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एक बार फिर मैं लव आप सभी प्यारे पाठकों का स्वागत करता हूँ अपनी कहानी दूध वाला राजकुमार के विशेष भाग ‘काजल की चुदाई’ में। इसके अलावा इस कहानी को लेकर आपका जो प्यार मिल रहा है उसके लिए आपका और अन्तरवासना का धन्यवाद।
दोस्तो, इसके पहले वाले भाग मुख चोदन कहानी: दूध वाला राजकुमार-5 में आपने पढ़ा कि दूध डेयरी चलाने वाले रत्नेश भैया 6’11” हाइट, अंडाकार गोरे चेहरे पर मूछों वाले बहुत ही स्मार्ट और सेक्सी, कसरती जिस्म के मालिक है और उनका मूसल जैसा कड़क लन्ड चूत के चिथड़े चिथड़े करने में माहिर है।
रत्नेश भैया एक साल पहले तक गांव में कुश्ती लड़ते थे और गोरा और गठीला जिस्म होने के कारण गांव में कई सारी लड़कियां उनको देखकर चूत में उंगली किये बिना नहीं मानती थी और यही दुआ करती थी कि किसी न किसी तरह रत्नेश भैया के कसरती जिस्म और मूसल जैसे लन्ड से मिलन हो जाए।
लेकिन अब तो वह इंदौर शहर में अपने छोटे भाई के साथ दूध डेयरी चलाते हैं इसलिए गांव आना जाना कम ही हो गया था। इंदौर में 8 महीने होने के बावजूद रत्नेश भैया ने अभी तक किसी शहरी लड़की की चूत का भोसड़ा नहीं बनाया था क्योंकि वो शायद अपने आप को अंडरएस्टिमेट करते थे और मानते थे कि शहरी लड़कियां उनसे नहीं चुदवायेंगी।
अब उनको क्या पता कि गांव के असली घी का तो मज़ा ही कुछ और है। इसके अलावा रत्नेश भैया के फूले डोले शोले और फूली कसरती छाती को देखकर तो किसी भी लड़की की चूत गीली हो सकती थी। हालांकि उनको शहर में भी लड़कियां लाइन देती थी लेकिन इंदौर जैसे बड़े शहर में खुद की और अपनी दुकान धंधे की बदनामी के चलते भी वो ऐसा कोई कदम नहीं उठा रहे थे क्योंकि अपने नए बिजनेस को वो ऊंचाई पर पहुँचाना चाहते थे।
बीते दिन की कहानी आपको याद दिलवा देता हूँ यदि आप भूल गए हो।
उस दिन रत्नेश भैया ने गहरे लाल रंग की शर्ट और हल्की नीली जीन्स पहन रखी थी, शर्ट की आस्तीन आधी चढ़ी हुई थी जिससे उनकी मोटी मज़बूत गोरी कलाइयाँ जिन पर उभरी हुई नसें और उन पर हल्के बाल और अंत में एक भारी भरकम पीतल का कड़ा मानो दुनिया के सबसे सेक्सी जवान मर्द होने का एहसास करवा रहे थे।
हम लोग दूध डेयरी में ही बातचीत करते हुए हंसी मजाक कर रहे थे,
तभी एक स्कूटी डेयरी के सामने आकर रुकी और एक 21-22 साल की लड़की काउंटर पर 25 रुपये रखते हुए बोली- एक लीटर दूध देना! और मुझे देखते हुए हल्के से मुस्कुराई। उस समय 25 रुपये का एक लीटर दूध आ जाता था।
रत्नेश भैया ने उसके वी शेप गले वाले कुर्ते में थोड़े से दिखाई देते मम्मों दो देखने की नाकामियाब कोशिश की और पीछे रखे दूध के डीप फ्रीजर से दूध निकालकर पॉलीथिन में भरने लगे। वास्तव में वह लड़की देखने लायक थी 32-28-32 का फिगर होगा उसका, अंडाकार गोरा चहरा जिस पर छोटे छोटे होंठ।
रत्नेश भैया के पीछे मुड़ जाने पर वह लड़की एकटक रत्नेश भैया को निहार रही थी, आखिर रत्नेश भैया थे ही इतने सेक्सी… मैं उस लड़की की सब हरकत देख रहा था। जैसे ही उसे ध्यान आया कि मैं उसे देख रहा हूँ उसने तुरंत अपनी नज़रें उन पर से हटा ली।
रत्नेश भैया ने जल्दी ही एक लीटर दूध उसके हाथों में थमा दिया और वह वहाँ से चली गयी। उसके थोड़े आगे चले जाने पर रत्नेश भैया ने अपने दांतों को आपस में भींचते हुए और अपने लन्ड को खुजाते हुए बड़े ही सेक्सी टोन में कहा- हाई जान! दूध के बदले दूध तो देती जाती!
