक डाल दिया और वो रोने लगी, कहने लगी- छोड़ दे कमीने… आज तो मेरी चूत फाड़ दी तूने!
मैंने उसे समझाया कि अभी थोड़ी सा दर्द सहन कर ले, फिर मजा ही मजा है! और उसके शांत होने तक उसे किस करता करता रहा और उसके चुचे दबाता रहा।
अब उसका दर्द कम हो चुका था और वो भी हल्के हल्के चूतड़ उठा रही थी, मैंने भी हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किए और फिर तो वो बहुत मस्ती में आकर तेजी से अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी।
मैंने भी स्पीड बहुत बढ़ा दी और पूरी जान से अपनी बहन को चोदता रहा. वो बोल रही थी- और चोद और चोद बहनचोद फाड़ दे मेरी चूत! मैं अपने धक्के लगाता रहा और पूरे कमरे में हमारी सिसकारियां गूँज रही थी।
करीब 15 मिनट की भयंकर चढ़ाई चुदाई के बाद मेरा होने वाला था मैंने उससे कहा- कहाँ निकालूँ जानेमन, मैं आ रहा हूँ. वो बोली- अंदर ही निकाल दे बहनचोद, मैं भी बस आई। और एक मिनट बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और वो भी साथ झड़ गई।
और हमारी हालत अब खराब थी, मैंने उसे उठाया तो देखा नीचे तकिया खून में लाल पड़ा है वो डर गई मैंने उसे समझाया कि अब तू फ्री हो गई है सील टूटी है तेरी! हम भाई बहन एक दूसरे को कामुक नजरों से देख रहे थे।
मैं उसे बाथरूम में ले गया, पेशाब कराया, उसे दर्द बहुत हो रहा था.
और फिर मैंने वो मेरी बहन की चूत के खून से सना तकिया छिपा दिया ताकि मौक़ा मिलते ही उसे मैं कहीं दूर फेंक आऊँ!
फिर मैंने उसकी 20 दिन तक रोज अलग अलग तरीके से चुदाई की।
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