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नमस्ते दोस्तो, मेरी जीवन की पहली कहानी अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई तो मुझको बहुत अच्छा लगा. कुछ लोगों ने मुझको मेल करके बताया कि मेरी कहानी उनको काफ़ी मस्त लगी.
आज मैं अपने जीवन की एक और सच्ची घटना आपके सामने रख रहा हूँ.
मैंने आपको अपनी पिछली कहानी मेरे दोस्त का भाई मेरा पति बन गया में बताया था कि मैं अमित जी से कैसे चुदा. उनसे मिलने के बाद मेरी लाइफ बिल्कुल बदल गई और मैं अब मर्दों से बिना चुदे नहीं रह सकता था. मैं हर जगह मर्दों से चुदने के सपने देखता रहता था.
एक दिन मेरी ये तमन्ना पूरी हो गई. उस दिन मैं इटावा स्टेशन पर रात में मेरठ जाने वाली ट्रेन का इन्तजार कर रहा था. मैं ट्रेन के टाइम से पहले ही स्टेशन पहुंच गया. स्टेशन पर पहुंच कर पता चला कि ट्रेन 4 घंटे लेट है.
उन दिनों दिसम्बर का महीना था, सर्दी बहुत अधिक थी. मैं प्लॅटफॉर्म नम्बर एक पर ट्रेन आने का वेट करने लगा. जब ट्रेन काफी लेट हो गई और मेरा टाइम पास नहीं हो रहा था, तो मैं स्टेशन के पास ही बने हुए माल गोदाम की तरफ चल दिया.
उस वक्त रात का एक बज रहा था. वो काफ़ी सुनसान एरिया था. एक तो सर्दी का मौसम और ऊपर से मैं अकेला था. ना जाने कब मेरे दिमाग़ में सेक्स का ख्याल आने लगा और मैं सोचने लगा कि काश कोई मिल जाता, जो मेरी सर्दी दूर कर देता.
मैं एक जगह बैठ गया और अपनी आँखें बंद करके सेक्स के ख्यालों में खो गया. मुझको इस तारक के चलते पता ही नहीं चला कि कब मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसको मसलने लगा. मैंने ये भी नहीं सोचा कि कोई मुझको देख सकता है. मैं बस अपने ख्यालों में खोया हुआ था, तभी मुझको एहसास हुआ कि कोई मेरे कंधों को पकड़ कर मुझको हिला रहा है.
मुझको होश आया और देखा कि एक पुलिस वाला मेरे सामने खड़ा है. मेरी तो जैसे गांड ही फट गई. मैं बहुत डर गया और चुपचाप खड़ा हो गया.
उसने पूछा- ये सब क्या हो रहा है? मैं कुछ नहीं बोला, बस ‘सॉरी सर.. सॉरी सर..’ करता रहा. वो कड़क आवाज में बोला- मादरचोद, लंड हिला रहा है और सॉरी सॉरी कह रहा है.. ये भोसड़ी के अंग्रेज चले गए और तुम जैसे गांडुओं की फ़ौज इधर छोड़ गए..
मैंने अपना लंड अपनी पेंट में घुसेड़ने की नाकाम कोशिश की.
तभी उसने मुझको अपने हाथ से पकड़ते हुए झटका दिया और अपने साथ चलने को कहा. मैं बहुत डर गया और उसके पैर पकड़ कर माफ़ी माँगने लगा. मुझको उस पुलिस वाले ने खड़ा होने को बोला, मैं डरते डरते खड़ा हुआ. पुलिस वाला बोला- तुझे क्यों छोड़ दूँ.. कोई कारण तो बता? मैंने कुछ नहीं कहा.
उसने जब फिर से मेरी कॉलर पकड़ कर मुझे हड़काया और पूछा- बोलता क्यों नहीं है बे.. लंड क्यों हिला रहा था? मैंने डरते हुए कहा- सर ठंड लग रही थी. वो बोला- साले ठंड लग रही थी तो लंड क्यों हिला रहा था. लंड हिलाने से ठंड दूर हो जाती है क्या? मैंने कुछ नहीं कहा तो बोला- मुझे भी ठंड लग रही है, चल मेरी ठंड दूर कर.. मेरा लंड भी हिला.
मैंने उसकी आँखों में एक वासना भरी चमक देखी. इस चमक को देख कर मुझे मेरी मुराद पूरी होती नजर आई. मैंने तब भी उसकी तरफ कातर भाव से देखा और उससे छोड़ देने की विनती भरी निगाहों से याचना की. उसने मुझे कड़क आवाज में बोला- मैं एक शर्त पर छोडूंगा कि तुझे मेरा लंड चूसना पड़ेगा.
