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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरे खड़े लंड का प्यार भरा नमस्कार. मैं आशा करता हूँ कि मेरी भाभी की चुदाई कहानी पढ़ कर लड़के मुठ जरूर मारेंगे और लड़कियां चूत में उंगली करने लग जाएंगी.
मैं आपको अपनी पहली सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ. मेरा नाम संजय (बदला हुआ नाम) है और मैं भोपाल से MCA कर रहा हूँ. मैं भोपाल (मध्य प्रदेश) से 100 किलोमीटर दूर एक शहर का रहने वाला हूँ. ये 5 साल पुरानी बात है, जब मैं अपने शहर में रहता था. उस वक्त मेरे बड़े पापा(ताऊ जी, पापा के बड़े भाई) के लड़के की शादी हुई थी. मेरा घर और मेरे बड़े पापा का घर पास पास में है. बस अलग अलग खाना बनता है. मैं उस समय 12वीं कक्षा में था.
मेरा लंड 6 इंच का है, उसकी खास बात यह है कि कुदरत ने मुझे केले के आकार का लंड दिया, जिसे सारी औरतें और लड़किया पसंद करती हैं.
मेरी नई भाभी बहुत ही सुंदर दिखती हैं. उनका फिगर बहुत ही मस्त है. वो मस्त हरी भरी गदरायी 36-32-38 का साइज़ है. मेरी उन से बहुत बात हुआ करती थी. धीरे धीरे मैं भाभी से कुछ ज़्यादा ही बातें करने लगा. हम दोनों सभी तरह के बातें कर लिया करते थे. मेरा ध्यान उनकी तरफ बढ़ने लगा. वो मुझे और भी सुंदर दिखने लगीं. मुझे उनके बड़े और गोल मस्त चूचे बहुत ही अच्छे लगते थे. वो जब भी खाना बनातीं तो मैं उनके पास जाकर खड़ा हो जाया करता और उनकी मदद करता रहता.
पर जब उनकी ब्रा की स्ट्रिप दिखती, तो मैं उसको पकड़ कर खींच कर छोड़ देता और उन्हें इससे ज़ोर से लग जाती. लेकिन वो इसका विरोध नहीं करती थीं, इससे मेरे में और हिम्मत आती गई. उनकी मस्त गांड थी. क्या बड़े बड़े चूतड़ थे, वो जब चलती थीं, तो कयामत लगती थीं. वो जब भी मेरे पास आतीं तो मैं उनके नितंबों में खींच कर हाथ मार दिया करता था और वो मुस्कुरा कर चल दिया करती थीं.
एक दिन की बात है, उस दिन रात में 10 बजे मैं भाभी के कमरे में गया. वहां भाभी के अलावा कोई नहीं था. मैं पार्टी से आया हुआ था तो थका हुआ था. उस रात भैया घर में नहीं थे, वो अधिकतर रात में काम से बाहर ही रहते थे. मैं वहीं भाभी के पास आकर बैठ गया और उनसे बातें करने लगा. मैं बहुत ही थका हुआ था, जिससे मुझे नींद आ रही थी.
भाभी ने मुझसे कहा- जब तक तुम्हारे भैया नहीं आते, तुम यहीं लेट जाओ. तो मैं वहीं बिस्तर में जहां भाभी लेटी थीं, वहीं लेट गया. मुझे हल्की हल्की नींद आने लगी थी तो भाभी ने मुझसे बोला- एक जादू दिखाऊं? तो मैं बोला- दिखाओ.
वो मेरे कान के पास आकर मेरे कान में हवा फूँकने लगीं, मुझे गुदगुदी होने लगी थी. वो धीरे-धीरे मेरे कान से होते हुए गाल पर आकर मुझे किस करने लगीं. मैंने उनसे कुछ भी नहीं बोला, मैं भी उनका साथ देने लगा और हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे. करीब मैंने 15 मिनट तक मैंने उन्हें किस किया. अब तो मैं किस के साथ धीरे-धीरे भाभी की जाँघों को भी सहलाने लगा था.
जब भाभी और मैं गर्म हो गए तो मैंने अपने हाथों से उनके दोनों कबूतरों को पकड़ लिया और दबाने लगा. भाभी कामुक सीत्कार करने लगीं तो समझ गया कि अब लाइन क्लियर है. बस मैंने उनके ब्लाउज के सारे बटनों को खोल दिया और उनके एक दूध में मुँह लगा कर मस्त होकर पीने लगा.
भाभी भी मेरा सर पकड़ कर अपने चूचे पर दबा रही थीं, लग रहा था कि जैसे वो मुझे इनको आज़ाद करने को बोल रही हों.
कुछ देर बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया तो हम दोनों ने झटपट कपड़े ठीक किए और मैं वहीं सोने का बहाना करके लेटा रहा. भाभी ने दरवाजा खोला तो देखा भैया थे. वो अन्दर आए और उन्होंने कुछ नहीं बोला. चूंकि मैं अक्सर वहीं रात तक लेटा रहता था.. जब तक भैया नहीं आ जाते थे.
