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दोस्तो, मेरी कहानी के सत्रहवें भाग में आपने पढ़ा कि मैं, मेरी सगी बहन और चचेरी बहन, हम तीनों ने एक ऊंची पहाड़ी पर जाकर चुदाई की, मेरी चचेरी बहन ने पहली बार गांड मरवाई.
चुदाई खत्म होने के बाद मैंने उनसे कहा- अब हमें चलना चाहिए, हमारे मम्मी पापा हमें ढूँढ रहे होंगे.. हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और नीचे की तरफ चल दिए। नेहा थोड़ा धीरे चल रही थी… चले भी क्यों न…मेरी बहन की गांड जो फट गयी थी आज! हम को काफी समय हो गया था, हम भागते हुए अपने केबिन पहुंचे तो हमारे मम्मी पापा नंगे अजय चाचू के कमरे से निकल रहे थे। हम दोनों को सामने पाकर वो दोनों ठिठक कर वहीं खड़े हो गए।
हमें सामने पाकर पापा ने अपने लण्ड को हाथों से छुपा लिया औऱ मम्मी भी अपने बदन को ढकने के लिए अपने छोटे से हाथो का सहारा ले रही थी पर उनसे कुछ छुप नहीं पा रहा था। हड़बड़ाहट में मम्मी ने हम से पूछा- तुम इतनी देर तक कहाँ थे?? क्या करके आ रहे हो?? वो पूरी नंगी हमारे सामने खड़ी थी इसलिए थोड़ा शर्मा भी रही थी अपनी हालत पर।
ऋतु ने अपने पापा के आधे खड़े हुए लंड को घूरते हुए कहा- हम सब बस घूम कर आ रहे हैं। मैंने मम्मी की तरफ देखते हुए पूछा- क्या आप दोनों चाचू के कमरे से आ रहे हैं? मम्मी ने हड़बड़ा कर कहा- ह्म्म्म… हम उन्हें गुड नाइट बोलने गए थे… उनके निप्प्ल्स तन कर खड़े हो चुके थे। मैंने कहा- ठीक है… गुड नाइट. और हम सब अपने कमरे में चले गए।
अन्दर जाते हुए हम तीनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकी। हम जानते थे कि हमने मम्मी पापा को रंगे हाथों पकड़ लिया है, उनकी शक्ल देखते ही बनती थी। अन्दर आकर नेहा सीधे बाथरूम में चली गयी, ऋतु ने भी अपने कपड़े बड़ी फुर्ती से उतार फैंके और बेड पर जाकर लेट गयी।
दूसरे कमरे में चाचू और चाची ने जब हमारी बात सुनी और बाद में हमें अन्दर आते देखा तो उन्होंने शीशे वाली जगह से अन्दर झाँका और ऋतु को नंगी लेटे देखकर चाचू का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और वो उसे सहलाने लगे।
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार डाले और बेड पर कूद कर ऋतु की रसीली रसमलाई जैसी चूत पर मुंह टिका दिया। ऋतु ने अपने चूतड़ ऊपर हवा में उठा दिए और मेरे मुंह में अपनी चूत से ठोकरें मारने लगी।
दूसरे कमरे में आरती चाची ने मेरा लंड मेरी टांगों के बीच से लटकता हुआ देखा तो उनसे सहन नहीं हुआ और वो दोनों नंगे ही अपने कमरे से निकल कर हमारे कमरे में आ गए। चाची ने आते ही मेरी टांगो के बीच लेटकर मेरे लटकते हुए खीरे को अपने मुंह में भर लिया। मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी… “आआआ आअह्ह्ह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह…”
चाचू भी अपना फड़कता हुआ लंड लेकर आगे आये और मेरे सामने लेटी हुई ऋतु के मुंह के पास जाकर उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया। ऋतु ने उसे भूखी शेरनी की तरह लपका और उसका रस चुसना शुरू कर दिया।
चाची बड़ी आतुरता से मेरा लंड चूस रही थी। उनके और ऋतु के मुंह से सपड़ सपड़ की आवाजें आ रही थी। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और नेहा अन्दर आ गयी। वो अन्दर का नजारा देखकर बोली- मुझे तुम लोग वहां छोड़ कर यहाँ मजे ले रहे हो.. ये कह कर उसने भी अपने कपड़े उतारे और कूद गयी वो भी बेड पर।
नेहा भी ऊपर आकर अपने पापा के पास गयी और अपने नन्हे होंठों से उनके मोटे मोटे होंठ चूसने लगी। चाचू ने हाथ आगे करके अपनी बेटी के मोटे मोटे चुचे थाम लिए और उन्हें जोर से दबा डाला। नेहा चाचू के आगे आ कर ऋतु के मुंह के ऊपर जाकर बैठ गयी। ऋतु ने चाचू का लंड चुसना छोड़ दिया और नेहा की चूत को चाटने लगी। चाचू का लंड अब नेहा के पेट से टकरा रहा था। नेहा काफी उत्तेजित हो गई थी और उससे सहन नहीं हुआ और उसने अपने पापा का लंड पकड़ कर अपनी रस उगलती चूत पर टिका दिया और उसे अन्दर समाती चली गयी. “आआ आआआईईईई ईईईई… पपाआआ आआ…” नीचे लेटी ऋतु ने इस काम को बड़ी खूबी से अंजाम दिया… लंड को चूत में धकेलने के लिए।