मेरी तो जैसे मन की मुराद ही पूरी हो गई, पर मैं लंड ना चूसने का नाटक करने लगा. तभी उसने अपनी कड़क आवाज से मुझको लंड चूसने का हुकुम दिया और एक झापड़ मेरे गाल पर जड़ दिया.
मैं समझ गया कि ये मुझको जाने नहीं देगा और मैं भी तो यही चाहता हूँ. मैं मन में ये सब सोच ही रहा था कि मैंने देखा कि उसने अपना लंड अपनी पेंट के अन्दर से निकाल दिया और मेरे मुँह के सामने हिलाने लगा. उसका लंड देख कर मेरी तो जैसे जान ही निकल गई थी. एकदम संड मुसंड काला लंड था, जैसे किसी घोड़े का लंड हो. मैंने उसके लंड को पकड़ा और उसकी मुलामियत महसूस करते ही समझ गया कि अभी उसका लंड खड़ा नहीं हुआ है. पर मैं इस बात से डर गया था कि जब उसका लंड बिना खड़े ही इतना मोटा और लंबा है, तो जब खड़ा होगा तो कितना मोटा और लम्बा होगा.
मैं अभी ये सोच ही रहा था कि उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया. मेरी तो जैसे आँखें ही खुली रह गईं और मैं उसके लंड को चूसने लगा.
उसका लंड मेरे मुँह में जाते ही अंगड़ाई लेने लगा और मूसल जैसा बनने लगा. उसके मुँह से भी आह आह.. निकलने लगी. उसने भी अपना पूरा लंड मेरे मुँह डालने की कोशिश शुरू कर दी. अब वो मेरे सर को पकड़ कर अपने लंड की चुसाई करने में मशगूल हो गया था.
मुझे भी उसका लंड बड़ा मस्त लग रहा था. मैं पूरी तन्मयता से लंड चूस रहा था साथ में उसकी गोटियों को सहलाने लगा था, जिससे उसकी कामुक कराहें और भी जोर से निकलने लगी थीं. वो भी समझ गया था कि मैं लंड चूसने में खिलाड़ी हूँ.
लंड चुसाई के कारण ‘चप छप चप..’ की आवाज निकलने लगी थीं. लेकिन अब मेरे लिए उसका लंड चूसना मुश्किल होता जा रहा था क्योंकि उसका लंड अब खड़ा हो गया था. मैंने महसूस किया कि उसका लंड 8 इंच से कम लंबा नहीं होगा और 3 इंच से कम मोटा नहीं होगा. मेरे मुँह में अब उसका लंड जा ही नहीं रहा था लेकिन वो मेरे सर को पकड़ कर ज़ोर से अपना लंड मेरे मुँह में डाले जा रहा था. मेरी साँसें अटक रही थीं, पर वो अपनी मस्ती में मेरे मुँह को चोदे जा रहा था.
करीब 20 मिनट तक लंड चूसने के बाद मेरे मुँह में कुछ दर्द सा होने लगा. मैंने कहा कि अब बस मेरे मुँह में दर्द हो रहा है.
लेकिन उसने मेरी बात को अनसुना करके मेरे मुँह को चोदना चालू रखा और फिर थोड़ी देर बाद उसके लंड का लावा ज्वालामुखी के जैसे फटते हुए मेरे मुँह में गिरने लगा. मैंने पीछे हटना चाहा, पर उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं चाहकर भी हट ना सका और उसके लंड का सारा माल मुझको पीना पड़ा. पहले तो मुझको उसका पानी अच्छा नहीं लगा, पर बाद में उसके पानी का टेस्ट बहुत अच्छा लगा और उसके लंड का पानी पूरा पी गया. मैंने एक भी बूंद बाहर नहीं गिरने दी. वो भी अब थक गया था और एक जगह बैठ गया.
मैं बहुत खुश था कि मैं जो चाहता था, वही हो रहा है.
तभी वो पुलिस वाला उठा और मेरे पास आकर बोला- चल अपनी पेंट उतार, मुझ को तेरी गांड मारनी है.
