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मेरी हिन्दी इन्सेस्ट कहानी मेरी और मेरी बुआ की है. उन दिनों में मैं पढ़ता था. मेरी बुआ की शादी में मैं अपने परिवार के साथ गाँव गया था. बुआ मेरे से दो साल बड़ी उम्र की थी. उसकी छोटी बहन नीला भी मेरी बुआ ही लगती थी, वह मुझसे एक साल बड़ी थी. न जाने क्यों वह सदैव मेरे इर्द गिर्द घूमती रहती थी. उसकी आँखें बहुत कुछ कहती थीं, जो मेरी समझ से बाहर थी.
गरमी के दिन थे. उन दिनों गाँव के सभी मर्द औरत छोटे बड़े लड़के, लड़कियां दिन में दो बार नदी में स्नान करने जाते थे. इस बात की जानकारी मुझे छोटी बुआ ने दी थी. उसकी बात सुनकर मुझे भी नदी जाकर स्नान करने का मन हो गया था. शायद नंगे जिस्मों को देखने के आकर्षण ने मुझे आतुर सा कर दिया था और नीला ने मुझसे ये सब क्यों कहा था, ये मेरी खोपड़ी में आया ही नहीं था.
खैर.. मैंने नहाने चलने के लिए हां कर दी थी. नीला शाम ढलते ही मुझे नदी पर ले गई थी. एक अनजाना सा रस हम दोनों के दिमाग में घुसा हुआ था. मुझे नंगे जिस्म देखने की चुल्ल थी और नीला को क्या था, ये मैंने समझ ही नहीं पाया था.
हम दोनों नदी की तरफ बढ़े चले जा रहे थे. रास्ते में बार बार हम दोनों के शरीर एक दूजे को छू जाते थे. उस छुअन को स्वाभाविक समझ कर मैंने उस पर ध्यान ही नहीं दिया था. लेकिन जब ऐसा बार बार हुआ तो मुझे कुछ संदेह सा हुआ था.
मैंने एक दो बार और इस बात पर गौर किया तो पाया कि नीला ऐसा जानबूझकर कर रही थी. उसकी इस हरकत से न जाने क्यों मुझे नीला का स्पर्श अच्छा लगने लगा था. एक तो पहले से ही नदी पर जाकर नंगे जिस्म घूरने का विचार मुझे कामुकता दे रहा था और अब नीला का स्पर्श पाकर मुझे गुदगुदी सी होने लगी थी. मेरे भीतर कुछ गरमाहट सी पैदा होने लगी थी.
मुझे अब समझ आने लगा था कि नीला ने मुझसे नदी पर चल कर नहाने के लिए क्यों कहा था. नीला की हरकतों ने मुझे कुछ बिंदास सा कर दिया था और अब मैं नीला के कंधों पर हाथ रखकर आगे बढ़ रहा था. ऐसा करते हुए दो तीन बार मेरी कोहनी उसके मम्मों पर आ गई थी. लेकिन उसने मुझे अपने मम्मों के दबने पर भी कुछ नहीं कहा, बल्कि वो और भी अधिक ऐसा करवाने के लिए मुझे टच करने आगी थी. नीला की बॉडी लेंग्वेज यह दर्शा रही थी कि वह भी मेरे इस टच को एन्जॉय कर रही थी.
कुछ देर में इसी तरह एक दूसरे को रगड़ सुख देते हुए हम लोग नदी किनारे पहुंच गए. नदी के नजदीक आते ही उसने सीधा ही मुझे आदेश दिया- चलो जल्दी से अपने कपड़े उतार दो.
मैंने उसकी तरफ देखा तो पाया कि नीला मेरे सामने ही टकटकी लगाकर मुझे घूर रही थी. उसके सामने कपड़े उतारने की बात सोच कर मैं शर्म से पानी पानी हो रहा था. मेरी इस झिझक पर उसने कुछ अश्लील टिप्पणी करते हुए कहा- तुम तो लौंडियों से ज्यादा शर्मा रहे हो यार. उसकी इस बिंदास भाषा को सुनकर मैंने अपनी चड्डी को छोड़कर सारे कपड़े उतार दिए और पानी की ओर आगे बढ़ गया.
उसने मुझे सिर्फ चड्डी में देखा तो एक गहरी सांस ली जैसे उसको तरावट आ गई हो. अगले कुछ ही पल में वह भी कपड़े उतारकर सिर्फ ब्रा पेंटी में ही नदी में कूद गई. पानी से उसकी जालीदार झीनी सी ब्रा गीली हो गई थी, जिसकी वजह से उसके निप्पल के दोनों काले धब्बे साफ दिखने लगे थे.
