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सुंदर गुलाब के फूलों वाली नई चादर पर बैठी नवविवाहिता आयुषी अपने फ़ोन में कुछ फोटो देख रही थी. तभी उसके पति नलिन कमरे में आये, आते ही अपनी दुल्हन से बोले- हाय जान! क्या कर रही हो फोन में? आज हमारी पहली रात है, सुहाग रात है.
आयुषी- वो मेरी सहेली मानसी ने मेरी विदाई की कुछ फोटो भेजी हैं जो उसने अपने मोबाइल से ली थी! आप भी देखो न…ये भावुक कर देने वाली हैं! देखो ना! आयुषी ने अपना फोन अपने पति की ओर बढ़ाया. लेकिन नलिन फोटो देखे बिना ही बोला- हाँ… हाँ… ठीक हैं. आज हमारी फर्स्ट नाईट है तो… वो बादाम वाला दूध तुमने लाकर रखा या नहीं? आयुषी- वो असल में कल रात से मैं ठीक से सोई नहीं थी ना… मेरे सर में दर्द हो रहा था तो मम्मी जी ने मुझे केटल में कॉफी दी थी, अभी तो मैंने बस वही पी है… आप भी लेंगे क्या कॉफ़ी? आयुषी उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना एक मग में कॉफ़ी उड़ेलने लगी. “न… नहीं… तुम पीयो…! वो रीत है ना दूध का गिलास…”
नलिन के मना करने पर आयुषी ने खुद कॉफ़ी का मग उठा लिया और पीने ही लगी थी कि तभी उसने अपने पति के हाथ में कुछ देखा, चौंकते हुए आयुषी ने पूछा नलिन से- ये तुम्हारे हाथ में क्या है? नलिन हिचकिचाते हुए- ये… ये… ये सफ़ेद चादर है, इसे बिस्तर पर बिछा लेते हैं! “अरे आज हमारी रंगीन रात है तो ये सफ़ेद चादर क्यों… तुम्हें यह रंगबिरंगी फूलों वाली चादर अच्छी नहीं लग रही क्या? ज़रा देखो तो… कितने सुन्दर गुलाब के फूल बने हुए हैं! और तुम यह सफ़ेद…!”
नलिन बोला- देखो आयुषी, मुझे मालूम है कि आज की रात हमारी सुहागरात है, यह हमारी यादगार लम्हों से भरी रात होने वाली है, इस रात के लिए हमने कितने सपने देखें हैं, लो इस चादर को बिछाओ! आयुषी- लेकिन क्यों? ये क्या जरूरी है? नलिन- समझने की कोशिश करो आयुषी… यह जरूरी होता है! सुहागरात पर सफ़ेद चादर जरूरी होती है। “क्या मतलब है तुम्हारा?” “अरे यह एक जरूरी शगुन होता है आयुषी! समझो ना!” “क्यों?”
“आयुषी… क्या तुम कुछ भी नहीं जानती?” “क्या नहीं जानती मैं? लेकिन तुम सफ़ेद चादर को बिछाने पर इतना जोर क्यों दे रहे हो नलिन?” “आयुषी… तुमको पता होना चाहिए कि आज की रात तुमको अपने आप को साबित करना है।” आयुषी ने कहा- क्या साबित करना है? खुल कर बताओ ना?
नलिन- आयुषी… मेरा मतलब तुम्हारी वर्जिनिटी…वो वो मेरा मतलब तुमने शादी के पहले किसी के साथ स… सस्स… सेक्स…? “ओह माय गॉड… हे भगवान… यह क्या वाहियात बात कर रहे हो तुम नलिन?” आयुषी एक गहरी सांस लेती हुई बोली- अब समझ में आई मुझे तुम्हारी यह सफेद चादर वाली पहेली!
अपने हाथ से फोन को बिस्तर पर फेंकती हुई आयुषी कमरे से बाहर आ गई. उसका दिमाग क्रोध से घूम रहा था. एक पल खुद को संभालती हुई आयुषी जोर से बोली- हाँ… हाँ… हाँ… हाँ मैं शादी से पहले अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स कर चुकी हूँ… और क्या जानना और सुनना चाहते हो तुम बोलो? नलिन ने कहा- क्या… क्या… बोली तुम आयुषी? और यह क्या ड्रामा है?
