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मेरा नाम मेघा सिंह है, मेरी उम्र 38 साल है, मैं दिखने में सेक्सी हूँ, मेरे बूब्स बहुत टाइट हैं, मेरी चूत भी टाइट है, कमर गदराई हुई है। यह मेरी रियल इंडियन इन्सेस्ट स्टोरी है जो सीतापुर की घटना है।
मेरी शादी को 16 साल हो गए पर अभी मुझे कोई बच्चा नहीं है। मेरे पति की कपड़ों की दुकान है. अब तो मेरे पति बहुत कम ही मुझे चोदते हैं। मेरी बहन की बेटी बचपन से हमारे यहाँ ही रहती थी। काफी साल पहले एक दिन अचानक मेरी बहन की एक्सीडेंट में मौत हो गयी थी लेकिन मेरे बहनोई जी ने मेरी बहन की औत के कुछ महीने बाद नई बीवी ले आये थे. इसलिए अपनी मृत बहन की बेटी को हमने खुद पाल लिया था। अब उसकी उम्र शादी की हो गयी, उसका नाम रचना है, वो 22 साल की हो गयी। हम लोग लड़का ढूँढने में लगे थे लेकिन कोई ढंग का लड़का मिल नहीं रहा था। कुछ दिनों बाद एक लड़का मिला पर उसकी उम्र 32 साल थी।
लड़के की उम्र ज्यादा थी इसलिए मुझको इस रिश्ते में हिचक हो रही थी लेकिन लड़के का घरबार नौकरी वगैरा ठीक थी तो मैंने रचना बेटी को समझाया कि लड़का सरकारी नौकर है, तू शादी कर ले। वो भी मान गयी और हमने सामान्य ढंग से रचना की शादी कर दी।
रचना के जाने के बाद मुझे घर में बहुत अकेलापन लगने लगा। फिर जैसे तैसे दो महीने बीत गए। एक दिन बेटी जमाई घर आये। सर्दी का मौसम था, मैंने उनको खाना खिलाया और लेटने के लिए बिस्तर सजाया।
जमाई जी की नजर मुझे कुछ ठीक नहीं लगी, उनकी नजर मेरी छाती यानि मेरी चूचियों पर थी। मेरी चूचियां बड़ी और उठी हुई हैं शायद इसलिए भी कि मेरी बेटी रचना की चूचियाँ इतनी नहीं थी।
बीच रात में रचना बेटी उठ कर मेरे पास आ कर लेट गई. मैं बोली- ये क्या किया? जमाई जी को अकेला छोड़ दिया? वो बोली- मौसी मां, मुझे यहीं सोना है।
मैंने अपने पति से कहा- आप लेट जाओ वहाँ जमाई जी के साथ! वो अकेले हैं, रचना बेटी को यहीं सोने दो। रचना बोली- मौसी मां, आप चली जाओ उनके पास… वो कह रहे थे कि आपसे कुछ बात भी करनी है. मुझे अजीब सा लगा… रात को क्या बात करनी होगी जमाई जी ने मुझसे? मैंने रचना से पूछा- क्या बात करनी है जमाई जी ने? वो बोली- आप जाकर खुद पूछ लो ना!
मुझे काफी अजीब लग रह था मगर फिर भी बेटी की खातिर मैं उनके कमरे में चली गई. वहां पहुँची तो जमाई जी रजाई में थे। मैंने कहा- रचना बेटी मेरे पास आकर बोली कि वो वहाँ लेटेगी, तो वो वहां लेट गई. जमाई जी बोले- हाँ, मैंने ही उसे जाने को कहा था, मुझे आपसे कुछ बात करनी है।
मैंने बेड में बैठ गयी, कहा- बताइये? वो बोले- आपको सर्दी लग जायेगी, आप रजाई में लेट जाइये। मैंने एक पल को सोचा फिर मैं जमाई जी की रजाई में ही लेट गयी।
वो मेरी तरफ मुँह कर के बोले- सासु जी, आपको पता है कि आपकी बेटी मुझे खुश नहीं रखती है। मैंने कहा- क्या मतलब? वो अचानक से मेरे करीब आकर अपनी एक टांग मेरे टाँगों पर रख कर बोला- वो मेरा ले नहीं पाती है। मैं समझ गयी कि वो क्या कह रहा था, मैं एकदम हैरान भी थी कि ये कैसे खुली बात कर रहे हैं, फिर भी मैं बोली- तो धीरे धीरे लेने लगेगी। वो बोला- दो महीनों में सिर्फ 3 बार लिया है उसने… वो भी ठीक से नहीं।
बातें करते करते जमाई जी अपने हाथ को मेरी कमर पर फिराने लगे। मैं भी गर्म होने लगी थी, मैंने कहा- तो जमाई जी, इसका कोई उपाय? वो बोले- मेरा आप ले लो। मैंने कहा- ये क्या बोल रहे हो? वो बोले- तो मैं क्या करूँ? वो नर्वस हो गये, बोले- मैंने अभी तक ढंग से सुहागरात भी नहीं मनायी है।
उनका हाथ मेरी गदरायी कमर पर था मुझे अच्छा लग रहा था। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और बोले- आज रात तुम सास नहीं मेरी बीवी हो! और मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसने लगे। मैं एकदम से घबरा गयी, मैंने खुद को जमाई जी से छुड़वाया और बोली- जमाई जी, आप ये क्या कर रहे हैं, आपको ये करना शोभा नहीं देता. वो बोले- मुझे आपके साथ सुहागरात मनानी है। मैं बोली- होश में आओ जमाई जी… क्या बकवास कर रहे हो? वो बोले- सासू जी, मैं होश में ही हूँ. अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मजबूरन मुझे रचना को छोड़ना पडेगा. वो सेक्स में मेरा साथ नहीं देती.
