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मेरी सेक्स कहानी में अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे वो लिफ्ट वाली लड़की की कामुकता भड़की पड़ी थी और वो अपनी चुत चुदाई का लंबा प्रोग्राम बना रही थी.
उसके बाद घर आते समय रास्ते में मैंने अपने दोस्त को फोन किया और उससे थोड़ा झूठ बोलते हुए कहा- मेरी दो भतीजियाँ मेरे साथ आ रही है, उन दोनों ने दो तीन कम्पनियों में अप्लाई किया हुआ है, इसलिये 3-4 दिन तक रहना होगा, इसलिये कोई कमरे का इंतजाम करवा दो, ताकि हम तीनों आराम से रह लें और उनको कोई प्रॉब्लम न हो।
दोस्त ने उसके घर में ही रूकने को कहा, बोला- यार, महीने भर के लिये मेरी बीवी मायके गयी हुयी है, मुझे भी ऑफिस के काम से बाहर ही रहना पड़ता है, तुम चाहो तो मेरे यहाँ रूक सकते हो। यह रहने की समस्या भी हल हो चुकी थी। मुझे उम्मीद थी कि रेशमा भी आयेगी।
मैं घर पहुंचा, बीवी को देर से आने का कारण बताने के बाद 4 दिन के लिये ऑफिस के काम से लखनऊ जाना है, इसकी भी जानकारी दे दी। थोड़ी बहुत आपसी बातचीत करने के बाद बीवी ने मेरे कपड़े पैक कर दिये।
दूसरे दिन मैंने अपनी कार निकाली और उस स्टॉपेज पर पहुंच गया जहां पर अक्सर सोनी मिलती थी। सोनी, रेशमा और उन दोनों के घर वाले खड़े थे। मैं उस समय सूट-बूट पहने हुए था ताकि मैं उन सबकी नजर में सभ्य लगूं। सोनी और रेशमा दोनों ही उस समय शलवार सूट में थी। रेशमा ने मुझे नमस्ते करते हुए गाड़ी के पीछे का डोर खोला और पीछे वाली सीट पर बैठ गयी उसके पीछे पीछे सोनी भी मुझे नमस्ते करते हुए बैठ गयी.
फिर दोनों के घर वाले निर्देश देने लगे। थोड़ी देर बाद उन सबसे विदा लेते हुए मैंने अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी। हाँ दोनों के घर वालों ने मेरे मोबाईल का नम्बर मुझसे मांग लिया, मैंने भी बिना कोई नखरा किये हुए अपना मोबाइल नम्बर दे दिया और अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी।
थोड़ी दूर चलने पर मैं एक शॉप पर रूक गया, उस शॉप से मैंने दो बोतल पेप्सी खरीदी और थोड़ा बहुत स्नेक्स ले लिया और उन दोनों को देकर मैंने अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी। थोड़ी देर तक हम तीनों ही चुप बैठे रहे, पर जैसे ही हमारी गाड़ी सिटी रोड से हट कर हाईवे में आयी तो मैं ही उन दोनों के छेड़ते हुए बोला- किसको चुन्ना ज्यादा काट रहा है? दोनों चुप। मैंने फिर पूछा, पर कोई जवाब नहीं। कई बार पूछा, पर कोई जवाब नहीं आया।
उनकी चुप्पी पर मैं बोला- देखो, जिस काम के लिये आयी हो, उसमें फिर संकोच कैसा करना। तुम लोग अपनी चूत की खुजली मिटाना चाहती हो और लंड का मजा लेना चाहती हो तो फिर ओपन हो जाओ। और ये क्या, ठंडा खरीदा है क्या गर्म करने के लिये। चलो निकालो और पिओ और पिलाओ।
