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मेरा नाम श्री है.. मेरी उम्र 22 साल है. मैं पुणे में हिजवाड़ी के पास वाले एक गाँव में रहता हूँ. मेरी यह चोदन कहानी है एक राजस्थानी भाभी की चूत चुदाई की. मेरी हाईट साढ़े पांच फुट की है. मेरा हथियार 6.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. इसा कहानी से पहले भी मेरी एक कहानी भाभी ने पूछा कि कोई लड़की फंसाई है या नहीं? प्रकाशित हो चुकी है
मैं एक छोटा सा फैमिली बिजनेस भी करता हूँ. मेरे घर में माँ, पापा, भाई हैं. मैं सबसे छोटा हूँ इसलिए मैं कुछ ज्यादा काम नहीं करता.. सिर्फ टाईमपास करता हूँ. जब कुछ भी काम नहीं रहता तो मैं मेरे दोस्त के घर में आंटियां देखने चला जाता हूँ. मेरे दोस्त का नाम संदीप है लेकिन मैं उसे सैंडी कह कर बुलाता हूँ. वो इधर एक किराये के घर में अपनी फैमिली के साथ रहता है. उसी घर का दूसरा भाग जो बिल्कुल वहीं बाजू में था, उसमें एक राजस्थान के रहने वाले भाभी और भैया रहते थे. भैया किराने की दुकान चलाते हैं.. जैसे सभी राजस्थानी भैया लोग चलाते हैं. दुकान घर से कुछ दूरी पर है. वो भैया ज्यादातर घर के बाहर ही रहते थे.
भाभी हाउस वाइफ थीं. उनका नाम सुषमा था.. वो घर का सारा काम खुद ही करती थीं. आप सब लोग जानते है कि मारवाड़ी भाबियां एकदम मस्त और स्लिम, बन ठन कर अपनी पारम्परिक ड्रेस में रहती हैं. वो भी वैसी ही थीं. भाभी का रंग एकदम गोरा था, मारवाड़ी लहंगा चुनरी पहन कर वो मस्त देसी माल दिखती थीं. भाभी के चूचे ज्यादा बड़े तो नहीं थे, पर उनके शरीर के अनुसार एकदम परफेक्ट थे. भाभी दिखने में एकदम सेक्सी आइटम लगती थीं. उनकी आँखों की चितवन हमेश ऐसी रहती थी, जैसे कह रही हों कि आओ और मुझे चोद दो. भाभी अपनी गांड मटका कर जब चलती थीं तो लगता था जैसे कोई अप्सरा चल रही हो.
उनका चलने का, कपड़े पहनने का, रहने का स्टाईल मुझे बहुत अच्छा लगता था. उनका फिगर 38-34-38 का था. उनको देख कर किसी का भी लंड उठ सकता था. उनकी आँखें भी एकदम नशीली थीं.
यह बात लगभग 4 महीने पहले की है. उस वक्त मार्च का महीना था. गरमी के दिन शुरू हो चुके थे. मैं ज्यादातर फ्री ही रहता था क्योंकि ज्यादा काम भाई देखता था. मैं सिर्फ सुबह जाकर काम करके घूमने निकलता और सैंडी के घर में जा बैठता. जब वो भाभी रहने आई थीं तो पहले मैंने उनको ठीक से देखा ही नहीं था. पहले मेरा ध्यान उनकी तरफ नहीं था, पर मेरे दोस्त ने बताया कि वो भाभी बहुत मस्त दिखती हैं.. चल उस पे लाईन मारते हैं. मैं बोला- नहीं रे तेरी वाली आंटी, घर के सामने ही रहती हैं.. ये अच्छा नहीं है. उनको पता चल सकता है. वो बोला- कुछ नहीं पता चलेगा. मैंने उसे बहुत समझाया, पर वो नहीं समझ सका. खैर अच्छा हुआ कि वो नहीं समझा, जिस वजह से मुझको भाभी चोदने को मिल सकी.
