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हाय दोस्तो, मैं विशाल.. मेरी वासना से भरपूर पिछली चोदन कहानी किस्मत खुली चुत फटी आपने पढ़ी, आप सबके मेल मिले. कुछ अच्छे कुछ बुरे, जो भी हो अच्छा लगा इसलिए अपनी आगे की कहानी आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ.
पहले मैं अपने बारे में नये पाठकों को बता दूँ. मैं नागपुर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल की है, मैं थोड़ा रोमांटिक हूँ और मुझे शायरी का शौक है.
पापा की जॉब घर से दूर होने की वजह से हम कंपनी के मकान में शिफ्ट हो गए थे. हमारे ब्लाक में चार मकान थे, जिसमें दो खाली थे. कुछ महीने बाद हमारे बगल के मकान में एक अजय भैया रहने आ गए. बातचीत जान पहचान के बाद मुझे पता चला कि भैया की फैमिली एक महीने बाद आने वाली है. मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
मेरा कालेज सुबह नौ से शाम चार बजे तक रहता था. घर पहुँचने तक पांच बजते थे. एक दिन घर लौटा तब देखा कि घर में कोई मेहमान है. मैं घर में घुसा तो देखा एक खूबसूरत, गोरी-गोरी लड़की सोफा पे बैठी थी और दो बच्चे खेल रहे थे. मैं अपने रूम में गया और फ्रेश होके बाहर आकर बैठ गया.
तब मम्मी से पता चला कि ये अजय भैया की वाइफ सीमा (नाम बदला हुआ) भाबी हैं. मैं तो भाबी को देखते ही रह गया. वो कहीं से भी शादीशुदा नहीं लग रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो 22-23 साल की लड़की हैं. लेकिन सीमा भाबी की उम्र 28 थी. साथ ही उनके दो बच्चे, एक लड़की पांच साल की और लड़का तीन साल का है. सीमा भाबी ने खुद को बड़ा संवार कर रखा था. उनकी 32-28-32 की फिगर, सुनहरे बाल मोटी-मोटी आँखें, गोल चेहरा.. भाबी ऊपर से नीचे तक सुंदर थीं.
धीरे धीरे भाबी और मैं करीब आ गए. हमारे बीच हंसी मजाक होने लगा, कभी कभी हम दोनों डबल मीनिंग बातें भी कर लेते थे. भैया जॉब पे रहते थे. कभी भाबी को शॉपिंग के लिए जाना होता था तब भाबी मुझे ले जाती थीं.
मैं मानता हूँ, कोई भी लड़का या लड़की खुद को कितना भी शरीफ और सभ्य दिखाता होगा लेकिन वासना सभी के मन जन्म लेती है. ऐसा कोई नहीं जो अश्लील बातें सुन कर घर जाकर मजे से मुठ ना मारता हो. सेक्स की उत्तेजना, वासना जितनी लड़कों में होती है, उससे ज्यादा लड़कियों में होती है. लेकिन लड़कियां शर्म की वजह से अपने पार्टनर से बोल नहीं पाती है और अकेले में पोर्न, सेक्स स्टोरीज या हस्तमैथुन का सहारा लेती हैं.
मैं धन्यवाद करता हूँ, इस अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज वेबसाइट का, जो हमें हमारे अनुभव, विचार और वासना को व्यक्त करने का मौका देता है.
वैसी ही वासना मेरे अन्दर भी कूट कूट कर भरी पड़ी है.. जहाँ कोई अच्छा खूबसूरत माल दिख जाए, लंड खड़ा होकर चड्डी के नीचे की ओर से बाहर आने को बेकरार हो जाता है. ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ था, जब मैंने सीमा भाबी को देखा था. मैं भाबी को चोदने की ख्वाहिश दिल में लिए घूमता था. हमेशा सोचता रहता था भाबी को कब कैसे कहाँ चोदने का मौका मिलेगा.
मुझे भाबी बहुत अच्छी लगती थीं. भाबी को भी पता चल गया था कि मेरे नेक इरादे क्या हैं. भाबी भी तिरछी नजरों से मुझे नोटिस करती थीं.
धीरे धीरे वक्त बीतता चला गया, हम दोनों करीब आने लगे. जब भैया की नाईट शिफ्ट रहती थी, तब हम पूरी रात चैट करते थे. नार्मल चैट से सेक्स चैट कब शुरू हो जाती थी, पता ही नहीं चलता था. आग दोनों तरफ बराबरी में लग चुकी थी, लेकिन मौका ही नहीं मिल रहा था.