मैंने कौतूहल वश उसके नजदीक जाकर उसके काले धब्बों को अपने हाथ से सहलाते हुए सवाल किया कि ये काले काले क्या हैं? उसने गरम होकर मेरे हाथों को मजबूती से अपने उन काले धब्बों को दबवाते हुए जवाब दिया- इनको चूची कहते हैं.. जानवरों की भाषा में इसको आंचल कहते हैं और अंग्रेजी में इनको निप्पल कहते हैं.
मैंने महसूस किया कि नीला ने मेरे हाथों को अपने मम्मों पर जकड़ लिया था और अब मैं उसके सख्त मम्मों की मुलायमियत को सहला सा रहा था.
नीला अपने मम्मों को पानी के अन्दर मेरे हाथों से दबवाते हुए कहने लगी- इनको दबाने से दूध निकलता है, जिसको पीने से आदमी धन्य हो जाता है. तुम्हें धन्य होना है? मैंने भी कुछ सोचे समझे हामी भर दी. नीला- ठीक है रात को मेरे कमरे में आ जाना. मैं दूध के अलावा और भी और कुछ खिलाऊंगी. मैंने कहा- तुम्हारा दूध जरूर मीठा होगा. नीला- उसका पता तो दूध पीने के बाद ही चल सकता है.
मैंने उसका चूचा जोर से मसलते हुए कहा- क्या तुम मुझे अभी दूध पिला सकती हो? नीला ने नशीले अंदाज में कहा- इतनी भी जल्दी क्या है? मैंने उसकी साँसों को अपनी गरम साँसों से लड़ाते हुए कहा- हां, मुझे अभी भूख भी तो लगी है. नीला ने अपने हाथों का दबाव बढ़ाया और पूछा- तुम पानी में देर तक साँस रोक सकते हो तो तुमको ये मजा अभी मिल सकता है. मैंने कहा- हाँ मुझे पानी में देर तक डूबा साधने की आदत है. लेकिन मुझे तैरना नहीं आता. नीला ने कहा- ठीक हैं तुम डुबकी मारकर पानी के भीतर चले जाओ. इधर गहराई नहीं है. मैंने हां कहा और उसके आदेश का इन्तजार किया. नीला- ठीक है, तुम नाक दबा कर पानी के नीचे चले जाओ.
मैंने उसके आदेश का पालन किया.
कुछ देर में वह भी मेरे पास आ गई.
नीला पानी के भीतर मुझे जकड़ती हुई बोली- तुम मुझे अपनी बांहों में भरकर मेरे ऊपर चढ़ जाओ. अपने हाथों मेरी ब्रा निकाल कर मेरी चूचियों के निप्पलों को अपने मुँह में लेकर अपने अरमान पूरे कर लो. बस इस दौरान तुम अपनी चड्डी उतार देना. मुझे तुम्हारा लौड़ा देखना है, उसको मुँह में लेना है, तेरे लंड को अपने मम्मों पर घिसना है, लंड को अपनी चुत में और गांड में लेना है.
नीला की खुली बिंदास बातों को सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं नीला की चूचियों को मसलता हुआ राजी हो गया. पानी में नीचे छिप कर हम दोनों ने चूत लंड का मजा लिया. ऐसा करते समय हम दोनों कुछ देर के लिए सांस भरने पानी से बाहर सर करते और एक दूसरे को वासना से देखते हुए फिर से पानी के अन्दर घुस जाते.
मैंने नीला की चूचियों को चूसा और उसने भी मेरे लौड़े को अपने हाथों से खूब मसला और उसको अपने मुँह में लेकर भी चूसा. इसके घटना के बाद पानी के अन्दर ही नीला और मेरे बीच वो सब कुछ हो गया, जिसे चुदाई कहते हैं.
मैंने अपने हाथों नीला की ब्रा निकाल दी थी. उसके मम्मों को सहलाया था, दबाया था, मुँह में लेकर चूसा था. नीला ने मेरी चड्डी निकालकर मेरा लौड़ा पकड़ लिया था. उस वक्त मानो एक चमत्कार हुआ था. मेरा लौड़ा बढ़कर आठ इंच का हो गया था.
नीला- तुम मेरी चुचियां काटो न.. मैंने उसकी चुचियों को काटकर लाल कर दिया था. मेरी इस हरकत से नीला की चूचियों से खून भी निकलने लगा था.
दस मिनट तक उसने मेरा लौड़ा चूसा था, उसे काटा था. मेरे लंड को अपने मम्मों पर रगड़ा भी था. हम लोगों ने काफी मजा लिया था. फिर भी एक बात मेरी समझ से बाहर थी. मैंने काफी समय तक नीला की घुंडियों को चूसा था लेकिन मैं उनमें से दूध की एक बूंद भी पी नहीं पाया था.
