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हेलो दोस्तो, मेरा नाम सुमित अग्रवाल (बदल हुआ नाम) है। आज मैं आप सब को अपना पहला सेक्स एक्सपेरिएंस बताने जा रहा हूँ। यह कहानी होली के समय घटित हुई और मैंने ऐसा बिल्कुल भी नही सोचा था कि मुझे इस तरह सेक्स का अनुभव मिलेगा।
यह कहानी मेरे घर के सामने रहने वाली भाभी की है जिसका नाम क्षमा है। क्षमा भाभी हमारे मोहल्ले की सबसे सेक्सी भाभी है या यों कहिये सबसे गर्म भाभी क्षमा भाभी है।
लम्बे बाल, भारी भारी स्तन, नशीली आंखें और गदराया जिस्म। उनका साइज 38-29-38 का है। यह उन्होंने ही मुझे बताया है।
मेरा हमेशा से उनके साथ सेक्स करने का मन था। पर मेरा स्वभाव बहुत ही शर्मिला किस्म का है, इसलिए मैं बहुत घबराता था कि अगर कहि कुछ गड़बड़ हुई तो मेरे लोडे लग जाएंगे।
क्षमा भाभी मेरे घर के सामने रहने वाले मेरे भैया जिनकी उम्र 38 है, उनकी वाइफ है। उनके परिवार में भैया, भाभी, भैया की मम्मी और उनका 4 साल के बेटा रहते है।
मेरी और मेरी भाभी की बहुत अच्छी जमती है। मतलब ऐसा कह जा सकता है कि भाभी मेरा ख्याल अपने भाई के जैसे ही रखती है। तो ये बात 2019 की होली की है।
मैं अपने कॉलेज की छुट्टी में घर आया था। मेरे घर मे होली कि तैयारी जोरों पर थी। होली की मिठाईया और नाश्ता तैयार किया जा रहा था।
मैंने सोचा कि मैं अपनी भाभी की कुछ मदद कर देता हूं, तो मैं उनके पास चला गया।
भाभी ने मुझे देख तो वो बहुत खुश हुई। उन्होंने मुझे कहा कि अच्छा हुआ तो आ गया, अब मुझे बहुत मदद हो जयेगी। मैं बहुत खुश था कि मैं भाभी के साथ ज्यादा टाइम बिता सकूँगा।
भाभी को नाश्ता बनाने के लिए तेल की जरूरत थी, तो उन्होंने कहा कि तू स्टूल ले के आ, मैं ले आया।भाभी स्टूल पे चढ़ी, मैंने स्टूल पकड़ना चाहा तो मेरा मुह भाभी की गाँड़ से टकरा गया, भाभी पीछे मुड़ के देखी तो मैंने उनको सॉरी कहा, भाभी ने कहा कि कोई बात नही, पर मुझे तो बहुत मज़ा आया। मैं स्टूल पकड़ के खड़ा तक और भाभी स्टूल पर खड़ी थी, तो उनकी गाँड़ मेरे मुंह के सामने थी।
मैंने धीरे से अपने चेहरे को उनकी गाँड़ के पास ले गया ताकि मुझे उनकी गाँड़ महसूस हो, पर मुझे डर लग रहा था इसलिए मैं कुछ नही कर पाया। मेरा लंड खड़ा हो गया था तो मैंने उसे कंट्रोल करने की कोशिश की।
भाभी ने तेल के डब्बा मुझे दिए और मैंने साइड पे रख दिये। भाभी नीचे उतरने को हुई तो मैं थोड़ा पीछे हुआ, भाभी उतरी तो उनका पैर फिसला मैंने उनको पकड़ना चाहा तो वो तो सम्भल गयी पर उनकी गाँड़ में मेरा खड़ा लंड उनको महसूस हो गया।
भाभी ने मुझे देख कर नज़रअंदाज़ कर दिया पर उनको भी पता चल गया था कि वो मुझे नज़रअंदाज़ नही कर पाएंगी। तो उस दिन मैंने भाभी की मदद की क्योंकि अगले दिन होली थी और मुझे मेरे घर मे भी मदद करना था।
मैं घर जा के मदद किया और खाना खा के सोने चले गया, पर नींद तो आने से रही। मैं भाभी के बारे में सोच रहा था और सोचते सोचते मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने भाभी के नाम की मूठ मारी और सो गया।
अगली सुबह को मुझे बहुत अच्छ लग रहा था क्योंकि भाभी के नाम की मुठ मारने से बहुत बढ़िया नींद आयी थी और मैं बहुत फ्रेश महसूस कर रहा था। तो मैं जल्दी से ब्रश करके कपड़े चेंज करके होली खेलने चला गया।
मेरे सभी दोस्त और मोहल्ले वाले होली के नशे में डूब कर होली का जश्न मना रहे थे, पर कुछ देर बाद मैंने अपनी नज़रे दौड़ा कर भाभी को ढूंढना चाहा तो मुझे महिलाओ की टोली में भाभी दिखी।
