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यदा यदा ही चूतस्य… काम रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्वप्रथम मैं सभी काम की देवियों यानि सभी स्त्रियों को नमन करता हूँ। मैं उनसे अनुग्रह करता हूँ कि वह हम भक्तों का लिंग रूपी प्रसाद ग्रहण करें और हम भक्तजनों पर वक्ष और योनि रूपी आशीर्वाद की बरसात करती रहें।
मैं आप सभी को अपना परिचय दे दूँ। मैं आरव सेन… साढ़े उन्नीस साल का लड़का हूँ। मैं बिहार के भागलपुर का रहने वाला हूँ और पटना में रह कर यहीं के एक प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेज से सिविल इंजनीयरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ। देखने में औसत हूँ… उतना बुरा भी नहीं हूँ। मेरा लंड भी अच्छे साइज़ का ही है। अब आप लोग सोच रहे होंगे कि आखिर इस बंदे में अच्छा क्या है। खैर… इन बातों को छोड़िए… ये सभी तो ईश्वर की कृपा से है। मैं आपको बता दूँ कि मैं बास्केटबॉल का बहुत अच्छा खिलाड़ी हूँ। मैं रीजनल लेवल पर भी दो बार बास्केटबॉल खेल चुका हूँ… तो मेरी स्टेमिना बहुत अच्छी है… जो कि मेरी खुद की मेहनत से है।
मैं अन्तर्वासना का विगत कई वर्षों से नियमित पाठक हूँ और इसकी लगभग सभी हॉट कहानियों को पढ़ चुका हूँ और उन कहानियों का आनन्द भी खूब उठाया है। मैं कहानियों को पढ़ते हुए कल्पनाओं के सागर में डूब जाता हूँ और डुबकियाँ लगाता रहता हूँ… और मेरी तंद्रा तभी टूटती है… जब मेरे लिंग से वीर्य की बाढ़ निकल आती है।
यह सब तो मेरे बारे में छोटा सा परिचय था।
अन्तर्वासना पर कई बेहतरीन लेखक हैं जिन्होंने अपने लेखन से इस साईट को हर जगह में लोकप्रिय किया है। यह मेरी प्रथम कहानी है… तो पाठकों से अनुरोध है कि आप त्रुटियों पर ध्यान ना देते हुए कहानी का आनन्द लें। यह एक काल्पनिक कहानी है और इसमें मैंने उत्तेजक बनाने के लिए उन शब्दों का प्रयोग भी किया है… जिसे हमारे समाज में वर्जित माना गया है। तो अब देर ना कर न करते हुए मैं अब कहानी की शुरुआत करता हूँ।
मैं नए साल के शुभ अवसर पर अपने घर जाने के लिए निकला। आप सभी जानते हैं कि जनवरी में ठण्ड होती है… तो मैं अपना काला सूट… सफ़ेद शर्ट… ब्लैक पैंट और एक्शन के ब्लैक शू पहन कर निकल पड़ा।
मैं अपने घर भागलपुर ट्रेन से जाता हूँ। तो मैं नियत समय से एक घंटे पहले स्टेशन पहुँच गया। टिकट कटाई और प्लेटफार्म में प्रवेश कर गया। मेरी ट्रेन शाम को 6 बजे थी। तो मैं प्लेटफार्म पर टहलने लगा। मैंने सोचा कि कुछ चूत और दूध दर्शन आदि कर लिए जाएं।
पटना का प्लेटफॉर्म बहुत बड़ा है… मेरी नजरें चूत को खोजने लगीं। प्लेटफार्म पर बहुत सारी चूतें थीं। कोई जीन्स में अपनी गाण्ड हिला रही थी… कोई सलवार सूट में… तो कोई साड़ी में… हर जगह चूत ही चूत का मंजर था।
मैं ऊपर से ही सभी के साथ नेत्र चोदन करने लगा। मुझे भाभियाँ यानि साड़ी वाली लड़कियां ज्यादा पसंद आती हैं। साड़ी में लड़कियां और भी सेक्सी लगने लगती हैं। मैं अपनी पसंद की चूत खोजने लगा। मैं प्लेटफार्म के एक सीट पर जा कर बैठ गया… जहाँ एक साड़ी पहने हुए एक औरत बैठी थी… मैं उसकी भीतरी बनावट का जायजा लेने लगा और आने-जाने वाली चूत का भी दर्शन करने लगा।
