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कहानी का पिछला भाग : मेरी जवान भानजी ने मेरी बेटी की कुंवारी बुर दिलाई आपने मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी में पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी भानजी को चोदा, फिर उसने मुझे मेरी बेटी की चूत चोदने में मदद की. अब आगे:
रात के लगभग 3 बजे मुझे अपने लंड पर किसी गीली चीज का अहसास हुआ तो मेरी नींद खुल गई. मैंने देखा कि मेरी भांजी पिंकी और मेरी बेटी रेखा दोनों मेरे लंड को चूस रही हैं. मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका है. लंड को कभी पिंकी चूस रही है तो कभी रेखा.. कभी कभी दोनों मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट रही हैं.
मुझे जागते देख कर मेरी बेटी रेखा शरमाने लगी लेकिन पिंकी तो पूरी रंडी बन चुकी थी. फिर मैं उठ कर खड़ा हो गया. दो मासूम कलियों को देख कर मेरा लंड झटके मार रहा था. मैंने दोनों को अपने आगे बिठा दिया और बोला- देखो कौन मेरा लंड सबसे अच्छा चूसती है.
यह कह कर मैं अपना लंड दोनों के गालों में सटाने लगा. सबसे पहले मेरी भांजी पिंकी ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी. उसकी देखा देखी रेखा ने भी मेरे लंड को उसके मुँह से छीन कर अपने मुँह में ले लिया. इस तरह से दोनों मेरे लंड के लिए एक दूसरे से छीना झपटी कर रही थीं. कभी कभी दोनों एक साथ अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटने लगती थीं. मेरा लंड झटके पर झटके मार रहा था.
दस मिनट के लंड चूसने से मेरा लंड इतना ज्यादा गर्म हो गया था कि मन कर रहा था कि दोनों की चूत एक साथ चोदूँ. मैंने दोनों को डॉगी स्टाइल में झुकने को कहा. दोनों को कुतिया की तरह झुका दिया और पीछे से दोनों को पेलने लगा. मैं अपना लंड कभी पिंकी की बुर में घुसाता, तो कभी रेखा की बुर में.
दोनों की बुर इतनी टाइट थीं कि मेरा लंड कसा कसा सा जा रहा था. मैं दोनों की बुर को बहुत देर तक चोदता रहा. मेरा लंड रॉड हो चुका था, इसीलिए झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. मैं दोनों को गाली दे दे कर पेल रहा था.
“साली तुम दोनों रंडी हो, पिंकी जैसी तेरी मां है.. वैसे ही तुम लोग भी साली रंडी हो. एक दिन इस लंड से तुम दोनों की गांड मारूंगा.. अभी तो चूत मारने में ही तुम लोग का यह हाल हो गया है, जिस दिन तुम दोनों की गांड में अपना लंड डालूंगा, उस दिन तुमको पता चलेगा कि चुदाई क्या होती है.” यह कह कर मैं दोनों को तेजी से पेलने लगा. आधा घंटा तक मैं चूत बदल बदल कर दोनों की चुदाई करता रहा.. कभी पिंकी को चोदता, तो रेखा से अपना लंड चुसवाता और रेखा की चुदाई करता तो पिंकी से अपना लंड चुसवाता.
मेरा लंड कभी चूत में तो कभी मुँह में मजा ले रहा था. जब मुँह में मेरा लंड जाता तो दोनों के मुँह की गर्मी से मेरा लंड और टाइट हो जाता था. फिर मैं उसे अपनी भांजी और बेटी के चूत में डाल देता. मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरा लंड अब लग रहा था, फट जाएगा.
फिर मैंने दोनों को अपने आगे बैठा दिया और अपना लंड पिंकी के मुँह में घुसा कर अपना बीज गिराने लगा. मैं पिंकी से बोला- ले साली मेरा वीर्य.. तुम दोनों मिल बांट कर पीना.. कुत्तियों अकेले मत पी जाना साली रंडी.. यह कह कर मैंने अपना पूरा वीर्य पिंकी के मुँह में गिरा दिया. पिंकी और रेखा मेरे वीर्य को मिल बांट कर पी गईं.
अब हम तीनों थक गए थे. हम लोग कपड़े पहन कर अपनी अपनी जगह पर जा कर सो गए. सुबह मेरी ससुराल से फोन आया कि मेरी बीवी की माँ की तबियत थोड़ी ख़राब है.. तो मेरी बीवी मेरे बेटे को लेकर चली गई. वहाँ पहुंच कर बीवी ने फ़ोन पर बताया कि माँ ठीक हैं, मैं कल शाम तक आ जाऊँगी. क्योंकि सब को शादी में जाना है.
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि चलो मेरे पास दो दिन और एक रात है. मैं अपने सभी अरमान पूरे कर लूँगा.
पिंकी और रेखा को भी जब पता चला कि कल शाम तक हम तीनों अकेले हैं तो वो दोनों भी खुश हो गईं.