जमाई जी बात करते करते मेरी जांघों पर हाथ ले आये थे और सहलाने लगे थे. मेरी कामुकता भी अब सर उठाने लगी थी. लेकिन रिश्ते की नजाकत को समझते हुए मैं दुविधा में पड़ गयी थी. एक तरफ तो मेरी इज्जत और सास के रुतबे का ख्याल आ रहा था, दूसरी तरफ मुझे मेरी बेटी के भविष्य की चिंता भी हो रही थी. इतनी मुश्किल से ये रिश्ता मिला था, अब अगर कहीं छोड़ छुड़ाव हो गया तो इज्जत भी जायेगी और बेटी का बोझ भी हमारे सर पर आ जाएगा.
ये सब सोच कर कि अब मेरी चूत को लंड मिलने वाला है, मेरी वासना जागने लगी थी. मैंने सोचा कि अगर जमाई जी को सुहागरात का मजा देना है तो पूरी तरह से क्यों ना दिया जाए. मैंने जमाई जी से बोला-आप ज़रा रुकिये, मैं अभी आती हूँ। जमाई जी कुछ नहीं बोले!
मैं दूसरे कमरे में गयी जो खाली था। वहां पहले अपनी चूत के बाल साफ किये, बाथरूम गयी, पहले पेशाब किया, फिर चूत और गांड अच्छे से धोई और अपने शरीर पर खुशबूदार पाऊडर लगाया। फिर गुलाबी साड़ी और टाइट ब्रा, ब्लाउज पहनी, गहरी लिपस्टिक लगायी, थोड़ा मेकअप किया। तब अपनी शादी के जेवर भी पहने, नथ भी लगायी।
फिर चुपके से मैं जमाई जी के कमरे में गयी. जमाई जी मुझे सजी संवरी देख कर हिल गये और मुझे दुल्हन की तरह पकड़ कर बिस्तर पर लिटाया और बड़े आराम से मेरे होंठों की लाली चूसने लगे. फिर धीरे धीरे मेरे जेवर उतारने लगे और नथ छोड़ कर सब उतार दिया।
अब मेरी बेटी के पति ने मेरी साड़ी भी उतार दी. मैं उठ कर मेरी पिंक ब्लाऊज और पेटीकोट में शीशे के सामने खड़ी हुई, जमाई जी मेरे पीछे आकर खड़े हो गए, पीछे से मेरी बालों को खोल कर मेरे ब्लाऊज के ऊपर से मेरी चूचियों को मसलने लगे. मैं आआह सिसस्स उम्म आआआ… कर रही थी। वे धीरे धीरे मेरी गर्दन को किस करते हुए पीछे से मेरे एक एक ब्लाऊज के हुक को खोल रहे थे। मेरे जमाई जी ने मेरा ब्लाउज उतार दिया, फिर उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया. कसी ब्रा में भींच कर मेरी चूचियां एकदम लाल हो गयी थीं.
तभी दामाद जी ने मेरे पेटीकोट के नाड़े को भी खींच दिया. मैंने पैंटी नहीं पहनी थी तो मेरी चूत नंगी सामने आ गई जिसे जमाई जी शीशे में देख रहे थे. वो मेरी चूत पर अपने हाथ से सहलाने लगे।
अब नजारा यह था कि मैं अपनी बेटी के पति के सामने नंगी खड़ी थी, मेरे शरीर पर नथ सिर्फ एक थी जिससे मैं दुल्हन लग रही थी।
अब जमाई जी अपने कपड़े उतारने लगे। जब उन्होंने अपनी चड्डी उतारी तो मैंने देखा कि उनका लंड एकदम काले नाग जैसा लंबा मोटा था। मैंने उसके लंड को पकड़ा तो वो रॉड जैसा सख्त था। मैंने कामुकता के आवेश में एकदम कहा- जमाई राजा जी, आज तुम मेरी चूत को फाड़ दो।
उन्होंने भी जोश में मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगे. मेरे मुंह से निकलने लगा- आआह जमाई… जी… आआह… उमआआआ… वो भी बोले- हां हां… सासु… जी… बोलो ना? मैं बोली- धीरे… आउच… धीरे… पियो ना… मेरे बूब्स को! वो भी अपने दांतों में मेरे निप्पलों को दबा रहे थे।
फिर वो मेरी नाभि के ऊपर जुबान फिराने लगे, मैं मचलने लगी. फिर उन्होंने मेरी चूत पर अपनी जुबान टिका दी और सपर… सपर… मेरी चूत को चाटने लगे! मैं सिसकारियां लेने लगी- आआह… शजज्ज… उमसस्स… चाट लो… मेरी… चूत का आआआ… रस स्स्साह! एक चिल्लाहट के साथ मैंने अपनी चूत के पानी को छोड़ दिया, मेरे जमाई जी अपनी सास की चूत के अमृत को पीने लगे.