नियमित समय पर ट्रेन आई। मैं स्टूडेंट हूँ… तो किसी भी बोगी में चढ़ जाता हूँ। वैसे भी ये ट्रेन पटना से ही चलती थी और इसमें एक ही स्लीपर वाली बोगी थी जिसमें टीटी आता भी नहीं था और इस डिब्बे में जनरल आदमी भी कम ही बैठते थे और जो भी बैठते थे वो नेक्स्ट चार या पांच स्टेशन तक में उतर जाते थे। मैंने भी आपातकालीन खिड़की के पास जा कर अपनी जगह ले ली। ट्रेन चल पड़ी। ट्रेन के चलते ही मैं सबसे पहले बाथरूम गया और प्लेटफॉर्म वाली लड़कियों के नाम की मुठ्ठ मारी और वापिस अपनी जगह पर आ कर आराम से बैठ गया। सफ़र साढ़े पांच घंटे का था लेकिन ये बिहार है… तो कोई भरोसा नहीं है कि आप छः या सात घंटों में भी पहुँच पाएंगे या नहीं।
मैं निश्चिंत होकर अपने स्लीपर बर्थ के सामने वाले चार्जर पिन में चार्जर लगा कर आराम से बैठ कर अन्तर्वासना की कहानियों का आनन्द लेने लगा। अगले स्टेशन पर खिड़की से देखा कि एक औरत मेरे ही बोगी में चढ़ी। बस एक नजर देखा और फिर से अपने स्मार्टफोन में बिजी हो गया। लेकिन जिस चूत की किस्मत में चुदना लिखा हो… वो अपने आप ही उस लंड के पास चली ही जाती है। ऐसा ही कुछ उसके साथ भी हुआ था… वो सीधे आकर के मेरे सामने वाली सीट पर आ कर रुकी। मेरे सामने वाली सीट खाली भी थी और शायद मैं उसे सभ्य भी लगा था।
उसने अपना ट्रॉली बैग सीट के नीचे खिसकाया और मेरी सामने वाली सीट पर आ कर बैठ गई। अब मैंने उसे ध्यान से देखा तो अवाक् रह गया। वो करीब बाइस साल की शादीशुदा युवती थी। पांच फ़ीट तीन या चार इंच हाइट होगी। उसने सुआपंखी और सफ़ेद रंग की मिले-जुले रंग की साड़ी पहन रखी थी… जिसमें गुलाबी रंग का काम किया हुआ था और गुलाबी रंग का बॉर्डर भी था।
उसने साड़ी को नाभि से दो या तीन इंच नीचे बाँधा हुआ था। मैचिंग इयररिंग और नेकलेस… नीचे हाई हील की सैंडिल। ऊपर से पतली सी काले रंग का कार्डिगन डाल रखा था। गोरे चेहरे की रंगत ऐसी… मानो मक्खन में हल्का सिंदूर मिला दिया गया हो। आँखों में हल्का काजल… कमर तक लम्बे बाल… छरहरा बदन… उन्नत वक्ष। उसका चेहरा कुछ-कुछ हमारे ही फ़िल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्री इलियाना डिक्रूज की तरह मिलता था। कुल मिला कर मानो साक्षात स्वर्ग से अप्सरा का ही आगमन हो गया हो। उसके बारे में क्या लिखूँ… मुझे कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं।
तेरे हुस्न की तारीफ मेरी शायरी के बस की नहीं… तुझ जैसी कोई और कायनात में ही नहीं बनी… तेरा मुस्कुरा देना… जैसे पतझड़ में बहार आ जाए…
जो तुझे देख ले… वो तेरे हुस्न में ही खो जाए… आंखें तेरी जैसी समन्दर हों शराब का… पी के झूमता रहे कोई… नशा तेरे शबाब का… होंठ तेरे गुलाब के फूल से भी कोमल है…
मित्रो, एक तो मैं अन्तर्वासना की कहानियां पढ़-पढ़ कर वैसे भी गर्म हो चुका था और मेरे सामने हुस्न की मल्लिका विराजमान थी… तो मेरी हालत आप सभी समझ सकते हैं।
मेरा मन तो किया कि सीधे पकडूं और पटक कर चोद दूँ। साली थोड़ा चीखेगी… चिल्लाएगी… फिर थोड़ी देर बाद तो ‘आह… ऊह आह… ऊह्ह…’ करते रह जाएगी। लेकिन सहयात्रियों का भी डर था और भले ही यह मेरा प्रथम सहवास होने वाला था… लेकिन मेरा मानना है कि सहवास का आनन्द तभी है… जब दोनों की सहमति हो… अन्यथा आपको सहवास के उस परम सुख की अनुभूति नहीं मिल पाएगी।
खैर… मैं क्या कर सकता था… कुछ भी नहीं, मजबूरी में वापिस फ़ोन पर लग गया।
तभी उसकी आवाज आई- हैलो… मैंने कहा- जी? फिर उसने कहा- अगर आपको कोई कष्ट ना हो… तो क्या मैं आपका चार्जर यूज़ कर सकती हूँ… मेरी बैटरी लो हो गई है और मुझे भागलपुर तक जाना है… जाते- जाते रात हो जाएगी… फिर मैं फ़ोन करके किसी को बुला भी नहीं पाऊँगी। फिर मुझे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
मित्रो, उसकी क्या आवाज थी… हाय!
