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मेरी चाची की चुदाई की कहानी के पहले भाग मेरी सेक्सी चाची जी की चूत-1 में आपने पढ़ा कि चाची और मैं घर में अकेले थे, चाची ने मुझे अपने साथ उनके कमरे में सोने को कहा.
चाची जी की यह बात सुन कर मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे। करीब 10 बजे रहे होंगे, चाचा जी चले गए, अब घर पर मैं और चाची जी ही थे। चाची जी को बाहर छोड़ने के बाद मेरे कमरे में आई, मैं सोने ही जा रहा था कि चाची जी ने कहा- रवि, आज तुम मेरे कमरे में मेरे साथ सो जाओ। पहले तो मैंने थोड़े नखरे किये पर मैं मान गया।
चाची जी की यह बात सुन कर मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे। हम दोनों चाची जी के कमरे में गए और सोने की तैयारी करने लगे।
हम दोनों बेड पर काफी दूर दूर थे। पर अगर बाहर जाना होता तो चाची जी की साइड से ही उतर कर जा पाता। उस दिन चाची जी ने पिंक साड़ी पहनी थी, क्या लग रही थी। मुझे तो वैसे ही नींद नहीं आ रही थी। मैंने मन बना लिया था कि आज चाची जी के साथ सेक्स करना है।
हम आपस में बातें कर रहे थे। मैं चाची जी का सोने का इंतजार करने लगा। करीब 12 बजे के आस पास चाची जी सो गई थी। मैंने चेक करने के लिए चाची जी को आवाज लगाई, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, वो मेरी ओर चेहरा कर के सो रही थे तो मुझे डर भी लग रहा था.
मैं पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद चाची जी के करीब आ गया और उनके चूचे ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। चाची का कोई नहीं हुआ तो मेरी हिम्मत बढ़ी. फिर मैंने उनके गाल पर किस किया और फिर उनकी गर्दन पर फिर उनके होठों को फिर उनके हाथों को, फिर चूचों को। करीब 10 मिनट तक मैं ऐसा ही करता रहा पर चाची जी ने कोई विरोध नहीं किया।
मेरी हिम्मत और बढ़ गयी। मैं चाची जी के दोनों तरफ अपने हाथों और पैरों के सहारे उनके ऊपर था, मतलब मैं चाची जी के ऊपर था पर उनको टच भी नहीं कर रहा था। मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा था।
मैंने धीरे धीरे चाची की जांघों पर अपना लंड सहलाना शुरु किया। जैसे ही मैंने चाची जी के गाल पर चुम्बन किया, उन्होंने करवट ली और उनका हाथ मेरे हाथ पर लगा जिससे मैं चाची जी पर गिर पड़ा. इस वक्त मैं बिल्कुल उनके ऊपर लेटा हुआ था और मेरा लंड उनकी चूत पर था एकदम सख्त।
ऐसा होने से चाची जी जाग गई, मैं उनकी खुली आँखें देख कर डर गया, वो भी मुझे इस तरह देख कर हैरान रह गई। उन्होंने मुझे धक्का दिया जिस के कारण मैं बेड से नीचे गिर गया। वो उठी और बोली- ये क्या कर रहे थे? मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई थी।
मैंने खुद को सँभालते हुए धीमी आवाज में हकलाते हुए कहा- चाची जी, मैं तो बस पानी पीने बाहर जा रहा था, तभी आप पलटी और मैं आपके ऊपर गिर गया. चाची जी ने मेरे इरादे भाम्प लिए थे, उनकी नजर मेरे लंड पर थी, मैंने किसी तरह अपने लंड को छुपाया और कमरे से बाहर जाने लगा.
तभी चाची जी ने मुझे रोका तो मैं पूरी तरह डर गया था, उन्होंने नरम आवाज में बोला- रुको, ले लो पानी! उन्होंने साइड में से पानी उठा के दिया।
उनके चेहरे को देख कर लग रहा था कि वो मेरी हरकतों को पूरी तरह से समझ गई हों। मैंने थैंक्स कहा और अपनी साइड जा कर सो गया। डर के मारे मेरी नींद उड़ी हुई थी। मैं चाची जी की तरफ पीठ कर के सो रहा था. कुछ देर बाद जब मैं पलटा, जो नजारा देखा, उसे देख मैं हैरान रह गया। मेरे कुछ ही दूरी पर चाची जी सीधी सो रही थी और उनकी साड़ी का पल्लू उनके जिस्म पर नहीं था, सिर्फ चाची जी का ब्लाउज ही उनके ऊपरी जिस्म पर था.