मैं चित होकर पड़ी थी।
कुछ देर वो मुझे किस करने के बाद बोले- अब आपकी नथ भी उतार दूँ सासु जी? मैंने कहा- क्यों नहीं… उतार दो मेरी नथ जमाई जी… कर लो अपनी हसरत पूरी!
फिर उन्होंने मेरी दोनों टाँगों को हवा में करके मेरी चूत को खोल दिया, फिर अपने लंड को उसमें धांसने लगे. चूत गीली होने की वजह से उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया। मैं उछल गयी- आआह… रे…फाड़… ड़ी! वे फच्च फच्च… मुझे चोदने लगे, मैं रंडी की तरह उनके हर ढ़क्के का जवाब अपनी कमर से देने लगी- सस्स्स… पट…पट… हाआआ…चोदो कुत्ते अपनी कुतिया को! वो भी मुझे गाली देने लगे, बोले- ले रंडी… चुद ले… बहुत गर्म चूत है तेरी !
कुछ देर में ही मैं एक बार और झड़ गयी। पर वो मुझे चोदे जा रहे थे. मैं बेहोश सी हुई जा रही थी।
फिर वो ‘आआह हम्म… की आवाज के साथ मेरी चूत में अपने वीर्य को डालने लले और मेरे ऊपर ही गिर गये.
थोड़ी देर में मैं ऐसे ही सो गई।
जब सुबह मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि जमाई जी मेरी बगलमे नागे पड़े सो रहे थे. मुझे बड़ी लाज आई, मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आई। फिर नहाने धोने लगी.
कुछ देर बाद सब जग गये और रोज की भांति दिनचर्या शुरू हो गई. मैंने सबको नाश्ता करवाया, मेरे पति अपनी दूकान पर चले गए तो जमाई जी मुझे चुपके से बोले- सासू जी, जाने से पहले एक बार और? मैं मुस्कुरा दी।
मैंने अपनी बेटी रचना को दिन में उसकी सहेली से मिल कर आने को कहा तो वो अपनी सहेली के यहाँ चली गयी।
अब मैं और जमाई जी अकेले थे। उन्होंने मुझे आँगन में ही पकड़ लिया और मेरे ब्लाऊज को खोलने लगे. मैंने भी बड़े प्यार से उनके कपड़े उतारने शुरू किये. उन्होंने मुझे आंगन में ही पूरी नंगी कर दिया। मैं बैडरूम की तरफ नंगी ही भागी, वो मेरे पीछे पीछे आ गए।
उन्होंने मुझे बेड पर गिरा दिया और मेरी चूचियां चूसने लगे. मैंने उनसे कहा- जमाई जी, ज्यादा टाइम मत खराब करो, बस चोद दो जल्दी से! वो मेरे ऊपर लेट गये, हम दोनों के गर्म जिस्म आपस में चिपके थे।
फिर उन्होंने अपने लंड को बड़े प्यार से मेरी चूत में डाला, धीरे धीरे धक्के देने लगे, मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैं अपने होंठों को अपने दांतों से काट रही थी। मेरे मुंह से निकल रहा था- आआह… उआआ… फच्च… फच्च… और तेज चोदो… हाआआ… सिसस्स… मैं गयीईय्य्य्य… आआआह…
थोड़ी देर में मेरी चूत बहने लगी, वो मेरी गीली चूत में पट पट की आवाज से मुझे चोद रहे थे. कुछ देर बाद वो भी ‘आआह…’ की आवाज के साथ मेरी चूत में झड़ गये और मेरे ऊपर ही गिर गये। हम दोनों लेट गए। फिर मैंने उठ कर अपने कपड़े पहने.
जमाई जी सो गए. नींद तो मुझे भी आ रही थी, एक तो पूरी रात सो नहीं पाई थी चुदाई के कारण, फिर चुदाई के बाद नींद भी जोरदार आती है.
कुछ देर बाद जमाई जी उठे, मुझे बातें करने लगे।
फिर मेरी बेटी भी आ गई। मैंने खाना बना कर खिलाया. दोपहर के तीन बजे मेरी बेटी बोली- अच्छा मौसी माँ, अब हम लोग चलते हैं. मैंने कहा- ठीक है।
बेटी तैयार होने कमरे में गयी। तभी जमाई जी में मेरी दोनों चूचियों को दबाते हुए बोले- सासू जी, आपको तो और चोदना है। मैंने कहा- ठीक है, मैं आपके यहाँ आऊँगी।
फिर वो लोग चले गए।
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