‘तेरी जुबान से निकले जो बोल… तो मानो कोयल भी शरमा जाए… तू जो अपनी जुबान से मर जाने को कहे तो मरने वाले को भी मरने का मजा आ जाए…’
मुझे क्या परेशानी हो सकती थी… वैसे भी मेरी बैटरी फुल चार्ज होने ही वाली थी… नहीं भी होती तो मैं दे देता… बात करने का मौका फिर मिलता भी नहीं… मैंने अपनी पिन निकाल कर उसके मोबाइल में लगा दी।
मैंने फौरन पूछा- आप भी भागलपुर ही जा रही हैं। उसने कहा- मैं भी मतलब? आप भी भागलपुर ही जा रहे हैं। मैंने कहा- जी… मैं भी वहीं का हूँ।
फिर तो बातचीत होनी शुरू हो गई। वो बहुत ही फ्रैंक थी। बातों बातों में उसने बताया कि उसकी शादी पटना में ही हुई है और उसका मायका भागलपुर है। उसके पति एयर फोर्स में थे… साल में दो बार आते थे, इस बार वो नहीं आए तो उसे अकेले मायके जाना पड़ रहा था। उसकी ससुराल में एक ननद थी… और सास थी।
उसने अचानक से पूछ लिया- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं। मेरी कोई थी भी नहीं… तो मैंने जवाब दिया- कोई भी नहीं है। तो उसने पूछा- बातें तो जनाब बड़ी अच्छी बना लेते हैं… फिर भी कोई नहीं। मैंने कहा- इस पर मैंने ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया और ज्यादा इंट्रेस्ट भी नहीं लिया… और ना मैं किसी भी टाइप का नशा करता हूँ।
तो उसने कहा- गर्लफ्रेंड में नशा वाली बात कहाँ से आ गई? मैंने कहा- मोहतरमा… लड़कियों से ज्यादा नशीली चीज आज तक दुनिया में बनी है क्या… जो एक बार इसको हाथ लगाया… वो इसी का हो गया। तो वो खिलखिला कर हंस पड़ी।
मैंने भी मौका देख कर एक शेर मार दिया। तेरी हंसी… तेरा लहजा… तेरे मासूम से अल्फ़ाज… क्या कहूँ बस… लाजवाब लगती हो!
पहले तो वो अचानक से चुप हो गई, फिर शर्म से उसका चेहरा गुलाबी रंगत पर आ गया। फिर से मैंने उसकी तारीफ़ एक शायरी कह दी।
उफ़्फ़ ये जुल्फें तेरी… हाय तेरा ये इतराना… जान कहीं ना ले जाए… तेरा ये शरमाना… थम जाए ये पल… यही दुआ है। खुदा से और क्या मांगे ये दीवाना।
अब शायद वो मुझसे थोड़ा इम्प्रेस हो गई थी, हम धीरे धीरे थोड़ा बहुत खुल भी गए थे। शाम के साथ बज गए थे, मैं बाथरूम जाने लगा… तो अपना फोन वहीं छोड़ कर चला गया।
थोड़ी देर बाद वापिस आया तो उसने हड़बड़ा कर मेरा फ़ोन अपनी जगह पर रख दिया।
अब मुझे क्या पता था कि वो मेरा फोन चेक करेगी। मेरे फ़ोन में चुदाई की क्लिप्स भी थीं और अन्तर्वासना की साईट खुली ही हुई थी। सैमसंग में तो टैब बटन क्लिक करने पर रीसेंट एप्प्स का पता चल ही जाता है। मैंने देखा फ़ोन गैलरी की चुदाई वाला फोल्डर खुला हुआ था।
मुझे थोड़ी शर्म आने लगी… पता नहीं अब मेरे बारे में क्या सोचेगी। अब मैं चुपचाप बैठ गया। तभी उसने मुझे छेड़ा- तो यही करते हैं जनाब… अकेले में? मैं चुप ही रह गया।
उसने फिर कहा- कोई बात नहीं… अब अकेले तो यही सब करोगे ना… कोई बुरी बात नहीं… सब कोई देखते हैं… अब तो आम बात है।
ठंड बढ़ गई थी और बाहर कुछ दिख भी नहीं रहा था… तो मैंने खिड़की बन्द कर दी और बगल वाली सीट्स की भी खिड़कियों को भी बन्द कर दिया। खिड़कियों को बन्द करते वक़्त देखा कि पूरी बोगी में नौ या दस यात्री ही बचे थे। वो भी उधर साइड में गेट के पास तीन महिलायें और चार या पांच पुरुष होंगे। वो भी लोकल ही लग रहे थे… डेली ड्यूटी वाले… जो वापिस जा रहे थे।
