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मेरा नाम रिशु है मैं जब स्कूल में पढ़ता था, उस समय से ही मुझे देसी औरतों की सेक्स वीडियो और अन्तर्वासना पर उनकी चुदाई की कहानी पढ़ने का बड़ा शौक लग गया था. हम लोगों का परिवार शहर में गाँव से आकर बसा था, वहाँ मेरे पड़ोस में भी एक परिवार कहीं से आकर बस गया था. हम लोग उन्हें अंकल जी, आंटी जी कहा करते थे. हम लोगों के परिवार से उनका संबंध बहुत अच्छा हो गया था. पारिवारिक पार्टी, साथ में बाजार एवं मूवी देखने जाना आदि सब होने लगा था.
उसी क्रम में मेरा झुकाव आंटी पर चला गया. आंटी की उम्र ज्यादा नहीं थी. उनकी उम्र लगभग 34 साल की रही होगी. आंटी की फिगर करीब 30-28-34 की थी. सामान्य रंग, बड़ी बड़ी आँखें, नुकीली नाक, सीधे और लंबे बालों से उनकी आकर्षकता बहुत ज्यादा थी. हम जैसे नए लौंडों की तो समझो आंटी जी एकदम मल्लिका बनी हुई थीं. ज्यादातर बाहर निकलते समय वो साड़ी में ही निकला करती थीं.
एक दिन मैं, मम्मी और आंटी बाजार गए हुए थे, तो आंटी को अपने लिए कुछ अंडरगारमेंट्स खरीदने थे. इसलिए आंटी ब्रा और पैंटी लेने के लिए एक दुकान में घुस गईं. मम्मी ने मुझे दुकान के बाहर रहने को बोला और वे भी अन्दर चली गईं.
उस समय मोबाईल फोन मेरे पास ही था. मैं बाहर मोबाइल से जूझने लगा. कुछ देर बाद पापा का फोन आया कि जल्दी से मम्मी से बात करा दो. मैंने दुकान के अन्दर जाकर मम्मी को खोजा और उनके पास आ गया. वो ट्रायल रूम के पास खड़ी थीं. मैंने मम्मी को जैसे ही मोबाईल दिया, वैसे ही ट्रायल रूम का थोड़ा सा गेट खुला और आंटी बोलीं- भाभी, बताओ कैसी है ये सेक्सी ब्रा?
वो ब्रा और पैंटी आधुनिक अंदाज की थी उसमें उनका अर्धनग्न बदन देखकर मेरा मन डोल गया. उन्होंने जैसे मुझे देखा तुरंत अन्दर चली गईं. उस वक्त आंटी को देख कर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था. मैं किसी तरह दुकान से बाहर आ गया. कुछ देर हम तीनों घर आ गए.
जैसे ही मैं बाजार से वापस आया तो मैंने सीधे अपने कमरे में जाकर आंटी की नाम की मुठ मारी.
उस दिन के बाद मेरे आँख बंद करने और लंड हिलाने में आंटी का ही चेहरा रहता था.
कुछ दिनों बाद उनका परिवार अपने गांव जा रहा था. उनके घर चोरी न हो जाए, इसीलिए मुझे उनके घर पर सोने का आग्रह किया गया. मैंने तुरंत हामी भर दी. रात को खाना खा कर उनके घर गया और उस रूम में सोने गया, जिसमें आंटी और अंकल सोया करते थे.
आंटी के कमरे में उनके शानदार पलंग पर मोटी स्पंज वाली मैट्रेस लगी हुई थी. मैं आँखों को बंद करके अंकल और आंटी की चुदाई की कल्पना कर रोमांचित हो गया. फिर मैंने उनके बेड के नीचे देखा तो पाया कि गद्दे के नीचे मैनफोर्स के कंडोम का पैकेट है. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसमें से एक कंडोम निकाल कर कंडोम में मुठ मारी. बस वहाँ सोने के क्रम में मैंने एक गलती कर दी, वो मुठ से भरा हुआ कंडोम उनके डस्टबिन में डाल कर मैं वापस आ गया था. दूसरे दिन उनका परिवार वापस आ गया था.
सामान्य जीवन चलने लगा था. मैं आंटी के सपनों में खोया रहता था. एक दिन हमारे यहाँ विशेष पकवान बना था, तो मम्मी ने मुझे आंटी के घर देकर आने को कहा. मैं जब उनके घर गया तो उनका घर खुला हुआ था. मैं सीधे उनके घर में चला गया और देखा आंटी नहा कर सेक्सी नाइटी में बाथरूम से बाहर निकल रही हैं. वे मुझे देखकर थोड़ी घबराईं, लेकिन फिर आने का कारण पूछा.. तो मैंने टिफिन बढ़ा दिया.
