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हैलो दोस्तो, मैं आदेश, उम्मीद करता हूं आप सब मस्त होंगे और अपने खड़े लंड और भीगी चूत के साथ धोखा न करते हुए चूत चुदाई खूब कर रहे होंगे. दोस्तो, जीवन के सारे चूतियापे हम सिर्फ चूत और लंड के मिलन के लिए करते हैं, इसका एहसास मुझे तब हुआ जब मैं 12वीं में था. मैं पढ़ाई के साथ साथ बचपन से ही पहलवानी किया करता था, जिससे मेरा 5 फीट 10 इंच का शरीर काफी सुडौल और आकर्षक बन गया है. मेरी उम्र 24 की है, लेकिन 36 तक की आंटियां मेरे लंड की प्यासी हैं.
देर न करते हुए आपको सीधे अपनी उस चुदाई की कहानी पर चलते हैं, जिसे पढ़कर लौंडों के लंड का साइज दुगना हो जाएगा और लड़कियों के चूत भर भर के पानी छोड़ते हुए चौड़ी होने लगेगी, भले ही उन्होंने अब तक चुदाई का मजा न लिया हो.
रिमझिम मेरी बेस्ट फ्रेंड और क्लासमेट थी. उसकी 36-26-34 की फिगर के साथ वो जबरदस्त काँटा माल है और मेरे क्लास की मिस यूनिवर्स जैसी है. उसे देखकर क्लास का हर लड़का मुठ मारता है. उसकी नदी सी लहराती कमर, नागिन सी चाल और हिरनी सी बड़ी बड़ी आंखें देखकर बुड्ढे भी उसे बस निहारते रह जाते हैं. उसके कप शेप के बड़े बड़े चूचों के दूध पीने की तमन्ना हर सोते हुए लंड को जगा देती है.
कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ. मैं क्लास का सबसे अच्छा लड़का था. टीचर्स मेरी बहुत तारीफ किया करते थे. मैथ्स को छोड़कर बाकी सारे सब्जेक्ट्स का मैं टॉपर था और रिमझिम मेरी बेस्ट कम्पटीटर थी. बस मुझे मैथ में थोड़ी प्राब्लम होती थी, जिसमें मैं रिमझिम की मदद लिया करता था और बदले में उसे कैमेस्ट्री पढ़ाया करता था, जिससे हम दोनों की आपसी कैमेस्ट्री काफी अच्छी हो गई थी.
उसके साथ में पढ़ने के लिए हम एक दूसरे के घर ग्रुप स्टडी के लिए जाया करते थे.
हमारे बोर्ड के एग्जाम पास आने लगे थे और क्लास में टॉप करने का सोच सोच कर मैं परेशान रहने लगा, क्योंकि बिना मैथ में अच्छा नम्बर लाए यह संभव नहीं था.
मैंने अपनी दोस्त रिमझिम को कॉल किया और रोज 2-2 घण्टे मैथ पढ़ाने को बोला, वो मान गई और बोली कि फिर तुम्हें डेली दोपहर में आना पड़ेगा क्योंकि उस टाइम मैं आराम करती हूँ. मम्मी भी नहीं होतीं तो उस टाईम को तुम्हें पढ़ाने में यूज कर लूँगी.
दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गया कि हम पहले भी हंसी मजाक और थोड़ी बहुत फोन पर सेक्स चैट किया करते थे. उसकी मम्मी सुबह 9 बजे आफिस चली जाती थीं और पापा थे नहीं.
खैर अगले दिन से मैं दोपहर में उसके पास जाने लगा.
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए. मैं जाता हम लोग पढ़ाई करते, कुछ हंसी मजाक होता और मैं घर वापस आ जाता, लेकिन कभी उसके साथ कुछ करने की हिम्मत नहीं हुआ. जबकि उसे चोदने का मन रोज करता था.
तभी एक दिन अचानक मेरा ध्यान उसकी गांड पर से खिसके हुए शर्ट पर गया, जिसके कारण उसकी रेड लैगी में उसकी गांड की पूरी शेप नजर आ रही थी. दिल तो ऐसा कर रहा था कि अपना लंड उसकी गांड में कपड़े के ऊपर से ही डाल दूं और उसको इतना चोदूं कि उसकी गांड फट जाए.
मैं उसके थोड़ा पास गया और स्मूच करने के लिए खींचने लगा, उसने मुझे धक्का मारा और इसी खींचातानी में मेरा हाथ उसकी चूची पर चला गया और मैंने उसे जोर से दबा दिया. रिमझिम के मुँह से ‘उआआह…’ की आवाज आई और उसने दर्द से आंखें बंद कर लीं.
