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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम.
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. आप सबको धन्यवाद देता हूँ कि आप लोगों की फ्री सेक्स स्टोरीज को पढ़ पढ़ कर मुझे भी अपनी वास्तविक रूप से घटित कहानी लिखने का साहस मिला है.
मेरा नाम राहुल कुमार है, उम्र 23 साल है, वैसे तो मैं थोड़ा पतला दुबला हूँ पर लंबाई अभिषेक बच्चन जैसी है. मुझमें कोई ऐसा आकर्षण है कि लड़कियों की नजर मुझ पर ठहर ही जाती है. लड़कियों को जानकारी देना चाहता हूँ कि मेरा लंड 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है.
चलिए अब फ्री में मिली चुदाई की बात पर आता हूँ. यह घटना अभी कुछ दिन पहले ही घटित हुई है, मैं अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई 2015 में समाप्त करके जॉब की तलाश मैं दिल्ली आया, यहां मैं नॉएडा में रहता हूँ.
एक दिन मैं कुछ काम के लिए लक्ष्मी नगर जा रहा था. मैं अपने रूम से निकल कर एनएच 24 पर गया, वहां से मेट्रो के लिए शेयरिंग ऑटो मिलती है.
मैं किसी ऑटो के इन्तजार में था, तभी मेरा ध्यान बाजू की गली से निकली एक खूबसूरत सी लड़की जो कि ऑटो की तरफ जा रही थी, पर पड़ी. उसने उजले रंग की कुर्ती और ब्लू रंग की लैगी पहनी हुई थी.. भैन्चोद पीछे से क्या माल लग रही थी यार.. साली का फिगर यही कोई 36- 32- 36 के आस पास का था.
मुझे फिगर का अनुमान लगाने में देर न लगी क्योंकि हम लोग कॉलेज में अधिकतर लड़कियों को देख के फिगर का ही अनुमान लगाते फिरते थे.
उस कुर्ती में पीछे से उसकी काली ब्रा के शरीर में छपने के निशान और पैंटी की भी रबर के निशान दिख रहे थे. जैसा कि हम दोनों ऑटो की तरफ जा रहे थे, मैं तेज़ी में था लेकिन उसे देखा तो अपनी गति धीमी करके उसके पीछे चलने लगा. उसने मुझे एक नजर देखा.. फिर वो एक ऑटो में जा बैठी, मैं भी उसी ऑटो में उसके बगल में बैठ गया.
उफ्फ ओह्ह्ह.. क्या गर्मी थी उस बन्दी के शरीर की.. साली से टच होते ही पता चल रहा था. हाथ में मोबाइल लिए कान में इयर फोन डाले हुए बैठी थी. मैं उसे देखने लगा, उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी तो मैंने झट से अपनी नज़र को दूसरी तरफ किया, पर शायद उसको मालूम चल गया था कि मैं उसी को देख रहा था.
कुछ देर बाद मैं उसे फिर से देखने लगा. उसने झट से मेरी तरफ मुँह घुमाया. इस बार मैं उसे देखता हुआ पकड़ा गया, तो मैंने एक छोटी सी मुस्कान दे दी. मैंने पहली बार जब उसे सामने से देखा तो उसने अपने नाक में नथुनी पहन रखी थी, क्या कातिल माल लग रही थी.
कुछ देर बाद वो ऑटो से उतर कर चली गई, शायद ऑफिस जा रही होगी. मेरे स्माइल का उसने कोई जवाब नहीं दिया. शायद उसे कोई फर्क न पड़ा हो. मैं मन ही मन उदास सा हो गया क्योंकि मैं उससे कुछ बोल भी नहीं सका. इसका कारण मेरा थोड़ा शर्मीला होना है और इस मामले में मैं चूतिया ही कहलाने लायक हूँ.
मेरा मूड तो उसे चोदने का हो गया था. मैं स्कूल से ही ब्लू फिल्म देखता आ रहा हूँ, बहुत मुठ भी मारता हूँ.. और उस दिन भी मैंने रूम पर आकर उसके मम्मों को याद करके मुठ मार ली.
