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अभी तक मेरी गन्दी कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त के खाली घर में दो लड़कियों के साथ था और एक कुंवारी लड़की रेशमा की बुर में लंड अभी घुसाया ही था.
रेशमा भी मेरे प्रयास में साथ दे रही थी, जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत को टच करता, वो तुरन्त ही अपनी कमर को मेरा लंड अन्दर लेने के लिये उठा देती। पर हर बार लंड फिसल कर अलग हो जाता। अब मेरा सब्र भी खत्म हो रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत से सटाया और उसकी चूत को अपने हाथों से थोड़ा फैलाया और लंड को उसमें हल्के ताकत के साथ प्रवेश करा दिया। “आआआ आआहह आआअ…” की एक चीख मुझे सुनाई दी लेकिन मैंने उस चीख को अनसुना करते हुए अपने कार्य को जारी रखा और थोड़ा ताकत लगाकर लंड को अन्दर धकेलने का प्रयास कर रहा था. हालाँकि मुझे भी लग रहा था कि मेरे लंड को कोई चाकू से छील रहा हो, बहुत तेज जलन हो रही थी।
मैं अपनी ताकत लगाता रहा और रेशमा की चीखें निकल रही थी। रेशमा की चीखों को सुन कर सोनी भी डर गयी और वो रेशमा से अलग हो गयी।< मैंने तुरन्त उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया। रेशमा की आँखों से आँसू निकल रहे थे, उसके नाखून मेरी पीठ पर गड़ रहे थे। मैंने उसके निप्पल को पीने के साथ साथ उसके बहते हुए आँसुओं को भी चखना शुरू किया। धीरे धीरे रेशमा शांत होने लगी। जब उसकी सिसकियाँ बन्द हुयी तो मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा- बस एक बार और बर्दाश्त कर लो, फिर मजे ही मजे हैं। मेरी तरफ रूँआसी आँखों से देखते हुए बोली- अगर मुझे मालूम होता कि वास्तव में इतना दर्द होता है, तो मैं कभी नहीं आती। "तुमने तो कहानी पढ़ी होगी कि पहली चुदाई में दर्द तो होता ही है।" "हाँ पढ़ी तो थी, पर क्या मालूम इतना ज्यादा होता है।" "चिन्ता मत करो, मजा भी बहुत आयेगा। बस एक बार!" "ठीक है।" "ऐसे नहीं... मुस्कुरा कर कहो।" थोड़ा तड़प के साथ वो मुस्कुराती हुई बोली- ठीक है। मैं उसे इसी तरह की बातों में बहकाने की कोशिश कर रहा था। तभी मुझे लगा कि सोनी मेरी पीठ को चूम चाट रही है। मैं अब धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर कर रहा था। जब रेशमा की चूत थोड़ी और ढीली हुयी तो मैंने इस बार एक तेज झटका दिया। "आईईई... ईईईई मां मर गयी।" मैंने उसकी आवाज दबाने की कोशिश नहीं की और एक बार फिर उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने चाटने लगा। थोड़ी देर बाद रेशमा की कमर उठने लगी, मैं अब हल्के हल्के धक्के लगाने लगा और रेशमा भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी। अभी रेशमा मुझसे पूरी तरह चुद भी नहीं पायी थी कि फटाक से कमरे का दरवाजा खुला। मेरे चूतड़ पर जोर का एक हाथ पड़ने के साथ मुझे 'मादरचोद' का सम्बोधन सुनने को मिला। सोनी डर के मारे पलंग के दूसरी ओर छुप गयी थी। मैं बिलबिला कर उठा। मेरे सामने एक निहायत खूबसूरत लेडी परफेक्ट फिगर 36-32-36 के साथ खड़ी थी। सफेद चमकीली साड़ी में वास्तव में बहुत खूबसूरत लग रही थी। मेरी तो नजर उस पर से हट ही नहीं रही थी। इधर रेशमा को जो कपड़ा मिला, उसने उसको अपने ऊपर डाल लिया। वो सुन्दर लेडी गुस्से में लाल दिख रही थी। तभी