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प्रिय अन्तर्वासना पाठको फरवरी 2018 प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच बेस्ट सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
बात पिछले साल की सर्दियों की है. आप तो जानते हैं कि दिसंबर में दिल्ली की सर्दियां कैसी रहती हैं? ऐसे ही एक शाम को हम दोनों सहेलियां घर पे बैठी बैठी उकता गयी थी. पीटर भी अपने प्रोजेक्ट में व्यस्त होने की वजह से पिछले तीन हफ्ते से मिला नहीं था. ठण्ड की वजह से हम दोनों भी चुपचाप घर में ही बैठी रहती थी. ऑफिस के बाद दारु पीना और लेस्बियन सेक्स करना इतना ही काम बचा था हमारे पास. मगर आज तो वो भी मन नहीं कर रहा था.
टी.वी. पे कुछ बकवास सी मूवी देख कर हम दोनों ही बोर हो गयी. कुछ देर बाद मैंने रिमोट से टी.वी. बंद किया। दो कुर्सियां उठा कर मैं उन्हें टेरेस पे रख आयी. रिया के चेहरे पे सवालिया निशान आये. मैंने बोतल उठाई और रिया का हाथ पकड़ा और खींचकर उसे टेरेस पे ले गयी. टेरेस पे जाते ही रिया ने मुँह सा बनाया और कहा- निक्की, यहाँ बैठेंगे तो दो मिनट में हमारी कुल्फी बन जाएगी चल अंदर ही ठीक है. मैंने उसे साफ़ मना किया और हंस कर कहा- अच्छा है, अगर तेरी कुल्फी बन गयी तो कम से कम डिलडो की तरह काम तो करेगी। आज बहुत ठरक चढ़ी है यार, और ये पीटर भी हरामी पता नहीं कहां मर गया है.
रिया हंसी, मेरे पास आकर उसने मेरे होंठ चूमे और कहा- कमीनी, तू तो दिन ब दिन रंडी बनती जा रही है. आज कौन सी खुराफात चल रही तेरे दिमाग में? और वैसे भी इस कड़कती सर्दी में तू यहाँ टेरेस पे कपड़े उतार के नंगी भी हो गयी ना तो कोई तुझे देखने नहीं आने वाला। इतना बोल कर उनसे मेरे हाथ से बोतल खींच ली और एक तगड़ा सा घूंट भरा. उसे देख कर मैंने भी एक घूंट भरा. शराब पूरा जलाती हुई पेट में उतर गयी. सही में सर्दी खूब ज्यादा थी. जैसे तैसे दस मिनट टेरेस में बैठ कर हम दोनों वापिस अंदर आयी.
कुछ ही देर में दारु और अंदर के तापमान ने फिर से हमारे बदन में गर्मी आयी तो मुझे शरारत सूझी। मैंने हल्के से रिया को जकड़ा और उसके कान की की लौ के पीछे अपने होंठ रख दिए. ये रिया का वीक पॉइंट था. जैसे जैसे में होंठ घूमती गयी वैसे वैसे रिया गर्म होती गयी. धीरे धीरे मेरे होंठ उसकी गर्दन पे आ गए. रिया के मुँह से अब आहें निकलनी शुरू हुई, उसके हाथ मेरी जाँघों पे चले गए. धीरे धीरे हम दोनों के बदन से गर्म कपड़े निकलते गए. होटों से होंठ मिले और फिर एक जलजला सा आया. हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरी को किस करने लगी, एक दूसरी का बदन रगड़ने लगी, एक दूसरी की साकी बन कर पिलाने लगी.