आज तो मैंने भाभी के होंठों को सुजा दिया था, तो भैया ने भाभी से पूछा- होंठों को क्या हुआ? तो उन्होंने बोला- संजू ने टीवी का रिमोट मार दिया था.
भाभी ने मुझे ऐसे ही उठाया क्योंकि मैं तो सोया ही नहीं था. वो भी जानती थीं. मैं उठ कर अपने घर की तरफ चल दिया. मैं उस दिन से अपनी भाभी को चोदने के सपने देखने लगा. मैं उनसे जब भी मिलता तो उन्हें कहीं भी पकड़ कर किस कर लिया करता और उनकी गांड में हाथ फेर देता.
अक्सर मैं उनके घर दिन में 2 बजे के करीब जाया करता था, जब वो बिस्तर में अकेले बैठे रहती थीं. इस समय भाभी अधिकतर गाउन पहन लिया करती थीं. मैं उन्हें होंठों पर किस करता और उनके साथ लेटा रहता था. मैं लेटे रह कर भाभी के मम्मों को दबाता और उन्हें सहलाता रहता. कभी उनके मम्मों को कभी उनकी जाँघों को मसल देता.
भाभी मुझसे अब सारी बातें खुल कर बताने लगीं कि वो कैसे नहाती हैं.. झांटों को कब कब बनाती हैं.. मतलब अपनी गोपनीय वे सारी बातें मुझसे कहने लगीं जो एक पत्नी अपने पति को बता सकती है. मैं भाभी की जवानी पर और भी अत्यधिक आकर्षित हुआ जा रहा था. अब तो बस भाभी को चोदने की चाह बलवती होने लगी थी.
भाभी के साथ चुदाई का मौका न मिल पाने के कारण अब अक्सर मैं उनके नाम की मुठ मारने लगा था. इसी तरह एक साल निकल गया; कोई मौक़ा ही हाथ नहीं आ रहा था.
एक रात की बात है जब मेरे भैया रात में नहीं थे तो मैं उनके घर गया. वहां देखा कि मेरे चाचा की लड़की की वहां सो रही थी. मैं भी भाभी के बगल से जाकर रज़ाई में घुस गया और उनकी जाँघों को और मम्मों को दबाने लगा. मैंने देखा मेरी बहन सो गई और फिर मैंने रज़ाई को अपने सर तक खींच लिया और भाभी को किस करने लगा. धीरे से मैंने धीरे से भाभी की जाँघों को सहलाते हुए पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया. मुझे ऐसा लग रहा था मानो जैसे किसी भट्टी में आग लगी हो, उसमें मैंने हाथ डाल दिया हो.
फिर मैंने धीरे से भाभी की चूत में उंगली करना शुरू कर दी. मुझे तो बहुत ही आनन्द आ रहा था. भाभी की चूत में उंगली करने के साथ मैं उनके मम्मों को भी चूस रहा था. भाभी ने अपनी टांगें खोल दी थीं और मेरा सर पकड़ कर मुझे दूध चुसाने लगी थीं.
आज बड़ा सॉलिड मौक़ा था, मैं भाभी को चोद सकता था लेकिन मेरी बहन के चलते मैं उस रात कुछ कर नहीं पाया.
इसके बाद हुआ यूं कि मुझे पढ़ाई के लिए भोपाल जाना था तो मैं अगले दिन जाने की तैयारी में लग गया. मेरी और भाभी की लव स्टोरी इसी तरह चलती रही. हम दोनों फोन सेक्स से अपनी कामाग्नि बुझाने लगे.
फिर कुछ महीनों बाद मेरी भाभी भैया के साथ भोपाल आईं, भैया को कुछ ज़रूरी काम था तो भैया भाभी को मेरे कमरे पर छोड़ कर चले गए. भैया जाते वक्त मुझसे बोले- मुझे कुछ दिनों का काम है इसको कुछ दिन घुमाने के बाद घर जाने के लिए स्टेशन तक छोड़ आना, ये अभी कुछ दिन तुम्हारे पास यहीं रुकेगी. इसका घूमने का मन था सो मैं साथ ले आया.
मेरी बांछें खिल गईं, मैं समझ गया कि घूमना तो बहाना है, भाभी खुद चुदवाने आई हैं. मैंने किसी तरह अपने जज्बात पर काबू पाते हुए भैया को वादा किया- आप चिंता न करें मैं भाभी को सब कुछ दिखा दूँगा. भाभी एक हफ्ते के लिए मेरे पास रुकी हुई थीं, उस दिन भैया रुके फिर अगले दिन चले गए.
अगले दिन हमने साथ में खूब मस्ती की, फिर शाम को घूमने निकल गए. मैंने भाभी के लिए नया गाउन खरीद कर उन्हें गिफ्ट किया. फिर रात को हम दोनों खाना आदि से फ्री होकर सोने की तैयारी करने लगे.
हम दोनों बिस्तर में लेटे हुए थे. उत्तेजना इतनी अधिक थी कि हम दोनों एक दूसरे से बात ही नहीं कर पा रहे थे, बस हम दोनों ही हवस की नज़रों से एक दूसरे को देख रहे थे.