पहले तो मैंने मना कर दिया, पर उसने जबरदस्ती की तो मैं मान गया. मैं भी तो यही चाहता था, पर ना चुदवाने का नाटक कर रहा था. मैंने अपनी पेंट हटा दी और उसकी तरफ देखा तो वो भी अपनी पेंट उतार चुका था. उसने अपनी अंडरवियर भी उतार दी और उसका बड़ा सा लंड हवा में झूलने लगा. वो मेरे पास आया और उसने एक बार फिर से अपना लंड मेरे मुँह में लगा दिया और बोला- जरा लंड चिकना कर दे.. तेरी गांड मारने में मजा आना चाहिए ना.
मैंने उसका लंड चूसा तो वो इस बार जल्द ही खड़ा हो गया.
इसके बाद उसने मुझको झुकने के लिए बोला. मैं तुरंत झुक गया, मेरे मन में ये डर भी था कि इसका इतना बड़ा लंड मैं अपनी नन्हीं सी गांड में ले पाऊंगा या नहीं क्योंकि मैंने इतना बड़ा पहले कभी नहीं लिया था. मैं ये सब बातें अभी सोच ही रहा था कि तभी उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रख दिया. मैं तो मानो एकदम से कंप गया. मुझे मेरी गांड फटने का डर था.
तभी मैंने उसको रोका और उससे कहा- मेरे बैग में वैसलीन रखी है, उसको लगा लो.
उसने तुरंत बैग से वैसलीन निकाली और अपने लंड पर लगा ली, कुछ वैसलीन मेरी गांड पर भी लगा दी. अब वो अपने लंड को मेरी गांड में घुसेड़ने लगा. जैसे ही वो अपनी ताक़त लगा कर लंड अन्दर को धकेलता, उतना ही ज्यादा मुझको दर्द होता. पर मैं चुदाई के नशे में इतना चूर था कि उस दर्द को सहने की कोशिश करने लगा. उसने एक झटका मारा तो उसका मेरी गांड में 3 इंच तक अन्दर चला गया. उसके मोटे लंड को झेलते ही मेरी तो सांस ही रुक गई और मुझको चक्कर आने लगा. पर मैंने जैसे तैसे खुद को संभाला. इस झटके से उसके लंड की टोपी मेरी गांड के अन्दर जा चुकी थी. मैं अभी कुछ राहत की सांस ले पाता, तब तक उसने दूसरा झटका दे मारा.
अब आधे से ज्यादा लंड मेरी गांड के अन्दर घुस चुका था. मैं तो मानो बेहोश होने वाला था लेकिन उसने मुझको संभलने का मौका नहीं दिया और एक लास्ट झटका दे मारा. उसका पूरा लंड मेरी गांड को चीरता हुआ मेरे अन्दर तक समा गया था.
मैं बस चीखने वाला ही था कि तभी उसने मेरे मुँह को अपने हाथों से दबा दिया और मेरी आवाज वहीं दब कर रह गई.
वो कुछ देर तक हिला नहीं और जैसे ही मेरा दर्द थोड़ा सा कम हुआ तो उसने धीरे धीरे से लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया. मुझको अब मज़ा आने लगा था और मैं भी अब अपनी गांड हिलाकर उसका साथ देने लगा.
कुछ ही झटकों के बाद उसने अपनी स्पीड तेज कर दी और मेरे मुँह से ‘आहाहा ओाहहह.. उई..’ की आवाजें निकलने लगीं. मेरी आवाज से वो और जोश में आ गया और अपनी स्पीड बढ़ा दी. फिर उसने मुझको सीधा खड़ा किया और अपनी गोद में उठा कर नीचे से अपना लंड मेरी गांड में दुबारा से डाल दिया.
अब वो मुझको अपनी गोद में उठा कर चोदने लगा. मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रहा था. फिर उसने मुझको नीचे उतारा और मुझको डॉगी पोज़िशन में आने को कहा. मैं तुरंत कुतिया के पोज में आ गया. उसने पीछे से मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया और फिर से पूरी ताकत से मुझे चोदने लगा.
मैं ‘आहहहह.. ओह.. यस यस फक फक मी..’ आवाज निकाल रहा था.
उसने मुझे काफी देर तक चोदा, फिर अपना गरम गरम लावा मेरी गांड में ही भर दिया.
अब वो बहुत थक चुका था. उसने अपना लंड मुझसे चुसवा कर साफ करवाया और वहां से चला गया.
मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए और स्टेशन आ गया.
दोस्तो, मेरी ये मेरी रियल गांड सेक्स स्टोरी है, इसमें कुछ भी झूठ नहीं लिखा है. आपको मेरी ये रियल स्टोरी कैसी लगी. प्लीज़ जरूर बताइएगा. [email protected]
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