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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम राहुल मुख़र्जी है, मेरी उम्र 22 साल की है. वैसे तो मेरा परिवार बंगाल से है मगर अब दिल्ली में स्थापित हो चुका है.
अपनी फ्री सेक्स स्टोरी के बारे में बताने से पहले मैं अपने और अपने परिवार के बारे में बताना चाहूँगा. मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरा भाई एक अरविंद, दो बहनें रिया (रेहाना) और शीना(शाहाना) हैं.
मम्मी पापा ने प्यार से दोनों बहनों का नाम रेहाना और शाहाना रखा था मगर अब वो अपने आप को रिया और शीना कहलवाना पसंद करती हैं. शीना मुझसे बड़ी और रिया मुझसे छोटी है. मेरी माताजी शादी से पहले दूसरे धर्म से थी, परदे बुर्के वाली थी, वो बहुत पुरानी सोच वाली महिला थीं मगर मेरे पापा बिल्कुल विपरीत थे. मेरी बहनें मेरी माँ पर गई थीं बिल्कुल गोरा चिट्टा बदन, स्तनों और चूतड़ों पर भारीपन. शीना मुझसे बस एक साल बड़ी थी और रिया अभी 19 की हुई थी.
अरविंद भैया की उम्र 26 हो चली थी चूँकि मम्मी बुर्के वाले धर्म से थीं तो उन्हें भैया की शादी की बहुत जल्दी थी और वो चाहती थीं कि भैया की शादी उनके मायके के धर्म की लड़की से हो. इसको लेकर हमारे परिवार में किसी को कोई ऐतराज नहीं था. उन्होंने अपनी पहचान में एक लड़की रुबीना थी, उससे भैया की शादी तय कर दी. चूँकि भैया अच्छा ख़ासा कमा लेते थे तो रुबीना के परिवार में भी किसी को कोई ऐतराज नहीं था.
रुबीना की उम्र बस 21 थी और उसने अभी जवानी में कदम ही रखा था. अरविंद भैया से पहले मम्मी ने रुबीना की तस्वीर मुझे दिखाई, मुझे रुबीना किसी परी से कम नहीं लगी, पूरा भरा हुआ बदन, चुचे करीब 34 के होंगे और रसीले होंठ थे, वो मस्त माल लग रही थी. अगर मेरे लिया रिश्ता आया होता तो मैं तुरंत ही हां कर देता.
मैंने चुपके से रुबीना की तस्वीर को अपने कैमरे में क़ैद कर लिया.
अगले दिन मैं शीना और मम्मी रुबीना के घर गए, चूँकि भैया को कुछ काम था इसलिए वो ना जा सके. जब रुबीना हमारे सामने चाय लेकर आई तो मेरी आँखें उसको देखते ही रह गईं, वो तस्वीर से कहीं ज़्यादा सुन्दर थी. वो सबको चाय देने लगी, जब मुझको चाय दे रही थी तो शर्मा गई. मैं वो चीज़ समझ ना सका. इसके बाद कुछ बातें हुईं और रिश्ता पक्का हो गया. मगर शादी 3 महीने बाद होना तय हुआ.
दो दिनों के बाद रुबीना मुझे एक मॉल में दिखी, वो अपनी कुछ सहेलियों के साथ थी. मैंने सोचा कि फोन कर लूँ मगर रुबीना को फोन रखने की मना थी, इसलिए वो फोन नहीं रखती थी.
कुछ देर बाद मैंने देखा कि वो एक शॉप में अकेली खड़ी थी. मैं उसकी ओर बढ़ गया. मुझे वहां देखकर वो चौक गई और हड़बड़ाने लगी. मैंने उसे शांत होने के लिए कहा, तो बोली कि वो मुझसे अकेले में बात करना चाहती है.
मुझे थोड़ी हैरानी हुई मगर मैंने कहा कि मैं अपनी कार लाया हूँ, हम किसी होटल में जाकर बात कर सकते हैं. इसके बाद उसने अपनी सहेलियों से जाने की पर्मिशन ली और मेरे साथ चल दी.
रुबीना को अपने साथ पाकर मैं भी थोड़ा बहक गया था. हम थोड़ा आगे गए ही थे कि रुबीना ने मेरे गालों पर एक पप्पी की और बोली- अरविंद, आप हमें बहुत पसंद आए. यह सुन कर मैं सकपका गया क्योंकि रुबीना मुझे अरविंद समझ रही थी. शायद उस दिन मैं रुबीना के घर गया था इसलिए ये ग़लतफहमी हो गई थी.