फिर एक दिन ऐसा आया कि मेरी फैमिली को किसी शादी में जाने का अवसर आया, वो भी तीन दिन के लिए. कालेज की वजह से पापा ने मुझे घर में रूकने को कहा, जो मैं चाहता ही था. साथ ही सोने पे सुहागा ऐसा हुआ कि अजय भैया की नाईट शिफ्ट भी चल रही थी. मम्मी ने सीमा भाबी को बोल दिया था कि मेरा लंच और डिनर संभाल लें.
अगले ही सुबह मम्मी पापा सब शादी में जाने को निकल पड़े. मैं भी कालेज के लिए निकल गया, लेकिन मेरे मन में कुछ अजीब सा चल रहा था. भाबी को कैसे काबू में लिया जाए. एक अलग ही कशमकश मेरे दिल में चल रही थी. इसके पहले चोदी तो बहुत सी लड़कियां थीं लेकिन पहली बार पड़ोसन को चोदने जा रहा था.
मैं कालेज से आया ही था कि भाबी नाश्ता ले आईं और मैंने भाबी की आँखों में एक अजीब सी चमक और आवाज में मिठास देखी. मेरे दिल में कई सवाल पैदा होने लगे कि क्या होगा आज?? मुझे खुशी भी थी और डर भी था. मैंने भी ठान लिया, जो होगा देखा जाएगा. बाहर तो कई कुंआ खोद चुका हूँ एक बार मोहल्ले में सही.
रात को साढ़े नौ बजे अजय भैया जॉब के लिए निकल गए. भैया के जाते ही भाबी और बच्चे मेरे घर में आ गए. भाबी पूछने लगीं- डिनर अभी करोगे या थोड़ी देर बाद. मैंने भी कह दिया- भाबी, आप जब दोगी तब ले लेंगे. भाबी ने प्यारी सी मुस्कान देते हुए कहा- ठीक है, मैं देने के लिए थोड़ी देर में बुलाती हूँ..
इतना कहते ही भाबी बच्चों को डांटते हुए घर ले गईं और कहने लगीं- जल्दी सो जाओ.. सुबह स्कूल जाना है. बस फिर क्या.. मैं भी समझ गया आज दोनों तरफ से खाना मिलेगा.
करीब ग्यारह बजे मेरे मोबाईल पर एक मैसेज आया, जो सीमा भाबी का था. ‘खाना रेडी है.. आ जाओ पीछे के गेट से..’
मैंने भी मेरे घर के लाईट ऑफ की और पीछे के दरवाजे बाहर निकल कर भाबी के घर पीछे के दरवाजे अन्दर घुस गया, जहाँ से किसी किस्म का डर नहीं था. मैंने अन्दर जाते ही दरवाजा बंद कर दिया. जिस रूम में से मैं अन्दर आया वहाँ बच्चे मजे से सो रहे थे. हाल में टीवी चल रही थी और किचन में भाबी खाना गर्म कर रही थीं.
मैं भाबी के पास जाकर खड़ा हो गया उनको देखने लगा.. क्योंकि जब मुझे खाने के बुलाने आई थीं, तब सलवार-कमीज में थीं और अब एक पतली सी नाईटी में गजब ढा रही थीं. कसम से नाईटी भाबी के जिस्म से चिपकी हुई थी और भाबी बहुत सेक्सी लग रही थीं. उनका एक एक अंग नुमाया हो रहा था. मेरा लंड सख्त लोहे जैसा रूप ले चुका था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाबी को पीछे से पकड़ लिया. अपने हाथ भाबी के पेट से होते हुए मम्मों पे ले गया और जोर से दबा दिए.
तभी भाबी ने मुझे जोर का धक्का मारा और मैं दीवार पे जा गिरा. भाबी ने मेरी तरफ नशीले अंदाज में देखा और कहा- पूरी रात बाकी है, पहले खाना तो खा लो. लेकिन खाने में मेरी रुचि थी ही नहीं.. मैं तो बस भाबी को देख रहा था. मेरा दिमाग खराब हुआ और मैंने भाबी को उठा कर दूसरे बेडरूम में बेड पर लाकर पटक दिया.
चूंकि चैट पर भाबी और मैं चुदाई के सभी आसन कर चुके थे. इसलिए भाबी का डर तो था नहीं. भाबी को बेड पर लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया. भाबी के दोनों हाथ मेरे हाथों में कैद थे और मैं चूम रहा था. कभी आंखों को, कभी गालों को, कभी होंठों को. बहुत मजा आ रहा था.
