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दोस्तो, मेरा नाम निशा है। आप लोगों ने मेरी कहानियों को काफी पढ़ा, सराहा और काफी कमेन्ट भी दिये, इसलिये एक और सच्ची कहानी लेकर आई हूँ आपके मनोरंजन के लिये!
अब मैं कहानी पर आती हूँ.
मैं 40 साल की हूँ, मेरा फिगर 38सी 36 40 है और मैं दिखने में बहुत ही हॉट और सेक्सी हूँ.
एक बार मैं रेलगाड़ी से अपने पति के पास असम जा रही थी, मेरा रिजर्वेशन राजधानी एक्सप्रेस में लखनऊ से 5.30 बजे शाम को फस्ट क्लास एसी में डी लोअर बर्थ में था और अपर बर्थ अभी खाली थी. मैंने अपने केबिन का गेट बन्द कर लिया. करीब 10 मिनट बाद ट्रेन गुवाहाटी के लिये चल पड़ी. 6 बजे के आसपास टीटीई आया और मेरा टिकट देखकर चला गया.
रात को करीब 10.30 बजे ट्रेन वाराणसी में रूकी, तब केबिन के दरवाजे को किसी ने नॉक किया, मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि एक हसीन मस्त औरत जिसकी उम्र लगभग 35-36 रही होगी, मेरे सामने खडी थी. हम दोनों ने एक-दूसरे को हाय हैलो किया और फिर वो अपना सामान अपनी सीट पर रख कर मेरी सीट पर ही नीचे बैठ गई और बोली- आपका नाम क्या है डीयर? “मैं निशा और आपका नाम?” “मैं अनुप्रिया!”
और फिर हम दोनों काफी देर बातें करती रही. तब उसने बताया- मैं बनारस की रहने वाली हूँ और गुवाहटी जा रही हूँ अपनी माँ के घर! उसने पूछा- आप कहाँ से हो? तब मैंने उसे बताया कि मैं लखनऊ से हूँ और असम जा रही हूँ अपने पति के पास… वो आर्मी में हैं तेजपुर में!
बात करते करते करीब 11.00 बज चुके थे मुझे भूख भी लग रही थी, मैंने अनुप्रिया से पूछा- खाना खाओगी? मुझे तो भूख लग रही है। मैं तो खाना लेकर आई हूँ. फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया और फिर इधर-उधर की बातें करने लगी. सफर काफी लम्बा था हम बातें करती रही, तभी हम सेक्स की बातें करने लगी.
अनुप्रिया बोली- आप सेक्स में सन्तुष्ट हो? मैंने कहा- नहीं यार… और तुम? वो बोली- मेरे पति भी सेक्स ठीक से नहीं कर पाते हैं. मैं तो उँगली से या फिर केला, खीरा से काम चला लेती हूँ.
अनुप्रिया मुझसे पूछने लगी- आप क्या करती हो? तब मैंने उसे बताया- मैं तो लेस्बीयन सेक्स कर लेती हूँ.
तब वो और ज्यादा मुझसे घुलमिल गई और बोली- दीदी, आप लेस्बीयन सेक्स कैसे करती हो और किससे करती हो? मैंने उसे सब कुछ बताया, बताते-2 वह गर्म हो गई और मेरे पेट पर सर रख लिया और बोली- दी आप तो बहुत अच्छी हो, क्या आप मेरे साथ लेस्बीयन सेक्स करोगी? मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं! फिर मैंने दरवाजे को अन्दर से बन्द कर लिया और लाईट बन्द कर दी.
हम दोनों ने एक दूसरी को नंगी किया, धीरे धीरे सब कपड़े उतार दिये. अनुप्रिया बहुत ही गोरी और मस्त थी, उसके चूतड़ तो बहुत ही गोरे और मोटे थे, देखकर मेरी चूत में पानी निकलने लगा था. फिर क्या था, अनुप्रिया को मैंने सीट पर लिटा लिया और उसके बूब्स को चूसने लगी. अभी उसके बच्चे नहीं हुए थे तो वह कुँवारी चूत की तरह ही थी. 15 से 20 मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे के बूब्स को बहुत चूसा.
अनुप्रिया बोली- दीदी, मैंने लेस्बीयन सेक्स देखा बहुत है लेकिन कभी किया नहीं है. मैंने कहा- आज कर भी लो!
