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अन्तर्वासना के चाहने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मेरी गर्म कहानी के दूसरे भाग चुदाई की कहानी शबनम भाभी की-2 में आपने पढ़ा कि भाभी ने मुझे उनके नाम की मुठ मारते देख लिया.
सुबह हुई तो मैं नहा धोके आफिस की ओर जाने को निकला तो लैपटॉप का ख्याल आ गया. मैं आफिस में लैपटॉप लेकर जाता हूँ क्योंकि कुछ काम लैपटॉप में करने पड़ते थे. अब न चाहते हुए भी मुझे सामने के फ्लैट का डोर बेल बजानी पड़ी. सामने वही खूबसूरत सा चेहरा दिखा लेकिन चेहरे पे थकान और आँखों में लालिमा साफ दिख रही थी. शायद रात में वो ठीक से सोई नहीं थीं और इसका गुनाहगार केवल मैं था.
मैंने उन्हें सलाम-वालेकुम कहा जोकि मैं अंकल-आंटी से तो कभी कभार तो करता था लेकिन शबनम भाभी से कभी नहीं. उन्होंने कुछ नहीं कहा, मैंने तुरंत कहा कि वो आफिस में लैपटॉप की जरूरत पड़ेगी, अगर आपको जरूरत न हो तो लैपटॉप..
वो बिना सुने ही वैसे ही अन्दर चली गईं. मैं समझ गया कि वो लैपटॉप लेने गई हैं.
सामने हॉल में अंकल-आंटी बैठे चाय पी रहे थे तो मुझे देखते ही अंकल बोले- अरे रोहण बेटा, बाहर क्यों खड़े हो, अन्दर आओ.
मैं अन्दर चला गया. भाभी लैपटॉप लेके आईं. तो मैंने अंकल को बताया कि एक नई मूवी आई है, उसी को देखने के लिए भाभी लैपटॉप लाई थीं.
तब अंकल ने भाभी को मुझे चाय देने के लिए कहा. भाभी मुझे घूरते हुए चाय लेने चली गईं. मुझे लग रहा था कि भाभी मुझसे खफा हैं लेकिन उनके गुस्से में भी वो बात नहीं थी, जैसे एक प्रेमिका अपने प्रेमी से खफा हो जाती है. उसी टाइप का उनका गुस्सा मुझे लग रहा था.
खैर वो चाय लेकर आईं और मुझे कप थमा दिया. मैंने उनके चेहरे का दीदार करते हुए चाय का कप उनसे ले लिया.
चाय खत्म होने के बाद अंकल ने मुझे शाम को आते समय आम लाने को कह दिया. आम का नाम सुनते ही मैं भाभी की तरफ देख के हंस दिया. वो झेंप गईं और दूसरे तरफ देखने लग गईं.
मैंने अंकल से कहा- अंकल मार्केट में तो कई प्रकार के आम हैं, आपको कौन सा चाहिए. आंटी भाभी से पूछने लगीं कि बेटा कौन सा आम मंगाएं? मैं भाभी को देखके बोल दिया- भाभी को शायद बिना गुठलियों वाले आम पसंद होंगे. मैं इतना कह कर हँसने लगा.
अंकल चौंक के बोले- अरे ऐसा भी कोई आम होता है क्या? मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि नहीं अंकल जी.. मैं तो मजाक कर रहा था. फिर सलाम दुआ करके मैं आफिस के लिए निकल पड़ा.
शाम को आते ही मैंने भाभी की डोर बेल को बजाया. आशा के अनुसार भाभी ने ही दरवाजा खोला. मैं रूम में डायरेक्ट घुस गया और चलते चलते ही कहा कि लीजिए आपका आम, खैर आपको ये पसंद नहीं आएगा क्योंकि आपके पास तो इससे भी मीठा आम वो भी बिना गुठलियों वाला है.
मैंने मजाक के मूड में कहा, मुझे उनका ये दिखावटी खफा होने अंदाज अच्छा लग रहा था. मैंने भी ठान लिया था कि अब भाभी को मैं बात बात पे छेडूंगा. क्योंकि दोस्तो, लड़कियों को छेड़ने का भी एक अलग मजा है. भाभी ने गुस्सा होते हुए कहा- ये तुमने क्या आम आम लगा रखा है, अभी तक तो मैंने उसको खाया भी नहीं है.