कुछ पल के बाद- इसका मतलब तुम कुंवारी नहीं हो आयुषी? “हाँ नलिन… वो मेरा बीता हुआ कल था पर आप मेरे आज हो… मेरा भविष्य हो!” “और तुम तो ऐसे बर्ताव कर रहे हो जैसे तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही हो?” “मैं सही कह रही हूँ ना नलिन?”
“यू शट अप! चुप करो आयुषी… तुम लड़की हो और मैं लड़का… मैं जो चाहूं वो कर सकता हूँ… समझी?” आयुषी- सच में जो चाहो वो कर सकते हो? नलिन- तुम्हें अपनी हद में रहना चाहिये था आयुषी! तुम्हें शर्म आनी चाहिए आयुषी!
“अच्छा… तो तुम्हें क्या लगा कि तुम जैसे खोखले आदमी के लिए सफ़ेद चादर पर मैं अपने आप को पाक साफ़ साबित करूँगी?” नलिन का हाथ एकदम से आयुषी की तरफ उठा ही था कि तभी उसका हाथ पकड़ते हुए आयुषी गुस्से से बोली- ऎसी हिमाकत ना कर देना… “तुम चुप रहो बस!”
इस सारी नोकझोंक के साथ ही आयुषी गुस्से से सराबोर हो उठती है और साथ ही नलिन की बहन और मम्मी भी बाहर निकाल आई! नलिन की मम्मी बोली- क्या हुआ नलिन…क्या हुआ? नलिन चुप रहा. नलिन की बहन बोली- भैया क्या हुआ? कुछ बोल क्यों नहीं रहे तुम? मम्मी ने फिर पूछा- क्या हुआ? नलिन की बहन बोली- तुम दोनों झगड़ क्यों रहे हो? ये तो खुशी के पल हैं लेकिन यहाँ ये सब क्या हो रहा है? मम्मी बोली- बेटी आयुषी, तुम ही कुछ बताओ कि क्या हुआ?
“मम्मी जी, आप तो समाज सेविका हैं, कई संस्थाओं से जुड़ी हुई हैं? मुझे तो यह भी बताया गया था कि आपने काफी जन जागरण के कार्य किये हैं, हमारे समाज में व्याप्त बुराइयों को निकाल फेंकने के लिए आप ऐसे कार्यों में बढ़ चढ़ कर भाग लेती हैं?”
आयुषी ने आगे कहा- अब मम्मी जी, जरा यह बताइए कि आज के जमाने में भी विर्जिनिटी की क्या वैल्यू है? वो बोलती रही- यह आपका पढ़ा लिखा कंप्यूटर इंजीनियर पुत्र जो पिछले दो महीने से मेरे साथ घूम फिर कर, शादी के मण्डप में मुझे चूम कर अपने आपको आधुनिक साबित करना चाह रहा है, आपका वही बेटा अब सुहागरात को मेरे पास सफ़ेद चादर लेकर आया है! क्या मतलब है इसका? क्या साबित करूं मैं? ये खुद तो वर्जिन है नहीं पर बीवी वर्जिन चाहिये।
नलिन भी गुस्से में बोला- जस्ट यू शट अप आयुषी… तुम में जरा भी संस्कार नाम की चीज है या नहीं… क्या ड्रामा कर रही हो यहाँ सबके सामने? तुम्हें यह नहीं पता कि किससे किस तरह की बात करनी चाहिए?
आयुषी- मम्मी, हमेशा ऐसा क्यों होता है कि एक लड़की, एक औरत को ही इन सब दकियानूसी बातों से गुजरना पड़ता है? पुरुष चाहे कितनी भी बार सेक्स कर ले लेकिन वो शतप्रतिशत पाक साफ़ रहेगा. परन्तु लड़की… हाँ लड़की को तो सुहाग की सेज पर सफ़ेद चादर पर दाग छोड़ना पड़ता है… है न मम्मी जी? पुरुष जीवन भर औरत के बदन पर हुकूमत करता है, वह जो चाहे, कर सकता है… लेकिन क्या एक लड़की अपनी चाहत एक बार भी पूरी नहीं कर सकती?