मैंने दोनों को बुलाया और बोला- देखो अब कल शाम तक हम तीनों घर में पूरे नंगे रहेंगे.. और मस्ती करेंगे, मंजूर है? पिंकी- मंजूर है.
फिर मैंने पिंकी और रेखा को पूरी नंगी कर दिया. पिंकी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए. फिर मेरी बेटी रेखा चाय बनाने चली गई.
अब मैंने पिंकी को नीचे बैठा दिया और अपना लंड उसके गालों से सटाने लगा. पिंकी पूरी रंडी हो चुकी थी, वो मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी. कुछ देर चाटने के बाद मेरे लंड को चूसने लगी.
तभी रेखा नंगी ही चाय लेकर आ गई.- पापा लीजिये.. चाय पीजिये. तब मैंने उसके छोटी छोटी चूचियों को देखते हुए कहा- मुझे चाय नहीं, दूध पीना है. तब रेखा ने शरमाते हुए कहा- पापा ज्यादा दूध पीना अच्छी बात नहीं है.. दूध बाद में पी लेना.. अभी चाय पी लो. मैंने कहा- ठीक है.. लेकिन मैं चाय एक ही शर्त पर पियूंगा.. तू पहले अपने रसीले होंठों से जूठा कर.. तब ही मैं पीऊंगा. उसने कहा- पापा ऐसा करोगे तो आपको बीमारी हो जाएगी. मैंने कहा- मुझे कोई परवाह नहीं है.. तू इसे जूठा तो कर.. तब ही मैं ये पीऊंगा.. वरना वापस ले जा ये चाय.. रेखा ने कहा- ठीक है..
उसने चाय का एक सिप लिया और वापस कप में चाय गिरा कर जूठा कर दिया.. फिर प्यार से चाय का कप मेरी और देकर बोली- ये लो पापा.. चाय. उसने एक सेक्सी स्माइल दी.. मैं पूरी चाय झट से पी गया. तब तक पिंकी ने लंड को चूस चूसकर पूरा गीला कर दिया था.
फिर मैंने रेखा को भी लंड चूसने का इशारा किया, दोनों मेरा लंड चूसने लगीं. मैं सोफे पर बैठा दोनों की नारंगियों को मसलने लगा. मैं- पिंकी, आज मुझे तुम्हारी कुँवारी गांड मारना है.. बोल मारने दोगी? पिंकी- मैं एक शर्त पर गांड मारने दूँगी. जब आप वादा करो कि आप मेरे सामने रेखा की कुँवारी गांड में अपना पूरा लंड घुसा के इसे पूरा जवान बनाएंगे.
मैंने रेखा की तरफ देखा. रेखा- नहीं पापा.. मैंने सुना है गांड में बहुत दर्द होता है. आप मेरी बुर में लंड पेल लेना. मैं- नहीं बेटी, तुम्हें दर्द नहीं होने दूँगा. पहले पिंकी की कुँवारी गांड मारूँगा, तो तुमको भी ट्रेनिंग मिल जायेगी. रेखा- ठीक है पापा… लेकिन दर्द होगा तो आप निकाल लेना. पहले पिंकी की गांड मारिए.. मैं तेल लाती हूँ. पिंकी- ठीक है मैं तैयार हूँ, आप मेरी गांड मार सकते हैं.. लेकिन पहले अपने लंड में तेल या क्रीम लगा लीजिये.
फिर मैंने पिंकी से घोड़ी बनने के लिए बोला, पिंकी सोफे से उतरी और वहीं सोफे का सहारा लेकर घोड़ी बन गई. मैंने उसकी गांड के छेद को देखा वो लंड घुसने की सोच कर खुल बंद हो रहा था. पिंकी को बहुत डर लग रहा था, लेकिन अब वो अपनी बात से पीछे भी नहीं हट सकती थी. उसके चेहरे पर एक रंग आ रहा था और दूसरा रंग जा रहा था.
रेखा पिंकी की ऐसी हालत देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी. रेखा मेरे लंड पर तेल लगाने लगी. फिर उसने पिंकी की गांड पर भी अच्छे से तेल लगा दिया. मैंने सोच लिया था कि भले ही उसकी चुत मारते वक्त पिंकी पर रहम किया था लेकिन अगर गांड मारने में रहम किया तो पिंकी चीख चीख कर पूरा घर सर पर उठा लेगी.
अब मैं घोड़ी बनी पिंकी की गांड के ठीक पीछे आ गया. मैंने एक हाथ पिंकी की कमर कस कर पकड़ ली और दूसरे हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया. पिंकी समझ गई कि अब उसकी गांड फटने वाली है.
