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सभी मित्रों का शुक्रिया, आप सब लोगों ने मेरी माँ की चूत की पिछली कहानी चुदक्कड़ मां की चूत चुदाई देखी मैंने जो कमेंट्स किए कि आपको मेरी कहानी बहुत अच्छी लगी… इसके लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद.
दोस्तो, जैसा कि आप सबने पिछली कहानी में पढ़ा था कि रमेश अंकल ने कैसे मेरी माँ की चूत को चोदा था. मेरी माँ की चूत अब चुदाई की भूखी हो चुकी थीं, उनको लंड की जरूरत हद से ज्यादा होने लगी थी. शायद पापा से उनकी चूत की आग बुझाए नहीं बुझती थी इसलिए वे अब रमेश अंकल के लंड की मुरीद हो गई थीं.
एक बार की बात है, मैं घर पे ही था मां का फ़ोन बज रहा था. वो कॉल रमेश अंकल का था. मैंने मां को फ़ोन पकड़ा दिया और पास वाले रूम में चला गया और चुपचाप मां की बातें सुनने लगा.
रमेश अंकल मां को चुदाई के लिए बुला रहे थे. मां बोलीं- अभी तो स्कूल से आई हूँ… मेरा भी मन है, लेकिन थोड़ा टाइम लगेगा. रमेश अंकल ने शायद उनके आने के इन्तजार का कह दिया होगा. फोन अब कट चुका था और मां अपने काम में व्यस्त हो गईं. कुछ ही देर बाद मां अपने काम से फ्री होकर तैयार होने लगीं.
मैंने जानबूझ कर पूछा- मां कहां जा रहीं हो? मां कोई दवा खाते हुए कहने लगीं- स्कूल का जरूरी काम है… मुझे जाना है और कुछ टाइम लग सकता है.
इतना कह कर मां तैयार होकर निकल गईं. आज मां अपनी इस साड़ी में बहुत सेक्सी लग रही थीं. उन्होंने स्लीबलैस ब्लाउज पहना हुआ था, जिसमें से उनके मम्मे बाहर निकल भागने को आतुर लग रहे थे. मां के इस ब्लाउज का गला बहुत गहरा था, जिससे उनकी चूचियां आधी से ज्यादा दिखाई डी रही थीं. मां को इस तरह से सजा संवरा देख कर मुझे कुछ शक हुआ. मां के जाते ही मैं अपनी बाइक लेकर मां के पीछे निकल पड़ा.
मां बाजार की तरफ पैदल ही जा रही थीं. उनकी ठुमकती हुई गांड को देखकर लोग उन्हें मुड़ मुड़ कर देख रहे थे. मैंने देखा कि कुछ लौंडे तो अपना लंड सहलाते हुए सीटी भी बजा रहे थे.
जैसे ही मैं बाजार में मां के पीछे पहुंचा… तो मैंने देखा कि रमेश अंकल अपनी कार लेकर खड़े थे. कार में पीछे दो जने और थे, शायद वे दोनों रमेश अंकल के दोस्त थे. मां कार के अन्दर बैठ गईं. रमेश अंकल ने कार आगे बढ़ा दी. मैं भी कार का पीछा करने लगा. थोड़ी देर बाद कार एक सुनसान कॉलोनी में रुकी और उस कॉलोनी में ही रमेश अंकल के दोस्त का घर था.
अंकल ने कार खड़ी की और चारों लोग घर के अन्दर चले गए. घर के आस पास खाली जगह थी, मैंने घर के पीछे अपनी बाइक खड़ी कर दी और पीछे चला गया. मैंने देखा कि पीछे की तरफ एक खिड़की थी जो जाली की थी और आधी खुली हुई थी. मैंने उसमें से झाँक कर अन्दर देखा तो रमेश अंकल मां से कुछ कह रहे थे.
मैंने ध्यान से कान लगा कर सुना तो अंकल मां से बोल रहे थे कि जान आज तुम बहुत हॉट लग रही हो, हम तीनों के लंड तो तुमको देख कर ही खड़े हो गए. आज बहुत मजे आने वाले हैं. आज तो तेरी चूत का रस हम तीनों पियेंगे.
मां भी हँसने लगीं और अपने मम्मे तानते हुए अपनी अदा दिखाने लगीं.
इसके बाद रमेश अंकल ने मां को आँख मार कर कुछ इशारा किया तो मां बेड पे बैठ गईं.