मुझे वो झकझोरते हुए बोली- कुत्ते तू है कौन? और ये दोनों कुतिया कौन हैं? और मेरे घर के अन्दर ये क्या कर रहा है। मेरे घर को रंडीखाना बना रखा है। मैंने अपने को शांत बनाये रखा और बोला- मैं इलाहाबाद से हूं और आलोक का दोस्त हूँ। "इसका मतलब आलोक को भी पता है कि तुम इन दोनों लड़कियों के साथ चुदाई का खेल खेल रहे हो?" "नहीं!" मैंने कहा- ऐसा नहीं है! उससे हमने झूठ बोला था। "हम्म, मैं आलोक को फोन लगाती हूं और उसे बताती हूँ कि तुम जैसे मादरचोद लोग उसके दोस्त हो, और उसके घर को रंडीखाना बना रखा है।" "सॉरी मैम, रहने दीजिए, हम लोग अभी तुरन्त निकल जाते हैं।" इतना कह कर मैंने अपने कपड़े पहनने शुरू किये और लड़कियों को भी कपड़े पहनने का इशारा किया। तभी वो लेडी फिर बोली- रूको... नहीं तो मैं पुलिस बुला लूंगी। कह कर उसने अपने मोबाईल से हमारी तस्वीरें खींच ली। हम तीनों की गांड फट रही थी, हम सभी फिर रूक गये। तभी वो रेशमा, जो बिस्तर पर बैठे हुए कपड़े पहनने की कोशिश कर रही थी, के पास पहुंची और बिस्तर को देखते हुए बोली- ओह कुंवारी हो, चुदने आयी थी, चूत में चुल्ला ज्यादा उठ रहा था ना? बेचारी रेशमा रूँआसी हो गयी. मुझे बीच में बोलना ही पड़ा- मैम, उसको कुछ मत कहिये, जो कुछ कहना है, मुझे कहिये। "ओह शरीफ की नाजायज औलाद, बुर चोदने की बड़ी इच्छा होती होगी तेरे को?" मैं चुपचाप उसकी सभी अनर्गल बाते सुनता रहा। तभी उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ी- ओह... लंड भी काफी बड़ा है! कहते हुए मेरे अंडे को कस कर दबा दिया। मैं दर्द को बर्दाश्त करता रहा। कुछ देर बाद वो मेरे अण्डों को छोड़ते हुई बोली- दोस्त को धोखा देते हुए शर्म नहीं आयी? जब काफी देर बाद वो चुप हुयी तो मैं बोला- मैम मुझे दुख है और मैं माफी मांगता हूँ। इतना कहते हुए मैंने दोनों लड़कियो को कपड़ा पहने को कहा और मैं खुद कपड़े पहनने लगा। तभी एक बार फिर बोली- भोसड़ी के कैसा मर्द है तू? इतनी देर से मैं तुझे गाली दिये जा रही हूं और तू है कि चुपचाप खड़ा है। अभी तक तो तुझे मेरी इतनी बदतमीजी में पकड़ कर चोद देना चाहिए, जबकि मैं इन दोनों लड़कियों से ज्यादा खूबसूरत हूँ। मैंने सर झुका कर कहा- मैम आप सही कह रही हो, लेकिन मुझे जबरदस्ती की चुदाई पंसद नहीं है। मुझे मजा तब आता है जब सामने वाला राजी खुशी से चुदने को तैयार हो। राजी खुशी से चुदाई का मजा अलग है। जबकि जबरदस्ती की चुदाई में दो पल का मजा तो जरूर होता है पर जिन्दगी भर के लिये नफरत होती है। "मैं तुम्हारी बातों से काफी प्रभावित हुई हूँ!" मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली- तुम्हारी इस बात को कोई समझदार लड़की या औरत सुन ले तो कपड़े उतार कर चुदने के लिए तैयर हो जाये। पर मैं तुम लोगों को जाने दे सकती हूं अगर तुम मेरी एक बात मानो तो? मैं समझ तो रहा था कि एक औरत के सामने एक आदमी नंगा खड़ा है और उसे अभी तक कपड़े पहनने के लिये नहीं बोला गया हो तो आप भी समझ सकते हैं कि वो क्या बात मनवायेगी। पर फिर भी मैं बोला- मैम आप जो कहें, मैं करने के लिये तैयार हूँ। "ठीक है, लेकिन अगर मना किया तो समझ लो जो फोटो खींची है, वो आलोक के साथ-साथ दूसरी जगह पहुंच जायेगी।" एक तरह से धमकी थी तो मैंने थोड़ा डरने की एक्टिंग करते हुए कहा- नहीं नहीं, आप जो