अब मैं भी घबराने लगा कि यह कहीं यह नाराज न हो जाए और पढ़ाने से कहीं मना न कर दे. फिर मैं बहुत इनोसेंट बन कर उसके बगल में बैठ कर बोला कि आई एम सॉरी, अगर मेरी किसी बात का बुरा लगा हो तो!
मैंने सोच लिया था कि अगर उसने तमाचा मारा तो चुपचाप माफी मांग लूंगा, कल से नहीं आऊंगा. उसने मुझे गुस्से से देखा और अपनी चूची को सहलाते हुए बोली- बुरा मानने वाली बात नहीं है, पर क्या कोई इतनी जोर से दबाता है? मैं समझ गया कि मैं बच गया और मैंने मजाक में हंसते हुए उसकी दूसरी चूची धीरे से दबा कर पूछा- क्या इतना ठीक है? वो हंस पड़ी और बोली- हां, इतना ठीक है.
इसके बाद हम दोनों उसके स्टडी बेड पर ही एक दूसरे से मजाक में झगड़ने लगे. वो मेरे ऊपर चढ़ गई और हम दोनों किस करने लगे. आज की उसकी हरकतें देख कर मुझे भी समझ आ गया था कि ये भी मेरे लंड से चुदने को राजी है.
मैंने भी उसको खूब देर तक चूमा और उसके मम्मों को मींजता रहा. उसकी आँखों में वासना के डोरे तैरने लगे थे. तभी न जाने क्या हुआ कि उसने मुझे धक्का दे दिया और जाने का कह दिया.
मैं समझ गया कि लौंडिया शर्मा गई है. मैं हंसता हुआ उसके घर से वापस आ गया. आते समय मैंने कहा- कल देखता हूँ… तुझे चोदे बिना छोडूंगा नहीं. उसने भी हंस कर मुझे धकेला और कहा- चल चल बहुत देखे मैंने तेरे जैसे… कल आना फिर बताती हूँ.
बस इसके बाद से तो जैसे हम दोनों एक अलग सी दोस्ती हो गई थी. हम दोनों एक दूसरे को लगातार गरम करते रहते थे… लेकिन चुदाई का खेल नहीं हो पा रहा था. सच पूछो तो मैं भी कोई मौका छोड़ना नहीं चाहता था, जब मैं उसकी बॉडी के किसी पार्ट को छू सकूं, झगड़ते समय भी मैंने कई बार उसकी पीठ पर, उसकी जांघ, उसके बड़े बड़े चुचों पर और थोड़ा बहुत उसकी गांड के हिस्से को अपने हाथों से सहलाया.
कुछ ही दिनों में मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई थी कि एक दिन मैंने उसे जमीन पर लेटा दिया और उसकी चूचियों को मसलते हुए उसको किस किया.
वह इसे रोज की तरह का मजाक समझ रही थी, पर तभी उसकी नजर मेरे तम्बू से खड़े लंड महाराज पर गई. मैंने उसे ऐसे देखकर चुपचाप उसे छिपाने लगा तब तक उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, बोली- ये क्या है? मैं- खुद देख लो. वो- तुम्हारे मन में चल क्या रहा है? कहीं ये चुदाई की बातें कर करके तुम्हारा मन भी कहीं…
इतना कहकर उसने मेरा बेल्ट खोल दिया और मेरा लंड सामने आते ही आह कर के उसे हाथ में लेकर मसलने लगी.
मुझे लगा आज भगवान ने मेरी सुन ली. फिर मैं भी उसकी चूचियों को ऊपर से ही मसलते हुए उसे किस करने लगा. वह मेरा पूरा साथ देने लगी. फिर मैं धीरे धीरे उसके टी-शर्ट ऊपर उठाने लगा.
मैंने उसकी टी-शर्ट को उसकी निप्पल के ऊपर कर दिया और मैं उसके निप्पल के उभार को अपने फेस पर फील करने लगा. फिर कुछ देर तक मैंने प्यार से उसके निप्पल चूसे और फिर अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया.
रिमझिम की चिकनी चूत पर हाथ लगाते ही उसने पानी छोड़ दिया. उसकी चुत की मलाई चाटने के बाद मैंने बीच वाली उंगली चूत में डालने की कोशिश… पर मेरी कोशिश नाकाम रही. उसे बहुत दर्द हो रहा था.