मैं रुबीना के हुस्न में इतना खो गया था कि सच बताने का मन ही नहीं किया और मैंने भी रुबीना को अपने साथ कार में उसको पकड़कर उसके होंठों पर एक चुम्मी जड़ दी.
चूँकि रुबीना को लगा कि मैं अरविंद हूँ तो उसने विरोध नहीं किया. मैं इतना खो गया कि कुछ होश नहीं रहा और अपने एक हाथ को रुबीना के एक चुचे पर ले गया और हौले हौले दबाने लगा. रुबीना को भी एक मीठा सा दर्द हो रहा था.
कुछ देर के बाद रुबीना होश में आई और बोली कि ये सब शादी के बाद करना. मगर मैं अब कहां रुकने वाला था, मैंने अपने एक दोस्त को फोन किया जो दिल्ली में कमरा लेकर रहता था और उससे बोला कि मुझे एक दिन के लिए तेरा कमरा चाहिए.
इसके बाद मैंने रुबीना से कल मिलने के लिए वादा ले लिया और कॉफी के बाद उसको उसके घर छोड़ दिया. रुबीना ने घर के अन्दर चलने को कहा तो मैंने मना कर दिया.
मैंने एक शॉप से एक सेक्सी सी ड्रेस ली और सेक्सी सी ब्रा पेंटी का जोड़ा लिया. फिर अपने फ़्रेंड के कमरे पर आ गया और उससे चाभी ली और घर आकर अगले दिन का इंतजार करने लगा.
अगले दिन मैंने रुबीना की मम्मी से पर्मिशन ली और शॉपिंग का कहकर रुबीना को अपने साथ ले लिया. रुबीना ने उस वक़्त सूट और चुन्नी डाल रखी थी. रुबीना ने पूछा- हम कहां जा रहे हैं. मैं चुंबन से उसका मुँह बंद कर दिया और बोला कि आज हम अपनी सुहागरात मानने जा रहे हैं.
पहले रुबीना मना करने लगी मगर मेरे कहने पर मान गई और फिर हम मेरे फ़्रेंड के कमरे पर पहुँच गए. मैं रुबीना के ऊपर टूट पड़ा और उसके शरीर से खेलने लगा और कभी होंठ कभी गर्दन तो कभी सूट के ऊपर से उसके निप्पलों को चूसने लगा.
मैंने रुबीना को वो सेक्सी ड्रेस पहनने को कहा, पहले तो रुबीना थोड़ी झिझकी मगर मुझे अरविंद समझ कर हां कह दी. जब वो ड्रेस बदल कर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला, मेरा लंड देखकर उसके चेहरे पर एक शैतानी हँसी आ गई. मैं उसकी ओर बढ़ा और उसके होंठों का पान करने लगा. उसने अपनी आँखें बंद की हुई थीं, मैंने उसकी आँखों को चूमा और अपने हाथों से उसकी आँखें खोल कर उसे अपने आगोश में भर लिया.
इसके बाद अपने हाथ को कमर से पेट की ओर ले जाते हुए उसके पेट पर हाथ फेरने लगा. मैंने नाइट गाउन को रुबीना के शरीर से अलग किया, रुबीना ने अपने दोनों हाथों से अपने शरीर को ढकने की नाकाम कोशिश की.
मैंने अपना लंड पूरा बाहर निकाला और उसके हाथ में दे कर उसको चूसने को बोला तो वो मना करना लगी. मैं थोड़ा उदास हो गया, मुझे उदास देखकर रुबीना ने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया. उसके मुँह क़ी गर्मी और गीलापन मेरी हालत खराब कर रहा था. उसको उल्टी सी आ रही थी पर अगर उस वक़्त मैं उसको रोक देता तो वो चूसना नहीं सीख पाती.
वो धीरे धीरे मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले गई. मेरा लंड उसके गले तक पहुँच गया. अब वो आराम से मेरे लंड को मुँह के अन्दर-बाहर करने लगी थी, जैसे बच्चे लॉलीपॉप खाते हैं, उसी तरह वो मेरा लंड चूस रही थी.