कहोगी, मैं सब करने के लिये तैयार हूँ। "तुम्हें मेरी झांटें बनानी होगी।" "क्या?" मैं आँखे फाड़ के उनकी तरफ देखने लगा- मैएएएएएडम? "मैडम नहीं, मुझे अलका कहो, वैसे भी पहली बार मेरी झांटें आलोक ने ही बनाई थी और आज तक बनाता चला आ रहा है, बीच-बीच में एक दो और लोगों ने भी बनाई है। आज तुमको मैं मौका दे रही हूँ।" "पर..." कह कर मैं रूक गया. वो 'हूं' बोल कर अपनी आँखें तरेरते हुए बोली- क्या कहा? मैं झट से बोला- कुछ नहीं, कुछ नहीं, जो आप कहें!। "हम्म... तो चलो तैयार हो जाओ।" मै..., न अलका जी, आप अपनी झांट रेजर से बनवाती हैं या फिर रिमूवर क्रीम से?" "नहीं, अभी तक मेरी चूत में उस्तरा नहीं चला है। रिमूवर से बनवाती हूँ।" "ठीक है अलका जी, मैं तैयार हूं आपकी झांट बनाने के लिये।" अलका ने खुद ही रिमूवर के साथ-साथ कॉटन, पानी सब कुछ लाकर दिया। "अलका जी, आप अपने कपड़े उतारिये।" "कैसे मर्द हो भोसड़ी वाले, तुम्हें मेरे कपड़े उतारने में शर्म आ रही है? चल उतार... पता नहीं किस मादरचोद ने तुमको चुदक्कड़ बना दिया है।" बस मेरा इतना सुनना था कि मैंने अलका का हाथ पकड़ा और झटके से अपनी तरफ खींचा और अलका की कमर को अपने हाथों के बीच कैद कर लिया। दोनों लड़कियाँ टकटकी लगाये देख रही थी। मुझे तो लग रहा है कि कम से कम रेशमा तो अलका को गरिया जरूर रही होगी लेकिन देखने के अलावा कर क्या सकती थी। मेरे हाथ अलका की गांड को दबाने लगे और जितनी ताकत से अपनी उंगली उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी गांड में डाल सकता था, उतनी ताकत में लगा रहा था। इधर अलका भी मेरी गांड में उंगली कर रही थी। थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा। तभी सोनी और रेशमा एक साथ बोली- अरे तुम दोनों एक दूसरे की गांड में उंगली ही करोगे या आगे भी कुछ करोगे? उनकी बात को सुन कर मैंने अलका की साड़ी उसके जिस्म से अलग की, फिर उसके ब्लाउज को उससे अलग किया, फिर पेटीकोट। उसकी ब्रा और पैन्टी भी सफेद रंग की ही थी। जैसे ही मैंने उसके ब्रा को उसके जिस्म से अलग किये, दूध जैसे उसके कबूतर उछल कर बाहर आ गये और मेरे सीने से चिपक गये। इस बीच अलका मुझसे बिल्कुल अलग नहीं हुयी थी, उसका गर्म जिस्म मुझसे चिपका हुआ था। उसकी लम्बाई और मेरी लंबाई लगभग एक जैसी थी, इसलिये उसकी छाती और मेरी छाती लगभग आपस में मिली हुयी थी। अब मेरी उंगली उसकी पैन्टी की लास्टिक को पकड़कर नीचे करने लगी, तो उसने मेरी कलाई को पकड़ लिया और धीमी आवाज में बोली- थोड़ी देर रूको, तुम मुझे इसी तरह चिपकाये रहो, मुझे तुम्हारे सीने की गर्मी को महसूस करना है। "चड्डी भी उतार देते हैं, तब चिपक लेना।" "नहीं, कुछ देर रूको, आलोक मुझे चोदता है, मेरा दूध पीता है। सब कुछ करता है, मजा भी बहुत देता है, लेकिन आज पहली बार मुझे मर्द के सीने से इस तरह चिपकने का सुखद अहसास हो रहा है!" कह कर उसने मुझे और कस कर जकड़ लिया। मेरे हाथ की चंचलता रूकी नहीं और वो अलका की गांड को सहलाते सहलाते उसकी चूत को टटोलने लगा। उसकी पैन्टी काफी गीली थी, ऐसा लग रहा था कि अभी अभी पानी छोड़ा हो। मैंने पूछ ही लिया- पानी छोड़ रही हो क्या? "हूं..." बस इतना सा ही बोली- बस मुझे थोड़ी देर और ऐसे ही चिपकाये रहो। तभी दोनों लड़कियां अलका के पीछे आयी और उसकी पैन्टी को उसके जिस्म