रमेश अंकल और उनके दोस्त भी मां के पास बैठ गए और फिर रमेश अंकल मां को चुंबन करने लगे. उनका दूसरा दोस्त मां की साड़ी ऊपर करके नीचे से उनकी गोरी गोरी जाँघों पर अपने हाथ फेरते हुए चूमने और चाटने लगा. ये सब देख कर तीसरा दोस्त कहां पीछे रहने वाला था. उसने भी अपना लंड बाहर निकाल कर मां के हाथ में पकड़ा दिया.
मां उसके लंड को हिलाने लगीं. फिर रमेश अंकल ने मां का ब्लाउज खोल दिया. मां ने आज लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी. अंकल ब्रा के ऊपर से ही मां के चुचे दबाने लगे. मां को काफी मजे आ रहे थे. रमेश अंकल के दोस्त ने मां का पेटीकोट पूरा ऊपर कर दिया तो मैंने देखा कि मां की रेड रंग की नेट वाली पैंटी दिखने लगी थी. अंकल के दोस्त ने पेटीकोट को पूरा खोल दिया और पैंटी को खींच कर अलग कर दिया.
मैंने देखा कि आज मां ने अपनी चूत के बाल पूरे साफ़ कर लिए थे. उन की चूत बिल्कुल चिकनी दिख रही थी. फिर मां लेट गईं और उन्होंने अपनी टांगें पूरी तरह से खोल दीं, जिससे उन की चूत का नजारा साफ़ देखने लगा.
रमेश अंकल मां के चूचों को चूसने लगे थे और उनके एक दोस्त मां की चूत को अपनी जीभ से चाटने में लग गए थे. मां अब गरम हो गई थीं और उनके मुँह से मादक सीत्कारें निकलने लगी थीं. रमेश अंकल और उनके एक दोस्त ने पैकेट में से कंडोम निकाला और अपने अपने लौड़ों पर पहन लिया. तीसरे ने कंडोम नहीं पहना था.
फिर मां की चूत पर थूक लगाकर अंकल के एक दोस्त मां की चूत में अपना लंड घुसाने लगे. उन अंकल का लंड बहुत मोटा था. उनके द्वारा एकदम से लंड पेल देने से मां की चीख निकल गई और वे एकदम से चिल्लाने लगीं- हाय मर गई… मेरी चूत फट गई आह… निकला लो प्लीज़ तुम्हारा बहुत मोटा लंड है.
मां की चिल्लपों सुन कर रमेश अंकल के दूसरे दोस्त ने अपना लंड मेरी मां के खुले मुँह में डाल दिया. मां की आवाजें निकलनी बंद हो गईं. लेकिन मेरी मां कोई कुंवारी लौंडिया तो थी नहीं, जल्दी ही उनकी चूत ने लंड से सैटिंग कर ली और मां को चुदाई में मजा आने लगा.
अब मां ने जो लंड उनके मुँह में बिना कंडोम का था, उन्होंने उस लंड को आइसक्रीम की तरह चूसना शुरू कर दिया और वे अपनी जीभ से लंड चाटने लगीं. कुछ ही देर में मां के दोनों छेद, यानि एक मुँह और दूसरा उनकी चूत में लंड अपनी मस्ती बिखेर रहे थे. मां की चूत ने तो लंड को लील ही लिया था अब उन्होंने अपने मुँह में भी पूरा लंड घुसा लिया और अपने दो छेदों की चुदाई करवाने लगीं. काफी टाइम तक ऐसा ही चलता रहा. तभी रमेश अंकल के उन दोस्त का पानी निकल गया, जो अपना लंड मां की चूत में पेला हुआ था.
उनके लंड का पानी निकला तो रमेश अंकल का नंबर आ गया. इस वक्त मां की चूत एकदम रसीली हो रही थी क्योंकि रमेश अंकल के दोस्त के लंड से चुदने के कारण मां की चूत ने मलाई छोड़ दी थी. इसको देख कर रमेश अंकल ने अपने खड़े लंड को एक ही झटके में पूरा का पूरा मामी की चूत के अन्दर तक डाल दिया.
रमेश अंकल की इस हरकत से मां जोर जोर से सिसकारी भरने लगीं- आआह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ उफ्फ आआह्ह… थोड़ा धीर नहीं डाल सकते थे… मेरी चूत का भोसड़ा बनाने पर तुले हो… आह अब चोदो भी रुक क्यों गए.
उसी वक्त रमेश अंकल का वो तीसरा दोस्त… जिसने अपना लंड मां के मुँह में डाल रखा था, झड़ गया. मेरी मां ने उसके लंड का पानी भी चूस चूस के निकाल दिया था. अंकल का दोस्त अपनी आह करता हुआ मां के मुँह में ही झड़ने लगा. मां उसके वीर्य को पूरा पी गईं. उधर मां लंड के रस का स्वाद ले रही थीं. इधर रमेश अंकल अपने लंड से मेरी मां की धकापेल चुदाई में लगे हुए थे. आज वो पूरे जोश में थे, इसलिए वो खूब देर तक मां की चूत चोदते रहे.