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गई और एक दूसरी की चूत को चूसने लगी. अनुप्रिया बोली- दीदी, चूत चटवाने में मुझे बहुत मजा आ रहा है. और सही में वह अपनी चूत को उठा उठा कर चुसवा रही थी और मैं उसकी चूत को खूब चाट भी रही थी. उसकी चूत का रस भी बहुत ही मजेदार था. हाय… ऐसा रस मैंने अभी तक किसी की चूत का नहीं देखा था, यहाँ तक कि मेरी बेटी का भी नहीं था!
फिर वह भी मेरी चूत को ऐसे खाये जा रही थी जैसे कि खाना खा रही हो! सच बताऊँ तो उसकी चूत बहुत मस्त थी. उसने बताया- मैंने अभी 5 दिन पहले ही अपनी चूत को साफ किया है, इसमें बहुत बाल हो गये थे. आगे उसने बताया- मेरे पति को झाँटों वाली चूत ज्यादा पंसद है.
फिर वो मुझसे पूछने लगी- दीदी, आपको कैसी चूत पसंद है? मैंने कहा- मुझे तो चूत चाटना ज्यादा पसंद है इसलिये क्लीन होनी चाहिये. वह मेरी चूत को चाटे जा रही थी. इसी बीच मैं उसके मुँह में झड़ गई और मेरी चूत का पानी उसके मुख में निकल गया.
उसने अपना मुँह हटा लिया, बोली- दीदी, आपकी चूत से बहुत सारा पानी निकल रहा है. मैंने कहा- उसको चाट लो, बहुत अच्छा लगेगा! वो बोली- दीदी, मैंने कभी चाटा नहीं है, क्या आप चाटती हो? मैंने कहा- हाँ, बहुत अच्छा लगता है।
फिर मैं उठी और अनुप्रिया की चूत को खूब चाटने लगी. करीब 15 मिनट वो बहुत ज्यादा गर्म हो गई और वह चिल्लाने लगी- डालो प्लीज… कुछ डालो मेरी चूत में! मैं और जोर से चाटने लगी और उसने मेरे सर को पकड़ लिया और अपनी चूत में धक्का मारने लगी और बहुत तेजी के साथ वह मेरे मुँह में अपनी चूत को ऊपर नीचे करते हुये झड़ गई और उसकी चूत का सारा पानी मेरे मुँह में चला गया.
मस्त पानी था उसकी चूत का… और फिर वह निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गई, बोली- दीदी, आज तो चुदाई से ज्यादा मजा आपने लेस्बीयन सेक्स में दे दिया! और करीब 20 मिनट तक वह मेरे ऊपर लेटी रही.
फिर उसने अपना मोबाईल निकाला, बोली- दीदी अपना नम्बर दे दो मुझे जिससे कि हम आपसे दुबारा सेक्स कर सकें! मैंने अपना नम्बर उसे दे दिया और उसने अपना नम्बर मुझे दे दिया.
फिर कुछ देर बाद वो उठी और मुझे किस करने लगी जैसे कि वह मेरा पति हो. फिर क्या था जैसे मैंने उसकी चूत को चाटा था वैसे ही वह मेरी चूत को चाटने लगी और बोली- मेरी जान, तुम्हारी चूत तो बहुत गीली है, क्या मैं इसे साफ कर दूँ? मैंने कहा- हाँ जानू, इसकी गर्मी को भी शांत कर दो!
फिर क्या था… वह मेरी चूत को चाटने लगी और करीब 20 मिनट तक उसने मेरी चूत को चाटा. अब मैं पूरी तरह से झड़ने की चरम सीमा पर थी, मैंने कहा- अनुप्रिया, मैं झड़ने वाली हूँ. फिर वह और तेजी से मेरी चूत में उंगली पेलने लगी और साथ में चूत को चाटने भी लगी. वो अपनी जीभ को मेरी चूत में घुसा दे रही थी जिससे मुझे और ज्यादा उत्तेजना हो रही थी और आखिरकार मैं उसके मुँह में झड़ गई ‘अअआ हहहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… हहहह हहह अनुप्रिया अअइइई! फॅच च्च च्चच ख्चच से उसके मुँह में सारा पानी छोड़ दिया और उसने भी बड़े मजे से मेरी चूत का रस पिया।
फिर हम दोंनों एक दूसरी के साथ चिपक कर लेट गयी. हम दोनों सो गई.
