This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरा नाम राज शर्मा है, पहले मैं दिल्ली में रहता था अब जॉब चेन्ज करने के कारण चण्डीगढ़ शिफ्ट हो गया हूँ। मैं अन्तर्वासना चोदन कहानी का नियमित पाठक हूँ। दोस्तो इस बार कहानी लिखने में ज्यादा देर हो गई इसलिए आप सभी से माफी मांगता हूँ। नई जगह नौकरी होने के कारण कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहा, जैसे ही समय मिला, आपके सामने नई कहानियां लेकर हाजिर हूँ।
इस बार मैंने कहानी अपने ऊपर न लिख कर कुछ कहानियां अलग अलग किरदारों पर लिखी हैं ताकि आप किसी महिला मित्र का नम्बर मांगने की जिद न करें और आप सिर्फ एक कहानी समझ कर ही इसका आनन्द लें।
दोस्तो, यह चोदन कहानी भूपेश सिंह की है। जो ग्रेटर नोएडा से है, उम्र 26 साल, फैक्ट्री में नौकरी करता है। आगे की कहानी भूपेश की जुबानी सुनिए।
मुझे स्कूल टाइम से ही लड़कियों का चस्का लग गया था। अपने कालेज के टाईम में मैंने बहुत सी लड़कियों से दोस्ती कर उनकी खूब चुदाई की थी। पर जब से मेरी नौकरी यहाँ लगी थी किसी चूत का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था। मैंने लड़की पटाने की बहुत कोशिश की पर कोई बात जम ही नहीं रही थी। रोज रोज हाथ से हिलाते हिलाते अब हाथ भी दर्द करने लगा था। फिर मैंने एक तरकीब निकाली। आस पास देखा, बहुत से घरों में काम करने वाली नौकरानियां आती जाती थी, उनमें से एक 22-23 साल की लड़की भी थी अनीता। क्या माल थी वो? उसे देखते ही मेरा खड़ा हो जाता था और उसे चोदने का मन करता था।
मैं अनीता पर नजर रखने लगा कि वो कब आती है, कब जाती है। फिर उसके आने जाने के टाईम पर मैं अपने कमरे के बाहर खड़ा रहने लगा। अनीता भी मुझे देखती और फिर अपने काम पर चली जाती।
कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन हिम्मत करके मैंने अनीता को रोक ही लिया, मैंने उससे कहा- मैडम जरा रूकिये, मुझे आपसे कुछ पूछना था। “क्या पूछना था आपको मुझसे?” अनीता ने सीधे पूछा। मैं- क्या आप वो सामने वाले घर में काम करती हैं? वो बोली- हाँ मैं वहाँ खाना बनाती हूँ और कपड़े धोती हूँ तो।
मैं- बुरा ना माने मुझे भी एक कामवाली की जरूरत है आप कोई बता सकतीं हैं। वो बोली- क्या क्या काम है आपके वहाँ?
मैं- जी मैं अकेला रहता हूँ और मुझे खाना बनाना और कपड़े धोना अच्छा नहीं लगता है। एक आदमी का खाना बनाना है और कपड़े धोने हैं बस।
वो बाली- ये तो मैं ही कर दूँगी पर 1200 रूपये लूंगी महीने के। मैं- ठीक है जी, मैं दे दूँगा, पर शाम को मैं 7 बजे बाद ही रूम मैं आ पाता हूँ। वो बोली- कोई बात नहीं, मैं रात में उनका काम निपटाने के बाद ही तुम्हारे रूम में आऊँगी पर कपड़े रोज रोज नहीं धोऊँगी, हफ्ते में एक दिन रविवार को ठीक है। उस दिन मेरी वहाँ छुट्टी रहती है। मैं- जी ठीक है, आप को जैसा ठीक लगे। तो पक्का है ना, आप कल से आ रही हैं। “ठीक है कल से आ जाऊँगी।” कह कर वो चली गई।
मैं तो ऐसे खुश हो गया जैसे मैंने उसके आज ही आम दबा लिए हो, उनका सारा रस चूस चुका हूँ। अभी तो सारी चुदाई वैसे ही धरी हुई थी। पर मेरा पहला प्लान सही होने से मैं बहुत ही खुश था कि लड़की कल से अपने रूम में होगी। उस रात तो मैंने उसके नाम की दो बार मुठ मारी।
अगले दिन वो सुबह 7 बजे आ गई और खाना बनाने में लग गई, फटाफट खाना बना कर चली भी गई, कुछ बातचीत भी नहीं हुई।