इत्तफाक देखिए, 2 दिन बाद मैंने फिर से उसे देखा, आज भी सेम वही ड्रेस पहने थी. मैं फिर उसके बगल में बैठ गया और उसे देखने लगा, फिर उसने मेरी तरफ देखा तो मैं मुस्कुरा दिया. उसका कोई भी रिएक्शन नहीं आया क्योंकि आज ऑटो में और भी दो लोग बैठे थे. इस वजह से मैं उससे बात नहीं कर सकता था.
तभी मेरे दिमाग में बात सूझी, मैंने अपने मोबाइल में मैसेज खोल कर अपना नम्बर टाइप किया और लिखा मुझे एक मिस कॉल दो, मैं आपसे बात करना चाहता हूँ. इतना लिख कर मैं उसकी तरफ स्क्रीन करके उसे दिखाने की कोशिश करने लगा. उसने मेरे मोबाइल को देखा कुछ देर सोचती रही. लेकिन उसने अपने मोबाइल में कुछ नहीं टाइप किया. थोड़ी देर बाद वो ऑटो से उतर गई. मैंने सोचा अब क्या करूँ.. ये तो पट ही नहीं रही, अब क्या जाने मिलेगी भी या नहीं.
तभी रात में मेरे नम्बर पर एक मिस्ड कॉल आया. मैंने ये सोच कर कोई रिप्लाई नहीं किया कि पता नहीं किसी का यूं फ़ालतू का फोन होगा.
फिर अगली सुबह न जाने मेरे दिमाग में क्या आया, मैंने उस नम्बर पे कॉल किया.. तो एक लड़की की आवाज आई. मैंने पूछा- हाँ जी, आप कौन? कल आपके नम्बर से एक मिस काल दिखी थी. क्योंकि मार्केटिंग वालों के बहुत कॉल्स आते रहते हैं.. इसलिए उठाया नहीं था. उसने बोला- इतना जल्दी भूल भी गए? तभी मैंने बात को पकड़ा और बोला- ओहो आप हैं मोहतरमा, अहो भाग्य हमारे.. चलिए जो कम से कम इस नाचीज को याद तो किया. “लेकिन आपने तो भुला ही दिया.” फिर मैंने उससे पूछ लिया- आपने मेरा नम्बर नोट नहीं किया था कल.. फिर मेरा नम्बर कैसे मिला? तो उसने बोला- मैंने याद कर लिया था और ऑटो से उतरने के बाद अपने मोबाइल में नोट भी कर लिया था.
बस फिर क्या था.. बहुत देर तक बात हुई.. अपने और उसके बारे में बात करके बहुत अच्छा लगा. उसकी बातों से लगा वो यहीं कहीं कोई जॉब करती है.
बात शुरू हुई तो एक ही दिन बाद मैंने उसे प्रपोज कर दिया- क्या मेरी फ्रेंड बनोगी? उसने बोला- मैंने ही फोन किया और अब हद करते हो यार! मैंने साफ शब्दों में बोल डाला- गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड वाली दोस्ती.
उसने ये सुना तो कॉल काट दिया. इसके बाद मैं कितनी ही बार उसका नम्बर लगाया लेकिन उसने कॉल रिसीव नहीं किया.
अगले दिन मैंने उसे कॉल किया और डायरेक्ट बोल दिया- देखो, मैं सुसाइड कर लूंगा. उसने बोला- अरे बाबा ये सब क्या बोल रहे हो.. मैं तो तय कर रही थी कि क्या बोलना है. मैं पूछा- तो तय कर लिया? उसने हाँ में जवाब दे दिया. बस फिर क्या था.. मैं तो ख़ुशी के मारे पागल हुए जा रहा था.