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जहां मैं रहता हूँ, वहाँ हमारी बगल वाला एक मकान खाली था। हमें भी था कि जल्दी से ये मकान किराए पे चढ़े ताकि कोई इसमें भी रहने आए और हमारा भी पड़ोस आबाद हो। कुछ दिनों बाद वहाँ एक परिवार रहने आया। उस परिवार में चार लोग थे, एक साहब थे शौकत अली, उनकी बेगम, एक बेटा और एक बेटी। जिस दिन उन्होंने अपना सामान रखा, उस मैं घर पर नहीं था, तो मुझे तो शाम को घर आने पर ही पता चला, अपनी बीवी से कि पड़ोस में नए किरायेदार आ गए हैं। अगले दिन सुबह मुझे शौकत भाई मिले, घर के बाहर ही खड़े, तो मैंने औपचारिकता वश उनको अभिवादन किया और उनके बारे में पूछा। शौकत भाई दुबई की किसी कंपनी में काम करते थे और एक महीने की छुट्टी पर आए थे। जिस घर में पहले रहते थे, वो थोड़ा छोटा था तो वो यहाँ शिफ्ट हो गए।
हमारे बातें करते करते उनका बेटा तौफ़ीक और बेटी रज़िया भी बाहर ही आ गए और हमारे पास ही खड़े हो गए। बेटा होगा करीब 17-18 साल का, और बेटी 10-11 की होगी। मगर मैं जिस बात का इंतज़ार कर रहा था, शौकत मियां की बीवी नज़र नहीं आई।
चलो, कुछ दिन यूं ही बीते, शौकत मियां से तो कभी कभार बात हो जाती थी, मगर उनकी बीवी मुझे कभी नहीं दिखी। वैसे मेरी गैरहाज़िरी में वो 2-3 दफा हमारे घर भी आ चुकी थी, मगर मुझे उनके दर्शन नसीब नहीं हुये। बीवी ने इतना तो बता दिया था कि शौकत मियां की बीवी, सकीना बानो देखने में सुंदर है, बहुत गोरी है, और खूब भरी भरी है, अगाड़ा पिछाड़ा सब लाजवाब है।
मेरे मन में और जलन हो गई कि इतनी सेक्सी औरत की तो लेकर मज़ा आ जाए।
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मैं अभी सिर्फ 18 साल का हूँ, और मैंने कल पहली बार सेक्स किया। हमारी मोहल्ले की जान सकीना बाजी के साथ। सकीना बाजी की उम्र इस वक़्त 55 साल है, मगर आज भी वो अपने आप को बहुत सजा संवार के रखती है, उम्र से कम दिखती है, जिस्म बहुत ही भरपूर है।
खास बात ये है कि हमारे मोहल्ले के करीब करीब हर मर्द ने कभी न कभी सकीना बाजी को चोदा है। इसी लिए वो मोहल्ले की जान कही जाती है। 55 की उम्र में भी सकीना बाजी के रंग दूध सा गोरा, जिस्म ढलक गया है, मगर कपड़े बहुत शानदार पहनती है, हार्ड ब्रा पहन कर अपने मम्मे वो एकदम सीधे खड़े रखती है, दुपट्टा कम ही लेती है। साड़ी हो या सूट हो, गले थोड़े गहरे ही पहनती है, बड़े बड़े क्लीवेज शरे आम ही दिखते हैं, और अगर कोई उसके क्लीवेज को घूरता भी है, तो वो कभी बुरा नहीं मानती। लंबा चौड़ा पठानी जिस्म है। पूरा मेक अप करके रखती है इसलिए सुंदर बहुत लगती है। हमारे मोहल्ले के शायद ही कोई नौजवान ऐसा होगा, जिसने सकीना बाजी के अलावा किसी और से अपने सेक्स जीवन की शुरुआत की हो। यहाँ तक के हमारे अब्बा लोग भी अपना उदघाटन वहीं से करवा कर आए थे।
जिस दिन मैंने अपना उदघाटन करवाना था, मेरी फूफी के लड़के ने सकीना बाजी से बात करी। वैसे उसके घर में और भी लड़कियां थी, जो जिस्म फरोशी का काम करती थी, मगर सकीना बाजी उन सब पर भरी पड़ती थी। मैं और मेरी फूफी का लड़का, हम दोनों सकीना बाजी के घर गए। जब हम उसके घर पहुंचे तो वहाँ और भी कई लोग थे, कुछ तो हमारे ही मोहल्ले के कुछ बाहर के भी थे।
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मेरी पिछली पोर्न स्टोरी पापा की उम्र के अंकल ने मेरी गांड मारी में आपने पढ़ा था कि एक अंकल ने मुझे अपनी कार में लिटा कर मेरी गांड मारी थी. अब आगे..