मैं भी तैयार होकर ड्यूटी चला गया और शाम 7 बजे रूम में वापस आ गया। वो ठीक 8 बजे आ गई और पूछा- क्या खाओगे? मैं- जो भी मन करे बना दो। वैसे अपना नाम तो बता दो। वो बोली- मेरा नाम अनीता है और आपका क्या नाम है? “मेरा नाम भूपेश है। आज आपने दिन का बहुत अच्छा खाना बनाया था।”
वो कुछ नहीं बोली, आज भी उसने खाना बनाया और चली गई। इस तरह पूरा हफ्ता बीत गया पर बात आगे नहीं बढ़ पाई। वो काम के अलावा किसी चीज पर ध्यान ही नहीं देती थी। फिर रविवार भी आ ही गया, मेरी व उसकी भी छुट्टी थी तो मैंने आज दूसरा प्लान बनाया।
जब वो खाना बनाने गई तो मैंने उससे कहा- बाहर का दरवाजा बंद कर दो, मैं नहाने जा रहा हूँ! और बाथरूम में घुस गया। नहाने के बाद सिर्फ तौलिया लपेट कर ही बाहर आ गया, अन्दर अन्डरवियर भी नहीं पहना था तो खड़ा लंड दूर से ही तौलिए के अन्दर महसूस हो रहा था।
मैंने उसकी ओर बिना देखे कहा- अनीता, क्या एक कप चाय पिला दोगी? अपने लिए भी बना लेना, दोनों साथ में बैठ कर पीयेंगे। उसने मुझे गौर से देखा और तौलिए के अन्दर खड़े लंड को उसने भी महसूस कर लिया पर कुछ नहीं बोली और चाय बना लाई।
मैं रूम में ऐसे ही बैठा था, वो भी मेरे सामने बैठ कर चाय पीने लगी और मुझे घूरने लगी। मैं उसे घूरते देख कर बोला- क्या देख रही हो मुझे घूर घूर कर? तो उसने आखों से इशारे कर मुझे नीचे देखने को बोला। मेरा तो तम्बू खड़ा था और मैंने झट से तकिया उसके ऊपर रख लिया और उसे कहा- वो तो हमेशा वैसे ही रहता है, उस पर ध्यान मत दो, बस अपना काम करो!
वो भी मुस्कुरा कर चाय पीकर किचन में चली गई। बात आई गई हो गई पर चिड़िया शायद जाल में फंसी नहीं।
वो शाम को 7 बजे आने को बोल कर चली गई। शाम को जैसे ही वो आई, मन किया कि अभी फटाफट इसे पटक कर चोद डालूँ पर ये हो नहीं पाया। वो कपड़े धोने में लग गई। कपड़े धोते समय झुकते हुए उसके मौमे और गांड देखकर तो मेरी हालत ही खराब हो गई, तम्बू फिर खड़ा हो गया। वो बस कभी मेरी ओर देखती फिर कपड़े धोने लगती। मैंने अपना अंडरवियर भी धोने डाला था जब उसकी उस पर नजर पड़ी तो बोली- इसे तो खुद धो लेते।
मैं- अरे वो गलती से चला गया, तुम उसे साईड में रख दो मैं बाद में धो लूंगा। अनीता बोली- चलो आज तो मैं धो देती हूँ, आगे से तुम खुद धो लेना। जब वो धोने लगी तो उसकी नजर मेरे माल के निशान पर गई, वो मेरी ओर देखती हुई बोली- अरे ये इस पर इतना चिपचिपा क्या लगा हुआ है? मैं- ये सब इसकी शरारत है। मैंने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा- ये रात में किसी को याद करके रोज अन्डरवियर चिपचिपा कर देता है।
वो शरमाने लगी। फिर धीरे से बोली- किसे याद करता है ये? मैंने भी बोल दिया कि पिछले एक हफ्ते से तो रोज तुम्हें ही याद कर रहा है। उसने नजरें झुका ली और मुस्कुराने लगी। मैं समझ गया अब मामला फिट हो गया।
मैंने उसे बोला- तुम नाराज तो नहीं हो ना इसके याद करने से? अनीता- नहीं तो मैं क्यू नाराज होऊँगी। उसकी मर्जी है जिसे याद करे। मामला फिट हो गया था मैं उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ लिया वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने उसके गाल सहलाए फिर भी वो शान्त रही। मैंने धीरे से उसके सन्तरे दबा दिये। उसकी तो आह निकल गई।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वो भी गर्म हो गई थी तो मैं उसे वहाँ से बिस्तर पर ले आया और उसके अंगों को सहलाने लगा। वो सिसकारियां भरने लगी। मैं- अनीता, कैसा लग रहा है? तुमने पहले भी ये सब किया है क्या? अनीता- बहुत अच्छा लग रहा है बस करते जाओ। हाँ, मैंने पहले भी ये सब बहुत बार किया है।
मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए पूछा- किसके साथ किया? वो आहें भरते हुए बोली- अपने चचेरे भाई के साथ। पहले तो वो रोज मेरी चूचियां दबाया करता था फिर मुझे बाहों में भर कर किस करता था, फिर धीरे धीरे वो मेरी चूत भी सहलाने लगा। मुझे भी बहुत मजा आता था ये सब करवाने में। फिर एक बार मेरे घर में कोई नहीं था तो उस दिन उसने मुझे जबरदस्ती चोद दिया। पहले तो बड़ा दर्द हुआ पर बाद में बहुत मजा आया। कुछ महीने तो हमने बहुत मजे लिए पर अब वो नौकरी के लिए मुम्बई चला गया हैं। उसके बाद किसी से नहीं किया।
मैंने तब तक उसके और अपने सारे कपड़े उतार डाले और उसकी चूत में अंगुली करते हुए बोला- तो बहुत इन्तजार कर लिया तुमने अनीता, अब मैं तुम्हें अपने लंड की सवारी कराऊँगा, देखो मेरा लंड तुम्हारी चूत में जाने को कैसे फड़फड़ा रहा है. यह कह कर मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया।
वो मेरे लंड को सहलाते हुए बोली- मैं तो कब से चुदना चाह रही थी। मुझे पता था कि तुम मुझे चोदना चाहते हो. तभी मैंने तुम्हारे यहाँ नौकरी को हाँ बोला पर तुमने आगे बढ़ने में एक हफ्ता लगा दिया। मैं- तुम भी तो सती सावित्री बन रही थी, कुछ बोल ही नहीं रही थी, पहले दिन ही बोला होता मुझे चोद दो करके तो अब तक कम से कम 20 बार चुद चुकी होती तुम। अनीता- तो अब कौन सी देर हुई है, अब चोद डालो। कर डालो अपने मन की, फाड़ डालो मेरी चूत को… बहुत दिन हो गये लंड को इसके अन्दर लिए हुए।
बस यही तो सुनने की देर थी, मैंने थोड़ी देर उसकी चूत चाटी जो तप रही थी, फिर उसके ऊपर आ गया. लंड अब बरदाश्त के बाहर था उसके टोपे पर खूब थूक लगाया, थोड़ा थूक उसकी चूत पर भी मला वो तो पहले से ही गीली थी और उसकी दोनों टांगों को फैलाया और चूत के मुँहाने पर लंड सेट किया। कमरे में किसी के आने को डर नहीं था तो एक जोरदार झटके के साथ ही पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया।
“आहह हहह…” उसकी चीख निकल गई- आह बाहर निकालो… तुमने तो मेरी फाड़ डाली। थोड़ा धीरे नहीं डाल सकते थे क्या? बहुत दर्द हो रहा है। मैं- मेरी जान, चूत फड़वाने के लिए ही तो मेरे लंड के नीचे आई हो, तुम अब फाड़ दी तो चिल्लाने लगी हो। बस थोड़ी देर सहन करो फिर देखो मेरा लंड तुम्हें कितना मजा देता है।
मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा लंड सटासट उसकी चूत के अन्दर जा रहा था। आज चूत पाकर लंड तो निहाल ही हो गया। थोड़ी देर में उसे भी मजा आने लगा, उसकी कराहें सिसकारियों में बदलने लगी- आहहह हहहह आहह हहहहह… और जोर से अअआह हहह और तेज मारो फाड़ कर ही दम लेना, बहुत मजा आ रहा है आहह आहहहह अब तो घमासान चुदाई शुरू हो गई, दोनों बहुत दिनों से प्यासे थे, एक दूसरे को थका देना चाहते थे।