सफेद साड़ी और सफेद ब्लाउज में मेरी भाभी बहुत ही सेक्सी लग रही थी, और उसपे पिंक कलर का हल्का सा लिपस्टिक। हाए! क्या सुंदर दिख रही थी भाभी, वो भरा भरा शरीर और वो दो बड़े बड़े बूब्स और साथ मे वो 38 की मोटी सी गाँड़ जो मेरे दिल को ठरक के तीर से चीर के रख दिया।
वो सफेद ब्लाउज अंदर के सफेद ब्रा को छुपा पाने में असमर्थ था। मेरे अंदर के शैतान ने भाभी को ऊपर से नीचे तक टटोला और मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया।
तभी भाभी की नज़र मुझ पर पड़ी और उन्होंने मुझे हल्का सा स्माइल दिया, मैन भी स्माइल दी, पर उन्होंने मेरे पैजामे के अंदर के उभार को देख लिया था। उन्होने नज़रअंदाज़ कर दिया।
फिर हम होली खेलने लगे, मैन सबको बहोत रंग लगाया और सबने मुझे भी बहुत रंग लगाया। मैन थोड़ा सा कलर लिया और भाभी की तरफ भगा, भाभी भी मुझसे बचने के लिए भागी पर मैंने उनको पकड़ लिया।
मैंने उनको जैसे ही पकड़ा मेरा लंड उनकी गाँड़ में दब गया, भाभी की हल्की सी आह निकल गयी और मैंने सुन लिया। मैंने भाभी को बहोत रंग लगाया और साथ मे उनके पेट और बूब्स पर हल्के से दबाव भी बनाया। उसके बाद मैं अलग हो गया कि कही किसी ने देख लिया तो लौड़े लग जाएंगे।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि भैया अपने दोस्तों के साथ बैठ कर भांग पे भांग पिये जा रहे है, मैंने सोच अच्छा है। सब एक दूसरे पे पानी डाल कर होली खेल रहे थे।
किसी ने भाभी पे रंगों से भरा पानी की बाल्टी उनपे डाल दी, भाभी पूरी गीली हो गयी और उनकी साड़ी उनके जिस्म से चिपक गयी।
उस गीली साड़ी में भाभी के बड़े बड़े वक्ष और नितम्ब किसी बड़े बड़े आम की तरह प्रतीत हो रहे थे। मेरा लंड उनको देखते ही फुंफकारने लगा, मैंने कंट्रोल किया।
भाभी वहां से घर चली गयी क्योंकि होली का कार्यक्रम खत्म हो रहा था तो मैं घर जाने लगा तो मैंने देखा कि भैया एकदम पी के टुन्न थे तो मैंने उनको सहारा देकर उनको घर पर पहुँचाया।
मैं भैया को ले कर जैसे ही घर पहुँचा तो भाभी ने दरवाजा खोला। वो अभी भी उसी साड़ी में थी और कयामत लग रही थी। मैं अंदर गया और भैया को हॉल में बेड पर सुला दिया।
भाभी मेरे लिए पानी ले कर आयी। मैन पानी पिया और भाभी को कहा कि भाभी आपने तो मेरे साथ होली खेली ही नही ठीक से, तो उन्होंने कहा कि अभी खेल लेते है और गुलाल ले कर मेरे चेहरे पे मल दिया, तो मैंने बदल लेने की ठानी और खूब सारा गुलाल उनके चेहरे पर मलने लगा, और जानबूझ कर खड़ा लंड भाभी की गाँड़ पे दबाने लगा।
भाभी अपने आप की मुझसे अलग करने लगी पर मेरी पकड़ बहोत ही मजबूत थी, वो अपने आप को मुझसे अलग करने में विफल हो गयी।
मैंने अपने गुलाल वाले हाथ से भाभी के पेट पे हल्का सा हाथ घुमाया और उनके गले पर पीछे से धीरे धीरे चूमने लगा, और साथ साथ उनके बूब्स को हल्का हल्का मसलने लगा।
भाभी अभी भी बोल रही थी कि तू ये की कर रहा है तो मैंने उनको कहा कि भाभी आज अपने आप को और मुझे मत रोकिये क्योंकि मैं जानता हूं कि आप भैया से खुश नही है, वरना शादी के 10 साल बाद सिर्फ एक बच्चा नही होता।
तो भाभी मान नही रही थी तो मैंने उनके चूत पर साड़ी के ऊपर से हाथ फिराना चालु कर दिया। अब मैं भाभी को पीछे से पकड़ कर उनके बूब्स दबाते हुए उनकी चूत मसल रहा था और उनके गर्दन को हल्के हल्के किस भी कर रहा था, कुछ देर बाद भाभी की सांसें नार्मल हुई।
कहानी आगे जारी रहेगी!
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