आप लोग समझ सकते हैं.. उन लम्हों को.. उस आनन्द को लफ़्ज़ों में बयां करना बहुत मुश्किल है.. फिर भी कोशिश कर रहा हूँ.
मैं भाबी को चूम रहा था, भाबी भी मेरा साथ दे रही थीं. कभी मेरी जीभ चूसतीं तो कभी मेरे होंठों को दांत में पकड़ कर खींचतीं, कभी मैं भाबी की जीभ चूसता तो कभी भाबी के होंठों को दांत से चबाता. मेरे पास चुदाई का बहुत अनुभव था, वही अनुभव मैं भाबी को देना चाहता था. मैंने धीरे-धीरे भाबी की नाईटी निकाल दी और मैं भी नंगा हो गया.
वाह्हहह.. क्या मस्त फिगर था.. गोरे गोरे बदन पर लाल ब्रा और पेंटी.. लड़कियों की ये अदा मुझे बहुत पसंद है. सेक्स के लिए अन्दर और बाहर दोनों तरह से हॉट सेक्सी बनकर आती हैं.
मैंने भाबी की पेंटी देखी, जो वासना के रस से थोड़ी भीग गई थी. फिर मैंने भाबी की ब्रा खोल दी और भाबी के मम्मे चूसने लगा. एक एक मम्मे को जी भर के चूसा, निपल्स भी दांत से चबाने लगा. भाबी के हाथ मेरे सर को अपने मम्मों पे दबा रहे थे. भाबी के मुँह से ‘आह्हह आह्हह..’ की आवाज बता रही थी कि भाबी पूरी गर्म हो चुकी हैं.
मैंने भाबी के दोनों मम्मों के ऊपर हाथ रखा और निप्पलों को उंगलियों के बीच में ऐसे फंसाया कि मैं एक साथ मम्मे और निप्पलों को दबा सकूं और साथ ही मैंने भाबी की गर्दन पर लव बाईट किए.
ऐसा करते ही भाबी ‘शह्हहह.. आहहह..’ चिल्लाईं और शांत हो गईं. मेरे इस क्रिया से भाबी की चुत बुरी तरह से भीग गई. तीनों काम एक साथ होने से भाबी की चुत लगातार पानी छोड़ रही थी.
भाबी को भी मजा आ रहा था, भाबी मेरी पीठ पर हाथ घुमा कर अपना मजा दर्शा रही थीं. सही कहूँ तो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मेरा लंड बहुत गरम और कड़क हो चुका था. मैं भाबी की चुत पे आ गया और पेंटी निकाल दी. चुत पर हल्के हल्के बाल थे जो जीरो वाट के बल्ब में भूरे भूरे से दिख रहे थे.. और वाह क्या चुत थी.. बिल्कुल गुलाबी.. मन किया कि अभी खा जाऊं.. आह सच में क्या रसीली गद्देदार फांकें थीं, जैसे मुझे चूसने के लिए बुला रही हों.
जैसे ही मैंने भाबी की चुत पर एक किस किया, भाबी मछली जैसे तड़पने लगीं. भाबी की चुत किसी ने कभी चाटी नहीं थी, जो भाबी के हाव भाव से पता चल रहा था. मैं भी जिद्दी था, इतनी रसीली चुत यूं ही छोड़ने वाला नहीं था.
मैं बेड के नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चुत को मुँह के सामने रखकर दोनों हाथों से भाबी की कमर पकड़ कर पूरा मुँह चुत पर रख दिया. भाबी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था. भाबी छूटने की पूरी कोशिश कर रही थीं, लेकिन मेरी पकड़ भी बहुत मजबूत थी.
भाबी ‘शहह आह्हहह..’ चिल्ला रही थीं.. और इधर उधर पलटने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन मैंने छोड़ा नहीं. मैंने मेरी जीभ चुत के अन्दर तक घुसाई, मेरी दाढ़ी चुत पर रगड़ने लगी. करीबन पांच मिनट में भाबी ने ढेर सारा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया और भाबी शांत हो कर पसीने से लथपथ बेड पर पड़ी रहीं.
मैं उठ कर भाबी के ऊपर की तरफ आ गया. भाबी मेरी आंखों में प्यार से देख रही थीं. मैंने पूछा- भाबी, मजा आया? तो भाबी ने मुझे किस करके गले लगा लिया.