अब ये दौर जल्दी ही खत्म होने वाला था, वो झड़ने लगी थी, मेरा भी कुछ ही देर में होने वाला था। मैं- अनीता, मेरा होने वाला है कहाँ गिराऊँ? वो बोली- मुझे अपना पानी पिला दो, मुँह में लूंगी मैं इसे। मैंने दो चार झटकों के बाद सारा पानी उसके मुख में गिरा दिया। उसने मेरा लंड अपने मुख में लेकर उसका सारा पानी निचोड़ लिया। दोनों को बड़ी राहत मिली थी, दोनों की प्यास बुझ गई थी। एक बार और करने को मन तो था पर उसने मना कर दिया। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के हमने अपने कपड़े पहन लिए। “चुदाई का मजा आया अनीता?” अनीता- हाँ बहुत मजा आया। तुमने आज सच में मेरी चूत फाड़ डाली है, अब भी हल्का हल्का दर्द हो रहा है। बहुत प्यारा लंड है तुम्हारा। यह कह कर उसने मुझे एक बार फिर बाहों में भर लिया और मेरे होठों पर एक जोरदार किस दी। फिर उसने अपना बाकी का काम जल्दी जल्दी निपटाया और कल आने का वादा कर कर अपने घर चली गई।
अब तो रोज शाम को अनीता मेरे घर चुदने के लिए ही आती थी। एक दिन मैंने उससे कहा- अनीता, ये रोज रोज जल्दबाजी के खेल में उतना मजा नहीं आ रहा है। एक दिन रात में मेरे पास ही रूक जाओ ना। हम दोनों जी भर के चुदाई करेंगे। “खूब चुदने का मन तो मेरा भी है… पर घर पर बोलूंगी क्या?” अनीता ने कहा। मैं- बोल देना कि बगल वाले साहब कल बाहर जा रहे हैं और मेम साहब मुझे अपने साथ रात में रूकने को बोल रही हैं। वो बोली- वाह, बहुत बढ़िया प्लान है। फिर तो मेरे घर पर भी कोई शक नहीं करेगा। कल रात को मैं पूरी रात तुम्हारे लंड की सवारी करूंगी। तो कल का पक्का रहा।
और फिर अगले दिन वो दूसरो का काम निपटा कर शाम को मेरे कमरे में आ गई। पहले उसने खाना बनाया फिर हम दोनों ने साथ में मिल कर खाना खाया। थोड़ी देर बातें करने के बाद अब हम बिस्तर पर आ गये। इस बार अब कोई जल्दी नहीं थी। मैंने नजर उठा कर उसे देखा तो उसने बाहें फैला दी और मेरी बाहों में आकर सिमट गई, उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर मैंने अपने तपते हुए होंठ एक एक करके उसकी पेशानी, आँखों और फिर उसके सुलगते हुए होठों पर रख दिए। तो जैसे उसकी जान ही निकल गई और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया।
फिर तो जैसे तूफान आ गया, पता ही ना कि हमारे कपड़ें कब हमारे जिस्मों से अलग हो गये और अब मैं उसके जिस्म से खेलने लगा था। कभी मैं उसके गुलाबी गालों पर प्यार करता तो कभी होंठ चूमता तो कभी मेरी गरम जुबान उसके होंठों पर मचल जाती, कभी मैं उसके दूध दबाता। अब मेरी जुबान उसके होंठों से होती हुई मुँह के अन्दर चली गई थी और उसकी सिसकारी निकल गई।
मैंने उसके दोनों दूध थाम लिए और जोर जोर से दबाने लगा। वो सिसकार उठी- आहह, जरा धीरे से करो ना। मैंने उसकी एक चूची मुँह में लेकर चूसी तो वो बिलख उठी मैं उसका दूध जोर जोर से दबा रहा था। और मैंने उसका हाथ अपने गरम गरम लंड पर रखा तो वो तड़फ गई।
मैंने उसका दूध चूसते हुए एकदम से काट लिया। क्या सन्तरे थे उसके। तो वो मचल उठी- उहहह नहीं मत करो ना! और मेरी अंगुली धीरे धीरे उसकी चूत की दरार में ऊपर नीचे चल रही थी। बहुत मस्ती छाने लगी थी, खूब तना हुआ मेरा लम्बा और खूब मोटा मेरा गरम लंड उसे बहुत पसंद आ रहा था जिसका सुपारा मेरे ही पानी से गीला हो रहा था। मेरी जुबान उसकी चूत में चल रही थी, मैं बुरी तरह से उसकी उसकी चूत चूस रहा था। उसकी रानें पूरी तरह से फैली हुई थी और उसकी चूत से चप चप की आवाज आ रही थी।
