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दोस्तो, मैं आकाश एक बार फिर आपके सामने अपनी एक और नई पोर्न कहानी लेकर हाजिर हूँ.
पहले तो मैं उन सभी का शुक्रगुजार हूँ जिनको मेरी कहानी पसंद आई और उन्होंने मुझे मेल किया, उन सबका दिल से धन्यवाद… अगर आप लोग ने मेरी कहानी ना भी पढ़ी हो तो कृपया उसे जरूर पढ़ें. चूत मेरे ही घर में थी
ये बात ज्यादा पुरानी नहीं है, इस बात को अभी कुछ 15 या 20 दिन हुए होंगे.
वैसे तो मैं कानपुर से हूँ लेकिन मैं लखनऊ अपनी चाची के घर जन्माष्टमी मनाने गया था. इतने नजदीक शहर में रहने के बावजूद इससे पहले मैं अपनी चाची से सिर्फ एक बार मिला था, लेकिन तब मैं बहुत छोटा था और मुझे तब कुछ भी सही से मालूम नहीं था.
आप लोग तो जानते ही हैं कि लखनऊ की औरतें कितनी सुन्दर होती हैं. चाची भी बड़ी सुन्दर हैं, उनका फिगर 34-24-32 का है.
ये बात तब की है, जब मैं लखनऊ में अपनी चाची के घर में था, उनके घर में तीन लोग हैं. चाची चाचा और उनका एक 15 साल का लड़का है. उनके पति यानि मेरे चाचा दिन में काम पर होते थे और उनका लड़का राहुल स्कूल चला जाता था.
चाची के लिए पहले तो मेरे मन में कुछ गलत ख्याल नहीं था. मगर एक दिन सबके जाने के बाद चाची ने मुझसे कहा कि आकाश मैं नहाने जा रही हूँ, तुम यहीं बैठो… फिर हम साथ में चाय पिएंगे. मैंने कहा- ठीक है चाची.
वो कुछ देर के बाद नहाने चली गईं. जब वो नहा चुकीं तो उन्होंने मुझे आवाज लगाई और कहा- आकाश बेटा जरा वहां मेरा टॉवल पड़ा होगा… दे देना, मैं भूल गई हूँ. मैंने कहा- जी चाची अभी लाया.
मैं टॉवल लेकर बाथरूम की तरफ गया और चाची को बाहर से बोला- ये लो चाची आपका टॉवल.
चाची ने दरवाजे के पीछे से ही हाथ बाहर करके टॉवल ले ली. मुझे सिर्फ उनके हाथ ही दिखे, लेकिन फिर भी मैंने कुछ गलत नहीं सोचा. मैंने मन में सोचा कि होता है कभी कभी.
फिर मैं वापस सोफे पर आकर बैठ गया और चाची का इन्तजार करने लगा. फिर कुछ देर बाद चाची बाथरूम से निकलीं. जब वो बाहर निकलीं तो मैं पागल ही हो गया. वो एक बहुत ही ज्यादा पारदर्शी नाईटी पहन कर आई थी, जिसमें से उनकी काले रंग की ब्रा और पैंटी साफ़ दिख रही थी. उनको देख कर मुझे मेरे पुराने दिन याद आ गए. मैं तो बिल्कुल मदांध और पागल जैसा ही हो गया. मैं बस लगातार उनको देखे ही जा रहा था. उन्होंने मुझे अपनी तरफ देखते हुए देख लिया.
चाची ने पूछा- आकाश बेटा, तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो? मैं- कुछ नहीं चाची, आज पहली बार मुझे पता चला है कि परियां स्वर्ग में ही नहीं, यहाँ धरती पर भी रहती हैं, जिनमें से एक आप हैं… आज आप बहुत सुन्दर लग रही हैं. कहां छुपा कर रखी थी आपने इतनी सुन्दर जवानी!
मेरे मुँह से ये सब बातें सुन कर चाची को शर्म आ गई और वो बिना कुछ बोले बस हल्की सी मुस्कराहट के साथ अपने कमरे में चली गईं. अब तो मेरा बुरा हाल हो गया, पहली बार मैंने अपनी चाची को वासना भरी नज़रों से देखा था. सच में वो बहुत खूबसूरत लग रही थीं. अब मेरे दिमाग में बस चाची ही चाची थीं, मैं अब सिर्फ उनको भोगना चाहता था.