फिर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा, अभी मैंने कोई और प्रतिक्रिया नहीं की थी, सिर्फ़ हाथ ही पकड़ा था. मैं उनके करीब आया और उन्हें किस करने लगा. वो भी प्यासी शेरनी सी मुझ पर टूट पड़ीं और मेरा साथ देने लगीं. भाभी को चूमते हुए मैं धीरे धीरे उनके मम्मों को ऊपर से ही दबाने लगा और मम्मों पर किस भी करता जा रहा था.
फिर मैंने भाभी के गाउन को ऊपर कर दिया और उनकी ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को भरपूर दबाने लगा. मम्मों के साथ ही मैं एक हाथ से उनकी जाँघों को सहला रहा था. फिर मैंने उनके गाउन को उतार दिया. अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी और ब्रा में पड़ी थीं. मुझसे सब्र ही नहीं हो रहा था तो मैंने झपट्टा मार कर भाभी की ब्रा को खींच कर उतार दिया और उनके मस्त मम्मों पर अपने प्यासे होंठों को लगा दिया.
मैं भाभी के रसीले मम्मों को चूसे जा रहा था. उनका एक हाथ मेरे लोवर की तरफ़ गया और उन्होंने मेरा लंड दबोच लिया. शुरू में भाभी मेरे लंड को लोवर के ऊपर से ही सहला रही थीं, फिर उन्होंने मेरे कपड़े उतार कर फेंक दिए.
अब मैं भाभी के सामने पूरा नंगा था. मैंने धीरे से उनकी गांड उठाई और एक बार में भाभी की पैंटी अलग कर दी.
अब भाभी की चूत बिल्कुल मेरे सामने खुली पड़ी थी. दोस्तों मैं बता नहीं सकता कि भाभी की चुत कितनी मस्त.. गुलाबी रंगत लिए हुए थी. भाभी की चूत देख कर मुझे यूं लग रहा था जैसे भाभी मुझसे ही चुदने के लिए चूत को तैयार करके आई हों. मैं उनकी चूत को सहला रहा था.
फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए, मैं उनकी चूत को चूस रहा था और भाभी के मुंह में लंड था मेरा वो मेरे लंड को चचोर रही थीं. इस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ज़न्नत मिल गई हो. मैं तो 5 मिनट में ही भाभी के मुँह में झड़ गया और साथ में वो भी झड़ गईं.
उसके बाद मैं उनके मम्मों से खेलता रहा और वो मेरे लंड से खेलती रहीं. कुछ ही पलों में मेरे लंड में फिर से उफान आने लगा. ज़्यादा इंतज़ार ना करते हुए मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया. मेरे लंड का टोपा कुछ ज़्यादा ही मोटा था, जिससे वो भाभी की चुत में अन्दर नहीं जा रहा था. भाभी की चुत बिल्कुल गीली हो चुकी थी; मैंने थोड़ा सा उनके पैरों को ऊपर उठाते हुए फैलाया और उनकी चूत के मुँह में लंड का टोपा लगा दिया. अभी भाभी कुछ सम्भलतीं कि मैंने सीधे एक बार में पूरा लंड घुसेड़ दिया. उनके मुँह से बहुत तेज ‘आह आहह.. मर गई..’ की आवाजें आने लगीं. वो चूत में तेज दर्द से कराह रही थीं, जैसे कब से ना चुदी हों.
फिर मैं ऐसे ही ज़ोरदार धक्के लगाता रहा और फिर 15 मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा.
हमारे कमरे में सिर्फ़ कामुक सीत्कारियों को आवाज़ आ रही थी. कुछ ही पलों बाद भाभी की चूत ने रस छोड़ दिया था जिस वजह से रूम में ‘फ़च्छ फ़च्छ..’ की आवाजें आने लगी थीं. भाभी दुबारा से झड़ने वाली थीं और उनका शरीर फिर से कड़ा होने लगा था. उन्होंने बोला- और ज़ोर से चोद मेरे प्यारे देवर.. फाड़ दे अपनी भाभी की चूत को.. भाभी की बातों को सुन कर मुझे भी जोश आ गया. मैं भी पूरी ताकत से भाभी की चूत में लंड लेकर पिल पड़ा.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी के अन्दर ही अपना वीर्य को छोड़ दिया. उन्होंने भी कुछ नहीं बोला. फिर उसने मेरा लंड में लगे वीर्य को मुँह में लेकर साफ किया. उसके बाद मैं ऐसे ही कुछ देर तक ऐसे ही रहा.. लेकिन मेरे लंड में फिर से जोश आ गया. अब मैंने अपनी भाभी को कुतिया के अंदाज में चोदा और फिर उनकी गांड भी मारी. उन्होंने कभी अपनी गांड नहीं मरवाई थी. उस दिन मैंने अपनी भाभी को 4 बार चोदा और इसी तरह 7 दिन तक लगातार चोदा.
इसके भाभी चली गईं… और जब भी मौका मिलता है, हम दोनों चुदाई कर लेते हैं. मैं चाहता हूँ कि आप मुझे मेरी भाभी की चुदाई कहानी के बारे में मेल करें और बताएं कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी. [email protected]
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