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दोस्तो, मेरा नाम ठाकुर चंद्रभान है और मैं भोपाल में रहता हूँ। आज मैं आपको अपनी एक एडल्ट स्टोरी सुनाता हूँ।
हुआ यूं कि जहां मैं रहता हूँ, वहाँ हमारी बगल वाला एक मकान खाली था। हमें भी था कि जल्दी से ये मकान किराए पे चढ़े ताकि कोई इसमें भी रहने आए और हमारा भी पड़ोस आबाद हो। कुछ दिनों बाद वहाँ एक परिवार रहने आया। उस परिवार में चार लोग थे, एक साहब थे शौकत अली, उनकी बेगम, एक बेटा और एक बेटी। जिस दिन उन्होंने अपना सामान रखा, उस मैं घर पर नहीं था, तो मुझे तो शाम को घर आने पर ही पता चला, अपनी बीवी से कि पड़ोस में नए किरायेदार आ गए हैं। अगले दिन सुबह मुझे शौकत भाई मिले, घर के बाहर ही खड़े, तो मैंने औपचारिकता वश उनको अभिवादन किया और उनके बारे में पूछा। शौकत भाई दुबई की किसी कंपनी में काम करते थे और एक महीने की छुट्टी पर आए थे। जिस घर में पहले रहते थे, वो थोड़ा छोटा था तो वो यहाँ शिफ्ट हो गए।
हमारे बातें करते करते उनका बेटा तौफ़ीक और बेटी रज़िया भी बाहर ही आ गए और हमारे पास ही खड़े हो गए। बेटा होगा करीब 17-18 साल का, और बेटी 10-11 की होगी। मगर मैं जिस बात का इंतज़ार कर रहा था, शौकत मियां की बीवी नज़र नहीं आई।
चलो, कुछ दिन यूं ही बीते, शौकत मियां से तो कभी कभार बात हो जाती थी, मगर उनकी बीवी मुझे कभी नहीं दिखी। वैसे मेरी गैरहाज़िरी में वो 2-3 दफा हमारे घर भी आ चुकी थी, मगर मुझे उनके दर्शन नसीब नहीं हुये। बीवी ने इतना तो बता दिया था कि शौकत मियां की बीवी, सकीना बानो देखने में सुंदर है, बहुत गोरी है, और खूब भरी भरी है, अगाड़ा पिछाड़ा सब लाजवाब है।
मेरे मन में और जलन हो गई कि इतनी सेक्सी औरत की तो लेकर मज़ा आ जाए।
मगर मेरी किस्मत देखिये, 3 महीने गुज़र गए उनको हमारे पड़ोस में रहते मगर मैं सकीना बानो के कभी दीदार ही नहीं कर पाया। हाँ… उनके बच्चे हमारे घर आते रहते थे, मेरी गुड़िया जो 2 साल की थी, उस से खेलने।
एक दिन मैं वैसे ही किसी और ही मूड में बैठा था कि तभी तौफ़ीक आ गया। मेरी बेटी गुड़िया मेरे पास थी, तो मेरे पास ही बैठ कर गुड़िया से खेलने लगा। खेलते खेलते अचानक मेरी नज़र तौफ़ीक की गांड पर पड़ी, अच्छी भरी हुई गोल गांड थी उसकी। हालांकि मैंने पहले कभी को समलैंगिक काम नहीं किया था, और ना ही मुझे शौक था, मगर उस दिन पता नहीं क्यों बार बार मेरा ध्यान उसकी गोल गांड पर ही जा रहा था।
मैं गांड मारता हूँ, और अपनी बीवी और जिन औरतों से मेरे संबंध रहे हैं, उनमें से जितनी ने मना नहीं किया, उन सब की मैंने गांड मारी है, और खूब जमके मारी है, मगर अभी तक किसी लौंडे की गांड नहीं मारी थी। मगर तौफ़ीक की गांड देख कर मेरा दिल कर रहा था कि इसे सहला कर देखूँ।