सोनी ने गिलास में पेप्सी निकाली और सर्व करने लगी। गिलास लेने के बाद मैं फिर बोला- तुम लोगों की चूत में खुजली हो रही है कि नहीं? इस बार सोनी बोली- सर! जैसे ही वो ‘सर’ बोली, वैसे ही मैंने टोका- कोई सर नहीं, सक्सेना या शरद बोलो, और चाहो तो गरिया सकती हो। “ठीक है शरद… हो तो रही है खुजली, तभी तो तुम्हारे साथ हम दोनों घर में झूठ बोल कर आयी हैं।”
इसीलिये तो बोल रहा हूं कि जब इस सब के लिये घर में झूठ बोला है, तो फिर खुल कर मजा लेंगे। दोनों एक साथ बोली- ठीक है। मैंने कहा- ‘ठीक है’ से काम नहीं चलेगा, दोनों लोग वादा करो! मैंने अपने हाथ की हथेली खोलकर पीछे करते हुए कहा।
दोनों बारी बारी मेरी हथेली में अपने हाथ की थपकी देते हुए बोली- हम वादा करती हैं। जब दोनों ने वादा शब्द बोल लिया तो मैंने फिर एक वादा कराया, उनसे कहा- तुम दोनों इस खेल को नहीं जानती हो तो फिर मैं जैसा कहूंगा वैसा ही करना पड़ेगा, मैं यह नहीं करूंगी, वो नहीं करूंगी, यह सब नहीं बोलना है। दोनों ने एक बार फिर से मुझसे वादा किया।
पेप्सी खत्म करते ही मैंने अपना गिलास सोनी को पकड़ाया और बोला- इस बोतल को अभी 10 मिनट में हम सभी को खाली करना है. और साथ में मैंने अपनी पैंट और चड्डी को नीचे सरका दिया। इतने में सोनी ने मुझे गिलास में पेप्सी भर कर फिर पकड़ा दिया और साथ में दोनों लोगो ने भी पेप्सी पी ली; इस तरह एक बोतल खाली हो गयी।
अब तक हम लोग 30-40 किमी दूर आ चुके थे। पेप्सी खत्म होने के बाद मैंने उन दोनों में से किसी एक को आगे की सीट पर आने को कहा। सोनी ने रेशमा को इशारा किया, रेशमा बिना कोई वक्त गंवाये आगे आ गयी.
जैसे ही वो आगे वाली सीट पर आकर बैठी और उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ी- हाय माँ! फिर बोली- कितना बड़ा है आपका लंड! जैसे कहानी में पढ़ती थी उतना ही बड़ा दिख रहा है। मैंने चुटकी लेते हुए कहा- रेशमा, तुमने मेरा लंड देख लिया है अब मुझे तुम्हारी चूत देखनी है। अपनी सलवार और पैंटी उतारो। “वो तो मैं आपको दिखा दूंगी, पर पहले गाड़ी को किनारे लगाइये।” “क्यों?” “पेशाब आयी है।” “हाँ, मुझे भी आयी है!” सोनी बोली।
“अरे पेशाब करने के लिये भी तो सलवार और पैन्टी तो उतारोगी ना, यहीं पर उतार लो।” “आप भी न शरद? पहली बात तो यह है कि आपकी बात मानने का यह मतलब थोड़े ही कि मैं नंगी होकर सड़क पर खड़ी होऊँ और दूसरी बात यह है कि मैंने आपका लंड देखा है तो अपनी चूत के दर्शन मैं आप को कराऊंगी… न कि सारी दुनिया को!”
“अरे, तो मैं कब कह रहा हूं कि तुम दुनिया को अपनी चूत के दर्शन कराओ? फिर क्यों आप मुझे उतारने के लिये कह रहे हैं।” “अरे उतारो तो… फिर मैं बताता हूँ! और विश्वास रखो कि मैं तुम दोनों से कोई अनैतिक काम नहीं करवाऊँगा।” “मैं भी आपको दिखाने के लिये मना नहीं कर रही हूं पर पहले गाड़ी साईड पर लगा दिजिए, मैं मूत लूं, फिर आप जितनी देर चाहना मेरी चूत देखना।”
“अगर तुम मेरी बात मानो तो तुम दोनों ही नहीं बल्कि मैं भी गाड़ी के अन्दर मूतूंगा।” “मतलब गाड़ी को गन्दी करोगे?” “अरे गाड़ी भी गन्दी नहीं होगी। बोलो क्या कहती हो?”
