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मेरी यह पहली सेक्स कहानी है, इसलिए पहले मैं अपने बारे में आपको कुछ बता देना चाहता हूँ. मेरे कुछ चाहने वाले बोलते हैं कि मैं एक बहुत ही सेक्सी और क्यूट सा माशूक लौंडा हूँ.
मैं अभी 25 साल का लड़का हूँ. स्लिम हूँ.. 28 इंच की कमर है, गोल गोल चिकनी गांड, रंग सांवला सा है, तीखी सुतवां नाक, मनमोहक और कामुक मुस्कान है, उस पर मेरी हसीन अदाएं ऐसी कि आआहहा.. देखने वाले को मजा आ जाए.
यह कहानी मेरे एक बार के बस के सफ़र की है. मेरी बहुत सारी फंतासियां हैं, उनमें से एक ये भी थी कि मैं किसी अंजान आदमी से बस में चुदूँ. मुझे अपनी इस फंतासी को पूरा करने का मौका मिला, जब मुझे बस से बंगलोर जाना था. ये पूरी रात का सफ़र था तो मैंने स्लीपर बस में टिकट करा लिया. मैंने जानबूझ कर सबसे पीछे वाली दो सीट वाली तरफ की एक सीट बुक करवा ली. ताकि यदि कोई दूसरा इस सीट पर आए तो मेरी गांड के लिए लंड का जुगाड़ हो जाए.
बस फिर मैं चलती बस में चुदने का सपना लेकर सो गया, शाम 5 बजे मेरी बस थी. मैं 4:45 पर ही बस स्टैंड पहुँच गया, तब तक बस भी स्टैंड पे लग चुकी थी. मैं अपनी सीट पर गया, वहां देखा कि एक बहुत ही सेक्सी सा मर्द, लंबा हट्टा कट्टा गोरा, चौड़ी छाती आह.. यही कुछ 30-32 साल की उम्र का बांका मर्द रहा होगा.
मैं उसे देख कर बेहद खुश हुआ. फिर खुद पर काबू करके एक हल्की मुस्कान दी और ही अपनी सीट के अन्दर आकर बैठ गया.
मेरा लंड तो उसे देख कर ही खड़ा हो गया था. मैंने हमारी वाली सीट के पर्दे अच्छे से बंद कर दिए ताकि बाहर से कुछ ना दिखे. कुछ ही देर में बस चल पड़ी.
वो मुझे देख कर खुश नहीं था, तो मैंने ही बात करना शुरू किया. बातों से पता चला कि वो बंगलोर में अकेला रहता है, उसकी शादी हो चुकी थी लेकिन फैमिली यहां पुणे में ही रहती थी. उससे बात करते समय मैं उसे छूने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहा था. कभी हाथ कभी जाँघ पे हाथ फिरा देता था.
यही करते करते रात के 9 बज गए थे, हमारी बस एक ढाबे पर जाके रुकी. वहां हमने खाना खाया. जब वहां वो मूतने गया तो मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया ताकि उसका लंड देख सकूं, पर मैं उसका लंड नहीं देख पाया. लेकिन मैंने उसके आगे आगे चल कर उसे अपनी मतवाली चाल से चलते हुए अपनी गोल गांड को मटका मटका कर दिखा दी.
फिर हम दोनों बस में आके बैठ गए. अब सब सोने के मूड में थे तो बस में बहुत हल्की ब्लू लाईट ही जल रही थी. मैंने भी पर्दे फिर अच्छे से बंद कर दिए. परदे हवा से न उड़ें, इस वजह से उसने परदे के निचले सिरे बर्थ की गद्दी के नीचे दबा दिए.
अब वासना मेरे अन्दर भर गई थी. मैं बस उसका लंड चूसना चाहता था, उसका लंड मेरी गांड में महसूस करना चाहता था. पर शुरूआत करने से डर रहा था. मैंने उसके सामने चुपचाप सोने का नाटक किया. उसे गुडनाइट बोल कर आँखें मूंद लीं और सोने की एक्टिंग करने लगा. कुछ देर बाद वो भी मेरे बगल में सो गया. फिर मैंने मेरा हाथ धीरे धीरे उसके ऊपर रखा और उसके करीब को खिसक गया, लेकिन उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया.