उसके घर में सब लोग काम पे जाते हैं. वो भी जाता था, लेकिन दो महीने से घर पर ही था. तो हुआ ऐसा कि हम लोगों ने भाभी को देखने का खेल चालू किया.
हम भाभी को देखने का प्रयास करते, पर भाभी नई नई आई थीं.. तो वो ज्यादातर घर के अन्दर ही रहती थीं. वो बहुत ही कम घर के बाहर निकलती थीं. हमको लाईन मारने का मौका कम ही मिलता, पर हम मारते जरूर.
यह बहुत दिनों तक चला, इसी बीच दोस्त को दूसरी आंटी मिलीं तो वो बोला इधर का कुछ नहीं हो सकता.. इस आंटी पर ट्राय करते हैं.
मैंने सोच लिया था कि आंटी से भाभी ज्यादा चोखा माल हैं, इन पर भी जादू चला कर रहूँगा.
एक दिन मैंने घर आते समय भाभी को स्माईल दे दी. भाभी ने देखा और चली गईं. शायद भाभी को पता चल गया था कि मुझे क्या चाहिए. तब से भाभी भी मुझे देखने लगीं. फिर मैं भी किधर कम था, मैं भी किसी न किसी बहाने से बात कर ही लेता. भाभी एकदम खुले स्वभाव की थीं.. इसलिए मैंने अपना नम्बर भाभी दे दिया और उनका भी ले लिया.
अब मेरी भाभी से रोज बात होने लगी. भाभी मेरे साथ खुलने लगीं.
एक दिन भाभी बोली- मैं किसी से इतनी जल्दी बातों में खुलती नहीं हूँ.. लेकिन तुमसे पता नहीं कैसे घुलमिल गई.. चलो अच्छा है तेरे जैसा दोस्त मिल गया. भाभी से बातों में बहुत दिन निकल गए फोन पर ही बात होती थी. पर ज्यादा नहीं होती थी. बातों बातों में एक दिन भाभी ने बताया कि उनकी शादी को दो साल हो गए हैं. मैं बोला- दो साल तो बहुत होते हैं.. फसल नहीं आई? तो भाभी समझ गईं और हंस कर बोलीं- भैया तो आते हैं, खाना खाते हैं.. और कुछ न करके ही सो जाते हैं.. मैं प्यासी की प्यासी ही रह जाती हूँ.
अब मतलब साफ़ हो चला था. फोन पर भी हमारी ये सेक्स की बातें होने लगी थीं.
एक दिन उन्होंने मुझे घर बुलाया और बातें होने लगीं. भाभी बोलते बोलते ही रोने लगीं फिर बाद मैं शांत हो गईं. मैंने बोला- भाभी सब ठीक हो जाएगा, आप फ़िक्र मत करो. मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और बोला- आपको मुझसे कुछ भी काम हो, तो बता देना.. हिचकना नहीं.
मैं बस भाभी से ये कह कर उनका हाथ सहलाता रहा. उस दिन इसके अतिरिक्त कुछ भी बात नहीं जमी.
अगले दिन मैं उनके घर गया तो वो एकदम खुश लग रही थीं. मैंने पूछा तो भाभी ने बताया कि तेरे भैया आज रात के लिए बाहर गए हैं, वो अब कल सुबह ही आएंगे.
मैंने कहा- अच्छा तो आज आपके दिमाग में वो ख्याल तो नहीं आ रहा है, जो मेरे दिमाग में तीन महीने से है? भाभी सीना उठाते हुए बोलीं- अगर तुम ‘वो..’ ख्याल का बोल रहे हो, तो तुम एकदम सही हो.. मैं भी तो वही चाहती हूँ. मैं बोला- ठीक है.. पर अभी तो सुबह के 10 बजे हैं, ये तो सब रात में करते हैं. भाभी बोलीं- रात होते होते तक तो मैं मर ही जाऊंगी. मैंने आपके लिए सब कुछ रेडी करके रखा है, खाना भी बनाया है. जल्दी से खाना खा लो फिर मुझे भी आपको खाना है. भाभी बहुत जिद कर रही थीं. भाभी के घर कूलर वगैरह नहीं था. और मुझे सैंडी को माल दिखाना था तो मैं ट्रिक खेली. मैं बोला- भाभी मैं कंडोम नहीं ला पाया हूँ और अभी गरमी भी बहुत है. मैं भी चाहता था कि आपको अभी चोद दूँ लेकिन गरमी के कारण ज्यादा शॉट नहीं मार पाते हैं, तो अभी कैसे होगा? भाभी सोचने लगीं. मैंने लोहा गरम देखते हुए चोट मारी और कहा- सैंडी के घर में कैसा रहेगा? भाभी बोलीं- उधर मुझे शरम आएगी. मैंने कहा- ठीक है.. आप रुको मैं कंडोम लाता हूं.
