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हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम विजय है, मैं राजस्थान के जयपुर से हूँ. ये अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है. दरअसल ये कहानी नहीं बल्कि हकीकत है. मैं पहले अपने बारे में बता दूँ. मेरी हाइट 5 फ़ुट 10 इंच है, रंग साफ और लंड का साइज सामान्य है व इतना मजबूत है कि जो चुत को आग को पूरा ठंडा कर सके.
मैं यहाँ जयपुर में एक बुटीक चलाता हूँ. मेरी बुटीक पर एक भाबी आती थीं, वे दिखने में थोड़ी मोटी थीं, गदराया हुआ बदन था भाबी का… पर थीं लाजवाब. उनके चूचे काफी बड़े थे और वेल शेप्ड थे कि बस देखते ही चूसने का मन करता था… मैं उनसे कुछ कह तो नहीं पाता था, लेकिन उनकी मटकती आँखों से मुझे लगता था कि आग उनकी चुत में भी लगी थी. ये बात मुझे बाद में पता भी चल गई थी.
भाबी जी से मिलते मिलाते ऐसे ही एक साल गुजर गया. उनकी चूचियों का मैं इतना बड़ा दीवाना था कि जिस दिन वो आतीं, उस दिन मुझे मुठ मारनी पड़ती थी.
ऐसे ही एक दिन वो मेरे बुटीक आईं… उन्होंने ब्लाउज का नाप दिया… तो अपने उठा उठा कर मुझसे नाप देने लगीं, ये मुझे आज कुछ अजीब सा लगा. उनका आज का पहनावा भी काफी उत्तेजक था. उनके ब्लाउज में से भाबी की लगभग आधी से ज्यादा चूचियां दिख रही थीं.
भाबी जी ने आज अपनी साड़ी का पल्लू हटा कर मेरे सामने अपना सीना कर दिया था और कहने लगी थीं कि आज मैं नाप का ब्लाउज इसलिए नहीं लाई हूँ ताकि आप सही फिटिंग का ब्लाउज बना सको. मैंने उनके चुचों के ऊपर टेप रखा तो सीना नापने में थोड़ा संकोच सा किया. इस पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रखवाते हुए मुझसे कहा कि आप मेरी पैमाइश ठीक से ले लीजिएगा… वर्ना बाद में आप ये न कहो कि ठीक से नहीं ले पाया था.
उनकी आज की बातों में दो अर्थी बातें समझ आ रही थीं. साथ ही उनकी आँखों में आज चुदास और वासना का नशा भी साफ़ साफ़ दिख रहा था. आज मेरे बुटीक में कोई हेल्पर भी नहीं था, जिससे भाबी जी भी खुल कर बोल रही थीं. मैंने जैसे तैसे नाप लिया और उनको वापस भेज दिया.
उनके जाने के बाद मैंने अपने लंड को हाथ से समझाया और उसका पानी निकाला.
उसी दिन शाम को मुझे अंजान नंबर से मैसेज आया- हाय… तो मैंने वापिस मैसेज किया- हैलो… फिर मालूम हुआ कि ये उन्हीं भाबी जी का मैसेज था तो बस ऐसे हाय हैलो करते करते हमारी बात शुरू हुई. फिर 4 दिन बाद भाबी ने पूछा- मेरा सामान तैयार हो गया हो, तो घर पर भिजवा दो.
मैंने उनसे पूछा- मैं आपका सामान ला दूँगा, पर मुझे क्या मिलेगा? भाबी ने कहा- जो आप कहो. तो मैंने कहा- आप बुरा मान जाओगी. वो बोलीं- नहीं मानूंगी… बोलो क्या चाहिए? मैंने चुम्मी वाली स्माइली सेंड कर दी और चुप हो गया. वो तो इसी के इंतजार में थीं उन्होंने लिख दिया- ओके आके, ले लेना. मैंने भी हंसने वाली स्माइली भेज दी. भाबी ने शाम- जब शाम को मैं फोन करूँ… तब आना.
