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करन पलंग पर लेटा हुआ था और लीला उसके पलंग के पास बैठी सब्जी काट रही थी।
करन “मामीजी भाभी कहा है।”
लीला “रसोई घर मे होगी शाम के खाने की तैयारी कर रही होगी।”
करन “ठीक है।”
लीला “क्या हुआ, भाभी चाहिए अभी।”
करन “हा। सुबह से मन कर रहा है।”
लीला “रुक बुलाती हु। सुमन ओ सुमन यहां आना जरा।”
सुमन रसोई से निकल कर कमरे में आती है।
लीला “तेरे ससुरजी कहा है।”
सुमन “वो अभी बाहर गए है।”
लीला “अच्छा। एक काम कर, जरा करन के पास आ तो, उसका बड़ा दिल कर रहा है।”
सुमन आगे बढ़ती है और करन के पास आकर बैठती है। फिर उसकी पेंट का बटन खोलते हुवे उसकी ज़िप खोलती है। जैसे ही पेंट नीचे होती है करन का तन तानता हुवा लन्ड दोनों को दिखाई देता है।
लीला “क्या बात है। हाथ लगाने से पहले ही खड़ा हो गया। बाद उतावला है रे तू।”
करन “क्या काहू मामीजी। बस ये सब भाभी का कमाल है।”
सुमन शर्मा जाती है। वो करन का लन्ड चूसने के लिए जैसे ही झुकती है तो करन कहता है।
“भाभी चूसना रहने दो। आप सीधा ऊपर आ जाओ।”
सुमन लीला की तरफ देखते हुवे मुस्कुराती है और उठ कर करन के ऊपर आकर अपना घाघरा फैलाते हुवे उसके लन्ड पर बैठती है। करन का लन्ड इंच इंच करके सुमन की चूत में समा जाता है। करन को महसूस होता है कि सुमन की चूत पहले से ही गीली थी।
करन “भाभी आपकी चूत इतनी गीली कैसे।” सुमन शर्मा जाती है।
लीला “क्या कहा, गीली। कैसे भला।”
करन “वो तो भाभी ही बताएगी, की कैसे गीली हुवी।”
सुमन सिर झुका कर कहती है “बाहर जाने से पहले ससुरजी ने मुझे रसोई में चोदा था।”
लीला “अच्छा जी, तभी मैं कहूँ की आज बिना बताए कैसे बाहर निकल गए।”
फिर करन नीचे से सुमन को चोदने लगता है। सुमन भी अपने दोनों हाथ करन के सीने पर रख कर पीछे से थोड़ा ऊपर होते हुवे करन का साथ देती है। लीला पास ही बैठी अपनी सब्जियां साफ करती रहती है।
थोड़ा चुदने के बाद सुमन करन के सीने पर अपना सिर रख कर मुह दूसरी तरफ मोड़ लेती है। करन उसे अपनी बाहों में कैद करते हुवे अपनी चोदने की गति बढ़ा देता है।
धीरे धीरे झटकों की आवाज तेज होने लगती है। लीला पास ही बैठी मुस्कुराने लगती है, पर उसे कुछ नजर नही आता क्योकि जो कुछ भी हो रहा था वो घाघरे के अंदर हो रहा था।
करन सुमन को कसके पकड़ते हुवे उसे पूरा जोर लगा कर चोदने लगता है। अब झटको के साथ सुनाम की भी आवाज तेज होने लगती है। अहहहहहहहह मां, देवरजी थोड़ा धीरे अहहहहहहहह। की तभी लीला उठती है और..