ऐसा बोल कर मैं कंडोम लेता हुए सैंडी के यहां गया, तो वो बोला- मेरा कूलर उनके घर ले जाओ, या नहीं तो हमारे यहां ही चुदाई कर लो, मुझे कोई तकलीफ नहीं है. उसने बताया कि दोनों घरों के बीच एक दरवाजा है उसको दोनों तरफ से खोल लो तो भाभी को इधर लाया जा सकता है. मैं बोला- ठीक है मैं भाभी को फिर से समझाता हूँ.
मैं भाभी को समझा के घर के बाहर चला गया. भाभी ने मस्ती में मुझे अन्दर बुला कर एक धौल मारी और बोलीं- मुझे बाद में उसके सामने जाने में शरम आएगी.. अभी तुम बैठो पहले कुछ खा लेते हैं. फिर मैं उनके साथ खाने को बैठा तो भाभी ने बहुत अच्छा खाना बनाया था. मैंने खाने की बहुत तारीफ़ की, वो बहुत खुश हो गई थीं.
जैसे ही हमारा खाना हुआ, हम सैंडी की तरफ के दूसरे रूम में आ गए. भाभी बोलीं- यहां कोई आएगा तो नहीं ना? मैं बोला- आप जब तक बस नहीं बोलोगी.. तब तक कोई भी नहीं आएगा.
मैंने दरवाजा बंद किया और उनके पास आ गया. वो तो चुदने के लिए एकदम तैयार बैठी थीं. एकांत पाते ही भाभी एकदम से तड़पती नागिन की तरह मुझ पे टूट पड़ीं. हम दोनों किस करने लगे. किस करते करते ही उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए. उनकी चुदाई की चाहत ने उन्हें इतना लाल कर दिया था कि क्या बताऊं दोस्तो.
मैंने भी उनकी लहंगा चुनरी उतारी और किस करता रहा. वो एकदम ही प्यासी थीं, बहुत ही उत्तेजित हो रही थीं.
मैंने उन्हें नीचे आने को कहा और मैं भी शुरू हो गया. मैंने भाभी का लहंगा चुनरी तो उतार दिया था, ब्लाउज नहीं उतारा था. फिर बाबी का ब्लाउज उतारा तो देखा उन्होंने ब्रा पहनी हुई थी. मैंने ब्रा का भी हुक खोल दिया, उनके दूध आजाद कर दिए और उनके मम्मों पर टूट पड़ा. मैं भाभी के मम्मों को लगातार चूस रहा था, दबा रहा था. साथ ही एक हाथ से उनकी चुदासी चुत को भी सहला रहा था. भाभी की चुत में से बहुत पानी आ रहा था.
भाभी मेरे सिर को अपने मम्मों में दबा रही थी. मेरा लंड कब का उठा हुआ था. मैंने ज्यादा ना तड़पाते हुए कंडोम लगाया और ऊपर से एक्स्ट्रा तेल लगा कर चुत के अन्दर डालने लगा. मेरा लंड मोटा था तो भाभी की चूत के अन्दर जा ही नहीं रहा था. शायद भाभी बहुत दिनों से चुदी ही नहीं थीं.