फिर थोड़ी देर बाद चाची उसी नाइटी में आईं और उन्होंने पूछा- चाय पीनी है? मैंने हां कह दिया, फिर वो चाय बनाने चली गईं. थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे आवाज लगाई- आकाश बेटा, जरा यहाँ आना. मैं उनके पास गया तो वो बोलीं- बेटा, जरा वो डिब्बा उतार देना, काफी ऊपर है. मैंने कहा- ठीक है अभी उतार देता हूँ.
मैंने वो डिब्बा उतार कर उनको दे दिया. कुछ देर बाद चाची बोलीं- एक बात कहूँ आकाश बेटा? मैंने कहा- हां कहिए… ये पूछ क्यों रही हैं? उन्होंने कहा- क्या मैं सच में सुन्दर लग रही थी? मैंने कहा- और नहीं तो क्या… अगर चाचा आपको ऐसे देख लेते तो फिर… इतना कह कर मैं चुप हो गया और हँसने लगा. यह सुन कर चाची भी हँसने लगीं और बोलीं- हट बेशर्म…
फिर वहां से हम दोनों चाय लेकर रूम में आ गए और अपनी अपनी चाय पीने लगे.
चाची बोलीं- आज मैं बहुत थक गई हूँ… थोड़ी देर सोने जा रही हूँ. तुम भी अपने कमरे में जाकर आराम कर लो. मैंने कहा- ठीक है चाची.
मैं वहां से हट कर अपने रूम में आ गया और सोचने लगा कि अब क्या करूँ? मैं अकेला तो था ही तो दिमाग में आया कि चलो कुछ देर पोर्न ही देख लूँ.
बस मैं पोर्न देखने लगा और कुछ ही देर में मैं बहुत गर्म हो गया और बाथरूम में मुठ मारने चला गया. इस वक्त मैं मुठ मारते हुए बस चाची को ही सोच रहा था. मुझे चाची की चूचियां याद करके मुठ मारने में बहुत मजा भी आ रहा था. मैं पूरा नंगा था, मैंने सोचा झड़ने के बाद नहा भी लूँगा. मैं मुठ मारने में इतना खो गया कि मुझे पता ही नहीं चला मेरा पैर नीचे पड़े साबुन पर पड़ गया और मैं फिसल कर गिर गया.
मैं बहुत तेज गिरा था जिससे मेरे चूतड़ों में काफी दर्द होने लगा और मैं बहुत जोर से चिल्ला भी दिया, जिसको सुनकर चाची भी जाग गईं. वे भाग कर बाथरूम के नजदीक आ गईं और दरवाजे के बाहर से ही बोलीं- आकाश क्या हुआ?
मैंने कहा- चाची मैं फिसल कर गिर गया बहुत दर्द हो रहा है. चाची बोलीं- दरवाजा खोलो, मैं अन्दर आ रही हूँ.
मैं किसी तरह उठा और टॉवल लपेटकर दरवाजा खोला और चाची के साथ कमरे में गया.
चाची ने कहा- कहाँ लगी है दिखाओ जरा? मैंने कहा- नहीं चाची मैं टॉवल नहीं हटा सकता. वो बोलीं- क्यों नहीं हटा सकते? मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है. चाची बोलीं- शरमा क्यों रहे हो? मैंने बचपन में भी तुमको पूरा नंगा देखा है. मैंने कहा- हां… लेकिन मैं अब बच्चा नहीं हूँ.
लेकिन चाची नहीं मानी तो मुझे तौलिया हटाना ही पड़ा. अब मेरा आधा खड़ा लंड चाची के सामने आ गया.
चाची मेरे लंड को बड़ी लालसा वासना से निहार कर बोलीं- सच में अब तुम बच्चे नहीं रहे… जवान हो गए हो. मैंने कुछ नहीं बोला और घूम कर लेट गया और चाची मेरा पिछवाड़ा देख कर बोलीं- तुमको तो ज्यादा लग गई है… तुम रुको, मैं डॉक्टर को बुलाती हूँ. मैंने कहा- नहीं चाची, मैं ठीक हूँ.
लेकिन चाची नहीं मानी और डॉक्टर को बुला दिया. उन्होंने कहा कि अब थोड़ी हिम्मत करके खड़े हो जाओ और लोअर पहन लो.
मैंने किसी तरह लोअर पहना और फिर बेड पर लेट गया. कुछ देर में डॉक्टर आ गया. सब कुछ देखने के बाद उसने कुछ दवाई लिखी और एक तेल भी लिखा और कहा कि इसको इस तेल से दिन में एक बार मालिश हल्के हाथों से कर देना इसकी हड्डी में चोट लगी है.
ये कह कर डॉक्टर अपनी फीस लेकर चला गया और मैं सो गया.