वैसे भी स्लीपर बोगी छोटी ही रहती है। मैंने इस साइड के दरवाजे को लॉक कर दिया। मैं वापिस अपने सीट पर गया तो देखा उसने कार्डिगन को निकाल कर टांग दिया था और अपने बैग से फर वाला कम्बल निकाल कर ओढ़ लिया था।
मैं सूट में था तो सूट में ऊपर खुला ही रहता है मुझे ठंड लगने लगी। शायद उसे इस बात का एहसास हो गया था, उसने मुझसे कहा- ठंड लग रही है तो मेरे पास कंबल में आ जाओ। मेरे मना करने पर उसने जबरदस्ती हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया।
लड़कियों का दिल सच में कितना दयालु होता है और वे तुरंत ही आप पर अपना हक़ भी समझने लगती हैं। मैंने भी ऊपर का कोट निकाल कर रख दिया। कंबल एक ही आदमी के लिये था और हम दो थे तो लाजमी है कि हमारे बदन आपस में स्पर्श होने लगे थे। उसने कार्डिगन उतार दिया था तो उसकी कमर का हिस्सा खुला ही था। और ब्लाउज पहनने की वजह से हाथ भी खुला ही था।
उसका बदन काफी कोमल था गुलाब की तरह… क्या सुखद एहसास था।
हम इधर उधर की बातें करने लगे, तभी उसने कहा- जरा देखूँ तो जनाब को किस तरह की वीडियो पसंद है। मैं उसका चेहरा देखने लगा। फिर उसने कहा- तुम देख सकते हो तो मैं क्यूँ नहीं देख सकती? मेरे पति तो हमेशा लाते हैं, हम दोनों साथ में ही देखते हैं। मुझे पसंद आएगी तो मैं भी अपने फ़ोन में ले लूंगी।
मैं क्या करता… देना पड़ा अपना फ़ोन! मैंने कहा- जो पसंद हैं, ले लो।
सारी की सारी क्सक्सक्स वीडियो एच डी में थी। मैं भी उसकी पसंद देखने लगा। उसे चूचियों को चुसवाने वाला, लंड चूसने वाला, और गोदी में उठा कर चोदने वाला कुछ ज्यादा ही पसंद था।
हम बात भी करते जा रहे थे और इयरफोन लगा के चुदाई की क्लिप्स भी देख रहे थे। तभी मैंने गौर किया कि उसकी आवाज थोड़ी लड़खड़ाने लगी थी। कंबल में मैं उसके बदन की गर्मी को बढ़ते हुए महसूस कर सकता था। उसकी आँखें गुलाबी रंगत की होने लगी थी। इंसान का शरीर एक निवास स्थल है जिसमें काम, क्रोध, वासना, प्यार, लालच सभी निवास करते हैं और जरूरत होने पर बाहर आ ही जाते हैं। चाहे आप कितनी भी कोशिश कर लो, आप इन्हें रोक नहीं सकते।
उसके साथ भी ऐसा ही हो रहा था, वासना उसके शरीर पर भारी पड़ रही थी, वो पूरी तरह से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी. हालात तो मेरे भी अच्छे नहीं थे, मेरे बगल में एक अतुलनीय सुंदरी चुदाई की क्सक्सक्स क्लिप्स देख रही थी तो मेरी हालत का अंदाज भी आप सभी कोई लगा सकते हैं।
मैंने उसकी आँखों में देखा तो यौन आमंत्रण साफ नज़र आ रहा था। मैंने भी थोड़ी हिम्मत जुटाई और कंबल के भीतर ही उसकी जांघों पर हाथ रख दिया। उसके होंठों से सिसकारी निकल पड़ी, वो सिर्फ सिसकारी ही नही, मेरे लिये आगे बढ़ने का संकेत भी था कि उसे मेरी इस हरकत पर गुस्सा नहीं बल्कि उत्तेजना का अनुभव हुआ था।
हॉट सेक्सी कहानी जारी रहेगी. [email protected]
कहानी का अगला भाग : ट्रेन में मिली शादीशुदा लड़की की कामवासना और चुदाई-2
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