इतना कह आम की पन्नी मेरे हाथों से लेकर भाभी किचन की तरफ चल दीं. मैं भी उनके पीछे पीछे किचन में चला गया. तो वो आम को किचन की सेल्फ पे रखके मेरे तरफ मुड़ते हुए बोलीं- अरे अम्मी अब्बू अभी रूम से बाहर आ जाएंगे तो? मैंने कहा- आने दो…
और दो कदम मैं उनकी तरफ आगे बढ़ गया, जिससे वो पीछे हो गईं और सेल्फ से उनकी मखमली गांड चिपक गई. मैं उनकी तरफ और बढ़ा और अब मेरा चेहरा उनके चेहरे के सामने था. हमारी नजरें आपस में मिलीं. मेरी गर्म साँसें उनकी गर्म साँसों से टकरा रही थीं.
वो पल भी इतना हसीन था दोस्तो कि मैं चाह रहा था कि काश वक्त वहीं पे ठहर जाता. मैं बस ऐसे ही उनको इतने पास से देखता रहूँ.
हमारी गर्म साँसें मुझे और भी गर्म कर रही थीं, अब मुझसे कंट्रोल करना मुश्किल था. मैं बांए हाथ से उनकी लटों को, जो भाभी के हसीन चेहरे के सामने आ गए थे, उनको पीछे को सरकाया और फिर बाएं हाथ से उनके दाएं गाल को अपने हाथों में ले लिया. मेरे छूने से ही उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं. मैंने धीरे से अपने होंठों को उनके गुलाबी होंठों के पास ले आया. उस समय मेरी सांसें जैसे रूक सी गई थीं. मैंने पहले तो सिर्फ उनके होंठों को अपने होंठों से छुआ फिर कुछ सेकंड बाद अपने होंठों से उनके होंठों को चूसने लगा.
उस समय जो अनुभूति हुई, उसको शब्दों में बयां करना मुश्किल है दोस्तो. मेरा दाएं हाथ ने भी उनके दूसरे गाल को अपने आगोश में ले लिया. अब मैं खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में थाम कर अपने प्यार को होंठों के माध्यम से भाभी को बयां कर रहा था.
तभी आंटी की आवाज आई- शब्बो बेटा, तुम्हारे अब्बू की दवा कहां पे है, आके जरा दे दो.
हम दोनों ही जैसे किसी ख्वाब से बाहर आए. उनके गाल मेरे हाथों के गिरफ्त से छूट गए. हम दोनों की ही आँखें खुलीं, हमारी साँसें अब भी गर्म हवाएं जोर जोर से छोड़ रही थीं. भाभी ने कुछ देर मुझको देखा और फिर मुझको देखते देखते ही उखड़े साँसों में बोलीं- आई अम्मी.. यह बोल कर वो अम्मी अब्बू के रूम के ओर भागीं.
मैं अब क्या करूं, रूकूँ या जाऊं; मेरे समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था. “हे भगवान कहां फंसा दिया…” मैंने मन ही मन सोचा और किचन से निकल कर हॉल की तरफ चल दिया.
अब मुझे वहां पे रूकना मुनासिब नहीं लग रहा था, तो हॉल से होते हुए दरवाजे की तरफ चल दिया. दरवाजा खोला और बाहर की तरफ निकल गया. बाहर से ही जब दरवाजा बंद करने लगा तो हॉल में शबनम भाभी खड़ी मुझे ही देख रही थीं. कुछ देर मैं भी उनको ऐसे ही देखता रहा, फिर बुझे मन से दरवाजा बंद कर दिया और अपने फ्लैट में आ गया.
इस हालात पे खुश होऊं या रोऊं, समझ में नहीं आ रहा था. क्योंकि जब तक भाभी अपने मुँह से “आई लव यू…” नहीं बोलतीं, मुझे चैन मिलने वाला नहीं था.
खैर मैं रात में ही गया और दारू की बोतल ले आया. खाना भी बाहर से ही पैक करवा लाया. आने के बाद पहले दारू पी, फिर खाना खाया और उसके बाद लैपटॉप पे रोमांटिक गाने सुनने लगा. नशे ने मुझे अपने आगोश में लेना स्टार्ट कर दिया. मुझे अब कभी भी नींद आ सकती थी, सो सोचा कि दरवाजा बंद कर दूँ… लेकिन न जाने क्या ख्याल मन में आया कि मैंने आज दरवाजा लॉक ही नहीं किया और सोफे पे बैठ कर आँखें बंद कर लीं. मुझे कब नींद आ गई.. मुझे पता ही नहीं चला और जब सुबह आँख खुली तो देखा कि लैपटॉप दारू की बोतल नहीं है. मेरे जूते और मोजे जो कि मैं पहन के ही सो गया था, वो भी गायब थे. मुझे लगा कि सब चोरी हो गया.