“आहहह हम्म… प्लीज, एआहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ धीरे, मर जाऊँगी मैं… हाय मेरी आहह आहहह चूत उफ। और अब उस से न रहा गया और उसने एकदम से मेरा गरम लंड अपने मुँह में ले लिया। मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैं उसे बोला- आहह आहहह अनीता उफ उफफफ पूरा का पूरा, आह पूरा ले लो मुँह में, उम आहहहह मेरी जान उफ उफ आहह मेरा गरम लंड उसके मुँह में मचल रहा था और मेरी जबान उसकी चूत में घुसी जा रही थी। उसकी पूरी चूत और जांघें मेरे थूक से भीग रही थी और उसकी चूत लाल हो चुकी थी और रस टपका रही थी। कभी मैंने सोचा भी ना था कि लंड चुसवाने और चूत चूसने में इतना मजा आएगा।
मेरा पूरा लंड उसके थूक से भीग रहा था और मेरा लंड उसके गले के अन्दर तक जा रहा था, वो तड़फ उठी- रूको आहह… रूक जाओ… रूक जाओ बस अब तो! उसने लंड मुँह से निकाला तो मैं उठ कर बैठ गया, वो मुझ से लिपट गई। मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया, उसने हाथ फैला कर मुझे अपनी बांहों में ले लिया। वो मचलती हुई बोली- बस बस, अब रख दो मेरे छेद पर।
और जैसे ही मैंने उसकी चूत के छेद पर रखा मैं बोला- लो मेरी जान, तैयार हो ना? उसने सर हिला कर सहमति जताई. चिकनाई के कारण मेरा लंड एक ही बार में पूरा उसकी चूत में घुस पड़ा। वो सिसकारी भरती हुई बोली- बहुत मजा आ रहा है, म्म्म्ह आहह… आराम से, धीरे करो ना!
फिर तो चुदाई का दौर शुरू हो गया, कभी मैंने उसे चोदा तो कभी उसने मेरे लंड पर बैठ कर सवारी की। पूरा कमरा फच फच की अवाज से गूंज रहा था। वो भी मेरे हर झटके में अपनी कमर उठा कर लंड को पूरा अन्दर तक लीलने की कोशिश कर रही थी। आज की चुदाई का तो मजा ही और था। हम दोनों इसका खुल कर मजा ले रहे थे। वो इस जबरदस्त चुदाई को ज्यादा देर सहन नहीं कर पाई और झड़ने लगी पर मैं उसे लगातार चोदे जा रहा था।
थोड़ी ही देर में वो फिर मेरा कमर उठा कर साथ देने लग गई, अब तो बिस्तर पर भूचाल आ गया। उसे चोदते चोदते मेरा लंड भी अब जवाब देने लगा, वो भी फिर से अपना पानी छोड़ चुकी थी मैंने भी आठ दस जोरदार झटकों के साथ अपना माल उसकी चूत के अन्दर निकाल दिया। वो मुझ से कस कर लिपट गई और मुझे यहाँ वहाँ चूमने लगी।
इस तरह पूरी रात में हमने चार बार चुदाई की और आखिरकार थक कर सो गये। अगली सुबह भी जाने से पहले मैंने उसे चोद कर ही जाने दिया।
अब हम दोनों की लाइफ मस्त चल रही है। पिछले दो साल से मैं अनीता को लगभग रोज ही चोद रहा हूँ। इस बीच दो बार तो उसका बच्चा भी गिरवाना पड़ा पर इससे ना अनीता की चुदने की भूख कम हुई, ना मेरी उसे चोदने की। उसे कॉन्डोम लगा कर चुदने में मजा नहीं आता इसलिए हर बार मेरा माल मुँह के अन्दर या चूत के अन्दर ही लेती है। अब तो मैंने उसे गर्भ निरोधक गोलियां देना शुरू कर दिया है।
इन दो सालों में उसकी चूचियां और गांड दोनों बहुत ज्यादा बड़ी हो गई हैं और उसकी चूत का तो मैंने चोद चोद का भोसड़ा बना दिया है। पर जो भी हो, हम दोनों अभी भी साथ साथ हैं।
आपको मेरी चोदन कहानी कैसी लगी, अपनी राय मेल कर जरूर बताइयेगा। आप इसी आईडी से मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। आपके अमूल्य राय एवं सुझाओं की आशा में आपका [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000