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मेरी यह सेक्स स्टोरी मेरी चाची के कामवासना से जलते जिस्म की है. मैं भी अपनी चाची कि चुदाई की तमन्ना अपने दिल में पाले हुए था.
मेरा नाम पवन यादव है, मैं उत्तराखंड का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल की है. मैं दिखने में एक अच्छा ख़ासा नौजवान हूँ. दोस्तो ये मेरी पहली आपबीती है जिसे मैं अन्तर्वासना साइट पर डाल रहा हूँ. इधर मैंने बहुत से लोगों की चुदाई की कहानी पढ़ी हैं. इससे मुझे लगा कि मुझको भी अपना किस्सा यहां शेयर करना चाहिए.
ये बात ज़्यादा पुरानी नहीं है, अभी एक हफ्ते पहले की है. अपने बारे में तो मैं आपको बता चुका हूँ. अब इस कहानी की हिरोइन के बारे में भी जान लीजिएगा.. यानि मेरी चाची.
मेरी चाची का नाम अंकिता है, उनकी उम्र लगभग 37 साल है. उनके 3 बच्चे हैं दो लड़कियां और एक लड़का है. मेरे चाचा आर्मी में हैं और अभी लद्दाख में पोस्टेड हैं.
मेरी चाची ने खुद को काफ़ी मेंटेन किया हुआ है, उनका मस्त बदन की क्या बताऊं आपको.. उफ़फ्फ़… मेरा लंड तो सोच कर ही खड़ा हो जाता है. एकदम मलाई की तरह गोरी हैं, छाती थोड़ी कम उठी है लेकिन पेट और गांड एकदम भरे हुए हैं. ज़ब चाची साड़ी पहनती हैं तो कयामत लगती हैं. काश उनके चूचे भी बड़े होते तो सोने पे सुहागा होता. उनको देखकर लगता ही नहीं था कि वे 3 बच्चों की माँ होंगी.
जब चाची सज-संवर कर बाजार में निकलती तो लोग उनकी मटकती गांड के दीवाने हो जाते हैं. कमाल की बात तो यह थी कि वो खुद इस बात को जानती थीं.. इसलिए और भी इतरा कर चलती थीं. दोस्तो, चाची के साथ रंगरेलियां मनाने का मन तो मेरा कई सालों से था, लेकिन मौका कभी नहीं मिला.
जब से मैंने मुठ मारनी सीखी, मेरी उन पर नज़र तो तभी से थी. चाची तो शुरू से ही उत्तराखंड में रहती थीं, लेकिन हम लोग कभी दिल्ली, गुजरात, मेरठ अलग अलग जगहों पर रहे, इसलिए चाची से ज़्यादा नज़दीकियां नहीं बन पाईं. साल में एकाध ही बार हमारा मिलना होता था, वो भी दो तीन दिन के लिए. लेकिन अब एक साल से हम सब भी उतराखंड में ही रह रहे हैं.
हमारा घर चाची के घर से लगभग 15 मिनट की दूरी पर है. चाची किराए पे रहती हैं. हमारा अपना मकान नहीं है. चाचा तो 6 महीने में एक बार छुट्टी आते थे.
अब जब हमने भी इसी शहर में रहना चालू कर दिया तो मेरा चाची के घर उठना बैठना शुरू हो गया. मुझे कई बार चाची की हरकतों से लगता था कि वो भी वही चाहती हैं जो मैं चाहता हूँ. उनका भरा पूरा शरीर देख कर लगता था उनकी सेक्स की भूख बहुत ज्यादा होगी. चूंकि मेरे चाचा तो कभी कभी ही आते थे.. तो ये तो तय था कि चाची को लंड की सख्त जरूरत रहती होगी. वो भी अपनी प्यास किससे बुझा पाती होंगी.
एक महीने पहले मेरा एक्सीडेंट हुआ था तो मुझे पूरा एक महीना घर बैठना पड़ा. चाची के यहाँ भी नहीं जा सका. अभी हफ्ते भर पहले ही मैं ठीक हुआ. पैर में चोट लगी थी लेकिन अब थोड़ा बहुत लंगड़ा कर चल रहा था.
एक दिन मैं बाइक लेकर चाची के यहाँ चल दिया. करीब सुबह के 8 बजे थे. ये दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन दिन था. मैं चाची के यहां पहुँचा और घंटी बजाई. चाची ने गेट खोला उन्होंने एक मैक्सी पहन रखी थी और शायद वो इस वक्त कपड़े धो रही थीं जिससे उनकी मैक्सी हल्की सी गीली थी.
चाची मुझे देख कर हल्की सी मुस्कुराईं. मैंने भी हर दिन की तरह उनके पैर छू कर ‘नमस्ते चाची’ कहा.
