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अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम राहुल है. मैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग सिटी से हूँ. मैं अभी इंजीनियरिंग के दूसरे साल का स्टूडेंट हूँ, मेरी उम्र 20 साल है, देखने में थोड़ा स्लिम हूँ लेकिन गुड लुकिंग हूँ. मेरा कद पांच फीट छह इंच है, रंग और कद काठी सामान्य है.
ये कहानी अभी 4 महीने पहले की है. मैं यहाँ दुर्ग में एक पी जी में किराये पर रहता हूँ. हमारे पी जी के सामने एक सेक्सी सी भाभी रहती हैं, उन का नाम किरण है. किरण भाभी के 2 बच्चे हैं लेकिन उनको देखने से बिल्कुल नहीं लगता कि वो 2 बच्चों की माँ हैं. क्या बॉडी है उनकी, उम्र भी उनकी 28 करीब होगी. फिगर 36-30-36 का है. कद लगभग 5 फीट 4 इंच होगा. उन के पति एक फैक्ट्री में जॉब करते हैं, उनकी ड्यूटी की शिफ्ट बदलती रहती है, कभी दिन में तो कभी रात को.
मुझे यहाँ रहते हुए 2 साल हो गए थे. जब से मैंने किरण भाभी को देखा था, उनको चोदने की ही सोचता रहता था. बस ऐसे ही टाइम निकलता गया, लेकिन भाभी मुझे कोई भाव नहीं देती थीं क्योंकि उनकी लव मैरिज हुई थी.. फैमिली भी उनकी अच्छी थी. उनसे कोई जुगाड़ ही फिट नहीं हो पा रहा था.. टाइम निकलता गया और मैं बस भाभी के नाम की मुठ मारता रहता, सोचता कब इनके नग्न बदन के दर्शन होंगे.
एक दिन मेरे कुछ फ्रेंड्स आए हुए थे तो हमने पार्टी की… दारू शारू पी, तो मुझे थोड़ा ओवर नशा हो गया. मैं छत पर जाकर वॉक करने लगा. मैंने सामने देखा कि किरण भाभी भी अपनी छत पर हैं. दारू के नशे की वजह से मुझ में हिम्मत आ गई और मैंने भाभी की तरफ देख कर एक स्माइल कर दी. लेकिन भाभी ने कोई जवाब ना देते हुए गुस्से से मुझे देखा और वहां से चली गईं.
अब मेरी गांड फटने लगी कि कहीं ये अपने पति को मेरी शिकायत ना कर दें क्योंकि भाभी पहले से जानती थीं कि मैं उन को लाइन मारता हूँ.
अगले दिन जब सुबह सो कर उठा और छत पर गया तो देखा कि भाभी गीले कपड़े सुखा रही थीं. मैंने डरते डरते भाभी की तरफ देखा तो पहले उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया, पर जाते वक़्त भाभी ने भी प्यारी सी स्माइल दे दी. मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे पागल हो गया था.. जैसे जन्नत मिल गई हो.
फिर ऐसे ही इशारों इशारों में मैंने उन को अपना नम्बर दिया और हमारी बातें शुरू हो गईं फोन पर! कुछ ही दिनों में हम दोनों अब काफ़ी क्लोज़ आ चुके थे, फोन सेक्स चैट भी करते थे. लेकिन मिलना हमारे लिए बहुत ज़्यादा मुश्किल था क्योंकि अगर किसी को पता चलता या कोई हमें बात करते हुए देख भी लेता, तो बहुत समस्या हो जाती. इसलिए हमने कुछ दिन ऐसे ही निकाल दिए.
फिर वो एक रात यानि हम दोनों के मधुर प्रेम मिलन की रात आ ही गई. उनके पति को नाइट ड्यूटी करनी थी और बच्चे तो छोटे थे तो उनका कोई उतना इश्यू नहीं था. हम दोनों फोन पे बात करते रहते थे तो इस मौके का फायदा उठाने की सोच ली थी. उस रात 12 बजे भाभी का फोन पर मैसेज आया- तुम्हारे भैया जा चुके हैं… तुम आ सकते हो!
मैं चुपचाप छुपते छुपाते उन के कमरे तक गया, भाभी ने दरवाज़ा खोला तो मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. क्या कमाल का सेक्सी माल लग रही थीं भाभी यारो… भाभी ने मेरून कलर की साड़ी मेरून ब्लाउज.. वाउ. भाभी ने कहा- यार देखते ही रहोगे कि अन्दर भी आओगे, कोई देख लेगा जल्दी अन्दर आओ.