फिर जब मैंने नीचे देखा तो उनकी साड़ी उनकी जांघों तक उठी हुई थी, मैं समझ गया कि चाची जी भी सेक्स करना चाहती हैं पर वो चाहती हैं कि शुरुअत मैं करूँ! मैं ज्यादा देर न करते हुए चाची जी से जा कर चिपक गया और अपने पैरों से उनके पैरों को सहलाने लगा।
मैं उठ कर बैठा और उनकी साड़ी उठाकर उनकी चूत को अपने हाथों से सहलाने लगा और उनके पेट, चुचे और नाभि पर किस करने लगा। उनकी साँसे तेज हो रही थी, मैंने महसूस किया कि वो अभी भी पूरी तरह से खुली नहीं थी।
फिर मैंने उनकी गर्दन पर किस करनी शुरु कर दी, उनकी साँसें लगातार तेज हो रही थी पर अभी भी उन्होंने अपनी आँखें नहीं खोली.
अब मैंने चाची की चूत की दरार को सहलाना शुरु किया, साथ ही अपनी जीभ से उनकी नाभि से खेल रहा था. जैसे ही मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली, उन्होंने आह की आवाज के साथ अपना मुंह खोला, मैंने अपनी उंगली बाहर निकली और अब दो उंगली साथ में डाल दी.
आह करते हुए उन्होंने मेरा सर अपने पेट में दबा दिया.
दोस्तो, जब मैंने अपनी पहली उंगली उनकी चूत में डाली थी, तब मुझे एक अलग सा ही आनन्द आया था।
मैंने अपना सर हटाते हुए पूछा- चाची, आपको अच्छा लगा? वो उठ कर बैठ गई, नज़र नीचे करके शरमाते हुए एक स्माइल दी। मैंने कहा- आप नाटक अच्छा करती हैं! उन्होंने कहा- मैं तुम्हारा इरादा पहचान गई थी, जब तुम मेरे ऊपर थे! उन्होंने कहा- तुम्हारा लंड जब मैंने अपनी चूत पर महसूस किया, तभी मुझे सेक्स करने की चाह हुई।
फिर मैंने उनके कपड़े एक एक कर के खोले और उन्होंने मेरे… हम दोनों ने एक दूसरे को किस करते हुए एक दूसरे के कपड़े उतारे। उन्होंने मुझे चूमते चूमते मेरे लंड को पकड़ लिया। क्या एहसास था वो! मैं जैसे जन्नत में पहुँच गया था!
फिर उन्होंने मेरे लंड को मुँह में लेकर काफी चूसा, लगभग दस मिनट बाद मैं झड़ गया। यह ऐसा अहसास था कि मैं बयां नहीं कर सकता! फिर उन्होंने कहा- अब तुम मेरी चूत को करो! मैं उनकी चूत के पास मुँह लेकर गया। एक अजीब सी खुशबू आ रही थी, मैं उसमें खो गया और ना जाने कब उसे चाटने लगा। चाची जोर जोर से आह भरने लगी! आह उह आह ह ह मह ह आह ह!
उनकी आवाज मुझमें एक मदहोशी ला रही थी, मैं पागलों की तरह उनकी चूत को चूस रहा था।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे बाल पकड़ कर खींचने शुरू कर दिए और एक जोर की पिचकारी मेरे मुँह में भर दी। मैं उनका पूरा पानी पी गया! मैं पता नहीं किस दुनिया में था पर मैं जहाँ भी था बहुत खुश था।
चाची ने मुझे जगह जगह चूमना शुरू कर दिया, मैं फिर से उत्तेजित होने लगा। खैर चाची जी मुझे चूम चूम कर फिर से गर्म कर दिया, मेरा लंड बहुत चूसा और वो फिर सख्त हो गया काम के लिए एक बार फिर तैयार! उन्होने कहा- अब इसे मुझे में समां दो! मैंने उन्हें चूमा और अच्छे से चूमा। मैंने सोचा कि पहले थोड़ा इन्हें भी खुश कर दूँ!