लेकिन उसके दिए हुए दस हज़ार पाकर मैं बहुत खुश थी. मुझे पहली बार एहसास हुआ था कि अब तक मैं सिर्फ मौज मस्ती के लिए जो करती थी, वह मुझे रातों रात नोटों के बिस्तर पर पहुँचा सकता है. पापा की मौत के बाद मम्मी से भीख की तरह पैसे मांग मांग कर तंग आ चुकी थी. मुझे इस बार का उस दिन एहसास हुआ कि मेरा एटीएम तो मेरी चड्डी में ही है. मेरी चड्डी में जो जादुई परी थी, वह जब भी बाहर आती अलादीन के चिराग की तरह मेरी ख्वाहिश पूरी कर सकती थी.
मुझे आई फोन लेना था लेकिन उसके पचास हज़ार दाम सुनकर मेरी चड्डी से धुँआ निकलने लगा. मेरी झाटें जल गईं. वैसे तो मैं रिच फैमिली से थी लेकिन मेरी मम्मी मुझे कभी आई फोन नहीं दिलाने वाली थीं.
कुछ दिन बाद मैंने बेहद डरते हुए उस नम्बर पर व्ट्सऐप पर हैलो का मैसेज किया. उधर से जवाब आया- कब मिल सकती है मासूम परी? मैंने कहा- अंकल, मुझे पैसों की जरूरत है. तो उसने कहा- मेघा, इस बार मैं तुझे बीस हजार दूंगा लेकिन पूरी रात रुकना होगा.
घर से पूरी रात निकला आसान नहीं था. लेकिन बीस हज़ार का सुन कर मैं सोचने लगी. मतलब तीन रात में मैं आई फोन ले सकती थीं. मैं शाम आठ बजे घर से निकलने को हुई. “कहाँ चली बन-ठन कर महारानी?” मम्मी के टोकते ही मेरे पैर ठिठक गए. “मम्मी मुझे पार्टी में जाना है लेट हो जाऊँगी रात को?” “किसकी पार्टी? अचानक.. और इतनी सर्दी में स्कर्ट टॉप सर्दी नहीं लगेगी तुझे?” “एक दोस्त की पार्टी है. आप फिकर मत करो वो कार से लेने आएगा.. लेट हुई तो कॉल करूँगी.” “ठीक है जाओ.”
“मम्मी, कुछ पैसे दे दो न..” “पांच सौ रूपए अन्दर कमरे में वार्डरोब से ले लो जाकर.” “पांच सौ में क्या होता है मम्मी दो हज़ार दे दो न.” “अन्दर पांच हज़ार गिनकर रखे हैं हज़ार से एक पैसा ज्यादा लिया तो टांगें तोड़ दूंगी.” “ठीक है ठीक है.. पन्द्रह सौ पर डन.” मैंने तुरंत पैसे पर्स में डाले निकलने को हुई. “सुन रे, अपना मोबाइल तो लिए जा.” मम्मी के हाथ में मोबाइल देखकर मेरी गांड फट गई. मैंने तुरंत ही मोबाइल लिया और लिफ्ट लेकर निकल गई.
तकरीबन दस मिनट बाद वह अंकल मुझे लेने के लिये बस स्टॉप पर आ गए. ऐसा लगता था कि जैसे आज उनका जिस्म भी बहुत हट्टा-कट्टा और गठीला था. उनकी हाइट 6 फीट होगी. उस दिन शायद मैंने इन सब बातों पर ध्यान नहीं दिया था.