इतने में नलिन की बहन मीता आयुषी के पास आकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए बोली- आप ठीक कह रही हो भाभी! “भाभी… इसको भाभी मत कहो!” नलिन चीखा! मीता- भैया, भाभी की तरह मैं भी वर्जिन नहीं हूँ। मेरा भी एक बॉयफ्रेंड है और मैं अपना कौमार्य उसे दे चुकी हूँ. मीता की मम्मी बोली- यह क्या कह रही हो मीता तुम? तुम्हारा दिमाग अपने ठिकाने पर है या नहीं? “हाँ मम्मी… मैं भी कुंवारी नहीं हूँ!” मम्मी ने अपना सर पकड़ लिया- हे राम… मैं यह क्या सुन रही हूँ?
मीता- मम्मी जी, भैया… तकलीफ हुई ना सुन कर? लेकिन घबराइये मत… मैंने ऐसा कुछ नहीं किया. मैंने किसी से कोई सेक्स नहीं किया लेकिन मुझे मालूम है कि मेरी कौमार्य झिल्ली टूट चुकी है. मैं बैडमिंटन खेलती हूँ, योगा करती हूँ, कसरत करती हूँ, बचपन में साइकिल भी चलाती रही हूँ. ये सब करते वक्त लड़कियों का हाइमन टूट जाना सामान्य है। अब जब मेरी शादी होगी तो मैं खुद को सफ़ेद चादर पर कुंवारी साबित नहीं कर पाऊँगी और मेरा पति भी मुझे इसी तरह से बदचलन समझेगा जैसे अभी मेरा अपना भाई मेरी भाभी को समझ रहा है. नलिन- मीता… तुम चुप करो… क्या बकवास करे जा रही हो? मीता- भैया, मैं आपको अच्छी तरह से जानती हूँ, आपका चुप रहना ही बेहतर है. दो एक को तो मैं भी जानती हूँ.
मम्मी- मीता… बेटा… ये सब क्या है… मेरा तो सर चकरा रहा है! “ममा, आपको पता है दुनिया भर की लाखों लड़कियां चाहे वो एथलीट हों या किसी और कारण से अपना योनि पटल खो देती हैं और फिर सफ़ेद चादर वाली परीक्षा में फेल हो जाती हैं, उनका पति उं पर शक करता है और उनका जीवन बर्बाद हो जाता है. अगर किसी लड़की की सुहागरात पर सफ़ेद चादर पर लाल दाग आ गया तो वह अपने पति की नजर में पवित्र बन जाती है. पवित्रता का यह दिखावा कब तक चलता रहेगा? बताइए आप कि कब तक यों ही हम लड़कियों को इस आग के दरिया से गुजरना होगा? कब तक लड़कियों को अपने नीचे सफ़ेद चादर बिछाते रहना होगा?”
“ममा बताओ ना यह सब कब तक होता रहेगा… आखिर कब तक?” अब आयुषी बोली- असल में पूरी दुनिया में पुरुष नारी को अपना गुलाम समझता रहा है, पुरुष ने कभी नारी की इज्जत करना नहीं सीखा. पुरुष को तो बस नारी के तन की जरूरत है. वो तो बस उसकी… मीता- आप सही कहा रही हो भाभी… आयुषी- जिस दिन औरत को मर्द के बराबर हक़ भी मिलने लगेगा तो यह सफ़ेद चादर का सिलसिला भी बंद हो जाएगा. नलिन गुस्से से पागल हो कर बोला- यह लड़की बेशर्मी की सारी सीमाएं पार कर चुकी है! मम्मी जी इससे कहो कि ये अभी मेरा घर छोड़ दे… चली जाए यहाँ से!
मम्मी बोली- बहू कहीं नहीं जायेगी… यह अपनी जगह सही है. अब वक़्त आ गया है बदलने का सुहाग के बिस्तर पर सफ़ेद की जगह लाल चादर बिछाने का वक़्त आ गया है. पुरुषों की सोच बदलने का वक़्त आ गया है! नलिन तुम सफ़ेद चादर बिछाना चाहते तो पहले मुझे बताओ कि क्या तुम वर्जिन हो? साबित करोगे? अगर नहीं साबुत कर सकता तो तू इस घर को छोड़ने की सोच… यह घर तेरा नहीं मेरा है… आयुषी को मैं इस घर की लक्ष्मी बना कर लाई हूँ. ये तो यहीं रहेगी.
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