मेरी नजर आंटी के कामुक जिस्म से हट ही नहीं रही थी. वो टिफिन लेकर किचन में गईं तो अंकल के ड्यूटी जाने और बच्चों के स्कूल चले जाने के कारण, घर में उनको अकेली देख मेरा साहस बढ़ गया. मैंने न जाने किस सोच में उनके पीछे से जाकर उनकी चुचियों को पकड़ लिया और मसलने लगा. मैंने आंटी के मम्मों को काफी जोर से दबा दिया था. उस समय वो बिना ब्रा की थीं, मेरे हाथ लगाने से वो स्तब्ध रह गईं और तुरंत पीछे मुड़ कर मेरे गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया.
तमाचा खाने के बाद मेरा मुँह लटक गया और मैं वापस आ गया. मैंने किसी को कुछ नहीं बताया, मुझे डर था कि वो मम्मी को न बता दें, पर कुछ दिनों तक डर के साथ जीने के बाद अहसास हो गया कि आंटी ने कुछ नहीं बताया है, तो मैं सामान्य जीवन जीने लगा. लेकिन अब मेरा आंटी से नजरें मिला पाना मुश्किल हो गया था.
कुछ दिनों बाद मैं अपनी कार से सुबह सुबह कोचिंग से लौट रहा था, तो देखा कुछ भीड़ एकत्रित है. मैं गाड़ी रोक कर वहाँ गया तो देखा कि अंकल को किसी गाड़ी वाले ने ठोक रखा था. उनके दोनों पैर टूट चुके थे, वो जमीन पर पड़े थे और आंटी मदद के लिए गुहार लगा रही थीं.
यह घटना शायद सुबह सुबह टहलने के दौरान हुई थी. मैंने तुरंत अंकल को लोगों की मदद से अपनी कार की पीछे वाली सीट पर लिटाया और आंटी को आगे सीट पर बैठा कर सीधे अस्पताल ले कर आ गया. मैंने फोन पर घर वालों को भी घटना के बारे में बता दिया था. अस्पताल में सब लोग आ गए, उनका इलाज हुआ आंटी अपने बच्चों को मेरे यहाँ छोड़ कर अंकल की देखभाल के लिए अस्पताल आना जाना करने लगीं.
आंटी को मेरा भाई छोड़ आता था. एक दिन भाई का नानी के यहाँ जाने के कारण मैं आंटी को बाईक से अस्पताल ले जा रहा था. उनकी चुची मेरे शरीर से टच हो रही थीं और मेरा लंड फुंफकार मार रहा था. रास्ते में उन्होंने उस दिन अंकल के मदद के लिए धन्यवाद दिया और वे उस चांटे के लिए सॉरी बोलीं.
अस्पताल पहुँचने के बाद आंटी ने कहा कि बोलो मैं क्या कर सकती हूँ. उस मदद के लिए तुम जो बोलो, मैं करने को तैयार हूँ. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोलूँ और क्या मांगूं! मैंने कुछ देर सोच कर कहा कि मैं एक रात आपके साथ बिताना चाहता हूँ. फिर वो थोड़ा गुस्सा हुईं और अस्पताल के अन्दर चली गईं.
शाम को जब मैं लेने आया तो वो बिना कुछ बोले गाड़ी पर बैठ गईं. मैं भी रास्ते में कुछ नहीं बोला. गाड़ी जब मैंने अपने घर पास रोकी, तो आंटी बोलीं- पहले मेरे घर चलो, वहाँ मुझे कुछ काम है. उसके बाद बच्चों को लेने आऊँगी.
मैं फिर उनके घर के तरफ चला गया. जब उनके घर गया तो वो बोलीं- अन्दर आ जाओ. मैं अन्दर जा कर सोफे पर बैठ गया और आंटी रूम जाकर कपड़े लेकर बाथरूम चली गईं. नहा कर निकलते ही मेरी नजर आंटी पर पड़ी तो देखा आंटी ब्रा और पैंटी में बाहर निकलीं. मैं उनकी सुंदरता देखकर सोफे से खड़ा हो गया. आंटी बोलीं- खड़े क्यों हो गए? बैठो.. मैं कुछ लेकर आती हूँ.
वो इसी स्थिति में किचन में गईं और दूध का एक ग्लास ले कर आईं. आंटी बोलीं- पियो. मैंने बोला- ये क्यों? तो वो बोलीं- अभी मेहनत जो करनी है.
मैं अब समझ गया था कि आज मेरी मनोकामना पूरी होने वाली है. मैंने एक ही बार में सारा दूध खत्म कर दिया. फिर मैंने आंटी को बोला कि चलें अब? वो बोलीं- जब हम अकेले रहें, तो आंटी नहीं.. ज्योति बोला करो. तो मैंने कहा- ठीक है ज्योति.. आ जाओ.
ये कहते हुए मैंने ज्योति आंटी को को वहीं सोफे पर धक्का देकर उनकी चुची को ब्रा के ऊपर से ही जोर जोर दबाने लगा. वो कराह उठीं और बोलीं- आराम से.. मैं कहीं भागे थोड़े जा रही हूँ.. तुम्हारा ही सामान है.. आराम से करो.