मैं अन्दर आया तो देखा एक बेड पे बच्चे सोए हैं और एक खाली सेज भी हमारी रास लीला के लिए सजी थी.
जैसे ही भाभी ने दरवाज़ा बंद किया, मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी साड़ी के पल्लू के नीचे उनके नंगे पेट पर हाथ रख कर उस को सहलाने लगा, उनके गाल और गले, कानों पर पागलों की तरह किस करने लगा. भाभी तो कामुकता से जैसे पागल सी होने लगीं, उनके मुख से बस ये आवाज़ें निकलने लगीं ‘आमम्म.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म.. आहह..’
मैं भाभी को अपनी तरफ़ घुमा कर सीधा किया और उनको दीवार से सटा कर उन के होंठ को चूसने लगा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आअहह.. राहुल… उम्म.. अम्माह मम्मह…
मैंने भाभी को बेड पर लिटा दिया और उनकी साड़ी का पल्लू ऊपर को सरका दिया और उन की गहरी नाभि पर किस करने लगा, उसमें जीभ डाल कर चाटने लगा. ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा. भाभी कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं- आआहह… आहह… एम्म… उह… ओह… वो तो चुदास से बस सी पागल होने लगी थीं.
मैंने धीरे धीरे एक के कर के उन के ब्लाउज के हुक खोलने लगा, साथ साथ मैं भाभी की चूची भी दबा रहा था. भाभी का ब्लाउज मैंने पूरा उतार दिया तो मैंने देखा कि भाभी ने अन्दर भी मेरून कलर की ब्रा पहन रखी थी. ये मुझे बहुत अच्छा लगा. उनका गोरा बदन और डार्क कलर की ब्रा.. वाउ.. क्या लग रही थीं.
मैंने भाभी की ब्रा के ऊपर से ही भाभी का एक दूध चूसना शुरू किया और उनकी साड़ी भी मैंने हटा दी थी. वो अब बस ब्रा और पेटीकोट में थीं. मैं उनको लगातार किस करते जा रहा था. भाभी और पागल होती जा रही थीं ‘आह राहुल.. जल्दी करो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.’
मैंने भाभी का पेटीकोट भी निकाल दिया अब वो मेरून ब्रा और ब्लैक पेंटी में थीं. मैं भाभी की फुद्दी को पेंटी के ऊपर से ही उंगली से रब करने लगा, भाभी की चूत पहले ही गीली हो चुकी थी. भाभी के मम्मों को भी मैंने ब्रा से अलग कर दिया और दीवानों की तरह उन्हें चूसने लगा और उनकी चुत को रब करने लगा.
भाभी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे और एक हाथ से मेरे 8 इंच के लंड से खेलने लगी थीं. मैंने भाभी के मम्मों को खूब चूसा.. लाल कर दिया. फिर किस करते हुए मैं भाभी के नीचे की तरफ आया और भाभी की पेंटी को बड़े प्यार से नीचे किया. आह.. क्या चुत थी यार.. उनकी.. एकदम पिंक.. क्लीन शेव्ड.. चिकनी चूत…
मैंने भाभी से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने चुत को मेरे लिए ही साफ की है. मैं खुश होकर पागलों की तरह उनकी चुत चाटने लगा. भाभी की मादक सिसकारियाँ अब तेज़ होने लगी थीं ‘आअम्म्म्मम.. राहुल्ल.. आआहह.. आआहह..’ भाभी मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत में दबाने लगीं. मैं भी अपने काम में लगा रहा. भाभी ‘बस..’ कहने लगीं- प्लीज़.. राहुल और मत तड़पाओ.. जल्दी से करो वरना मैं पागल हो जाऊंगी आअहह..
मैं उठा और अपने फनफनाते लंड को भाभी के मुँह पर ले गया और उन्हें लंड चूसने को कहा, तो भाभी ने मना कर दिया कि ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं किया. पर मेरे बहुत जोर देने पर वो मान गईं और मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं.
भाभी कहने लगीं- बाप रे, ये तो कितना बड़ा है.. मेरे मुँह में ही मुश्किल से जा रहा है.. चुत में कैसे जाएगा, मैं तो मर ही जाऊंगी. मैंने कहा- भाभी आप पहले मिल जाती तो ये नहीं होता.. आपकी याद में मुठ मारते मारते इतना बड़ा हो गया.