मैंने नीला से इसके बारे में सवाल किया था. उसने कुछ नहीं बताया था.. लेकिन वह कहना चाहती थी. बाद में जब मैंने उससे जोर दे कर पूछा तो उसने हंस कर कहा- तुम बुद्धू हो. कुँवारी लड़की के स्तन में दूध नहीं होता. एक विवाहित नारी के स्तन में प्रसुति के बाद ही दूध निकलता है. ऐसा कुछ कहते हुए उसने दूध न निकलने के बारे में कहा था.
“तुमने पानी में मेरी चूचियों के निप्पलों को चूसा तो दूध का स्वाद कहाँ से आएगा.” यह सुनकर मेरा चेहरा उतर गया तो उसने मुझे आश्वासन दिया- फ़िक्र मत करो.. रात को मेरे कमरे में दोबारा आ जाना. मैं खुश हो गया.
उसी रात को बारह बजे सब लोगों के सो जाने के बाद मैं नीला के कमरे में गया था. वह मेरे इंतजार में बिस्तर में करवटें बदल रही थी. मैं उसके बगल में लेट गया और उसके मम्मों को दबाने लगा. उसने अपनी बाहें पसार दीं और मुझे खुल कर करने की छूट दे दी. मैंने ऐसे ही उसके उभारों को चूमने लगा, तो उसने नंगा होने का कह दिया.
हम दोनों एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे. उसकी नंगे होकर मजा लेने की बात पर मैंने उसके एक एक कपड़े उतार कर उसको नंगी कर दिया.
उसने भी मेरा अनुकरण किया. अब हम दोनों बिल्कुल नग्न थे. उस रात मुझे चुदाई का अर्थ समझ आ गया था. नीला ने मुझे 69 क्या होता है.. उसका प्रायोगिक अनुभव भी दिया था.
हम दोनों ने कम से कम दस मिनट यह आसन किया था. मैंने उसकी चुत को चूसा था और उसने मेरे लौड़े को चूसा था. ऐसा करने से मेरे लौड़े से चिकना माल झड़ने लगा था. उस रस को चाटते हुए नीला बुआ ने कहा था- तुम्हारा घी तो अफलातून है. मैं तुम्हारे घी को खाना चाहती हूँ. इस घी से अपने सारे बदन को नहलाना चाहती हूं. यह कहकर उसने मेरे घी को, जिसे वीर्य कहते हैं, अपनी छाती पर मलना शुरू कर दिया था.
मैंने जी भरके उसकी चूचियों के निप्पलों को चूसा था, फिर भी दूध मेरे नसीब में नहीं था.
मैंने उससे पूछा तो इस पर उसने एक अनुभवी औरत की तरह कहा था- चुत में लौड़ा डालने के लिए उसका साईज बड़ा होना जरूरी होता है और उसके लिए स्तन दबाना, उसे चूसना भी उतना ही आवश्यक होता है.
मैंने उससे अपने लंड की साइज़ के बारे में पूछा तो उसने कहा कि इसका नाप चुत ही जानती है यदि तुम अपने लंड को मेरी चूत में पेलो, तो अभी जानकारी मिल सकेगी कि लंड का साइज़ कितना हुआ है और कितना होना अभी बाकी है.
मैंने नीला के निर्देशन में अपना लंड उसकी चुत में पेल दिया. जिस समय नीला ने मेरे लंड को अपनी चुत में लिया था, उस वक्त उसकी एक तेज कराह भी निकली थी. मुझे लगा था कि शायद कुछ गड़बड़ हो गई और मैंने लंड निकालने की कोशिश की, तो नीला ने मुझे रोक दिया और हम दोनों दर्द को सहते हुए चुदाई की क्रिया को करने लगे.
चुदाई के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को अपना पेशाब पिलाया था. बाद में बाथरूम में एक साथ स्नान किया था. नीला ने मेरे लौड़े और गांड में साबुन लगाया था. मैंने भी बारी बारी से उसके मम्मों, चुत और गांड में साबुन लगाया था.
उम्र की तुलना में वह सेक्स में बारे में काफी जानती थी. उसकी वजह भी थी. उसके एक शादीशुदा डॉक्टर के साथ शारीरिक संबंध थे. इस बात का उसने मेरे सामने नेकदिली से इजहार भी किया था.
कुछ भी हो नीला ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया था. उसके बाद दो तीन बार हमारा मिलना हुआ था. मैं उसे दुबारा चोद तो नहीं पाया था. लेकिन मौका मिलते ही मैं उसके मम्मों को जरूर दबा देता था. उसके साथ 69 के आसन का कई बार लाभ लिया था.
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