कुछ देर बाद चाची ने मुझे उठाया और चाय देकर बोलीं- मैं मार्किट से तुम्हारी दवाई ले आई हूँ. जल्दी से चाय पीकर अपना लोअर उतारो और लेट जाओ, मैं मालिश कर देती हूँ.
मैंने कहा- नहीं चाची रहने दो, मैं मालिश खुद से कर लूँगा.
वो नहीं मान रही थीं, लेकिन तभी उनका लड़का स्कूल से आ गया और बोला- मम्मी, क्या हुआ भैया को? तो चाची बोलीं- कुछ नहीं बेटा, तुम्हारे भैया को थोड़ी चोट लग गई है. आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ और टेबल पर खाना रखा है, खा लो और अपनी पढ़ाई करो. वो बोला- जी मम्मी. वो चला गया.
अब चाची का ध्यान मेरी तरफ गया और मुझे डांटते हुए बोलीं- तुमने अभी तक अपना लोअर नहीं उतारा.
मैंने ये सुन कर जल्दी से अपना लोअर उतार दिया और पीठ के बल लेट गया. अब चाची मेरे चूतड़ों की मालिश करने लगी थीं. उफ्फ… मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था तो मैंने सोचा क्यों न एक बार चाची को भी चोद भी लिया जाए. क्योंकि वो जिस प्यार से मेरी गांड की मालिश कर रही थीं, उससे मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. उनके छूने से मेरा लंड खड़ा होने लगा.
मैंने कहा- चाची, अब जरा मेरे पैर में भी मालिश कर दो.
मैं यह कह कर सीधा हो गया और मेरा लंड पूरा खड़ा हो कर छत की तरफ देखने लगा. अब चाची लगातार मेरे लंड को देखे ही जा रही थीं, शायद उनकी काम वासना जाग उठी थी.
मैंने कहा- क्या हुआ चाची? तो वो बोलीं- ये तो बहुत बड़ा है. मैंने कहा कि इसमें भी दर्द हो रहा है, थोड़ी इसकी भी मालिश कर दो न. तो चाची ने कहा- नहीं, पहले पैर की.
वो मेरे पैर की मालिश करने लगीं, वो मालिश करते करते मेरे लंड को बार बार देख रही थीं. मैंने सोचा क्यों न थोड़ा इनको भी गर्म किया जाए. मैं अपना एक हाथ अपने लंड पर ले गया और हल्के से मुठ मारने लगा. चाची ये देख रही थीं.
अब मैं हल्की हल्की आवाजें निकालने लगा- आअ आआह्ह्ह… प्लीज चाची इसकी भी मालिश कर दो न… ये बहुत दर्द कर रहा है. तो चाची बोलीं- ठीक है, लेकिन सिर्फ एक बार… मैं तो बहुत खुश हो गया और बोला- हां चाची, बिल्कुल लेकिन जल्दी करो प्लीज…
अब वो अपने हाथ मेरे पैर से हटा कर मेरे लंड पर ले आईं और हाथ में थोड़ा सा तेल लेकर मेरे लंड पर मसलने लगीं.
आह… मैं तो अब जैसे जन्नत में था, मेरी तो आँखें ही बंद होने लगीं और मुँह से हल्की हल्की आवाजें भी आने लगीं. मैंने कहा- आह चाची, बहुत अच्छा लग रहा है… थोड़ा तेज कीजिए ना… आह… थोड़ा तेज…
अब वो तेज तेज अपना हाथ ऊपर नीचे करने लगीं, जिसको मैं सह नहीं सका और झड़ गया. मेरा सारा वीर्य चाची के मुँह तक उछल कर चला गया. जिससे चाची को थोड़ा बुरा सा लगा और वो झल्ला कर बोलीं- ये क्या किया? मैंने कहा- सॉरी चाची मैं अपने आपको रोक नहीं पाया, मुझे माफ़ कर दो.
तो उन्होंने कहा कि चलो कोई बात नहीं लेकिन अब तो दर्द नहीं हो रहा ना! मैंने कहा- नहीं अभी तो नहीं हो रहा लेकिन जब होगा तो बता दूंगा. उन्होंने कहा- ठीक है लेकिन अभी मैं नहाने जा रही हूँ और तुम थोड़ी देर आराम करो. मैंने कहा- ठीक है चाची.
वो उठीं और अपनी साड़ी मेरे सामने ही उतार कर मेरे बाथरूम में जाने लगीं.