पहली बार में ही उसने मुझको मस्त कर दिया था. मैंने सोचा नहीं था कि मेरे लंड क़ी ऐसे तरह भी चुसाई होगी. मन तो किया कि अपना सारा पानी उसके मुँह में ही निकाल दूँ, पर मैं नहीं चाहता था कि वो आगे कभी लंड चूसने की सोचना तक छोड़ दे. जितना उसने किया था मेरे लिए उतना ही बहुत था.
अब अपने पे और काबू रख मेरे बस में नहीं रह गया था. मैंने उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार दी और उसको बिस्तर पर लेटा दिया. मेरे सपनों की रानी मेरे सामने मेरे बिस्तर पर नंगी लेटी थी. एकदम मस्त फिगर, गोरा रंग, उसके पूरे जिस्म पे एक भी बाल नहीं था. एकदम चिकना बदन, चमचमाते जिस्म की मालकिन थी मेरी होने वाली भाभी.
मैं भी पूरा नंगा था और उसी हालत में उसके ऊपर चढ़ गया. आज मेरी परीक्षा भी थी. वो आज पहली बार लंड लेने वाली थी और मुझको सब कुछ ऐसा करना था कि उसको ज्यादा परेशानी न हो और दर्द न हो. मुझको पता था कि इसके लिए पहले मुझको उसकी चूत को पानी निकाल कर चिकना करना था सो मैं उसके उसके बगल में लेटा और उसके शरीर को सहलाने लगा. मेरा हाथ जल्दी ही उसकी चूत पर चला गया और उसको सहलाने लगा. मैं अपनी उंगली उसकी चुत की दरार में डाल कर रगड़ने लगा. मैंने धीरे धीरे अपनी उंगली उसकी वर्जिन चूत में डाल दी और आगे पीछे करने लगा. वो हल्के-हल्के दर्द से सिसकारी ले रही थी. मैंने कोई जल्दी न दिखाते हुए उसकी चूत में उंगली करना जारी रखा.
थोड़ी देर की मेहनत के बाद मेरी उंगली उसकी चूत में समां गई थी. उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मेरा काम उसकी चूत को इतना चौड़ा करने का था कि जब मैं उसमें अपना लंड डालूँ तो उसको ज्यादा दर्द न हो.
मैंने उसकी चूत में अपनी एक और उंगली डाल दी. अब मैं उसकी चूत में अपनी दो उंगली डाल के आगे पीछे कर रहा था, बार बार उसके दाने को मसल रहा था, वो उत्तेजना से सिसकारी ले रही थी. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था और वो एकदम से निढाल हो गई. पानी उसकी चूत से बह कर बाहर आ रहा था.
अब मौका सही था, झड़ने के कारण उसकी आँखें मस्ती में बंद थीं. मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी टांगों के बीच में आकर बैठ गया. मैंने उसकी टाँगें हवा में उठा कर अपने कंधों पर रख लीं.
दोस्तों ऐसा करने से लड़की की चूत थोड़ी खुल जाती है. अब मैं अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर रगड़ने लगा. मेरा टोपा उसकी चूत के मुँह पर था और पानी की चिकनाहट से फिसल रहा था.
मैंने अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और दूसरा हाथ उसकी कमर पे रख दिया. फिर लंड को उसके चूत के छेद पे रखा, मेरा लंड एकदम डण्डे की तरह टाईट था. मैंने धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया. मैंने सारा काम धीरे धीरे करना शुरू किया क्योंकि मैं जानता था कि उसको थोड़ा दर्द तो होगा. धीरे धीरे मेरा लंड उसकी चिकनी चुत की फांकों में घुसने लगा था. जैसे ही उसको दर्द होता तो मैं अपने लंड को वहीं रोक लेता और थोड़ी देर बाद फिर से लंड को अन्दर-बाहर करने लगता.
अभी तक मेरा आधा लंड उसकी वर्जिन चूत में घुस चुका था, पर काम अभी काफी बाकी था. मैंने उसको एक बार दर्द देने का तय करके अपना पहला जोर का झटका मारने का निश्चय किया. जब तक मैं जोर से झटका नहीं मारता मेरा लंड उसके अन्दर पूरा नहीं जाता. सो मैंने अपने लंड को पूरा बाहर निकाला और निशाना लगाते हुए पूरे जोर से उसकी चूत में घुसा दिया.