“आ गई माय बेबी डॉल..” उन्होंने आते ही मुझे ज़ोर से किस किया और मेरे छोटे छोटे मम्मे टॉप के ऊपर से ही दबाने लग पड़े. वहां पर कुछ लोग खड़े थे, वे सब मुझे देखने लगे. मैंने कोई परवाह नहीं की.
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मेरे एक मित्र हैं, श्रीमान प्रभात। प्रभात के माता पिता का स्वर्गवास कई साल पहले हो चुका था। प्रभात अपने दम पर ही पढ़ लिख कर इस काबिल बना के आज वो एक सरकारी दफ्तर में अच्छे ओहदे पर नौकरी कर रहा है। मेरे साथ प्रभात का बचपन से ही याराना है, हम दोनों ने अपनी 15 साल की दोस्ती में हर काम एक साथ ही किया है। प्रभात का ज़्यादा समय हमारे घर में ही बीता है इसलिए वो मेरे मम्मी पापा को ही मम्मी पापा कहता है और हमारे घर से ही उसको घर परिवार का पूरा प्यार और सम्मान मिला है।
जब उसकी सरकारी नौकरी लग गई तो उसकी शादी की बात भी चली। प्रभात की एक बुआ ही उसकी रिश्तेदारी में थी, उसने ही एक बहुत सुंदर लड़की का रिश्ता ढूंढा, सिर्फ माँ और बेटी थी, उस घर में। प्रभात को भी लड़की पसंद आ गई, जब दोनों तरफ से सेटिंग हो गई, तो प्रभात की शादी भी हो गई। बहुत ही सादे से ढंग से शादी हुई क्योंकि लड़की के पिता न होने की वजह से से लड़की ने अपनी कमाई में ही शादी की थी।
शादी को अभी 4 महीने ही हुये थे कि एक दिन प्रभात मेरे पास आया और बोला- यार तुझसे एक बात करनी थी। मैंने कहा- तुझे कब से पूछ कर बात करने की आदत पड़ गई, चल पूछ, क्या बात है? वो बोला- यार कुछ दिन हुये तन्वी बोली, क्यों न हम मम्मी को अपने पास बुला लें। मैंने कहा- तो दिक्कत क्या है, बुला ले। वो बोला- अरे यार, ये कुछ दिनों की बात नहीं है, वो हमेशा के लिए बुलाना चाहती है।
मैंने कहा- यार, यह तो प्रोब्लम है, हमेशा के लिए तो मुश्किल हो जाएगी। प्रभात बोला- यार तुझे तो पता है, अभी नई नई शादी है, हम तो साला कपड़े ही नहीं पहनते घर में, अगर बुड्डी आ गई तो हमारी तो शादीशुदा ज़िंदगी पर सेंसर बोर्ड बैठ जाएगा, साला सारा मजा ही चला जाएगा. वो थोड़ा चिढ़ कर बोला।
मैंने कहा- तो यार, इस बारे में तू तन्वी से बात कर, उसे समझा। प्रभात बोला- अरे बहुत समझा लिया, अकेली होने की वजह से इसकी भी अपनी माँ से बहुत अटेचमेंट है, तन्वी भी कह रही है कि माँ तो दूसरे कमरे में रहेगी। मगर दिक्कत यह है कि जब हम प्रोग्राम शुरू करते हैं तो तन्वी की आदत है, वो शोर बहुत मचाती है। अब रोज़ रोज़ ये सब मेरी सास भी सुनेगी। क्या अच्छा लगता है?