अभी मैं सोच ही रहा था कि अकस्मात मेरा हाथ अपने आप न जाने क्यों उसकी गांड पर चला गया और मैंने जैसे अंजाने में ही उसका चूतड़ पकड़ कर दबा दिया। मगर तौफ़ीक चौंका नहीं, हैरान नहीं हुआ, बल्कि मेरी तरफ देख कर बोला- क्या हुआ अंकल? उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी जो मुझे एक तरह से एक आमंत्रण सा लगा। मैंने कहा- कुछ नहीं देख रहा था, खा खा के बहुत पिछवाड़ा भारी किया है। वो बोला- अब खाते पीते घर का हूँ।
मुझे उसकी बात बहुत अच्छी लगी, मैंने कहा- ज़्यादा मोटा मत कर लेना, वरना लोग गलत समझेंगे। वो बोला- तो क्या हुआ जिसको जो समझना है, समझे, मुझे क्या! मैंने कहा- अरे तेरे मोटापे की बात नहीं कर रहा मैं, इस मटकते पिछवाड़े की बात कर रहा हूँ मैं! वो बोला- अंकल, इस पिछवाड़े की दुनिया दीवानी है।
मैं तो उसकी बात सुन कर अश्चार्यचकित रह गया, मैंने पूछा- तो किस किस ने तेरा पिछवाड़ा देखा है? वो बोला- जिसने एक बाद देख लिया, फिर और कुछ नहीं देखा। मुझे लगा, ये तो साला लौंडा लगता है, मैंने कहा- मुझे भी दिखाओ फिर, हम भी तो देखें ऐसा क्या खास है, तुम्हारे इस पिछवाड़े में!
मैंने तो मज़ाक में ही कहा था, मगर वो तो गंभीर हो गया, बोला- यहाँ कहाँ दिखाऊँ? मैंने कहा- चल ऊपर चलते हैं। मैं उठ कर ऊपर वाले चौबारे में चला गया तो वो मेरे पीछे पीछे ही आ गया। ऊपर जाकर मैं एक कुर्सी पर बैठ गया, वो मेरे सामने खड़ा था, मैंने कहा- चल अब दिखा! वो बोला- पर आप किसी को कहना मत।
और उसने मेरे सामने अपनी लोअर और चड्डी दोनों नीचे को खिसका दी। करीब 5 इंच का गोरा लंड, जिसका टोपा बाहर निकला हुआ था ऊपर काफी सारी झांट, गोरी मोटी जांघें। और जब वो घूमा तो पीछे दो खूबसूरत गोरे चूतड़।
मैंने आगे बढ़ कर उसका एक चूतड़ पकड़ कर दबाया, तो उसने हल्के ‘हाय’ कहा। मैंने कहा- क्या हुआ? वो बोला- आपने छूआ तो कुछ कुछ हुआ। मैंने उसे आँख मार कर पूछा- क्या हुआ? और मेरे आँख मारने पर जो उसने स्माइल दी, बहुत ही कटीली रंडी टाईप स्माइल थी, बोला- बस कुछ हुआ।
मैं उठ कर खड़ा हो गया और जा कर उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और जब मैंने अपना लंड उसकी गांड से लगाया तो वो तो साला मेरे कंधे पर सर रख दिया। अब उसके मम्में तो थे नहीं जो मैं दबाता, होंठ चूसने की भी मैं हिम्मत नहीं कर पाया, तो मैंने उसकी दोनों जांघों को अपने हाथों से रगड़ कर सहलाया, तो वो बोला- हाय अंकल, मार ही डालोगे क्या! मैंने कहा- ये बता तू लौंडा है क्या? वो बोला- हाँ, हूँ।
मैंने पूछा- ये नवाबों वाले शौक कहाँ से लग गए तुझे? वो बोला- मेरे एक शकील चाचा हैं, 4 साल पहले उन्होंने मुझे इसका चस्का लगाया। मैंने कहा- तो चार साल से गांड मरवा रहा है। वो बोला- मरवा रहा नहीं, मरवा रही हूँ। मैंने कहा- साली तो तो पक्की छिनाल है, रंडी साली। तो तौफीक ने तो सिसकारियाँ भर ली- सी… हाय मेरे मालिक, ऐसे प्यारे प्यारे नामों से न पुकारो मुझे। मैंने कहा- लंड चूसेगा मेरा? वो बोला- बड़ी इनायत होगी आपकी, वैसे भी बहुत दिन हो गए, हैं, विटामिन की खुराक पिये!