मैं आंटी की ब्रा का हुक खोलने लगा, जल्दी के चक्कर में हुक खुल ही नहीं रहा था तो मैंने ब्रा को पूरा दम लगा कर फाड़ दिया. वो जोर से चिल्ला उठीं.. क्योंकि ब्रा के स्ट्रिप का लाल निशान उनकी पीठ पर बन गया था.
फिर मैं अपने दांतों से आंटी की चुची काटने लगा. इस वक्त मैं मानो हैवान बन गया था. उनके आँखों से आंसू आ गए थे. मैं इतने से ही नहीं रूका.. अगले कुछ ही पलों मैंने उनकी पेंटी भी फाड़ दी. फिर उनके बालों को कस कर पकड़ कर सोफा से उठा कर सीधे पंलग पर पटक दिया. मैंने उनकी नाक आँख मुँह चुची नाभि से होते हुए चुत को खूब चाटा. वो समझ नहीं पा रही थीं कि ये कर क्या रहा है, इतनी दरिदंगी से क्यों चोद रहा है.
वो बोले जा रही थीं- आराम से करो.. दर्द होता है.
मैं कुछ ही पलों बाद पूरा नंगा हो गया. उनकी नजर मेरे खड़े लंड पर पड़ी वो अपने हाथों को आश्चर्य से अपने मुँह पर ले गईं और बोली- ओ गॉड इतना बड़ा.. मैं तो तुम्हें छोटा समझ रही थी. तुम तो छोटे होकर बड़े लंड वाले निकले. मैंने तुरंत एक थप्पड़ मारा और उनके मुँह के तरफ लंड कर दिया. वो कहने लगीं- नहीं तुम्हारे लंड से बदबू आ रही है. मैंने कहा- लंड से बदबू मिटा कर देता हूँ. मैंने उनके मुँह में जबरदस्ती लंड पेल दिया और सीधे गरदन तक पहुँचा दिया. उनकी सांसें रूक गईं, आँखें बड़ी बड़ी हो गईं. वो मुझे अपने से दूर करना चाहती थीं, पर संभव न हो सका. मैंने जब लंड उनके मुँह से बाहर निकाला, तो आंटी ने बेड पर ही उल्टी कर दी.
मैंने थोड़ा प्यार से बोला कि क्या हुआ ज्योति? आंटी गुस्सा में बोलीं- आराम से नहीं कर सकते क्या? मैं थोड़ा विनम्र होकर बोला- क्या करूं.
इस पर आंटी ने बिस्तर के नीचे से डेरी मिल्क की टॉफी निकाली और मेरे लंड पर और अपनी चुत पर रगड़ ली. फिर मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस चूस कर पानी अपने मुँह में निकाल कर पी गईं. फिर मेरा सिर पकड़ कर अपनी चुत पर रगड़ने लगीं, मैंने भी चुत के अन्दर जीभ डाल कर जीभ से खूब चुदाई की और उनकी चुत का नमकीन पानी पी लिया.
अब मैंने अपना लंड को टोपा ज्योति आंटी की चुत पर रखा और अन्दर की ओर ठेल दिया. आंटी की एक आह सी निकली और फिर आंटी चुदाई का मजा लेने लगीं.
काफी लम्बी चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने उनसे पूछा कि कहाँ झड़ाना है? वो बोलीं- तेरा जहाँ मन करे.. आज मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर रही हूँ. क्योंकि उस दिन तुमने मुझे विधवा होने से बचा लिया था. आज का एक दिन देकर मैं अपने पति के साथ जिंदगी बिताऊँगी. उस दिन पति नहीं बचते तो मैं कैसे सुहागन की जिंदगी जीती और बच्चों की परवरिश कर पाती. यह सब तुम्हारे कारण है.
मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा कर उनकी चुत में ही पानी छोड़ दिया. इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थीं. उनके शरीर से उल्टी की गंध आ रही थी तो हम दोनों साथ में नहाये और कपड़े पहन कर मैं आंटी को लेकर अपने घर आ गया.
आंटी को मेरी मम्मी से कोई काम था. घर आया तो मम्मी बोलीं- आज बहुत लेट हो गए हो.. मैंने भाभी जी फोन भी ट्राई किया, वो भी रेंज से बाहर आ रहा था. भाईसाहब के मोबाइल पर फोन किया तो पता चला कि तुम सब पाँच घंटे पहले वहाँ से निकल गए हो.
फिर मैंने मम्मी को बताया कि गाड़ी गिर गई थी और गाड़ी बनवाने में लेट हो गया. आंटी भी चुदाई और हैवानियत के कारण लंगड़ा कर चल रही थीं. मम्मी ने आंटी से कहा- भाभी ज्यादा चोट तो नहीं आई.
आंटी ने नहीं में सिर हिला कर मेरी तरफ देखकर आँख मार दी. मैं उस दिन बहुत खुश हुआ. आंटी से मेरी हर रात फोन पर बात होने लगी. बात करने के क्रम में मुझे बहुत कुछ रहस्य पता चला जो मैं आपसे फिर कभी शेयर करूंगा.
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