सोनी बोली- रेशमा, चल उतार ले अपनी सलवार और पैन्टी… मैं भी उतार लेती हूँ। सोनी की बात खत्म होते ही रेशमा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोला, थोड़ी उचकी और अपनी शलवार के साथ साथ पैन्टी भी उतार दी। इसी तरह से जब मैंने बैक शीशे में देखा तो सोनी भी अपनी सलवार और पन्टी उतार चुकी थी।
तभी रेशमा बोली- लीजिए शरद, अब आप मेरी चूत को जी भर कर देख लीजिए। मेरी नजर उसकी चूत पर गयी, क्या मस्त थी उसकी चूत… बरबस मेरे हाथ उसकी चूत को सहलाने लगे। नये यौवन की नई चूत और उस पर उसकी छोटी-छोटी मुलायम झांटें…
मैं सहलाने लगा तो रेशमा बोली- अब जल्दी से बताईये कहां मूतना है, नहीं तो मेरी छूटने वाली है। मैंने फिर मजा लेने के लिये कार को साईड में लगा दिया और बोला- अब जाकर मूत लो। थोड़ा झल्लाते हुए और आँखे दिखाते हुए वो तेज आवाज में बोली- इसीलिये मैं आपकी बात नहीं मान रही थी। आपकी बात मानकर नंगी हो गयी और अब मैं नंगी ही बाहर जाकर मूतूँ? “अर्रर्र रर्रर्र… नाराज क्यों होती हो मेरी जान? विश्वास रखो!” कह कर मैंने सोनी से पेप्सी की खाली बोतल रेशमा को देने को कहा.
सोनी ने खाली बोतल रेशमा को पकड़ा दी, फिर मैं गाड़ी बढ़ाते हुए रेशमा से बोला- लो इसी मैं मूत लो। “इसमें?” रेशमा मुंह बनाते हुए बोली। मैंने कहा- क्यों क्या हुआ? क्या तुमने कभी पेशाब की जांच नहीं करवाई है?
अब मेरी बात को रेशमा के साथ साथ सोनी भी समझ गयी थी। दोस्तो, सोनी और रेशमा लगभग एक जैसी हाईट की थी पर जहां सोनी का रंग थोड़ा डार्क था, वहीं रेशमा गोरी थी। रेशमा का नाक नक्श भी ठीक था।
रेशमा ने बोतल पकड़ी और सीट पर थोड़ा आगे की ओर उकड़ू हो गयी जिससे उसकी मुलायम, खूबसूरत चूत सामने की ओर आ गयी, उसकी पुतिया भी कमल के दो पंखुड़ी के समान लग रही थी। रेशमा ने बोतल को अपनी चूत के पास लगाया और मूतना शुरू कर दिया। मूतने के बाद बोतल को मुझे दिखाती हुयी बोली- अब क्या करना है? और साथ ही साथ अपनी कुर्ती से चूत को साफ करने जा ही रही थी तो मैंने उसे रोका और बोला- कुर्ती से नहीं, अपने हाथ से साफ करो और फिर मुझे अपनी हथेली से चटाओ। “क्या शरद जी, आप तो बहुत गन्दे हो!”
मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए कहा- अरे करो तो… मुझे बड़ा मजा आता है, और तुम्हें भी मजा आयेगा। मेरे कहने पर रेशमा ने अपने हाथ से अपनी चूत को साफ करने लगी और फिर अपनी हथेली को मेरी मुंह के पास लाकर सोनी को देखने लगी।
मैंने उसके हाथ को चाटा और चटखारे लेकर बोला- रेशमा वाकयी बड़ा साल्टी-साल्टी है तुम्हारा। अब तुम पीछे जाओ और सोनी अब तुम आगे आओ। रेशमा ने मुझे बोतल पकड़ा दी और पीछे चली गयी और सोनी आगे आ गयी, सोनी भी थोड़ा आगे होकर उकड़ू हुयी और बोतल चूत के पास ले गयी और मूतने लगी।
फिर वो भी वही काम करने जा रही थी, मतलब अपने शर्ट से चूत पौंछ रही थी. पर मैंने उसका हाथ पकड़ा, उसने मेरी तरफ देखा तो मैं मुस्कुराते हुए अपने हाथ से उसकी चूत को साफ करने के बाद अपनी हथेली को चाटने लगा और सोनी की तरफ देखते हुए बोला- सोनी, तुम्हारी तो उस दिन से भी ज्यादा मजेदार है।
अब उसी बोतल में मूतने की मेरी बारी थी, मैंने सोनी की तरफ देखते हुए कहा- तुम बोतल मेरे लंड के पास कर दो और मेरे लंड को पकड़ लो, मैं भी मूत लूं। सोनी ने मेरे लंड को पकड़ा और बोतल का मुंह मेरे सुपाड़े से सटा दिया। हांलाँकि मेरे लंड में हल्का तनाव आ चुका था, पर मैंने अपने पर काबू किया ताकि मुझे मूतने में कोई दिक्कत न हो. इधर रेशमा भी सीट के पास आ गयी और मुझे मूतते हुए देखने लगी।
मेरे मूत चुकने के बाद सोनी ने बोतल हटाई और अपने अंगूठे से मेरे सुपारे को पौंछा और फिर अंगूठे को फिर जीभ से टच किया- अरे वाह, आपका तो नमकीन है। “हाँ… तो तुम्हारा कौन सा मीठा था? वो भी नमकीन था।”
ठीक इसी बीच रेशमा ने भी अपने उंगली को मेरे सुपारे में टच की और फिर अपनी उंगली चाटने लगी, उसके बाद मुंह बना कर पच-पच करने लगी। “बड़ा अजीब सा लग रहा है।” वो बोली। मैं उसकी बात सुन कर मुस्कुराते हुए उससे बोला- रेशमा, जब मेरे सुपारे को चाटोगी तो और मजा आयेगा।
तभी सोनी बोली- वो तो ठीक है, अब इस बोतल का क्या करूँ? “करना क्या है, पेप्सी समझ कर इसको भी पी लो।” “धत…” “अरे यार, तुम न सही, कोई और पी लेगा!” मैंने गाड़ी किनारे लगाते हुए कहा। मेरी बात को समझते हुए सोनी ने गेट खोलकर बोतल को बाहर रख दिया।
मैंने गाड़ी आगे बढ़ाते हुए रेशमा को देखते हुए कहा- तुमने कभी लंड चुसाई की है? “नहीं, बस अपनी चूत में उंगली तब तक करती रहती थी, जब तक मैं शांत न हो जाऊँ और जब पानी निकल जाता था तो मैं शांत हो जाती थी। बस इतना ही किया है, लंड तो हमारे लिये दूर की बात थी।” “तो फिर आज तुम्हारे पास लंड चूसने का मौका भी है।”
सोनी भी मेरा साथ देते हुए बोली- हाँ रेशमा, शरद का लंड चूसो, बहुत मजा आयेगा! इतना कहकर सोनी एक बार पीछे की सीट पर जाने लगी, इसी बीच मैंने उसके चूतड़ों को सहला दिया।
रेशमा अब आगे आ चुकी थी। कहानी जारी रहेगी. दोस्तो, मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है? मेल के माध्यम से मुझे अपने विचार बतायें। धन्यवाद आपका अपना शरद सक्सेना [email protected] [email protected]
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