मैंने कहा- चाची एक बात कहूँ, बुरा मत मानना प्लीज! तो वो बोलीं- बताओ क्या बात है? मैंने कहा- क्या मैं आपको भी एक बार नंगी देख सकता हूँ… क्योंकि आपने मुझको नंगा देखा है तो मेरा भी हक़ बनता है ना! तो वो बोलीं- नहीं, ये नहीं हो सकता.
मैं कुछ देर तक जिद करता रहा और आखिर में मैं ही जीता.
चाची बोलीं- लेकिन ये बात किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए. मैंने कहा- मैं क्यों किसी से कहूँगा, मैं तो यहाँ से दो तीन दिन बाद चला जाऊंगा. उन्होंने कहा- ठीक है.
फिर वो मेरे सामने धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने लगीं, साड़ी तो चाची पहले ई उतार चुकी थी, उफ़… मैं तो मदहोश होता जा रहा था. फिर उन्होंने अपनी पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा और पैंटी में थीं और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था.
मैंने कहा- चाची जल्दी से ये भी उतार दो ना… अब इतना क्यों तड़पा रही हो? वो बोलीं- थोड़ा सबर करो… सब मिलेगा. मैंने कहा- देखो, मेरा क्या हाल हो गया है. मैंने अपने लंड की तरफ इशारा किया तो वो हँसने लगीं.
अब उन्होंने अपनी ब्रा को भी उतार दिया वाऊ आह… मेरे तो मुँह में पानी आ गया. मैं लगातार उनके बड़े बड़े मम्मे घूर रहा था. फिर उन्होंने इठलाते हुए अपनी पैंटी भी उतार दी. अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थीं.
वाह्ह… क्या चूत थी उनकी… एक भी बाल नहीं था उनकी चूत पर… मेरा तो मन हुआ कि मैं अभी चाची की चुत चाट लूँ.
मैंने उनसे कहा- वाह चाची आपकी चूत तो एकदम टाइट है, चाचा कुछ करते नहीं है क्या? उन्होंने कहा- अब कहां उनको टाइम मिलता है, दिन में वो ड्यूटी करते हैं और रात में आकर सो जाते हैं. कुछ हो नहीं पाता है. मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं… अब मैं हूँ ना… सब कुछ करूँगा. इस पर चाची हँसने लगीं.
मैंने कहा- चाची, देखो न मेरा लंड फिर दर्द होने लगा, एक बार और इसको चूस कर शांत करो न. वो बोलीं- अब मैंने जिम्मेदारी ली है तो पूरी तो करनी पड़ेगी.
फिर वो मेरे पास आईं और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. अब तो मेरा वासना से बुरा हाल होने लगा, मेरे मुँह से जोर जोर से आवाजें आने लगीं ‘आआह्ह्ह चाची आआह्ह्ह हय क्या चूसती हो… और जोर से चूसो और चूसो… और…’
मैंने इतना कहते ही उनके मम्मों को अपने हाथ में ले लिए और जोर जोर से दबाने लगा. उन्होंने भी कुछ नहीं कहा और मजा लेने लगीं. मैंने सोचा कि क्यों न आज पूरे मजे लिए जाएं. मैंने एक हाथ से उनके मम्मे दबाने जारी रखे और दूसरे हाथ से उनकी चूत को सहलाने लगा.
अब वो ओर जोर से मेरा लंड चूसने लगीं. मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में घुसा दी. उनकी चूत पूरी गीली हो गई थी.
अब मैंने चाची का सर ऊपर किया और उनके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए. वो मेरा जरा सा भी विरोध नहीं कर रही थीं बल्कि वो भी मस्त होकर मेरा साथ दे रही थीं.
मैं अभी भी अपने एक हाथ से उनकी चूची दबा रहा था और एक हाथ से उनकी चूत को सहला रहा था. इससे वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थीं. इसके बाद मैं धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैं उनके पेट से होते हुए उनकी नाभि को चाटने लगा.
वो और भी ज्यादा गर्म हो गईं और मादक आवाजें निकालने लगीं- आआह्ह्ह आअह आकाश क्या कर रहे हो… मुझे कुछ हो रहा है आह्ह ऊओह्ह्ह… मैं- चाची आज जो हो रहा है, हो जाने दो… मैं बहुत दिन से इस दिन का इन्तजार कर रहा था.
अब मैं और नीचे उनकी चूत तक आ गया और उनकी चूत को अपनी गीली जीभ से लप लप चाटने लगा. वो भी मजे से ‘आआह्ह्ह ओह्ह्ह ह्म्म्म…’ की आवाजें निकालने लगीं, मुझे भी अब बहुत मजा आ रहा था.