मैं भाग के अपने बेडरूम में गया तो देखा लैपटॉप वहीं टेबल पर पड़ा है, जूते भी बेड के नीचे रखे हुए थे, डस्टबिन में दारू की बोतल पड़ी हुई थी. मैंने सोचा कि शायद रात में भाभी आई हुई थीं. खैर मेरा सर बहुत जोरों से दर्द कर रहा था.. तो मैंने नहाना उचित समझा.
नहाने के बाद मैं बाहर निकला तो मुझे कुछ आवाज सुनाई दी, तो मैं देखने लगा कि आवाज कहां से आ रही है. पास जाके किचन में देखा तो शबनम भाभी दूसरे तरफ मुँह करके कुछ कर रही थीं. वो भी अभी अभी ही नहाई थीं क्योंकि उनके बाल गीले थे और बालों से पानी की कुछ बूँदें टपक रही थीं.
दोस्तो, नहाने के बाद एक तो मैं खुद रोमांटिक हो जाता हूँ.. ऊपर से कोई कन्या भी तुरंत नहा कर निकली हो, तो फिर सोने पे सुहागा. मैं पीछे से गया और अपने बाएं हाथ से उनकी पतली कमर पे अपने हाथों का घेरा बनाते हुए हल्के हाथों से उनको जकड़ लिया और बाएं तरफ के बालों को अपने दाएं हाथों से दूसरे तरफ करते हुए, अपने होंठों से उनकी सुराहीदार गर्दन को चूमने लगा. उनका बांया हाथ मेरे सर पे आ गया और वे मेरे बालों में अपने हाथ को घुमाने लगीं.
दोस्तो उस समय मैं केवल टावेल में था, मेरा सीना खुला हुआ था और भाभी के पीठ से चिपका हुआ था.
अब आते है मुद्दे पे, मैं उनकी बाएं तरफ से गर्दन को चूमे जा रहा था. बीच बीच में मैं उनके कानों के निचले भाग यानि कान की लौ को अपने दांतों से काट देता तो उनके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल जाती. मैंने अब अपने दोनों हाथों से उनको कसके पीछे से पकड़ा हुआ था. मैं उनकी गर्दन को चूमते चूमते उनके कंधे पे आ गया. कुछ देर कंधे को चूमने के बाद, मैं उनकी पीठ की तरफ आ गया और उनकी पीठ को चूमने लगा.
अब तक मेरा लंड इतना ज्यादा तन गया था कि लग रहा था कि मेरी टावेल गिर ही जाएगी. पीठ पर आते ही मैं कुछ देर के लिए रूक गया और उनकी समीज की चैन खोलने लगा. जिससे उनको भी कुछ होश आया और कहने लगीं कि अम्मी अब्बू जाग रहे हैं, मुझे अब जाना होगा.
तब तक मैं उनकी समीज की चैन खोल चुका था और उनकी नीली ब्रा के ऊपर से ही उनके नंगी पीठ को चूमने लगा.
भाभी ने अपने दोनों हाथों से सेल्फ को पकड़ लिया और सिसकारियों के साथ ही बोलीं- रोहण, अभी जाने दो वरना प्राब्लम हो जाएगी, प्लीज. मैं रात में पक्का आऊंगी प्लीज रोहण.
मैंने भी अपने आप पे कंट्रोल किया और खड़ा हो गया. अपनी साँसों को संभालते हुए मैंने उन्हें अपनी तरफ मोड़ा और उनके माथे को चूमने के बाद बोला- जाओ.
भाभी ने कुछ देर तक मुझे देखा, फिर जाने लगीं. मैं उनको देखने के लिए उनकी तरफ मुड़ा. कुछ कदम जाने के बाद वो फिर से मुड़ीं और हाथ के इशारे से दिखाते हुए बोलीं कि वहां नीबू-पानी का गिलास रखा है, पी लो और चूल्हे पे चाय पक रही है, हो जाए तो पी लेना. मैंने हल्का सा मुस्कुराते हुए “हां” में अपना सिर हिला दिया. भाभी ने भी हल्की सी स्माइल दी और चली गईं.