मैंने उन्हें जोर से बाहों में जकड़ा और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए! इसका तो मुझे काफी एक्सपिरियंस था। उसके गुलाबी गुलाबी होंठ बड़े रसीले थे, मैं उनके होंठ चूस रहा था और मेरे हाथ उनके नंगे जिस्म पर चल रहे थे, कभी उनकी चूचियाँ दबाता, कभी उनकी चूत पर चुटकी ले लेता! वो बोली- रवि, अब मत तड़पाओ! मेरी प्यास बुझा दो!
पर मैं अभी और मूड में था! मैं उन्हें मदहोश किये जा रहा था!
वो बार बार कह रही थी- रवि, आइ लव यू, फक मी हार्ड, प्लीज़ जल्दी उईई इइ आइ आह ह ओह! हमारी सांसें एक दूसरे से टकरा रही थी, हमारे नंगे बदन चिपके पड़े थे!
फिर मैं उनको चूमते हुए फिर से नीचे पहुँचा और उनकी चिकनी चूत में जीभ डालकर उनको चोदने लगा! मुझे मज़ा आ रहा था! उन्होंने कहा- अब हट जाओ रवि! मुझे पूरा कर दो, मत तड़पाओ! उनकी आँखों की प्यास में एक अज़ब सा नशा था.
मैंने उन्हें ज्यादा ना तड़पाते हुए नीचे आ गया और चाची की चुदाई करने के लिए आसन में बैठ गया! मैंने हाथ से चाची की चूत के मुँह को खोला और अपने लंड का सिर उस पर लगा दिया! उनकी चूत काफी गीली थी. मैंने लंड लगा कर धीरे धीरे फिराना शुरू किया।
वो गुस्से में बोली- अन्दर करो ना! मैंने एक झटका दिया पर मेरा लंड आधा ही चूत के अन्दर गया, चाची की चूत बहुत कसी थी। मैंने एक और झटका दिया, उनकी चीख निकल गई पर लंड अब भी पूरा नहीं उतरा था! मैंने एक और झटका दिया उनकी और चीख निकली और चाची आँखों से आँसू बह निकले। मुझे भी थोड़ा दर्द हुआ, सच में ही चाची की चूत काफी टाईट थी।
फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये। कुछ देर बाद उनके अन्दर के तरल ने थोड़ी राहत दी। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ाई! उनके मुँह से दर्द और आनन्द की मिली जुली आवाज निकल रही थी- आह मार डाला! जोर से और बस धीरे! धीरे! उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाँ बस ऐसे ही ओह ह ह ह.. आऽऽह… आ…धीरे… आऽऽह… हां… आऽऽह… जोर से…
मेरे मुँह से भी आह उम्म्ह की आवाजें निकल रही थी। मेरे धक्के बढ़ते जा रहे थे, चाची भी अपनी गांड हिला हिला कर मेरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद चाची ने मुझे कस के पकड़ा और बोली- मेरा हो गया! पर मैं लगा रहा.
थोड़ी देर बाद चाची जी को फिर से जोश आ गया और उन्होंने फिर से वही आवाज निकालनी शुरू की! वो बीच बीच में मुझे जगह जगह काट रही थी, मैं धक्के दिए जा रहा था और उन्हें मज़ा आ रहा था। वो एक बार और झड़ गई, मेरा भी टाइम आ गया, मैंने कहा- चाची, अब मेरा भी होने को है… आई एम कमिंग टू! उन्होंने कहा- अपनी चाची की चूत के अन्दर ही डाल दो! मैं हल्के हल्के झटके देता हुआ चाची की चूत में छूट गया!
थोड़ी देर तक हम दोनों चाची भतीजा ऐसे ही पड़े रहे! उसके बाद बाक़ी रात में 2 दौर और चले चूत चुदाई के! और उन्होंने बताया- आज दिन से पहले मेरी ढंग से चुदाई भी नहीं हुई थी!
अगले दिन मुझे बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था… पर अब मुझे फुटबॉल प्रैक्टिस के लिए जाना था।
उस रात के बाद हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों सेक्स का लुत्फ़ उठाते। यह थी मेरी कहानी… दोस्तो आपको कैसी लगी। आप मुझे अपने विचार [email protected] पर भेजें! धन्यवाद!
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