मैंने अब अपनी जीभ उनकी चूत के अन्दर डाल दी और उनके दाने को मसलने लगा, जो वो बर्दाश्त न कर पाईं और मेरे मुँह में झड़ गईं. मैं उनका सारा पानी पी गया.
इसके बाद हम लोग 69 पोजीशन में आ गए. अब वो मेरा लंड चूस रही थीं और मैं उनकी चूत चाट रहा था. ऐसे ही 15 मिनट तक चुसाई का मंजर चला.
अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने कहा- चाची अब मुझे आपको चोदना है. वो वासना से चुदासी सी बोलीं- अब पूछ मत… जो करना है जल्दी कर दे… अब मैं तेरी ही हूँ.
ये सुनते ही मैंने उनको अपने नीचे पटका और चाची से कहा- चाची कंडोम है क्या? वो बोलीं- देखो वहीं अलमारी में पड़ा होगा. मैंने अलमारी से कंडोम निकाला और चाची से कहा- एक बार लंड चूस कर इसको उस पर लगा दो.
चाची ने ऐसा ही किया.
अब मैंने चाची को नीचे लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया. मैंने एक हाथ से लंड पकड़ कर चाची के चूत में डाला. पहले तो चाची की चुत बहुत टाइट लगी, लेकिन दूसरी चोट में लंड घुसता चला गया. चाची भी हल्की सी कराहीं… उम्म्ह… अहह… हय… याह… और लंड लील लिया.
अब मैं चाची को धकापेल चोदने लगा. चाची को भी अब दर्द नहीं हो रहा था, वो भी मेरे साथ गांड उठा कर लंड के मजे कर रही थीं और मेरा साथ दे रही थीं. उनके मुँह से लगातार ‘आहह्ह्ह आहह ऊह्ह्ह आऔऊ आहह्ह…’ की आवाजें आ रही थीं.
मैंने कुछ देर बाद अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. अब मैं तेज तेज झटकों से चाची को चोदे जा रहा था.
‘आअ आआह्ह्ह… चाची आप तो बहुत कमाल की हो… क्या मस्त गद्देदार चूत है आपकी… आह… ले और ले…
ये कहते कहते मैं तेज तेज धक्के लगाते हुए चाची को चोदे जा रहा था. वो भी लगातार ‘और तेज… और तेज…’ बोले जा रही थीं.
मैं थोड़ा और तेज हो गया तो अब चाची झड़ने वाली हो गई थीं… उनकी थिरकन से मैं समझ गया कि चाची का काम बजने वाला है. उन्होंने मुझे जोर से पकड़ लिया और मुझसे तेज तेज चोदने को कहने लगीं. वो खुद भी नीचे से अपनी गांड को उछाल रही थीं.
कुछ देर बाद वो झड़ गईं. वो झड़ते समय एकदम अकड़ गईं और शांत हो गईं. लेकिन अभी मेरा लंड शांत नहीं हुआ था.
मैंने उनसे कहा- चाची अब जरा डॉगी स्टाइल में आ जाओ… मुझे पीछे से आपकी गांड मारनी है.
उन्होंने बिना कुछ कहे अपनी गांड मेरी तरफ कर दी और मैंने बिना देर किए उनकी गांड को अपने मुँह में भर लिया और चूत में उंगली करने लगा. चाची धीरे धीरे गर्म होने लगीं, तो मैंने उनकी गांड से अपना मुँह हटाया और एक ही झटके में अपना पूरा लंड डाल दिया.
वो इसके लिए तैयार नहीं थीं, वो चिल्ला पड़ीं. मैंने कहा- चिल्लाओ मत… कोई सुन लेगा.
वो अपना मुँह तकिए में दबा कर सर इधर उधर करने लगीं, लेकिन मैं नहीं रुका और लगातार धक्के लगाता रहा.
कुछ देर बाद उनका भी दर्द कुछ कम हो गया और वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं. ऐसे ही मैंने उनको काफी तक चोदा और उनको पूरी तरह से शांत कर दिया. इसके बाद चाची और मैं एक दूसरे से लिपट कर सो गए.
कुछ दिन बाद मैं अपने घर कानपुर आ गया. मैं वहां जितने दिन रहा उनको खूब चोदता रहा.
ये मेरी एकदम सच्ची चुदाई की कहानी है, आपको कैसी लगी मुझे मेल जरूर करें. मेरी मेल ID- [email protected] धन्यवाद. आपका दोस्त आकाश यादव
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