एकाएक मैंने पिंकी की गांड का निशाना ले कर ज़ोर का धक्का लगाया लेकिन लंड फिसल गया. मैंने पिंकी के मुँह से हाथ हटाया और उस हाथ से लंड पकड़ कर फिर से एक ज़ोर का धक्का लगाया, एक ही धक्के में मेरा आधा लंड पिंकी की कुँवारी गांड में घुस चुका था. जैसे ही लंड अंदर घुसा मैंने पिंकी का मुँह बंद करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और सारा घर “आआईयईईईई.. मर गई रे.. उऊहम्म्म…”
पिंकी की चीख से सारा घर थर्रा गया था और पिंकी दर्द के मारे छूटने के लिए फड़फड़ा रही थी.. पर मैंने कोई रहम नहीं दिखाई और पिंकी का मुँह दबा कर फिर से एक धक्का लगा कर अपना पूरा लंड उसकी गांड में पेल दिया.
मैं गचागच धक्के पर धक्के लगाने लगा. पिंकी की हालत और मेरे धक्के देख कर, रेखा की गांड डर के मारे फटे जा रही थी. कुछ ज़ोर के धक्के मारने के बाद मैं रुक गया. अब तक मेरा लंड पिंकी की गांड में अपने लिए जगह बना चुका था और मैं जानता था कि पिंकी को जितना दर्द होना था, हो चुका है.
कुछ देर बाद पिंकी का छटपटाना कम हुआ तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटा लिया. हाथ हटते ही पिंकी ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए रोने लगी. रेखा अभी तक आंखें फाड़े चुपचाप सब तमाशा देख रही थी. मैं पिंकी को रोते देख उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोला- बस पिंकी मेरी जान.. अब रोने से कोई फायदा नहीं है, जितना दर्द होना था हो चुका.. अब सिर्फ़ मजा ही मजा है.
“लेकिन मामा तुम तो किसी कसाई की तरह मेरी गांड फाड़ रहे थे.. थोड़ा आराम से कर लेते.. मैं कहीं भागे तो नहीं जा रही थी..” पिंकी रोते हुए बोली. “देख पिंकी मैंने तेरे भले के लिए ही ऐसा किया.. अगर मैं धीरे धीरे करता तो तुझे बार बार दर्द होता और ऐसा करने में एक बार ही हुआ. इसीलिए मैंने ऐसा किया.” मैंने उसे समझाते हुए बोला.
अब पिंकी रोना बंद कर चुकी थी तो मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया. पिंकी को भी अब धक्के लगने से मजा आने लगा था.
वो भी गांड पीछे कर के मुझको और जोश दिलाते हुए रेखा से बोली- देख साली.. मैंने कैसे एक ही बार में गांड मरवा ली.. नहीं तो एक तू है जिसने ज़रा सा लंड चूत में घुसते ही सारा घर सर पर उठा लिया था, पेलो मामा पेलो और ज़ोर से पेलो अपना लंड मेरी गांड में.. आह फाड़ दो मेरी गांड आज अपने मूसल लंड से आह.. रेखा आंखें फाड़े पिंकी को इतने मोटे लंड से गांड मरवाते देख रही थी और मन ही मन उसकी हिम्मत की दाद भी दे रही थी.
“ले साली ले, ले मेरा लंड संभाल बहुत खुजली थी ना तेरी गांड में.. चल आज मैं तेरी गांड की सारी खुजली मिटा देता हूँ.” यह कह कर मैंने धकाधक पिंकी की गांड में लंड पेलने लगा. पिंकी भी अपनी चुत में उंगली चलाने लगी. कुछ देर बाद मेरी स्पीड बढ़ती गई. “आहह.. ऊहह.. मैं अब झड़ने वाला हूँ पिंकी..” वो बोली. “मामा, मैं भी झड़ने वाली हूँ प्लीज़ अपना लंड अब मेरी चुत में डाल दो.. मैं आपके वीर्य को अपनी चुत में गिरते हुए महसूस करना चाहती हूँ.”
पिंकी अपनी चुत से उंगली निकलते हुए बोली. उसके ऐसा बोलते ही मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाल कर उसकी चुत में पेल दिया और दो चार धक्के मारते ही झड़ने लगा.
मेरे लंड ने इतना माल निकाला कि वो चुत में समां ही नहीं पाया और नीचे बहने लगा. पिंकी भी मेरे साथ ही झड़ गई और उसकी चुत ने मेरे लंड को कस कर दबा लिया. हम दोनों ही झड़ने के बाद वहीं भरभरा कर वहीं औंधे गिर कर ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगे.
उधर मेरी बेटी रेखा अभी भी यकीन नहीं कर पा रही थी कि पिंकी अपनी गांड में एक ही बार में इतना मोटा लंड ले चुकी है.
पिंकी की गांड में अब भी दर्द था. वह सोने चली गई. अब मैं और मेरी कमसिन बेटी अकेले थे. मेरी बेटी रेखा पिंकी की गांड चुदाई देखकर पूरी गर्म हो चुकी थी.
अब अगले भाग में मैं अपनी बेटी रेखा की गांड चुदाई की कहानी लिखूंगा. मुझे मेल कीजिएगा. [email protected]
सेक्स कहानी का अगला भाग: भानजी और बेटी की चूत गांड की चुदाई
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