मुझे अन्दर बैठा कर वो मेरे लिए पानी लाईं ओर मेरा हाल चाल पूछने लगीं. मैंने कहा- अब ठीक है लेकिन चलने में दिक्कत है, वो तो बाइक है, इसलिए इधर उधर चला जाता हूँ. घर पर चाची के अलावा क़िसी को भी ना देख कर मैंने पूछा- आंटी बच्चे कहां हैं? उन्होंने कहा- बेटा वो तो अभी अभी स्कूल चले गए, अब 2 बजे तक आएंगे.
मेरे मन में अभी तक नहीं आया कि चाची घर में अकेली हैं, सेक्स की जुगाड़ करता हूँ. शायद चाची भी इस मौक़े को छोड़ना नहीं चाहती थीं. चाची मेरे लिए चाय बना लाईं और कहने लगीं- बेटा जूता उतार कर आराम से बैठ जा मैं जरा कपड़े धो कर अभी आई. मैंने कहा- ठीक है आंटी.
लगभग 20 मिनट बाद चाची आईं, उनकी मैक्सी पूरी भीगी हुई थी. जब मैंने पीछे से देखा तो गीली मैक्सी से चाची की काली पेंटी साफ चमक रही थी. ये सब देख के मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने सोच लिया कि आज जो होगा देखा जाएगा, मेरी कामवासना ने पल भर में मुझे अँधा बना दिया.
चाची कपड़े सूखने डाल कर घर के अन्दर आईं और बोलीं- रुक बेटा मैं जरा नहा लूँ.. पूरी भीग गई हूँ. फिर तेरे लिए नाश्ता बनाती हूँ, तब तक तू टीवी देख.
मैं तो अभी भी चाची की भीगी मैक्सी के अन्दर से झाँकते उनके अंगों को बेशर्मों की तरह घूर रहा था. चाची तौलिया ले कर बाथरूम में चली गईं और मैं अपने लिंग की पकड़ सोचने लगा कि कैसे शुरुआत करूं. मेरे दिमाग़ में एक तरकीब आया और मैंने भी नहाने का बहाना मारा.
चाची बाहर आकर रूम में चली गईं और कपड़े चेंज किए. अब चाची ने सूट सलवार डाल लिया. मैंने चाची से बोला कि आंटी हमारे यहां पानी नहीं आ रहा और आपको देख के मेरा मन भी नहाने को हो रहा. आजकल कितनी गरमी हो रही है.
चाची ने कहा- बिल्कुल नहा ले बेटा.. टंकी में बहुत पानी है. मैंने कहा- आप नाश्ते की तैयारी करो, मैं अभी नहा कर आया.
चाची किचन में चली गईं. मैं जानबूझ कर वहीं रूम में कपड़े उतारने लगा ताकि चाची मुझे देखें. लेकिन वो तो अपने काम में मस्त थीं. मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ तौलिया लपेट लिया.
अब मैंने चाची को आवाज़ लगाई- आंटी एक मिनट आना.
चाची तुरंत आईं और मुझको सिर्फ़ तौलिया में देख कर कुछ पल के लिए मुझको प्यासी नज़रों से ऊपर से नीचे तक देखने लगीं. उनके ऐसे देखने से मेरा लिंग आकार लेने लगा और तौलिया आगे से उठ गया, मुझे शरम आई तो मैंने कहा- आंटी वो मेरे पैर में चोट है तो मैं बाथरूम में कपड़े नहीं उतार पाता. चाची बोलीं- अरे कोई बात नहीं बेटा.
ये कहते कहते भी चाची की नज़र मेरे खड़े होते लिंग पर जा टिकी, जो कि तौलिया में अपना आकार बना चुका था. मैंने कहा- आंटी मुझसे चला नहीं जा रहा जरा बाथरूम तक कंधा दे दो.
चाची फटाक से मेरे पास आ गईं. उफ़फ्फ़… जैसे ही वो मुझसे सट कर खड़ी हुईं मेरी तो जान निकल गई. मैंने अपना दांया हाथ उनके गले में डाल दिया जो कि उनकी छाती को छू रहा था. मैं लंगड़ा लंगड़ा कर चाची के साथ बाथरूम की तरफ चल दिया.
अब तो मेरा पूरा लिंग खड़ा हो चुका था जिसको चाची साफ देख सकती थीं. मैं भी पूरा बेशरम हो गया और चुपचाप चलने लगा. बाथरूम का दरवाजा आते ही मैंने कहा- थैंक्स आंटी अब आप जाओ. जैसे ही चाची के कंधे से मैंने हाथ हटाया, दूसरे हाथ से मैंने अपना तौलिया गिरा दिया.
अब मैं चाची के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था. मेरा लगभग साढ़े छः इंच का लंड भी एकदम खड़ा हुआ था. मेरे जिस्म में एक भी बाल नहीं है. मुझे ऐसा देख कर चाची ने दोनों हाथ अपने होंठों पर रख लिए और आँखें बड़ी बड़ी करके लंड देखने लगीं. कुछ देर के लिए हम दोनों यूं ही चुप खड़े रहे.
फिर चाची बोलीं- बेशरम अंडरवियर कहां है? ये कहते हुए चाची मुस्कुरा दीं.