“तुम दोनों चुदाई करो। मैं जाकर रसोई देखती हूं।” और कमरे से बाहर चली जाती है।
करन अपनी पकड़ ढीली करता है और पलट कर सुमन को अपने नीचे ले लेता है। फिर सुमन के पैरों को पकड़ कर हवा में खोल देता है। जिससे उसे पूरी जगह मिल जाती है और वो फिर ताकत लगते हुवे अपने लन्ड की पूरी लंबाई से सुमन को चोदना जारी रखता है।
सुमन की भी हालत खराब होने लगती है। उसकी चीखे अब लीला को रसोई में भी सुनाई देती है। अहहहहहहह करन अहहहहहहहह, ऐसे ही, हाँ अहहहहहहहह अअहहहहहहहह माँ।
करन फिर पैरो को अपनी पकड़ से आजाद करते हुवे सुमन के ऊपर झुकता है और उसके होठों को अपने होंठों से सील देता है और लन्ड को टोपे तक बाहर निकल कर पूरी गति से अंदर डालने लगता हैं। सुमन के होश का अब कोई ठिकाना न था। करन लगातार उसे ऐसे ही चोदता रहा। अब इस चुदाई को करीब 20 मिनेट हो चुके थे।
सुमन की हालत खराब होने लगी थी। करन सुमन को ऐसे देख के उत्तेजित हो गया और उसने अपना पानी सुमन की चूत में ही छोड़ दिया। दोनों पस्त होकर पलंग पर लेट गए।
फिर थोड़ी देर बाद सुमन ने उठ कर अपने पकड़े सही किये और बाहर जाने को हुवी की तभी करन ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। सुमन सीधा उसके सीने पर जाकर गिरी। शर्म के मारे उसने अपनी नजर नही उठाई।
करन “भाभी।” सुमन ने सिर हिलाया।
करन “रात को भी चोदूंगा। आओगी मेरे पास।”
सुमन “रात होने तो दो। अभी कैसे कहूँ।”
करन “ठीक है मुझे रात का इंतजार रहेगा।” कहकर वो सुमन को होठों पर एक चुम्बन देता है। सुमन फिर कमरे से निकल कर रसोई में चली जाती है। सुमन को देख लीला मुस्कुरा देती है और उसे कहती है।
लीला “ये ले मुल्तानी मिट्टी का पानी है इससे अपनी चूत साफ करले, मैं अभी आती हूँ।” कहकर वो रसोई से निकल कर करन के पास जाती है। करन अभी भी नंगा लेटा अपना मोबाइल चला रहा था।
लीला “करन जरा सुन ये पर्ची ले और बाजार से मुझे समान ला दे।”
करन लिस्ट हाथ मे लेकर देखता है। उसमे स्टे फ्री भी लिखा था।
“स्टे फ्री। ये किसके लिए चाहिए।”
लीला “तेरी भाभी ले लिए। उसे माहवारी आने वाली है।”
करन “क्या, पर भाभी ने तो नही बताया।”
लीला “मुझे तो बताया था उसने।”
करन “पर अब मैं रात में भाभी को चोदूंगा कैसे।”
लीला “मुझे मालूम था। इसीलिए तो मैंने अभी ही तुझे तेरी भाभी को चोदने दिया। ओर रही बात रात की तो मैं हूँ, तेरी दोनों बहनें है। किसीको भी चोद लेना।” करन मुह लटका के लीला से लिपट गया। लीला ने उसे गले लगाते हुवे कहा।
“करन मेरे बच्चे क्यो परेशान होता है। इस घर मे चार औरते है। कभी किसीने भी तुझसे चुदने को मना किया।” करन “नही।”
लीला “तो फिर क्यो परेशान होता है मेरे राजा। तेरी भाभी की माहवारी भला उसके हाथ में तो नही। रात में तू जिसे चाहे चोद लेना।”
करन “मैं आपको ही चोदूंगा।”
लीला “ठीक है रसोई का काम खत्म करके मैं सीधा तेरे पास आ जाउंगी। रात भर मुझे चोदना, तेरे मामाजी को छुने भी नही दूंगी।”
करन इस बात से खुश हो जाता है।
लीला “अब जा ओर ये समान मुझे ला दे। देर हो रही है।”
करन “ठीक है मामीजी।” कहते हुवे वो उठ खड़ा होता है और अपने कपड़े सही करते हुवे बाहर चला जाता है। लीला जब कमरे से बाहर आती है तो देखते है कि सुमन कमरे के बाहर ही सब सुन रही थी। उसका भी चेहरा उदास था।
लीला “उदास न हो मेरी बच्ची। मैं जानती हूं करन को तू हम सबसे ज्यादा चाहती है। पर ये सब तेरे हाथ मे भी तो नही।”
सुमन “करन दो दिन बाद चला जाएगा ना।” कहते हुवे सुमन की आंखों से आंसू निकल पड़ता है। लीला आगे बढ़कर सुमन को गले लगा लेती है।
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