मैंने हंस कर कहा- तो अपनी सास को पूछ लेना किसी दिन, तेरी शादी पे देखी थी, सास तो तेरी अभी भी माल है। प्रभात मेरी बात सुन कर मुस्कुरा पड़ा और बोला- भोंसड़ी के, तू अपना लंड पहले अकड़ा लिया कर। इधर मेरा काम बिगड़ रहा है और तुझे मेरी सास के खंडहर में भी बहार दिख रही है। मैंने कहा- अरे मुझे तो दिख रही है, साले तू भी देख ले। हो सकता है, किसी दिन तेरी सास तेरी कमीनी हरकत देख कर खुद ही वापिस चली जाए। प्रभात बोला- और अगर नहीं गई तो? मैंने कहा- अगर नहीं गई, तो हो सकता है, तेरे नीचे आ जाए! कह कर मैं हंस पड़ा।
मगर प्रभात कुछ चिड़चिड़ा सा होकर उठ कर चला गया, बात आई गई हो गई।
अगले हफ्ते प्रभात की सासु माँ अपना बोरिया बिस्तर उठा कर उसके घर आ गई। हमारी लाईफ आम दिनों की तरह ही चलने लगी। कभी कभी जब मैं प्रभात के घर जाता, तो मुझे लगता कि प्रभात की सास का देखने का तरीका कुछ अलग सा है। पहले वो जिस तरह देखती थी, अब वो उस तरह नहीं देखती। मुझे एक बार लगा कि शायद आंटी लाईन दे रही है। अब रोज़ रात को अपने दामाद के द्वारा निकाली गई अपनी बेटी की चीखें सुनती होगी, तो सोचती तो होगी कि दामाद जी अच्छे से अपना काम कर रहे हैं, कोई ऐसा अच्छा सा मुझे भी मिल जाए। मैं भी जब भी प्रभात के घर जाता, उसकी सास के साथ बहुत बातें करता… मेरा पूरा मूड था कि अगर ये ढलता हुआ हुस्न मान जाए तो अपनी शादी से पहले पहले तजुर्बेकार औरत की भी ले कर देख लूँ।
मगर सीमा आंटी मेरे से बात तो खूब खुल कर हंस बोल कर करती, मगर गाड़ी लाईन पर नहीं आ रही थी।
करीब 2 महीने बाद एक प्रभात मेरे पास आया, मुझे वो बहुत परेशान सा लगा। मैंने उसे पूछा, तो बोला- अरे यार, बड़ी मुसीबत में हूँ, क्या बताऊँ, बताता हूँ तो मुसीबत न बताऊँ तो मुसीबत। मैंने कहा- अरे यार हम तो बचपन के दोस्त हैं, बोल क्या दिक्कत है, जो भी प्रॉबलम होगी, हम मिल के सुलझा लेंगे।
वो बोला- जिस बात का डर था, वही हो गई है। मैंने फिर पूछा- क्या हो गया? वो बोला- अरे यार, सासु माँ की वजह से मैं मुसीबत में घिर गया हूँ।
मैं कुछ कुछ समझ तो गया, मगर फिर भी पूछा- क्या कर दिया तेरी सास ने? वो बोला- अरे यार उनके आने से पहले जो समस्या हमने डिस्कस की थी, वही हो गई। “मतलब?” मैंने पूछा- क्या तेरी सास भी तेरे पे फिदा हो गई? मैंने बात मजाक में कही, मगर प्रभात ने बड़े गंभीर लहजे में सर झुका कर कहा- हाँ। फिर थोड़ा रुक कर बोला- अब तो वो अपने नाहक प्रदर्शन से भी बाज़ नहीं आती, कभी अपनी टाँगें दिखाएगी, कभी जान बूझ कर क्लीवेज दिखाती है। उसकी आँखें और बोलने का लहजा ऐसा हो गया कि बस मेरे एक बार कहने की देरी है, अगले पल वो मेरे बिस्तर पर होगी।
मैंने कहा- वाह बेटा तेरे तो मज़े हैं फिर। सोचता क्या है, ठोक दे साली बुड्ढी को।
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