मैंने भी तपाक से बोला- अंडरवियर न हटाता तो आपको इसके दर्शन कैसे होते? चाची थोड़ा गुस्सा होने का नाटक करके बोलीं- बेशरम चाची हूँ तेरी.. कुछ शरम तो कर लेता.
अब तो मेरे मन से पूरा डर निकल गया था, मुझे विश्वास हो गया था कि चाची मना नहीं करेंगी. मैं आगे बढ़ा और चाची की चुन्नी हटा दी.
मैंने कहा- आपने तो सब कुछ देख लिया मेरा.. अब आपकी बारी है. मेरे आगे बढ़ते ही मेरा लंड चाची की जाँघों से सट गया. ये सुनते ही चाची खुद को रोक नहीं पाईं और बोलीं- चल पहले तुझे नहला दूँ.. फिर सब देख लेना.
हम दोनों बाथरूम में चले गए. अबकी बार चलने में मैंने चाची का सहारा नहीं लिया तो चाची बोलीं- अच्छा तो ये सब तेरा ड्रामा था. मैंने मुस्कुरा कर आँख मार दी.
अब चाची ने शावर चालू कर दिया और हम दोनों उसके नीचे खड़े हो गए. चाची पागलों की तरह मुझसे लिपट गईं और मेरी पीठ को नोंचने लगीं. मेरा लंड उनकी दोनों जाँघों के बीच फंस सा गया था. चाची धीरे धीरे कह रही थीं- बहुत दिन हो गए बेटा.. कुछ किया नहीं.. आज तुझे पूरा चूस लूँगी. चाची की चूत की चिन्गारी अब शोला बन कर भड़क उठी थी.
मैंने चाची की गर्दन को अपनी तरफ करके उनका मुँह अपने सामने किया. उनकी दोनों आँखें बंद थीं और मुँह पूरा लाल हो गया था. मैंने फटाक से अपने होंठ उनके गुलाबी होंठों पे रख दिये उन्होंने तपाक से अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी और मेरी जीभ की तलाश करने लगीं. मैंने भी शरारत दिखाई और अपनी जीभ छुपाता रहा.
फिर हम दोनों एक दूसरे की जीभ चाटने लगे. हम दोनों का पूरा मुँह गीला हो गया. मैंने अपने होंठों से चाची की जीभ को क़स के पकड़ा और चूसने लगा. चाची तो पागल हो कर तड़प उठीं और मादक सिसकारियां भरते हुए मेरे लंड को हिलाने लगीं. लगभग 5 मिनट के लम्बे किस के बाद हम अलग हुए. हम दोनों पूरे भीग चुके थे.
मैंने चाची का गीला शर्ट उतारा. उफ़फ्फ़ जो नजारा सामने था.. सफेद रंग की भीगी ब्रा और उसके अन्दर छोटे से दो नींबूओं की सख्ती, मन को बेचैन किये दे रही थी. चाची ने अपनी सलवार खुद उतार दी, नीचे लाल कलर की पेंटी थी.
अब मुझसे रहा नहीं गया. मैंने शावर बंद किया और चाची को दीवार से सटा दिया, मैं घुटनों के बल बैठ गया और अपना मुँह चाची की दोनों जाँघों के बीच घुसा दिया. क्या भीनी भीनी खुशबू थी प्यासी चुत की.. मैं पेंटी के ऊपर से ही चुत चाटने लगा.
इधर चाची आँखें बंद किए कामुक सिसकारियां भरने लगीं. चाची ने कहा- बेटा पेंटी उतार दे और चाट ले इसको कमीनी चुत को. मैंने चाची की चड्डी उतार दी.
अगले दस मिनट में चाची की चूत का रस पीने के बाद मैंने उनको बिस्तर पर चलने को कहा. बिस्तर पर चाची बोलीं- अब पहले तू मुझे चोद दे, बहुत आग लगी है बाकी खेल दूसरे राउंड में कर लेना. मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा और अपना लंड उनकी चूत में ठोक दिया. चाची की दर्द और आनन्द भरी सीत्कार निकली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई! फाड़ दी रे तूने अपनी चाची की चूत! मार दिया अपनी चाची को! मैंने चाची से पूछा- अरे चाची, आप तो ऐसे चिल्ला रही हो जैसे पहली बार चुद रही हो? चाची बोली- आठ महीने हो गए तेरी चाची को चाचा से चुदे! इतने दिनों से बंद पड़ी चूत टाइट हो जाती है. अब तो धक्के मार कर अपनी चाची की चूत दोबारा ढीली कर दे!
तो बस धकापेल चुदाई का मंजर शुरू हो गया. बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद चाची मेरी लैला बन चुकी थीं. इस तरह से चाची और मेरी कामवासना की संतुष्टि हुई.
अन्तर्वासना के पाठको, आपको मेरी चाची की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे बताएं, आपके मेल का इन्तजार रहेगा. [email protected]
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