इस घटना के बाद मेरे सामने रत्नेश भैया का एक नया रूप उजागर हुआ और उनके लन्ड खुजाने और कामुक अंदाज़ को में देखता ही रह गया। उन्होंने मेरी ओर देखा और पूछा- तेरी तरफ बड़ा मुस्कुरा रही थी… लन्ड लेगी क्या तेरा? मैंने हँसते हुए कहा- अरे भैया, यह तो हमारे ही अपार्टमेंट में रहती है, थोड़ी बहुत बात हो जाती है बस, इसीलिए शायद मुस्कुरा रही थी। “वाह भाई! गजब लौंडिया रहती है यार तेरे अपार्टमेंट में तो। देगी क्या? पूछना यार भाई!” अपनी आरामदायक कुर्सी पर आराम की मुद्रा में बैठते हुए रत्नेश भैया ने कहा। उन्हें नहीं पता था कि वह लड़की भी उन्हें ताड़ रही थी।
शाम के 7:30 बज चुके थे। भाभी ने खाना खाने के लिए फोन किया और मैं वहाँ से घर आ गया। घर आने से पहले मैंने रत्नेश भैया को विश्वास दिलाया कि मैं उन्हें उस लड़की की चिकनी चूत जरूर दिलवाऊंगा।
अब मुझे एक दिन के बाद ही इंदौर से लौटना था इसलिए जल्दी ही रत्नेश भैया के लिए उस चूत का जुगाड़ करना ज़रूरी था।
सुबह हुई और आज सर्वेश (रत्नेश भैया का छोटा भाई) दूध लेकर नहीं आने वाला था क्योंकि वह गांव गया हुआ था इसलिए काजल की माँ तीसरे फ्लोर से दूसरे फ्लोर पर मतलब हमारे फ्लैट में भाभी से पूछने आयी और बोली- अरे भाभी! आज दूध वाला नहीं आया अभी तक सवा सात बज गए। मेरी भाभी किचन से बाहर निकलते हुए बोली- अरे भाभी जी, वो गांव गया है… आज नहीं आएगा दूध देने। ये लव जा रहा है दूध लेने डेयरी पर, आपको मंगवाना है क्या?
ऊपर वाली आंटी ने जवाब दिया- हाँ लव बेटा, ऊपर आ जा दूध का बर्तन ले जा ऊपर से। मैंने अपना दूध का बर्तन लिया और गाड़ी की चाबी लेकर ऊपर वाले फ्लोर पर आँटी मतलब काजल के फ्लैट के गेट पर जाकर खड़ा हो गया।
अब मेरे मन में बस रत्नेश भैया को किया हुआ वादा हलचल मचा रहा था इसीलिए मैंने काजल को सामने देख कर कहा- काजल तुम फ्री हो तो चलो मेरे साथ… दूध के दो डिब्बे कैसे पकडूंगा मैं एक हाथ से गाड़ी पर!
काजल के जवाब से पहले ही उसकी मम्मी ने जवाब दिया- हाँ हाँ काजल… चली जा लव के साथ… डब्बा पकड़ लेना। काजल को नींद से जागे हुए 5 मिनट ही हुए थे इसलिए उसने अपने बालों को एक रबर लगाकर बांधा और दोनों डब्बे पकड़कर मेरे पीछे एक्टिवा पर बैठ गयी।
जाना तो हमें सिर्फ डेढ़ किलोमीटर ही था लेकिन बातचीत करने के चक्कर में मैं धीरे धीरे गाड़ी चला रहा था। काजल मेरे साथ रत्नेश भैया की दुकान पर जाने को लेकर काफी खुश लग रही थी। क्योंकि काजल को अब शायद रत्नेश भैया के लन्ड से अपनी प्यासी चूत को कामरस पिलाने की तलब लगी हुई थी और शायद काजल अपनी चूत में रत्नेश भैया को सोचकर उंगली भी कर चुकी थी।
मैंने पूछा- कल तुम रत्नेश भैया की डेयरी पर पहली बार गयी थी क्या? उसने जवाब दिया- नहीं नहीं… महीने में एक दो बार जाना हो जाता है, वैसे सर्वेश घर ही तो दूध देकर जाता है… कल तो मेहमान आये थे और खीर बनाने के लिए एक्स्ट्रा दूध की ज़रूरत थी इसीलिए गई थी लेने… “तुम्हारी दोस्ती है क्या उनसे?” कहते हुए थोड़ी मुस्कुराई और शर्मा गयी।
मुझे उसका इशारा थोड़ा समझ आ गया था कि काजल रत्नेश भैया पर लट्टू है, मैंने कहा- हाँ, मेरी तो अच्छी दोस्ती है उनसे और तुम्हें दोस्ती करनी है क्या उनसे? “सीरियसली पूछ रहा हूँ काजल में तुमसे ये बात… बस आज के दिन ही हूँ मैं इंदौर में कल चला जाऊंगा मैं। और हाँ… कल मैंने तुम्हें देख लिया था रत्नेश भैया को ताड़ते हुए..” कहते हुए मैंने एक चाय पोहे के टपरे पर गाड़ी रोक दी ताकि बातचीत हो सके।