मैं आपको बताना तो भूल ही गया कि भाबी के पति महीने में 15 दिन बाहर रहते हैं और घर पर उनके बूढ़े ससुर और वो ही रहते हैं. भाबी की शादी को भी दस साल हो गए थे अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था.
इसके बाद तो मुझसे समय गुजारना मुश्किल हो गया. जैसे तैसे शाम हुई तो भाबी का फोन आया कि आ जाओ, लेकिन पीछे के दरवाजे से आना. मैं 30 मिनट में वहां पहुंचा. भाबी पीछे दरवाजे पर ही खड़ी मेरा इंतजार ही कर रही थीं.
जैसे ही मैं पहुंचा, भाबी ने दूर से ही मुझे देख कर इशारा करते हुए अन्दर बुला लिया. मैंने अन्दर आकर अपने हाथ में लिया उनका पैकेट उनके हाथ में दिया और कहा- ये लीजिये आपका सामान और अब मेरा इनाम दे दीजिये. भाबी ने मुस्कुरा कर मेरा हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचते हुए कहा- बंदी हाजिर है… ले लीजिए.
मैंने देर न करते हुए भाबी के होंठों को अपने होंठों में ले लिया और 5 मिनट तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे. मैं भाबी के मम्मों को भी दबा रहा था. भाबी तो मुझसे एक कदम आगे निकलीं, उन्होंने मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से ही मसलना चालू कर दिया.
फिर दस मिनट तक यूं ही मजा लेने के बाद हम दोनों अलग हुए. भाबी पूरी गर्म हो चुकी थीं, उनकी आँखों में वासना की खुमारी साफ़ देखी जा सकती थी. भाबी ने मुझसे पास लगे बेड पर बैठने को कहा.
मैं बैठ गया, भाबी मुझसे चिपक कर बैठ गईं और मैंने अपने हाथ भाबी के ब्लाउज पर फेरने शुरू कर दिए.
वो भी मेरा साथ देने लगीं और ब्लाउज के एक एक करके सारे हुक खोल दिए.
फिर मैंने भाबी के कमर में हाथ डाल कर उनकी ब्रा को उनके जिस्म से आजाद कर दिया और मैं उनके तने हुए बड़े बड़े मम्मों को चूसने लगा. भाबी के चूचे वास्तव में काफी बड़े थे, लेकिन उनके निप्पल छोटे थे. शायद उनका पति चूचुक चूसता नहीं होगा.
मैंने जैसे ही उनके निप्पल को मुँह में लिया, भाबी की कामुक सिसकारी निकलने लगीं. उन्होंने मेरा मुँह अपने चूचे पर जोर से दबा लिया. मैं अपने एक हाथ से उनका दूसरा आम दबा रहा था, कभी निप्पल छेड़ रहा था. करीब 20 मिनट तक मैं कभी उनका दांया बूब चूसता रहा था कभी बांया…
अब तक भाबी पूरी गरम हो चुकी थीं. तभी मैंने देर न करते हुए अचानक हाथ उनके पेटीकोट के अन्दर डाल कर उनकी चुत पेंटी के ऊपर से छेड़ने लगा, तो भाबी समझ गईं और उन्होंने झट से उठते हुए अपनी साड़ी और पेटीकोट दोनों अपने आप उतारना शुरू कर दिया.
मैंने भी अपनी टी शर्ट, पेंट उतार दी. अब मैं और भाबी दोनों सिर्फ अंडरवियर में थे. हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे को पूरा मजा देने लगे.
फिर भाबी ने अचानक मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरा खड़ा लंड बाहर निकाल लिया और जोर जोर से चूसने लगीं. मैं तो जैसे सातवें आसमान पर उड़ने लगा था. फिर मैंने भी भाबी की पेंटी उतार दी और उनकी टांगें पकड़ कर सीधा लिटाते हुए उनकी चुत चाटने लगा.
भाबी तो जैसे पागल ही हो गईं और बड़बड़ाने लगीं क्योंकि उनकी चुत पहली कोई बार चाट रहा था.