मैंने उसको मेरे इस धक्के के बारे में बताया नहीं था वरना वो पहले ही डर जाती और उसको ज्यादा दर्द होता. मेरी इस हरकत से उसको दर्द हुआ और वो चिल्लाने वाली थी, पर मेरा हाथ उसके मुँह पर चला गया और उसकी आवाज नहीं निकल पाई. मैंने लंड अन्दर डाल कर उसको लंड को रोक लिया. इतने में ही उसके आँसू निकल गए थे.
कुछ पल बाद मैंने अपना हाथ हटाया तो वो लंड बाहर निकालने को कहने लगी, पर मैंने उसकी बात पे ध्यान दिए बिना उसके मम्मों को दबाना जारी रखा. थोड़ी देर तक ऐसा करते रहने से उसका ध्यान दर्द से हट कर मेरी हरकतों की तरफ लग गया. जब मुझको लगा कि उसका दर्द कुछ कम हुआ है, तो मैंने बहुत धीरे धीरे अपना लंड हिलाना शुरू किया ताकि उसकी चूत मेरा लंड खाने लायक चौड़ी हो जाए. थोड़ी देर में ही मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर-बाहर होने लगा था. उसका दर्द भी काफी कम हो गया था. इतनी टाईट चूत में एकदम से लंड डालने से मेरे लंड में भी हल्का सा दर्द हो रहा था पर मिलने वाला मज़ा उस दर्द से काफी ज्यादा था.
रुबीना मुझको कहने लगी- जब मैंने लंड निकालने को बोला तो आपने सुना नहीं? तो मैंने कहा- मेरी जान, उस वक़्त अगर लंड निकाल लेता तो तुम दुबारा लेने की हिम्मत नहीं कर पाती और दुबारा डालने पर तुमको उतना ही दर्द सहना पड़ता और मैं अपनी डॉली को और दर्द कैसे देता.
यह कहते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. मेरा लंड अब अपनी पूरी तेजी से उसकी चूत को पेल रहा था, मेरी गोटियाँ उसकी चुत की फांकों से टकरा कर दोनों को मस्त कर रही थीं. कुछ धक्कों के बाद मैंने उसकी टाँगें सीधी कर दीं और उस पर चढ़ गया. अब उसका नंगा जिस्म मेरी बांहों में था और वो मेरी बांहों में यूं मचल रही थी, जैसे जल बिन मछली हो. मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर दूसरा उसकी गांड पर टिका था.
दोस्तो, उम्मीद है आप अपनी कल्पना के सहारे वो फील कर रहे होंगे, जैसा मैं उस वक़्त महसूस कर रहा था.
मेरा लंड अब पिस्टन की तरह उसकी चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था और हाथ उसके पूरे जिस्म को मसल रहे थे. वो मुझसे इतना चिपकी थी कि उसके तीखे चुचे मेरे सीने में गड़ रहे थे. मैं कभी उसकी टाँगें चौड़ी करके लंड डालता, कभी एक टांग उठा देता.
मैंने जितने भी आसन कामसूत्र में देखे थे, आज सब उस पर आजमा रहा था. वो मस्ती से अपनी चुदाई में लगी थी. मेरे होंठ उसके मुँह और होंठों को चूस रहे थे.
करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मेरा पानी निकलने को हुआ तो मैंने उसको कहा- क्या पसंद करोगी?
इस पर रुबीना ने मुस्कुराते हुए अपने जिस्म पर आँखें लगा दीं, मैंने अपना लंड निकाला और मुठ मारते हुए अपना सारा पानी उसके पेट, सीने और मुँह पर गिरा दिया. उसने अपने पेट, मम्मों पर सारा पानी रगड़ लिया. वो पहले ही दो बार झड़ चुकी थी. मैं अभी भी उसके जिस्म को चूम रहा था और अपने ही पानी का मज़ा ले रहा था.
मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया, जहाँ से पानी के साथ हल्का सा खून भी निकल रहा था. मैंने अपनी चड्डी से उसकी चूत साफ़ कर दी और उसको मूत कर आने को कहा.
वो नंगी ही खड़ी हुई और मूतने चली गई. उसका नंगा पिछवाड़ा और होने वाली भाभी के मटकते चूतड़ बहुत मस्त लग रहे थे. जब वो मूत कर आई तो सामने से उसका नंगा बदन ऐसे लग रहा था मानो अप्सरा मेनका मेरे सामने नंगी खड़ी हो. वो वापस मेरे पास आकर लेट गई और हम दोनों एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे.