माफ़ी चाहता हूँ दोस्तो, मैं अपनी भावनाओं के आगे उस लड़की के बारे में बताना ही भूल गया. उससे बातें करने पर पता चला कि उसका नाम सीमा है, उम्र 25 साल.. एक कमसिन जवानी की मालकिन थी. उसके मम्मे तो कपड़े फाड़ दें कुर्ती के ऊपर से ऐसे टाइट दिखते रहते थे. पीछे का इलाका उठी हुई गांड का, एकदम ऐसा लगता था कि दो मीडियम साइज़ के दो खरबूजे लगा दिए हों.. आह.. जब मटकती चाल से चलती थी तो मानो सब लौंडों पर कहर ढा रही हो.
इसके बाद कुछ दिन बातें मोबाइल पर ही होती रही. इसी बीच मैंने मोबाइल पर ही पूछ लिया- क्या मोबाइल मोबाइल ही खेलते रहना होगा.. मिलोगी नहीं? उसने दो दिन बाद के लिए कहा और बोली- मैं परसों के बाद फ्री रहूंगी, तब मिल लेंगे.
मैं मिलने की जगह सोचने लगा और बात तुगलकाबाद किले पर मिलने की तय हुई.
दो दिन तो जैसे तैसे कट गए. उस दिन हम मेट्रो में साथ मिले और किला जाने के लिए निकल गए. उस दिन भी कुर्ती और लैगी थी लेकिन कलर बदल कर पहन कर आई थी. काँटा माल तो लग ही रही थी.
हम दोनों मेट्रो में बातें करते जा रहे थे. सारे लोग हमें ही घूर रहे थे. किला पहुँच कर हम दोनों एकांत से कोने में जा बैठे, जहां किसी गार्ड या किसी की नज़र न पड़े.
वो बैठी और मैं उसकी जांघों पर सर रख कर लेट गया. मेरा सर उसकी चूत के करीब होने कारण चूत की गर्मी साफ़ मुझे एहसास हो रही थी.
थोड़ी देर बाद में बातों ही बातों मैंने उसकी चूचियों के निप्पल को मसल दिया, इस पर वो कराह उठी- उफ्फ ओअह्ह… ये क्या कर रहे हो? मैंने बोल दिया- बस यूँ ही… मैंने उससे बोला- एक किस तो दे दो यार! उसने बोला- हट बदमाश…
फिर मेरे मनाने उसने एक गाल पे किस दिया, तो मैंने बोल दिया- ये तो दूसरे गाल से चीटिंग हुई.. फिर उसने हंस कर दूसरे गाल पर भी किस दे दिया.
तभी मैंने उसके झुके हुए होंठों के मौके का फायदा उठाया और उसके बाल में हाथ डाल कर सर दबाये रखा. फिर उसके होंठों को अपने होंठों से कसके किसिंग करने लगा. वो अपना मुँह हटाने के लिए सर हिलाए जा रही थी, पर मैं मानने वाला कहां था.
मैं करीब 5 मिनट तक किस करता रहा, फिर छोड़ दिया. कुछ देर बाद मैंने उसे फिर से किस करने के लिए मनाया तो मान गई. अब हम दोनों एक दूसरे का साथ देने लगे. क्या मस्त फ़ीलिंग थी. मैं तो पहली बार किस कर रहा था. बीच बीच में मैं उसके चुचे दबा दिया करता था, वो ‘उफ्फ अहह्ह…’ करके चिहुंक जाती थी. पर मज़ा उसे भी आता था और गर्म भी हो जाती थी. मेरा लंड एकदम तन कर पैंट में बबाल काट रहा था.
तभी मैंने महसूस किया कि वो गीली हो रही थी. उसने मुझे इशारे में बोला कि ऐसे तो घर जाने में दिक्कत होगी, तो मैंने उसे छोड़ दिया. इसके बाद हम दोनों एक रेस्टोरेंट में गए, कुछ खाया फिर घर आ गए.