मेरी आँख खुली तो देखा कि ट्रेन चल रही है. घड़ी में टाईम देखा तो 4.15 बजे थे. फिर मैंने अनुप्रिया के बूब्स को पकड़ा और किस किया ही था कि अनुप्रिया जाग गई और बोली- दीदी, मेरा फिर मन हो रहा है सेक्स करने का! मैंने कहा- हाँ मेरी जान, मेरा भी मन हो रहा है।
हम लोगों ने फिर सेक्स किया और तब तक घड़ी में सुबह के 6.00 बज चुके थे और अभी भी हम दोनों नंगी ही थी, एक दूसरी को नंगी देख रही थी. फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और फ्रेश हुई. ट्रेन अभी चल ही रही थी और हम गुवाहाटी करीब शाम को 7.00 बजे तक पहुँचने वाले थे.
ट्रेन जब सुबह 8.30 बजे कटिहार जंक्शन में रूकी, तब हमने चाय पी. तब अनुप्रिया बोली- दीदी, यहाँ से कुछ डालने के लिये ले लें? मैंने कहा- यहाँ क्या मिलेगा यार? बोली- देख लेती हूँ! और वह देखने गई और जाकर खीरा और केला ले आई, बोली- दीदी केले को चूत में डालकर खायेंगी और खीरे से चूत को मजा देंगी.
तब मैंने अनुप्रिया से कहा कि तुम भी बहुत चूत में उंगली पेलती हो अपने? बोली- हाँ दीदी, ये तो है!
और फिर 10 मिनट बाद फिर ट्रेन चल दी और हम लोग फिर अन्दर पैक हो गये. अनुप्रिया बोली- दीदी, मुझे तो आपके साथ नंगी रहना बहुत अच्छा लग रहा है, क्या मैं कपड़े उतार दूँ? मैंने कहा- जैसी तुम्हरी इच्छा मेरी जान!
फिर क्या था, उसने अपने कपड़े उतार दिये और फिर वो मेरे कपड़े भी उतारने लगी. अब हम दोनों नंगी हो गयी और शाम को 7.00 बजे तक हमने ट्रेन में खूब जमकर सेक्स किया. फिर हमने अपने कपड़े पहने.
अनुप्रिया बोली- दीदी, अब मैं आपके यहाँ जल्दी आऊँगी जिससे कि मैं आपके और आपके सभी चाहने वालों से सेक्स कर सकूँ! खासतौर से आपकी बेटी के साथ सेक्स करूँगी। मैंने कहा- मैं अगर फ्री हुई तो हम दोनों यहीं गुवाहाटी में मिलेंगी किसी होटल में! वह बोली- हाँ दीदी, आप मुझे फोन जरूर करना!
और हम दोनों रोज बात करने लगी.
फिर मैं अपने पति के साथ तेजपुर पहुँच गई और फिर एक दिन मैंने उन्हें अनुप्रिया के बारे में बताया और फिर उससे उनकी बात कराई जिससे कि उन्हें सन्तोष हो जाये. अनुप्रिया ने कहा- दीदी को लेकर आप आइए किसी दिन मेरे यहाँ! तो वो बोले- ठीक है, मैं कोशिश करता हूँ!
करीब 15 दिन बीत जाने के बाद एक दिन हुआ ये कि मेरे पति को ऊपर पोस्ट पर जाने के लिये आदेश आ गया और उन्हें वहाँ लगभग दो से तीन दिन लगने वाले थे तो मैंने कहा कि मुझे दो दिन के लिये आप अनुप्रिया के यहाँ छुड़वा दो.
और यही हुआ, मैं अनुप्रिया के घर पहुँच गई, वहाँ उसकी मम्मी, पापा और वो थी. मेरे पति ने मुझसे कहा- मैं पोस्ट से सीधा वहीं आ जाऊँगा एक दिन के लिये! मैंने कहा- ठीक है।
सच में उन दो दिनों में उसके घर पर बहुत तरह की सेक्स पोजीशन में सेक्स किया और उसके पापा को भी उसकी मम्मी के साथ सेक्स करते हुये देखा मैंने!
आपको मेरी और अनुप्रिया की रियल सेक्स स्टोरी कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें। [email protected]
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