पोहे खाते हुए थोड़ी बातचीत हुई और काजल ने कहा- यार लव… मेरा ऑलरेडी बॉयफ्रेंड है… अब मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा और तुम तो मुझे इतना कम टाइम दे रहे हो… अब मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।
मैंने कहा- यार काजल… बॉयफ्रेंड से रत्नेश भैया को कोई दिक्कत नहीं है, वो भी शादीशुदा है। उन्हें भी कोई रिलेशनशिप में नहीं रहना है। वो तो मैं तुम्हारे लिए ही बोल रहा हूँ,यदि एन्जॉयमेंट करना हो तो? मैं तो मानो अश्लीलता पर ही उतर आया था… खैर ज़रूरी भी था सीधी बात करना। और इन अश्लील बातों का काजल ने भी कोई विरोध नहीं किया क्योंकि काजल की चूत में तो कल से ही खुजली चलने लगी थी रत्नेश भैया के लन्ड की। लेकिन काजल ने इस बात को लेकर कुछ जवाब नहीं दिया।
अब हम लोग रत्नेश भैया की दुकान पर पहुँच चुके थे। आसपास का माहौल थोड़ा सुनसान ही था, इक्का दुक्का वाहन एक दो मिनट में रोड पर से निकल रहे थे क्योंकि दुकानें 10 बजे के बाद ही खुलती हैं और अभी तो साढ़े सात ही बजे थे।
वैसे भी उस रोड पर ज़्यादा भीड़भाड़ नहीं रहती थी क्योंकि वहाँ पर नई कालोनियाँ बन रही थी जिनमें कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था।
गाड़ी स्टैंड से लगाकर मैं दुकान के अंदर चला गया और काजल को भी अंदर ही आ जाने को कहा। दुकान में रत्नेश भैया बिस्किट के पैकिट बॉक्स से निकालकर दीवार पर लगी अलमारी में जमा रहे थे, उन्ही के पास जाकर काजल खड़ी हो गयी क्योंकि वह अलमारी काउंटर और गेट के बिल्कुल पास थी।
रत्नेश भैया के देखने पर काजल हल्के से मुस्कुरा दी और इसी के साथ मैंने भी रत्नेश भैया की तरफ इशारा करते हुए ये बताया- काजल बिल्कुल तैयार है. लेकिन मेरा इशारा काजल नहीं देख पाई थी।
रत्नेश भैया बड़े फ़ास्ट फॉरवर्ड निकले लड़की के मामले में… मेरे बोलते ही उन्होंने हरकत कर दी, बिस्किट के पैकिट जमाते हुए अपना एक हाथ गलती से काजल के फूले मम्मों पर छू दिया। हालांकि काजल यह बात जानती थी कि यह गलती नहीं है।
इस समय मैं पीछे मुँह करके अपने दोनों ही दूध के डिब्बों में दूध भरने में लगा था, हालांकि खबर सबकुछ थी मुझे भी।
रत्नेश भैया के हाथों से मम्मों को छू जाने से मानो काजल के जिस्म में सरसराहट सी दौड़ गयी और एक पल के लिए उसने आँखें बन्द कर ली। इतना होना ही था कि रत्नेश भैया ने धीरे से काजल की चूची को अपने एक हाथ से काम करते हुए ही मसल दिया और अब तो मानो काजल अपनी चूत खोलकर खड़ी होने के लिए भी राजी थी उसने भी अपने एक हाथ से रत्नेश भैया के लन्ड वाली जगह पर गलती से टच कर दिया।
फिर क्या था… दोनों के जिस्म में मानो अन्तरवासना की बाढ़ आ गयी थी। रत्नेश भैया ने काजल जो पकड़ा और आगे की और धकेलते हुते डेयरी के एक कोने के पास रखी अलमारी की आड़ में काजल को छुपा लिया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया।
मैं घबरा गया… मैंने अपने दोनों डिब्बे काउंटर पर रखे और दुकान से बाहर आ गया और चारों तरफ देखने लगा कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा। घबराहट इसलिए क्योंकि सड़क थी, दुकान पर कोई भी ग्राहक आ सकता था और अलमारी के पीछे सिर्फ काजल छुप पाई थी रत्नेश भैया तो दिख रहे थे।
दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूम रहे थे कभी काजल रत्नेश भैया के होंठों का जबरदस्त तरीके से चाटती तो कभी रत्नेश भैया उसके होंठों को अपने मुँह में ही भर लेते।
मेरी घबराहट बढ़ती ही जा रही थी… यह सब सिर्फ 2 मिनट में ही हुआ था। मैंने दुकान के बाहर से ही कहा- रत्नेश भैया, जाते हैं अब हम लोग… बहुत देर हो गयी है, घर से फोन आ गया… चलें काजल?
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