मैंने एक मिनट नहीं लगाया और अपनी निकर और चड्डी दोनों नीचे खिसका दिये। मेरे निकर उतारते ही वो एकदम से नीचे बैठ गया, पहले उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर देखा, फिर उसकी चमड़ी पीछे हटा कर मेरी तरफ देखा और मेरी आँखों में देखते ही देखते वो मेरे लंड का टोपा अपने मुंह में ले गया। पहली बार मेरा लंड कोई मर्द चूस रहा था, बेशक वो एक लौंडा था, पर था तो मर्द ही, न औरत न हिजड़ा।
और क्या चूसता था, पहले सिर्फ लंड के टोपे को ही उसने अपने मुंह में लेकर अंदर ही अंदर जीभ से चाटा, और ऐसे चाटा जैसे उसे कोई स्वाद आ रहा हो। मैंने पूछा- मज़ा आया? तो उसने बड़ी खुशी से अपना सर हिलाया। मैं फिर से कुर्सी पर बैठ गया और अब वो मेरे सामने नीचे फर्श पर बैठ गया और मेरी दोनों नंगी नंगी जांघों से अपने हाथों से सहलाने लगा। मैंने उसे पूछा- क्यों बे रंडी, गांड मरवाएगा? वो बोला- ज़रूर मेरे मालिक, पर पहले मैं इस खूबसूरत शै को चूस चूस कर अपने दिल के अरमान तो पूरे कर लूँ! और वो मेरे खड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।
बेशक मेरी बीवी बहुत अच्छा लंड चूसती है, चूसती क्या है, खा जाने तक जाती है। और भी बहुत से औरतों से मैंने अपना लंड चुसवाया है, मगर लौंडे का लंड चूसने का तरीका और नज़ारा दोनों ही अलग होता है। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और उसकी चुसाई के मज़े लेने लगा, चूस चूस कर साले ने लंड पत्थर कर दिया। अब मुझे भी जोश चढ़ने लगा तो मैंने कहा- यार तेरी गांड मारनी है। तो वो वहीं फर्श पर ही घोड़ी बन गया।
मैंने कहा- अरे नहीं ऐसे नहीं! मैंने अलमारी से दो तीन पुरानी चादरें निकाली और नीचे बिछा दी और उस पर उसे उलटा करके लेटा दिया। मैंने अपनी निकर और चड्डी भी बिल्कुल उतार दी और उसकी कमर पर चढ़ कर बैठ गया। अपना ढेर सारा थूक मैंने उसकी गांड के छेद पर थूका और अपने लंड के टोपे पर भी लगाया। और फिर उसकी गांड पर अपना लौड़ा रख कर उस से पूछा- डालूँ क्या? वो बोला- हाँ अंकल डाल दो।
मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया तो मेरे लंड का टोपा तो उसकी गांड में आराम से घुस गया और उसको कोई तकलीफ भी नहीं हुई। जब टोपा घुस गया तो मैंने थोड़ा और थूक और ज़ोर लगा लगा कर अपना आधे से ज़्यादा लंड उसी गांड में डाल दिया। मगर उस हरामजादे ने दर्द के मारे एक बार भी सी नहीं की बल्कि खुद अपनी गांड उठा उठा कर मुझे और लंड डालने को उकसा रहा था।
मैंने उसके बाद थूक लगाना बंद कर दिया, मैंने सोचा, बड़ा साला लौंडा बना फिरता है, इसे थोड़ा दर्द भी दिया जाए। मगर मेरी शुष्क चुदाई में भी वो मज़े ले रहा था। करते करते मैंने अपना सारा लंड उसकी गांद में उतार दिया। अभी तक जितनी औरतों की मैंने गांड मारी थी, सबमें करीब आधा लंड ही डालता था, क्योंकि उनको तकलीफ होती थी, और मैं बस उतना डाल कर ही चुदाई कर लेता था, मगर ये तो साला मज़े ले रहा था, तो मैं और डालता गया, और देखो, साला सारा लंड खा गया। 7 इंच का लंड और मेरी झांट उसकी गांड को लग रही थी। मुझे अपने लंड पे ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे आगे उसकी गांड और टाइट हो गई हो, मगर अंदर से उसकी गांड पूरी गीली थी, बाहर छेद पर ही खुश्की थी, वहाँ मैं अपना थूक लगा कर चिकना कर लेता था।