मैंने फिर उसकी चूत को ध्यान से देखा. रिमझिम की फुद्दी एकदम पिंक थी और उसके अन्दर से पानी आ रहा था. जब मैंने अपनी जुबान से चुत को सहलाया तो उसके अन्दर जैसे करंट दौड़ गया. वो उठ कर मेरे से लिपट गई. मैंने कहा- जानेमन, अभी तो सिर्फ होंठों से टच किया है, अभी तो और भी करंट लगेगा.
वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगी.
फिर मैंने उसे रोका और वापस लिटा दिया. अब की बार मैंने अपनी जुबान को उसकी फुद्दी के छेद पर लगा कर चूसना चालू कर दिया. उसकी तो बस चुत एकदम चुदासी हो गई थी. वो जोर जोर से कामुक सिसकी भर रही थी और मुझे कह रही थी- अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह चूसो इसे… और जोर जोर से… साली ने बहुत परेशान किया है आदेश… फाड़ दो इसे.
मेरे लंड से भी बूँद बूँद करके पानी निकल रहा था और लंड कहीं भी घुसने के लिए तैयार एकदम से कड़क हो चुका था.
मैंने उसकी पिंक फुद्दी को खोलकर अपने लंड को उसके ऊपर रख दिया. वो एकदम मस्ती में आ गई और बोली- जल्दी से डालो अन्दर इसे. मैंने कहा- हां मेरी जान, डालता हूं.
एक झटके से मैंने अपने लंड को उसकी चूत में पिरो दिया मगर उसकी चूत इतनी टाइट थी कि जैसे ही उसने ‘सीईईईईई…’ करके अपनी कमर को हिलाया, लंड बाहर आ गया. लंड में हल्का सा खून लगा था. मैं समझ गया कि अबकी बार ये चूत भोसड़ा बन जाएगी. मैंने उसे फिर तैयार होने को बोला और वो मस्ती में एकदम से मुझे लिपट गई.
फिर मैंने जोर का धक्का लगाया, मेरे लंड के अन्दर घुसते ही उसकी चीख निकल पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह उई माँ मर गई… बाप रे कितना गरम लंड है ये अह्ह्ह प्लीज़ निकाल लो… मैंने कहा- अभी कुछ देर दर्द होगा फिर तुम्हें बहुत मजा आएगा.
मैं उसे मशीन की तरह चोदने लगा था. आह्ह आह की सीत्कार पूरे कमरे में थी. मैं भी मजे की वजह से कामुक सिसकारियां भर रहा था. रिमझिम की चूत में पूरा लंड घुसा के मैंने उसे ऐसे चोदा कि उसकी आंखों में आंसू आ गए.
दस मिनट की चुदाई के बाद वो बोली- अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह… मैं आ रही हूँ. मैंने फट से अपने लंड को फुद्दी से निकाल लिया कि कहीं उसकी मलाई से मेरा लंड न झड़ जाए और वो पेट से ना हो जाए.
फिर वो अपनी चुत फैला कर रस पीने का इशारा करने लगी. उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी. चुत का रस चाट कर मैंने उसे तृप्त कर दिया. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसको पीछे मुड़ने को बोला. वो औंधी हो गई. मैंने उसकी गांड को खोला और उसकी गांड में लंड लगाने के लिए उसे कुतिया स्टाइल में आने को बोला.
उसकी गांड बहुत टाइट थी और और लंड घुसेड़ने में मेरी गांड फटी जा रही थी. पर मजे तो आ रहे थे. लंड गांड में घुस चुका था, उसको बेहद दर्द हो रहा था. उसने दर्द को सहन कर लिया. कुछ देर बाद उसने अपना हाथ पीछे कर मेरे लंड को पकड़ा और अपनी गांड को हिलाने लगी. मैं जोर जोर से उसे ठोकने लगा था. वो भी आह आह कर के गांड को और तेजी से हिलाती थी और मेरे लंड के ऊपर एकदम कस रही थी.
कोई 5 मिनट की घमासान चुदाई के बाद मेरा रस निकलने को था. मैंने जल्दी से अपने लंड को निकाल कर वीर्य की पिचकारी रिमझिम की नंगी कमर पर छोड़ दी, वो खुश हो गई. फिर हम दोनों नंगे ही सोफे पर लेट गए. दोनों को मजा आ गया था.
उसने पूछा- क्या तुम वर्जिन थे? मैंने अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ाया और हंसने वाला फेस बना के बोला- नहीं. वो सरप्राइज होकर बोली- क्या? तुमने किसे चोदा और कब? मैंने बोला- प्रिया को… लास्ट सन्डे.
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