से अलग कर दिया और पैन्टी को हाथ में लेकर बारी बारी देखने लगी। "ओह अलका मैम, आपने तो बहुत पानी छोड़ दिया।" उसके बाद मैंने अलका को अपने से अलग किया, उसकी आँखें लाल सुर्ख हो चुकी थी, चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी। मैं उसके संगमरमर जैसे जिस्म को निहार रहा था, मेरी नजर उसकी चूत की तरफ गयी, साला झांट नहीं था, झांटों का जंगल था। मैंने कहा- अलका जी आपकी चूत में झांट नहीं, झांटों का जंगल है। "हाँ, आलोक को बहुत पंसद है मेरी बड़ी-बड़ी झांटों को बनाना; जब मेरी झांटें काफी बड़ी हो जाती हैं तो वो उन्हें बनाता है, फिर चिकनी करके मेरी चूत के साथ खेलता है और जब तक खेलता रहता है, जब तक झांट बड़ी बड़ी न हो जायें।" "मतलब 3-4 महीने तक नहीं बनाती हो?" "हाँ... कभी कभी इससे ज्यादा का समय लग जाता है।" "कैंची है?" "हाँ, मैंने तुम्हें दी है, ध्यान से देखो।" मैंने अलका का हाथ पकड़ा और जमीन पर लेटने को कहा। अलका जमीन पर लेट गयी और अपने अगल बगल दोनों लड़कियों को बैठा कर उनकी चूची को सहलाते हुए बोली- तुम्हारा ये यार चोदने में कैसा है? "मैडम, आप चुदवा लो, आपको भी मजा आयेगा।" "हम्म, देखते हैं?" "देखना क्या मैडम जी, आपने हमारी चुदाई के बीच में आकर पूरा मजा खराब कर दिया, अगर थोड़ी और देर से आती तो मुझे तो पूरा मजा मिलता।" रेशमा थोड़ा सा मुंह बनाते हुए बोली। "अरे लाडो, चिन्ता मत कर, तेरे यार का हथियार पहले मैं चेक कर लूं, उसके बाद तुझे मैं चुदने का पूरा मौका दूंगी।" इस बीच मैं अलका की झांटों को कैंची से कतरते हुए ट्रिम कर रहा था। जब बाल काफी छोटे छोटे हो गये तो अलका की पाव रोटी के माफिक फूली हुयी चूत मेरी नजरों के सामने आयी। मैं उसकी बची खुची झांटों के ऊपर हथेली फेरने लगा, मुझे लगा जैसे कि मैं मखमल के ऊपर अपने हाथ फेर रहा हूँ। उसकी मखमली चूत पर हाथ फेरने से वो भी पानी बिन मछली जैसे हो गयी हो, ऐसा लग रहा था कि वो छटपटा रही हो, अपनी दोनों जांघों को आपस में समेटने की कोशिश कर रही थी। उसके बाद मैंने अपने पैरों को सीधा करके फैला दिया और अलका के कमर के हिस्से को अपने बीच में लेते हुए उसके पैरों को सिकोड़ दिया। उसके बाद कॉटन लेकर अलका की चूत का अग्र भाग में भर दिया और फिर रिमूवर को उसकी चूत में अच्छे से लगा कर उसकी टांगों के बीच बैठा जांघों को चूम रहा था। तभी दोनों लड़कियाँ पास आयी और बोली- कुछ मजा हमें भी दीजिए, हमारी चूत को भी प्यार करिये। मैं बारी-बारी से दोनों लड़कियों की चूत में अपनी जीभ फिराने लगा. तभी अलका बोली- एक लड़की मेरे पास आओ! सोनी अलका के पास चली गयी. सोनी को देखकर अलका बोली- आओ मैं तुम्हारी इस छोटी मुनिया को प्यार करूँ! आओ मेरे मुंह में बैठो! सोनी अलका के मुंह में बैठ गयी, इधर मैं रेशमा की चूत चाटने के साथ-साथ अलका की जांघों को सहला रहा था, उसके पैर कांप रहे थे, रेशमा की चूत चाटने और अलका की जांघों को सहलाने से मेरे लंड में भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और लंड टाईट होकर सीधा मेरे दोस्त की बीवी की चूत से टच करने लगा।
मेरी गन्दी सेक्स स्टोरी जारी रहेगी. कृपा करके मेल के माध्यम से मुझे अपने विचार बतायें। शरद सक्सेना [email protected] [email protected]
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