मैंने थोड़ा और सहलाया तो शायद अब उसकी नींद खुल गई थी. उसने मेरा हाथ हटा दिया और थोड़ा दूर को सरक गया. मेरी आँखें बंद थीं, तो उसे लगा कि मैं नींद में हूँ. मेरी गांड की खुजली बढ़ती ही जा रही थी. मेरे होंठ उसे और उसके लंड को चूमने के लिए प्यासे थे. तो फिर मैंने दुबारा कोशिश की.. इस बार मैंने हाथ कंबल के अन्दर डाल दिया और उसकी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर सीने पे हाथ फिराने लगा. उसने फिर मेरा हाथ पकड़ लिया, लेकिन इस बार उसने हाथ हटाने के बजाए मेरा हाथ पकड़ लिया. मेरी तो गांड ही फट गई थी, उसके लंड से नहीं.. बस यूं ही डर के कारण.
मैंने आँखें खोलीं और उसे देखा, वो मुस्कुरा रहा था.
उसने मुझसे पूछा कि क्या चाहिए? मैंने भी हिम्मत करके बोल दिया कि आपका लंड चाहिए.
बस फिर क्या था, लंड तो उसका भी खड़ा हो चुका था और मेरी गांड में तो पहले से आग लगी थी. वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को चूसने लगा, काटने लगा. मैं भी बस यही पल तो जीना चाहता था, तो मैं भी पूरी तरह से खुल गया और उसका साथ देने लगा.
वो मेरी गांड सहला रहा था और मेरा एक हाथ पकड़ कर उसने अपनी पेंट के उभार पर रख दिया. मुझे तो मानो जन्नत के दरवाजे का हैंडिल मिल गया था. फिर मैं पेंट के ऊपर से ही उसका लंड सहलाने और मसलने लगा.
वो मुझे जानवरों की तरह स्मूच कर रहा था, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था. दस पन्द्रह मिनट तक मेरे रसीले होंठों का रस पान करने के बाद उसने मुझे नीचे अपने लंड के पास जाने का इशारा किया. मैं तुरन सरक कर उसके लंड पर टूट पड़ा, जैसे किसी बच्चे को लॉलीपॉप मिल गई हो.
मैंने उसकी पेंट की चैन खोली और चड्डी नीचे सरका कर उसके लंड को अपने गाल से रगड़ने लगा. लंड तुनकी मारने लगा तो मैंने उसके लंड को अपने हाथ से बाहर निकाला और अपने मुँह में लेकर अपनी जीभ को उसके सुपारे से छुलाने लगा था.
आअहह.. वो कमीना मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था. अगले ही पल मैंने गप से उसका लंड मुँह में भर लिया और अब मैं उसका लंड चूसे जा रहा था, उसका लंड अपनी औकात में आ गया था. मैं लंड को ऊपर से नीचे चाटता हुए उसके टट्टे तक चाटता जा रहा था.
उसने मेरा सर पकड़ कर अपने लंड से मेरी मुँह की चुदाई शुरू कर दी थी. मैं भी बड़े मजे से उसके लंड को चूसे जा रहा था.
इस बीच उस बांके नौजवान ने मेरी पेंट का हुक खोल दिया और मेरी गांड से हाथ फेरते हुए मेरी पेंट और चड्डी को नीचे सरका दिया. मेरी गांड में बस के एसी की हवा लगते ही काम वासना और तेजी से भड़क उठी, उस पर एक मर्द का हाथ मेरी गांड को प्यार से सहलाए जा रहा था. मैंने भी अपने चूतड़ों को फैला दिया था और अपनी गांड को जरा खोल दिया था.
तभी उसने एक अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी और गांड में उंगली को आगे पीछे करने लगा. उसने मुझसे करवट लेने को कहा. लेकिन मैं तो उसका लंड चूसना ही बंद नहीं करना चाहता था. पर हाय रे मेरी गांड.. वो भी तो लंड की प्यासी थी. अपनी गांड की प्यास भी तो बुझानी जरूरी थी.
उस समय तक मेरी ठरक इतनी बढ़ चुकी थी कि कोई दूसरा मर्द भी होता जो मेरी गांड की प्यास बुझा देता.. तो मैं उसके सामने अपनी मखमली गांड खोल देता. यह भी मेरी एक फंतासी है कि मुझे एक साथ 2 मर्द मिल कर चोदें.
खैर मैंने उसका लंड चूसना बंद किया. फिर उसने मुझे पलट मेरी गांड ऊंची कर ली और अपना 7 इंच का मोटा लंड मेरी गांड में डालने की कोशिश करने लगा. उसने मेरी गांड के छेद पर थूका और फिर से अन्दर घुसेड़ने में लग गया.