भाबी गांड उठाते हुए कहने लगीं- आह… जोर से चाटो… मेरा पति तो बस अपना लंड खड़ा करता है और डाल देता है… चूत कभी नहीं चाटता.
अगले कुछ पलों में हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए भाबी मेरे लंड को चूसने लगीं और मैं भाबी की चूत को और जोर से अपनी जीभ अन्दर डाल कर चोदने लगा. भाबी 5 मिनट में ही मेरे मुँह में झड़ गईं, लेकिन मेरा लंड चूसती रहीं.
अब मैं भी देर न कर करते हुए भाबी के ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उनकी चुत पर रगड़ने लगा. भाबी गांड उठाते हुए बोलीं- मत सताओ यार… अब डाल भी दो… कितना तड़पाओगे?
एक बात बताऊं दोस्तो… भाबी की चूत 9 साल से भले ही चुद रही हो लेकिन अभी भी 18 साल की लड़की की तरह उनकी चुत के दोनों होंठ चिपके हुए थे.
भाबी ने अपने हाथ में मेरा लंड लिया और अपनी चुत पर सैट करने लगीं. जैसे ही मेरे लंड को जगह मिली, मैंने जोर से झटका मारा. मेरा चौथाई लंड भाबी की चूत में घुस गया. भाबी मदमस्त सिसकारियां लेने लगीं और मेरी गांड पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं. तभी मैंने दूसरा झटका लगाया और इस बार मेरा पूरा लंड भाबी की चूत में घुस गया.
भाबी ने हल्की सी आह निकाली और मस्त होकर बड़बड़ाने लगीं कि आह… कितने दिनों से तड़प रही थी… तेरा लंड लेने को… आज चुदने में मजा आएगा…
भाबी न जाने क्या क्या बके जा रही थीं. फिर मैं भाबी को जोर जोर से चोदने लगा और उनके बड़े बड़े मम्मों को दबाने लगा. कुछ देर बाद मैंने भाबी को अपनी गोद में बिठा लिया और उनको हचक कर चोदने लगा. करीब 15 मिनट तक भाबी को चोदने के बाद मुझे लगने लगा कि अब मेरा लंड जवाब देने वाला है.
मैंने भाबी से पूछा- कहां निकालूँ? उन्होंने कहा- अन्दर ही.
अब मैं भाबी को जोर जोर से झटके मारने लगा. तब तक भाबी की चूत जवाब दे चुकी थी और उन्होंने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. वे झड़ गई थीं. फिर मैंने जोर जोर से अपनी पिचकारी भाबी की चूत में छोड़ दी. भाबी मुझे जोर जोर से किस करने लगीं और मेरे होंठ चूमते हुए काटने सी लगीं.
दो मिनट तक हम दोनों यूं ही चिपके रहे. फिर भाबी ने अपने पास पड़े टॉवेल से पहले मेरा लंड पौंछा, फिर अपनी चुत साफ़ की. अब हम दोनों ने एक दूसरे को फ्रेंच किस की और कपड़े पहनने लगे.
भाबी ने मुझे संतरे का जूस पिलाया और मुझे घर से बाहर छोड़ने आईं. गेट के पास आकर भाबी ने मुझे फिर से चूमा… तो मैंने भि भाभी के चूतड़ अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उनके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और 2-3 मिनट तक प्रगाढ़ चुम्बन किया. फिर मैंने भाबी की दोनों चूचियां मसली और मैं वापिस अपने बुटीक आ गया.
इसके बाद तो मेरा जब मन होता, मैं भाबी के घर चला जाता. बारह महीने में भाबी ने अपने सेक्सी बदन और चूत से मुझे फुल एन्जॉय कराया और एक बार अपनी सहेली को भी मुझसे चुदवाया. वो अगली कहानी में लिखूंगा.
हालांकि अब मेरा भाबी से मिलना ही बंद हो गया. लेकिन मुझे उनके साथ बिताए हुए पल अब भी बहुत याद आते हैं.
दोस्तो, कोई गलती हुई हो मेल करके मुझे तो जरूर बताना. [email protected]
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