मैं भी आफिस के लिए तैयार हुआ और बेमन से आफिस की ओर निकल पड़ा. रास्ते भर बस भाभी के बारे में ही सोचता रहा. आफिस में भी मन नहीं लग रहा था, बस दिन भर मोबाइल में भाभी की वो साड़ी वाली पिक देखता रहा और रात के बारे में सोचता रहा. रास्ते में आते समय गुलाब के फूल खरीद लिए और फ्लैट की तरफ चल पड़ा.
रात को खा पीके भाभी जी का इंतजार करने लगा. लेकिन रात के 11:30 हो रहे थे और भाभी आने का नाम ही नहीं ले रही थी. करेक्ट 12 बजे भाभी मेरे रूम में आईं. मैंने खड़े होते हुए कहा- बहुत इंतजार करवाया अपने आशिक को. भाभी ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा- और ये भी तो तुम्हें पता है कि इंतजार का फल मीठा होता है.
“अच्छा मैं भी तो चख कर देखूँ कि मेरा ये “शब्बो” फल कितना मीठा है?” मैं ये कहते हुए उनको अपनी बांहों में भरने के लिए उनकी तरफ चल दिया. “न न… अभी नहीं.. थोड़ी देर और सब्र रखो..” “क्यों..? और ये झोले में क्या है?” मैंने उत्सुकतावश झोले को देखते हुए कहा. “तुम्हारे इंतजार के फल को अभी और मीठा बनाना है.” मैं बोला- बताओ न यार क्या है? भाभी- कुछ नहीं.. और तुम हॉल में ही रहो, मैं जब बुलाऊंगी तभी बेडरूम में आना. मुझे उनकी इस बात से चिढ़ सी हुई और मैं नाराजगी के स्वर में बोला- ठीक है.
“मेरा रोनू..” उन्होंने ऐसा बोलकर, मेरे एक तरफ के गाल को अपने हाथों से नोंचा और बेडरूम की ओर चली गईं.
मैं ये सोचने लगा कि अब साला ‘रोनू’ बोलकर उन्होंने मेरा निक नेम (शार्ट नाम) रखा था या मेरी नाराजगी की वजह से मुझे चिढ़ाने के लिए ‘रोनू’ बोला था.
खैर इसके बारे में सोचते सोचते 15-20 मिनट कैसे कट गए, पता ही न चला और आखिरकार मेरा बुलावा आ ही गया. “आ जाओ..” उन्होंने बेडरूम से चिल्लाते हुए कहा.
मैं बेसब्र की भांति तेज कदमों से बेडरूम की ओर भागा और बेडरूम में घुसते ही मैं चौंक गया. वो मेरे सामने वही पुरानी वाली साड़ी और ब्लाउज पहने खड़ी थीं. उन्होंने मुझे कौतूहल भरी दृष्टि से देखते हुए कहा- कैसी लग रही हूँ? मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा- जैसे उस दिन नूरे मल्लिका लग रही थीं, वैसी ही आज भी लग रही हो.
लेकिन मुझे वो आज ज्यादा ही हसीन लग रही थीं, क्योंकि आज वो मेरे लिए सजी थीं.
खैर मैं जल्दी से गुलाब लेकर आया और एक घुटने पे बैठते हुए कहा- आई लव यू मेरी शब्बो, क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी? उन्होंने इसका जवाब न देते हुए कहा- तुम्हें पता है.. आज मेरा बर्थ-डे है. ये कह कर उन्होंने मेरा गुलाब का फूल ले लिया.
मैं- ओह.. तभी आप 12 बजे के बाद आई हो. उन्होंने कहा- काफी समझदार हो गए हो.. चलो लाओ मेरा गिफ्ट दो. मैं- इस समय तो मेरे पास कुछ नहीं है.
भाभी ने मेरी आँखों में झांकते हुए कहा- मुझे सिर्फ तुम्हारा प्यार चाहिए, बेहिसाब प्यार और हमारे बारे में किसी को पता नहीं चलेगा.. इसका वचन दे सकते हो? मैंने उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा- बस इतना.. चलो मैंने वचन दिया. भाभी मुझसे लिपट गईं और सुबकने लगीं.
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