ऋतु अब नेहा की गांड के छेद को चूस रही थी। उधर अपने कमरे में जाने के बाद मम्मी को इस बात की बड़ी चिंता हो रही थी की आज वो चाचू के कमरे से नंगे बाहर निकलते हुए पकडे गए। मम्मी इस बात को चाचू को भी बताना चाहती थी ताकि अगर हम उनसे भी पूछें हमारे मम्मी पापा रात के समय नंगे उनके कमरे से क्यों निकल रहे थे तो वो भी वो ही जवाब दें जो मम्मी ने दिया था।
यह सोच कर मम्मी अपने कमरे से निकली और चाचू के कमरे में चली गयी। वहां जाकर उन्होंने देखा कि कमरा तो बिल्कुल खाली था। तभी उनकी नजर दीवार पर गयी, शीशा नीचे पड़ा हुआ था और उस जगह एक बड़ा सा छेद था।
मम्मी आगे गयी और अन्दर झाँका। वहां का नजारा देखकर पूर्णिमा मैडम यानि मेरी माम के दिमाग के परखच्चे उड़ गए। उनका बेटा नंगा अपनी सगी बहन की चूत चाट रहा था और नीचे लेटी उनकी देवरानी उनके बेटे का लंड चूस रही थी और ऊपर उनका देवर अपनी ही बेटी को चोद रहा था और नीचे से उनकी बेटी नेहा अपनी जीभ से अपनी बहन ऋतु की गांड चाट रही थी। उनकी आँखें घूम गयी ये सब देख कर।
मम्मी जल्दी से भाग कर वापिस गयी और अपने कमरे से पापा को बुला कर लायी। तब तक मैं अपने लण्ड को ऋतु की चूत में डाल कर चुदाई करने लगा था। मम्मी ने शीशे वाली जगह से पापा को अन्दर देखने को कहा। जब पापा ने अन्दर का नजारा देखा तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी। उनका छोटा भाई अपनी बेटी को चोद रहा था और उनका बेटा अपनी सगी बहन की चुदाई कर रहा था। ये देखकर वो आग बबूला हो गए और मम्मी को साथ लेकर वो दनदनाते हुए हमारे कमरे में आये और चिल्लाये- ये सब हो क्या रहा है!?!
पापा की आवाज सुन कर मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो मैं स्तब्ध रह गया। पर मेरा लंड जो झटके मार मार कर अपनी बहन को चोद रहा था, वो नहीं रुका। मैंने धक्के देते हुए हैरानी से उनकी तरफ देखा और बोला- मम्मी.. पापा.. आप..? उधर नेहा की चूत में उसके पापा का लंड अपनी आखिरी साँसें ले रहा था, चाचू से सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपना रस अपनी बेटी की चूत में उगलना शुरू कर दिया। नेहा ने भी आँखें बंद करके अपने पापा के गले में अपनी बाहें डाल कर एक लम्बी चीख मारी- आआआआ अयीईईईइ… पपाआआ आआआ… और वो भी झड़ने लगी। उनका मिला जुला रस नीचे लेटी ऋतु बड़े चटखारे ले ले कर पी रही थी।
ऋतु को मालूम तो चल गया था कि उसके मम्मी पापा कमरे में आ गए हैं पर अपनी चूत में अपने भाई के लंड के धक्के और अपने मुंह पर बरसते गर्म रस का मजा लेने से उसे कोई नहीं रोक सका। ऋतु ने भी अपनी उखड़ी साँसों से उन्हें देखा और पूछा- मोम… डैड… आप यहाँ क्या कर रहे हैं? मम्मी ने मेरी तरफ घूरकर देखते हुए कहा- रोहण… क्या तुम ये करना बंद करोगे? वो एक तरह से मुझे अपनी बहन की चूत मारने से रोक रही थी।
मैं अपने आखिरी पलों में था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकाला उसका विकराल रूप जो मेरी बहन की चूत के रंग में डूब कर गीला हो चुका था और उस पर चमकती नसे देख कर मेरी माँ की आँखें फटी की फटी रह गयी। मेरे लंड ने बाहर निकलते ही झड़ना शुरू कर दिया और मेरी पिचकारी सीधे ऋतु की खुली हुई चूत से जा टकराई। चाची जल्दी से आगे आई और मेरे लंड पर अपना मुंह टिका दिया और मेरा सारा रस पी गयी।
चाची ने फिर ऋतु की चूत के ऊपर अपना मुंह टिकाया और वहां से भी मलाई इकट्ठी करके खा गयी और मेरी माँ की तरफ देखकर बोली- भाभी, आपके बच्चे बड़े टेस्टी हैं।
मम्मी ने चाची को डांटते हुए कहा- आरती… तुम ये सब कैसे कर सकती हो? चाची ने सपाट लहजे में कहा- हमें तो इन्होंने ही बुलाया था। मेरी माँ का मुंह खुला का खुला रह गया- क्या???