मेरा उसे चोदने का उस दिन का प्लान तो फेल हो गया, पर उस दिन से फ़ोन सेक्स होना स्टार्ट हो गया. कुछ दिन बाद उसने बताया कि वो घर पे अकेली है.. उसके घर के सब लोग घूमने के लिए गए हुए हैं.. वो नहीं गई है.
मैंने मन ही मन में सोचा कि ये जरूर आज चुदवाने के लिए रुकी है. मैंने उससे मिलने का पक्का करके उसके घर पीछे के रास्ते से बचता बचाता अन्दर गया. उसने रेड कलर की लायेंजरी (ब्रा पेंटी) में गेट खोला, मैं तो उसे देख कर ही हक्का बक्का रह गया. तभी उसने मेरा सर हिलाया और बोला- कहाँ खो गए.. जल्दी अन्दर आओ.. नहीं तो कोई देख लेगा.
मैंने जल्दी से अन्दर आकर गेट बन्द किया और उसको उसी टाइम पकड़ के गोद में उठा कर किस करने लगा. इन पारदर्शी कपड़ों में होने के कारण उसका सब कुछ दिख रहा था. मैं तो उसके बदन को टच करते करते पागल हुए जा रहा था.
वो बोली- चलो कुछ खा भी लो. मैंने झट से बोला- रानी, आज तो तुम्हें ही खाऊंगा. उसने भी रिप्लाई दिया- और राजा मैं तुमको खा लूँगी.. लेकिन कुछ पेट पूजा हो जाए तभी एनर्जी रहेगी. तभी मैं समझ गया कि ये साली पहले से चुदाई की तैयारी में ही बैठी है.
फिर वो किचन में गई और कुछ खाने का निकालने लगी. तभी मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसकी गांड पर दो तीन थप्पड़ लगा दिए. वो कुछ बोलती, उससे पहले उसकी गांड में उंगली डाल दी, इससे वो चीख उठी.
फिर हम दोनों ने नाश्ता किया.
अब मैं बोला- आ जाओ रानी.. अब तुमको भी खा लूं. उसने बाँहें पसार कर हामी भर दी. मैंने उसकी ब्रा पेंटी उतारी और उसके सारे अंगों को कपड़ों छुटकारा दे दिया.
उसके चुचे हिल रहे थे… वैसे ही गांड भी थिरकने लगी. वो एकदम गीली हो गई थी. तभी वो मेरे कपड़े उतारने लगी.. टी शर्ट.. फिर जींस. अब मैं सिर्फ कच्छे में रह गया था. जैसे ही उसने मेरी जीन्स को उतारा, मेरा लंड एकदम खड़ा था तो चड्डी में तम्बू की तरह तन गया. ऐसे लग रहा था जैसे कच्छे को फाड़ कर सलामी देने में लगा हो.
ऐसा देख कर पहले तो वो थोड़ा नर्वस हुई लेकिन मैंने उसे उठाया और किस करने लगा. हम लोग खड़े खड़े किसिंग करने लगे. इसी बीच मैंने कच्छे को धीरे उतार लिया और उसे महसूस नहीं होने दिया. फिर धीरे से चूत पर सैट करके हल्का सा झटका दिया तो उसने अपने गांड को आगे सरका लिया.. शायद उसे दर्द हो रहा था.
फिर मैंने उसकी गांड पर जोर से एक थप्पड़ लगाया, जिससे उसने अपनी गांड को लंड की तरफ जैसे सरका दिया हो. मैंने मौका पाते ही झटका दे मारा. इससे मेरा पूरा लंड उसके चूत में घुस गया. वो एकदम से चीख उठी- उफ्फ्फ उईई माँ मैं तो मर गई.. उसने मुझे कसके जकड़ कर पकड़ लिया और वो सिहरते हुए बोलने लगी- अहह.. निकाल लो.. बहुत दर्द हो रहा है. मैंने बोला- ठीक है जान.. मैंने लंड निकाल लिया.. तो उसने एक लंबी सांस ली. उसने बोला- अभी हिम्मत नहीं बनी है.