आअहह आह उम्म्म्म .. मेरा तो यह किस्सा बताते ही फिर से चुदने का मन होने लगा.
जैसे ही उसका मशरूम (लंड का सुपारा) मेरी गांड में घुसा, आआअहह.. मैं दर्द से दहल उठा. गांड में बहुत जलन हो रही थी, तो मैंने उसे पीछे को धक्का दे दिया, लेकिन अब वो कहां मानने वाला था. उसने किसी मस्त सांड की तरह पीछे से मेरी गांड में लंड पेल दिया.
मैंने कराहते हुए उससे धीरे से कहा कि मैं सीधे लेट कर टांगें ऊंची कर लेता हूँ, फिर तुम चोद लेना.
तब वो माना.
मुझे यही पोज़िशन अच्छी लगती है, क्योंकि इस पोजीशन में चुदाई करने वाले का चेहरा भी देखा जा सकता है.. और क़िस भी कर सकते हैं.
फिर मैं पलटा और टांगें ऊंची करके अपनी मखमली गांड उसके सामने परोस दी. उस पर तो जैसे जानवर सवार था. बड़ी बेरहमी से एक बार फिर मेरी गांड के छोटे से छेद में उसने अपना मोटा लंड पेल दिया. अब उसका लंड मेरी गांड की गहराई को नाप रहा था.
आअहह.. मैं तो मानो जन्न्नत की सैर कर रहा था. मैं भी उसके धक्कों का ज़वाब अपनी गांड उचका उचका कर दे रहा था. बीच बीच में वो मुझे चूम भी रहा था.
काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद मैंने उससे कहा कि माल अन्दर मत गिराना.
उसने वैसा ही किया. माल उसने बस की चादर पर गिरा दिया. उसका माल गिरते ही वो शांत होकर दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गया.
मैं तो अभी और चुदना चाहता था. उसका लंड चूस चूस कर मेरे लंड का पानी भी निकलवाना चाहता था. लेकिन उस बेदर्दी ज़ालिम ने माल निकलने के बाद तो मुझसे मुँह ही फेर लिया था. फिर मैं क्या करता, खुश तो था ही कि आख़िर मेरी एक फंतासी तो पूरी हुई. मेरा लंड अभी भी खड़ा था. मैंने भी लंड हिला हिला कर बस के कंबल में माल गिरा दिया.
ऊओह आआअहह कितना सारा माल निकला था. सच में उस रात मजा आ गया था. माल निकलने के बाद मुझे बहुत थकान महसूस हुई और मेरी आंख कब लग गई, पता ही नहीं चला.
जब मैं सो कर उठा, तब तक सुबह हो चुकी थी और हम बंगलोर के बाहरी इलाक़े में पहुँच चुके थे. मेरी बगल में कोई नहीं था, मुझे ऐसा लगा कि मेरा सैयां मुझे छोड़ कर चला गया हो.
मैंने बड़ी प्यासी निगाहों से उसको खोजना शुरू किया तो वो मर्द जिसने मेरी चुदाई की थी, वो आगे किसी दूसरी सीट पर जाके बैठ गया था क्योंकि तब तक कुछ लोग बस से उतर गए थे.
उसके इस तरह मुझे बिना बाय किए जाने से मुझे थोड़ा बुरा लगा लेकिन मैंने सोचा कि कौन सा वो मेरा पति या ब्वॉयफ्रेंड था. हालांकि मेरा मन कर रहा था कि काश ये मर्द मुझे मिल जाए. या कोई और ऐसा मर्द मिल जाए, जो मुझे प्यार दिखाता.
अब बस मैं तो बस में गुज़री मेरी इस रात के बारे में सोचकर मुस्कुराने लगा.
मेरी गांड भी फिर से किसी लंड के लिए कुलबुलाने लगी.
दोस्तों ये थी मेरी एक फंतासी जो चलती बस में गांड मरा कर पूरी हो गई थी.
आपको मेरी ये गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी, प्लीज़ आप कमेंट्स करके जरूर बताना कि मेरी यह हसीन रात के बारे में जानकार आपको कैसा लगा. लंड खड़ा हुआ या नहीं. यदि यह अच्छी लगी और मुझे आपका प्यार मिला तो आगे भी विभिन्न लंड मेरी गांड चुदाई की कहानी आपको लिख कर बताता रहूँगा.
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