भाभी ने स्माइल किया और बस मेरा लंड चूसने में लगी रहीं. दस मिनट लंड चुसाने के बाद मैंने भाभी को बेड पे सीधा लिटाया और उनके ऊपर लेट कर किस करते, उनके मम्मों को दबाते और चूसते हुए हौले से लंड को भाभी की चुत पे रखा कर धक्का लगा दिया. भाभी की तो जैसे आँखें ही बाहर आ गई थीं. इसलिए मैं उनको किस करता रहा ताकि उनकी चीख बाहर ना आए. भाभी कहने लगीं- आह.. मुझ से नहीं होगा बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने भाभी को समझाया कि बस एक दो मिनट ही दर्द होगा, सहन कर लो… और भाभी के रसीले होंठों का चुम्बन करते हुए फिर एक शॉट लगाया. इस बार लंड भाभी की चूत में आधा अन्दर जा चुका था. भाभी को फिर दर्द हुआ और उन की आँखों में से आँसू आने लगे, लेकिन मैं नहीं रुका और तीसरे झटके में अपना पूरा का पूरा लंड भाभी की गीली चिकनी चूत में पेल दिया.
भाभी दर्द के मारे तड़पने सी लगी थीं लेकिन मैंने उन के होंठ अपने होंठों से सटा रखे थे ताकि उन की आवाज़ बाहर ना आए.
थोड़ा देर वेट करने के बाद जब भाभी नॉर्मल हो गईं, तब मैंने फिर से अपना काम चालू किया और भाभी की चूत में लंड के झटके मारने लगा. अब भाभी को भी चुत चुदाई का मजा आने लगा था, वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं- आआहह.. जान.. आअहह.. और ज़ोर से प्लीज़.. आअहह.. राहुल.. आआहह.. भाभी की ये कामुक आवाज़ें सुन कर मैं और ज़ोर से उन्हें चोदने लगा.
करीब दस मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा. भाभी बिस्तर पर अपने घुटने और हाथ टिका कर घोड़ी बन गईं तो अब मेरे सामने उनके गोर चिकने चूतड़ उठे हुए थे, मैंने भाभी के चूतड़ों को चूमा, उन पर हाथ फिराया, सहलाया, चूतड़ों की दरार ने उंगली फिराई. फिर मैं उन को पीछे से लंड लगा कर चोदने लगा. साथ ही आगे हाथ बढ़ा कर उनके मम्मों को दबाने लगा और धपाधप उन्हें चोदने लगा- भाभी.. आहह.. आपको अच्छा लग रहा है ना? “हाँ मेरी जान, ऐसा लग रहा है.. जैसे जन्नत में हूँ.. इनके पापा ने तो आज तक ऐसे नहीं किया.. मैं कब से तुमसे बात करना चाहती थी लेकिन डरती थी.” “कोई बात नहीं भाभी.. अब सब ठीक है..” “भभी मेरा लंड पूरा अंदर तक जा रहा है ना?” “हां राहुल… पूरा अंदर है! बस तुम मुझे चोदते जाओ!”
कोई दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था और इस बीच भाभी भी एक झड़ चुकी थीं. अब मैं भी चरम सीमा पर था तो मैंने भाभी को पूछा तो उन्होंने बताया कि वो माला डी खाती हैं, कोई डर नहीं है, अन्दर ही झड़ने को कहा.. सो मैंने वैसा ही किया. मैं झड़ कर भाभी के ऊपर कुछ पल तो ऐसे ही लेटा रहा. फिर मैं भाभी के ऊपर से हटा और हम दोनों अगल बगल लेट गए. मेरी आँख लग गई.. और मैं ऐसे ही सो गया.
जब एक घंटे के बाद नींद खुली तो मैंने फिर भाभी को किस करते हुए उन्हें और कई तरह के आसनों में चोदा और देखा तो सुबह का टाइम हो गया था, सो मुझे अपने रूम पर आना पड़ा.
इसी तरह हम कई बार मिले. दिन में कभी मेरे रूम पर, कभी उनके घर में.. यूं ही चुदाई का सिलसिला आज भी चल रहा है.
फ्रेंड्स, मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी अच्छी लगी या नहीं, प्लीज़.. अपना फीड बैक मुझे जरूर दें ताकि मैं अपनी अगली सेक्स स्टोरी को उसी हिसाब से सुधार कर आपको सुना सकूं. [email protected]
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