कुछ देर बाद रमेश अंकल का वीर्य भी निकल गया, लेकिन उनका लंड कंडोम में बंद था इसलिए अंकल का रस मां की चूत ने नहीं चख सका था. मामी की चूत दो लंडों से चुद चुकी थी लेकिन अब तक उनकी चूत ने लंड के रस का स्वाद नहीं ले पाया था.
अब मां की चूत को चोदने के लिए अंकल का तीसरा दोस्त आया. उसका लंड अब तक फिर से खड़ा हो गया था. उसने आते ही अपने लंड को हिलाया और मां की चूत पर अपने लंड का सुपारा टिका दिया. वो लंड के सुपारे को मां की चूत पर रगड़ने लगा और चूत पर सीधे अपने मुँह से थूक कर लंड से थूक को फैला दिया और धीरे धीरे उसने अपना लंड मां की चुद में घुसा दिया.
इस बार वो काफी देर तक ऐसे चोदता रहा… मानो ऐसा लग रहा था उसने कोई दवा ले रखी हो. करीब बीस मिनट चोदने के बाद उसने मां को खड़ा किया और वापस उनकी चूत में आगे से टांग उठा कर लंड पेला और मां को चोदना स्टार्ट कर दिया.
तभी पीछे से रमेश अंकल आए और उन्होंने मेरी मां की गांड में अपना लंड घुसा दिया. मां का दर्द से बुरा हाल हो चुका था. मां जोर जोर से चिल्लाने लगीं- धीरे करो, दर्द हो रहा है…
वो दोनों कहां रुकने वाले थे. इस वक्त अजीब मस्त नजारा था, एक लंड मां की चूत में घुसा था और एक गांड में कबड्डी खेल रहा था.
कुछ ही देर बाद मां की गांड और चूत दोनों अपने अपने लंड से खेलने लगीं. मां को मजे भी आने लगे थे हालांकि उनको अब भी दर्द भी हो रहा था.
मुझे अब याद आ रहा था कि मां ने भी इधर आते वक्त एक दवा खा ली थी, शायद वो ही एक कारण था कि मां अब तक उन सभी के लंड का मजा ले पा रही थीं.
कुछ देर बाद मां सिसकारी भरने लगीं- उम्मआहह आआहह आअहह उफ़ उईई उफ्फ उफ्फ…
चुदाई का यह नजारा देख कर मेरा मन भी हो रहा था कि मैं भी अपनी चुदक्कड़ मां को चोद दूँ., पर क्या करता, अभी मेरी मां ने मुझे इस नजर से देखा ही नहीं था.
तभी मैंने देखा कि अंकल का एक दोस्त दुबारा से फ्री हो गया, फिर तीसरा दोस्त आ गया. वो अपने खड़े लंड को सहला रहा था और अपना नंबर आने का इंतज़ार ही कर रहा था.
वो अपन लंड हिलाते हुए आया और मां की चूत में लंड पेल कर उनकी चुदाई करने लगा.
इस तरह काफी टाइम तक ऐसे ही चलता रहा. अब अंकल और उनके दोनों दोस्तों का पानी निकल चुका था. वे काफी खुश लग रहे थे. तीनों ने अपने कपड़े पहन लिए. उनके बाद मां ने भी उठ कर अपनी ब्रा और पैंटी पहन ली और फिर साड़ी और पेटीकोट पहनने लगीं.
मां भी तीन लंडों से चुद कर काफी खुश लग रही थीं. वे अंकल के दोस्तों से कहने लगीं- आज तो आप लोगों ने इतना ज्यादा चोदा कि मेरी जान ही निकाल दी.
अंकल और उनके दोस्त हँसने लगे और बोले- सच में सुनीता रंडी तुम्हारी चुदाई करके बहुत मजे आए… तुम बहुत सेक्सी औरत हो… हम तीनों ने आज तक कभी भी ग्रुप में ऐसी रंडी की चुदाई नहीं की थी.
ये सुनकर मां हँसने लगीं. इसके बाद उन तीनों ने बारी बारी से मां के होंठों का चुंबन किया और घर आने के लिए निकल गए.
अपनी मां की इतनी लम्बी चुदाई देख कर मेरा लंड भी दो बार अपना पानी छोड़ चुका था. मैंने सोच लिया था कि मां की चूत की चुदाई का किसी न किसी तरह इंतजाम करना ही होगा.
मैं भी जल्दी से अपनी बाइक लेकर वापस घर आ गया.
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