मेरे लंड में से सफेद रस आ रहा और बहुत कड़क हो गया था. मैंने लंड भाबी के हाथ में दिया और चूसने को कहा, तो भाबी ने मना कर दिया. भाबी के मना करते ही मैं भाबी ऊपर से उतर कर साइड में सो गया. कुछ सेकंड बाद मुझे लंड पर भाबी का हाथ महसूस हुआ. भाबी ने मेरा लंड पकड़ा और गौर से देखने लगीं और देखते देखते लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं.
भाबी को लंड चूसना तो आता नहीं था. फिर भी मुझे मजा आया और दस मिनट में भाबी के मुँह में ही झड़ गया. भाबी और मैं पसीने से लथपथ लिपट कर बेड पर ही लेट गए. मानो जैसे दो जिस्म एक जान हों.
कुछ देर आराम करने के बाद भाबी फिर से मेरे लंड के साथ खेलने लगीं. मैं भी भाबी के जिस्म के साथ खेलने लगा. कभी भाबी के कान को दांत से खींचता, कभी गर्दन पर होंठ घुमाता, कभी भाबी की पीठ चूमता चाटता, भाबी की गांड दबाता चूमता चाटता.
जब मैंने मेरा अंगूठा गांड के छेद पर और उंगली चुत पर जोर से दबाया. तब भाबी के मुँह से जो मीठी ‘आह्ह..’ निकली.. वो सुनकर मेरा लंड सलामी देने लग गया.
हम दोनों गरम हो चुके थे लेकिन मैं भाबी को तड़पते हुए देखना चाहता इसलिए मैं चुत में उंगलियां करने लगा. चुत भी काफी टाईट थी. भाबी ने मुझे चैट में बताया था कि वो बहुत दिनों से चुदी नहीं हैं.
मेरी उंगली भाबी को तड़पा रही थी. भाबी बहुत गरम हो चुकी थीं. उनकी सिस्कारियां ‘आह्हहह आह्हहह उफ्फफफ उम्मममहह..’ की आवाजें मेरा जोश बढ़ा रही थीं. भाबी अपना सर बेड पर इधर उधर पटके जा रही थीं.
अब मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने लंड चुत पे रखा और रगड़ने लगा. भाबी की उत्तेजना बढ़ गई.
आखिर भाबी के मुँह से निकल ही गया-जल्दी चोद.. नहीं तो मर जाउंगी..
मैंने भी न आव देखा न ताव.. लंड चुत पर सैट करके, एक निप्पल मुँह में दांत के बीच में फंसाया और मेरे दोनों हाथों ने भाबी के हाथों को पकड़ा. मैं पूरा रेडी था.
जैसे मैंने बताया कि पहले शाट के साथ मैं निप्पल भी चबाने वाला था, जैसे मैंने निप्पल चबाते हुए पहला शाट मारा, भाबी की चीख निकल गई. मैं डर गया कहीं बच्चे न जाग जाएं. वैसे ही मैंने एक हाथ से भाबी का मुँह दबा दिया.
निप्पल दबा के शाट मारना मुझे बहुत पसंद है. मैंने नीचे देखा तो मेरा पूरा लंड अन्दर जा चुका था और चुत में से पानी बह रहा था. जब भाबी गांड उठाने लगीं तब मुझे समझ आ गया कि अब आगे बढ़ना चाहिये. मैंने लंड पूरा बाहर निकाला तो चुत में से ढेर सारा पानी भी बाहर आ गया. मैं समझ गया था कि भाबी पहले शाट में ही झड़ चुकी थीं. फिर भी मैंने चुदाई चालू रखी.
भाबी ‘आह्हह उम्मममम हम्ममम..’ करते हुए चुदती रहीं. कभी मैं भाबी के दोनों पैर कंधे पर रख के चोदता था.. तो कभी डॉगी बनाकर पेलता. हद तो तब हो गई, जब मैं भाबी को डॉगी बना कर चोद रहा था, मैंने एक उंगली गांड में डाल दी और भाबी चौंक कर बेड पर गिर गईं. धकापेल चुदाई के बाद मैंने सारा माल चुत में ही उतार दिया. काफी देर तक धकापेल हुई थी सो हम दोनों चिपक कर लेट गए. उसके बाद भी हमने बहुत चुदाई की. चुदाई में चार कब बज गए, पता ही नहीं चला. मैंने भाबी से जाने की इजाजत ली.
भाबी ने मुझे किस किया और कहा- अभी दो दिन और हैं अपने पास.
उन तीन दिनों में हमने बहुत चुदाई की. किचन, बाथरूम, बालकनी घर के हर कोने में चुदाई की.
मेरी यह वासना से परिपूर्ण चोदन कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके प्रतिक्रिया दें. [email protected]
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