मैंने उससे पूछा- तौफीक ये तो बता, तू लौंडा बना कैसे? वो बोला- अंकल आपको अपने शकील चाचा के बारे में बताया, न, उनका लंड भी आपकी तरह मस्त है, कड़क एकदम। उन्होंने सबसे पहली बार एक रात मेरे को बहुत प्यार किया, मुझे खूब सारी चीज़ें ला कर दी, फिर मुझे कुछ पिलाया, उसके बाद मैं सो गया। सुबह उठा तो मेरे पीछे बहुत दर्द था। पास में शकील चाचा बिल्कुल नंगे पड़े थे। बेशक मैं तब छोटा था, मगर मैं समझ गया कि रात शकील चाचा ने मेरी इज्ज़त लूट ली। पहले तो मैं बहुत रोया, फिर सोचा मैं कोई लड़की हूँ, जो रो रहा हूँ। मगर उसके दो चार दिन बाद शकील चाचा ने मुझे पूरे होशो हवास में ज़बरदस्त चोदा। अपने लंड पर तेल लगा कर उन्होंने मेरी गांड मारी। उस मुझे दर्द तो कम हुआ, पर मज़ा आया। मैं सोचने लगा कि इसमें मुझे मज़ा क्यों आया। मगर शकील चाचा को तो जैसे घर में ही चुदाई के लिए रंडी मिल गई हो। वो हर दूसरे तीसरे दिन मेरी गांड मारते। फिर कभी दिन में कभी रात मे। करते करते 4 साल हो गए। मैंने कभी मर्द का लंड नहीं चूसा था, उन्होंने ही मुझे ये आदत डाली। पहले लंड चुसवाते, फिर गांड मारते, और उसके बाद अपना माल पीने को कहते।
मैंने पूछा- तो क्या तू मेरा माल भी पिएगा? वो बोला- अब तो अच्छा लगने लगा है, माल न पीऊँ तो लगता है, कुछ आधा अधूरा सा रह गया।
मैंने कस कर उसकी गांड मारी और जब मैं झड़ने को हुआ, मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाल कर उसके ही मुंह में दे दिया, जिसे उसने बड़े प्यार से चूसा, और जब 2 मिनट की चुसाई के बाद मेरा गरम माल उसके मुंह में गिरा तो वो घूंट भर भर के पी गया। सारे का सारा माल पी गया और मेरे लंड को पकड़ कर खूब चाटा, आखरी बूंद तक वो चाट गया। सच में बड़ा मज़ा आया, लौंडे की गांड मार कर।
उसके बाद मेरा तो थोड़े से दिनों बाद ही दिल करने लगा कि मैं उसकी गांड मारूँ। सच कहूँ तो कभी कभी तो अपनी पत्नी को भी मैं सेक्स के लिए मना कर देता, ये सोच कर के कल को लौंडे की गांड मारनी है, आज सेक्स की छुट्टी करो। और वैसे भी मेरी बीवी मेरा माल नहीं पीती थी, अब तो साला मुंह में माल गिराने में जो स्वाद आता था, वो साला कोंडोम में या बीवी के पेट पर माल गिराने में कहाँ आता था।
फिर एक दिन तौफीक बोला- अंकल अगर आप मुझे इंग्लिश की ट्यूशन देने के बहाने मेरे घर आ जाया करो, तो हमारे मिलने का एक बढ़िया रास्ता खुल जाएगा। मुझे क्या ऐतराज हो सकता था, मैंने हाँ कर दी।
उसके बाद मैं हर रोज़ तौफीक को इंग्लिश की ट्यूशन देने उसके घर जाने लगा, मगर फिर भी उसकी अम्मी के दीदार नहीं हुये। मैं अक्सर उसकी अम्मी के बारे में पूछता क्योंकि ट्यूशन के वक़्त चाय नाश्ता वही बना कर भेजती थी और बहुत लज़ीज़ नाश्ता होता था। मगर वो कभी मेरे सामने नहीं आई, हर वक़्त पर्दे में रहती थी। और यही बात मुझे उसकी तरफ खींचती थी, मुझे लगता था कि अगर मैंने तौफीक के अम्मी की शक्ल न देखी तो ना जाने क्या कयामत आ जाएगी।
यह एडल्ट स्टोरी जारी रहेगी. [email protected]
कहानी का अगला भाग : गांडू बेटे की सेक्सी माँ को चोदा-2
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