अब उसकी शर्म चली गई थी और वो बिंदास हो कर मेरे लंड को अपने हाथों से मसलते हुए मुठ मार रही थी. मैं भी उसके मम्मों, होंठों और जिस्म का रसपान कर रहा था.
थोड़ी देर तक ऐसे ही करते रहने से मेरा लंड फिर से अपने बड़े रूप में आ गया था और वो भी गरम हो चुकी थी.
मैंने उसको उठ कर मेरे लंड पर बैठने को कहा. वो बैठने की कोशिश करने लगी पर मेरा लंड बार बार उसकी चूत से फिसल रहा था. मैंने अपना लंड पकड़ कर चूत के छेद के निशाने पे लगाया और उसको बैठने को कहा.
इस बार जैसे ही वो बैठी मेरा लंड उसकी चुत के दरवाजे खोलता हुआ उसमें उतर गया. वो जैसे ही नीचे आती उसके चूत मेरी टांगों से टकरातीं. उसकी चूत अभी तक पानी छोड़ रही थी, जिससे पूरे कमरे में पच पच की आवाज गूँज रही थी. उसके चुचे भी जोर जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे, जो मादकता को और बढ़ा रहे थे. मैंने उसके मम्मों को पकड़ लिया और मसलने लगा.
थोड़ी देर बाद वो अपना पानी निकाल कर मेरे ऊपर गिर गई. पर मेरा मन नहीं भरा था सो मैंने उसको लेटाया और उस पर चुदाई करने को चढ़ गया. मेरा लंड पिस्टन की तरह उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था और वो उचक उचक कर मज़े से मेरा लड़ खा रही थी. वो मेरी बांहों में बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी और मेरे हाथ उसके नंगे जिस्म को सहला रहे थे.
क्या मस्त सीन था, ऐसा आज तक मैंने सिर्फ कंडोम के एड में ही लड़की को लंड के लिए इस तरह तड़पते हुए देखा था.. मैं उसकी गांड पर हाथ रख कर उसको अपनी और उछाल रहा था ताकि उसकी चूत में अन्दर तक लंड पेल सकूँ.
यह सारा चुदाई का प्रोग्राम आधे घंटे तक चलता रहा, तब कहीं जाकर मेरा पानी निकला. मेरा मन तो था सारा पानी उसकी चूत में निकाल दूँ पर रिस्क नहीं लेना चाहता था. मैंने सारा पानी उसके शरीर के ऊपर निकाल दिया. उसको बहुत तेज पेशाब आ रही थी, तो वो उठ कर जाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और मेरे सामने वहीं मूतने को कहा. वो शरमा गई पर मेरे जिद करने पर उसने भी अपनी मूत की धार छोड़ दी.
वो खड़ी थी और उसकी चूत से उसका मूत निकल कर दोनों टांगों के बीच से नीचे गिर रहा था. ऐसा लग रहा था मानो कोई झरना नीचे गिर रहा हो.
अब तक बहुत देर हो चुकी थी, सो मैंने उसको कपड़े पहन कर तैयार होने को कहा. उसको नहाना था क्योंकि मेरे लंड का पानी उसके जिस्म पर था और वो उससे महक रही थी.
हम दोनों बाथरूम में घुस गए और साथ साथ नहाने लगे. मैंने एक बार फिर उसके पूरे जिस्म को मसल दिया और शावर के नीचे उसकी चूत लेने का सपना पूरा किया.
हम लोग नहा कर तैयार हो गए. हमने कमरा साफ़ किया, एक दूसरे को किस किया और फिर रुबीना ने मुझे घर छोड़ने के लिए कहा.
हम कार में बैठ कर रुबीना के घर की और चल दिए, पूरे रास्ते रुबीना मुझे प्यार से देखती रही. घर आने पर मैंने रुबीना से कहा कि तुम चलो अब हम बाद में मिलेंगे. मगर रुबीना ज़िद करने लगी कि तुम भी अन्दर चलो. आख़िर हार कर मैं भी उसके साथ चल दिया.
जैसे ही हम अन्दर घुसे रुबीना की माताजी ने मुझे देखा और पूछने लगीं- राहुल, रुबीना ने परेशान तो नहीं किया ना?
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