मैं उसकी चूत को चाटने लगा. थोड़ी नमकीन स्वाद था. चूत चटने से वो अंगड़ाइयां लेने लगीं.. आवाजें लगाने लगी- उफ्फ्फ अहह्ह्ह उईई माँ अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.. चोद दो मुझे.. मैं तो उसकी चूत चाटता रहा.
वो कुछ ही पलों बाद तुरन्त झड़ गई. इसके बाद मैंने उसे अपना लंड चूसने के लिए बोला तो वो मना करने लगी. मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में लंड डाल दिया.. वो ‘उम्म आह्ह…’ करते करते लंड को अच्छे से चूसने लगी. उसने लंड क्या चूसा, मैं तो मदहोश हो गया था.
तभी मेरे लंड ने भी वीर्य छोड़ दिया. मैंने माल उसके मुँह में निकलने से रोका और लंड बाहर खींच कर कपड़े से पोंछ कर फिर से लंड चूसने के लिए बोला. लंड थोड़ा ढीला हो गया था लेकिन मैं सोच रहा था कि दुबारा चुसाई से मेरा लंड जल्द ही खड़ा हो जाएगा.
वो लंड चूसने लगी.. और लंड फिर से चुदाई के लिए खड़ा हो गया.
अब मैंने बगल के सोफे पर उसे लेटाया और लंड को चूत पर सैट करके एक झटका मारा, जिससे उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. कुछ सेकेंड बाद मैंने फिर से एक जोरदार झटका मारा और इस बार पूरा लंड चूत के अन्दर चला गया. वो रोने लगी और कहने लगी- उई माँ.. मर गई दर्द हो रहा है.. निकाल लो प्लीज़.. निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उसे किस करने लगा और लंड को वैसे ही फंसाए रखा. थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो लंड को आगे पीछे करने लगा. अब उसे भी मज़ा आने लगा वो अंट शंट बकने लगी- आह.. चोदो मुझे.. और जोर से चोदो.. मेरी गर्मी शांत कर दो. आह.. ऐसे ही चोदो उफ्ह्ह्ह् आअह्ह्ह चोदते जाओ.. और जोर से चोदो.. साले दम से.. आह आह्ह्ह ओफ्फ उईई माँ चोदो.. अह.. चोदते जाओ.. रुकना नहीं..
मैं भी भावनाओं में आकर जोर से चोदे जा रहा था. तभी दस मिनट बाद वो फिर से झड़ गई और अब चुदाई से फच फच की आवाजें आने लगीं. मेरे भी मुँह से ‘आह्ह अह्ह्ह…’ की आवाजें आने लगीं. कुछ मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था. मैंने पूछा- रस कहाँ डालूँ? उसने बोला- बाहर..
मैंने लंड बाहर निकाला और उसके चुचों पर सारा वीर्य गिरा दिया. थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे. तभी उसने बोला- अब तैयार हो जाओ.. घर में लोग आने वाले होंगे. मैंने झट से कपड़े पहने और घर से बाहर ये कहते हुए निकल गया- फ़ोन पे बात करूँगा.
अगले दिन फ़ोन लगाया तो उसने रिसीव नहीं किया और अगले कुछ दिन नम्बर बंद बताता रहा और फिर और कुछ दिन बाद उसका नम्बर गलत बताने लगा. मैंने मन ही मन में बहुत अफसोस किया. मुझे लगा कि वो मेरी चुदाई से संतुष्ट नहीं हुई थी और शायद जॉब के कारण उसने शहर भी छोड़ दिया है, तभी कॉल नहीं लग रहा था.
उसके बाद उसका कॉल अभी तक नहीं आया. मैं उसके कॉल का इंतज़ार करता हूँ. यही है दोस्तों मेरी सच्ची कहानी. आप लोगों को अच्छी लगी या नहीं, मुझे मेल लिख भेजिए. मेरी इस फ्री सेक्स स्टोरी को पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. [email protected]
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