फिर मैं ज्यादा कोशिश करने लगा, लंड का सुपारा तो अन्दर चला गया, पर भाभि को बहुत दर्द महसूस होने लगा, भाभी तड़फते हुए बोलने लगीं- आह.. मर गई.. निकालो इसे.. बहुत दर्द हो रहा है. चूंकि मैंने भी गलती से जोर का झटका मारा था. मैं उनकी चिल्ल-पों से बहुत डर गया था. फिर भी मैं भाभी को किस करता रहा.
थोड़ी देर बाद उनका दर्द कम हुआ तो मैंने झटके तेज कर दिए. अब भाभी भी मेरे मोटे लंड के मजे ले रही थीं. उनको चोदते समय मैंने कहा- कैसा लग रहा है. भाभी कामुक सिसकारियां ले रही थीं.. बोलीं- ऐसा मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे साथ इतना अच्छा सेक्स होगा.. बहुत देर तक भाभी की चुत मारने के बाद मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ. भाभी बोलीं- मुझे रस पीना है.
मैंने लंड से कंडोम निकाला, भाभी ने एकदम से लंड को मुँह में ले लिया. मैंने भी उनका सिर लंड के ऊपर दबा कर उनके मुँह में लंड का रस छोड़ दिया. भाभी भी अब तक एक बार झड़ चुकी थीं.
फिर मैं भाभी की चुत की तरफ को हुआ तो देखा कि चूत एकदम लाल हो गई थी और उसमें से पानी आ रहा था. मैंने भाभी की चुत को चाटना शुरू किया. भाभी ने चूत पसार दी और बोलीं- बहुत अच्छा लग रहा है.. आह.. चाटो.. मेरे पति ने ऐसे कभी नहीं चूसी. मैं मस्ती में चूत चाटता रहा.
दस मिनट बाद वो बोलीं- मुझे भी तेरा लंड चूसना है.
हम दोनों 69 में हो गए. मेरे चूत चूसते चूसते वो एक बार और झड़ गईं. हवस की आग में भाभी का गोरा शरीर पूरा लाल हो गया था. सच में दोस्तो, उनके चेहरे पर बहुत खुशी दिख रही थी.
अब तक मेरा लंड फिर से उठ गया था तो मैं सीधा हो गया. उनके पैरों को फैला कर लंड को चुत पे सैट किया और झटके मारने लगा. भाभी बहुत गरम सिसकारियां ले रही थी- उफ़ं आंम्म.. आ़ हंम्म.. बहुत अच्छा लगे रहो.. और जोर से.. और जोर से करो.. आह.. आज मैं तुम्हारी हूँ.. आं आं.. पूरे कमरे में आवाजें गूँज रही थीं. चुत भी चिकनी हो गई थी. वो पूरे मजे ले रही थी.
ये दौर बहुत देर तक चला. भाभी को मैंने बहुत चोदा, इतना कि मैं जब दूसरी बार झड़ा तो भाभी के ऊपर ही गिर गया. भाभी भी अब तक 3 बार फारिग हो गई थीं.
अब मैं भाभी के ऊपर पड़ा हुए उनके दूध चूसता रहा. भाभी की संतुष्टि साफ साफ दिख रही थी. उनके चेहरे पर दुख भरी हंसी थी, आँखों से आंसू भी आ रहे थे. बहुत देर तक हम एक दूसरे की बांहों में पड़े रहे.
फिर मैं बोला- एक बार और रस निकालेंगे. भाभी बोलीं- नहीं अब रात को मेरे पास सोने ही आना, तब जितना रस चाहो निकाल लेना. मैं कुछ भी नहीं बोलूँगी मैंने कहा- मुझे फिर से भूख लगी है.
उन्होंने मुझे बड़े ही प्यार से जूस बनाया और पिलाया भी.
फिर मैं वहां से चला आया. उस रात को चोदने की गोली लेकर उनको बहुत चोदा.. पूरी रात में 5 बार चुदाई का मजा लिया. भाभी को घोड़ी बना कर भी चोदा.
इतनी जबरदस्त चुदाई हुई थी कि भाभी दूसरे दिन बीमार ही पड़ गई थीं. उस रात की चोदन कहानी आप सबको बाद में बताऊँगा.
मेरी भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताना. [email protected]
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