और फिर चाची ने सारी कहानी हमारे मम्मी पापा को सुना दी। वो अपना मुंह फाड़े सब बातें सुन रहे थे। उन्होंने ये भी बताया कि हम दोनों उनके कमरे में देखते हैं और हमें उनके बारे में सब पता है कि कैसे वो चारों लोग ग्रुप सेक्स करते हैं। मम्मी-पापा ये सारी बात सुन कर शर्मिंदा हो गए पर फिर भी मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- तुम दोनों ने ये सब क्यों किया?? मैंने मम्मी को सीधे शब्दों में बताया- हम भी आपके और पापा की तरह बनना चाहते थे। जब हमने देखा कि आप और पापा, चाचू और चाची के साथ मिल कर सेक्स कर रहे हो और एन्जॉय भी कर रहे हो तो हमने भी ठान लिया की हम भी ये करेंगे। हमने यहाँ और लोगों को भी ग्रुप सेक्स करते देखा है और वो सब भी खूब एन्जॉय करते हैं। मम्मी ने मुझसे रुंधी आवाज में कहा- लेकिन तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए।
अब ऋतु भी मेरे पक्ष में बोल पड़ी- क्यों नहीं करना चाहिए… मेरी चूत में हर तरह का लंड चला जाता है और मुझे उन्हें चूसने में भी मजा आता है… तो फिर ये सब क्यों नहीं करना चाहिए? मम्मी ने फिर से कहा- पर ये सब गलत है, भाई बहन को आपस में ये सब नहीं करना चाहिए। ऋतु ने अपने शब्दों को पीसते हुए मम्मी से कहा- अच्छा… तो आप लोग जो करते हो वो गलत नहीं है क्या??
चाची जो बड़े देर से ये सब देख रही थी, वो मम्मी की तरफ हँसते हुए बोली- देखो भाभी, ये जो कह रहे हैं, वो सही है। हम लोग भी कहाँ रिश्तेदारी का ख्याल रखते हैं। हमें भी तो सिर्फ सेक्स करने में मजा आता है, अगर ये भी वो ही कर रहे है तो बुरा क्या है। मम्मी ने फिर से कहा- पर ये हमारे बच्चे हैं।
अब की बार चाचू ने कहा- हाँ हैं… और तभी इनके साथ ये सब करने में कुछ ज्यादा ही मजा आता है. और उन्होंने अपनी बाँहों में पकड़ी नंगी नेहा को अपने सीने से दबा दिया और आगे बोले- और मुझे लगता है… कि आपको भी एक बार ये सब करना चाहिए। मम्मी ने अपने सर को एक झटका दिया और कहा- मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं सोने जा रही हूँ, इस बारे में कल बात करेंगे। चाची ने उनसे कहा- ठीक है बाय…
मम्मी ने हैरानी से पूछा- बाय का क्या मतलब है… तुम लोग नहीं जा रहे क्या अपने कमरे में? चाची- नहीं, अभी मुझे कुछ और भी काम है. और चाची ने हाथ बढाकर मेरे लंड को थाम लिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत मसलने लगी।
मम्मी चिल्लाई- आरती… बंद करो ये सब! चाचू आगे आये और मम्मी का हाथ पकड़ कर बेड पर बिठा दिया और कहा- अरे भाभी, आप यहाँ आओ और थोड़ा आराम करो. चाचू का झूलता हुआ लंड मम्मी की आँखों के सामने लटक रहा था।
चाचू ने मम्मी का मुंह पकड़ा और अपना लंड उनके मुंह में ठूस दिया और उन्हें नीचे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उनकी छाती पर चढ़ बैठे।
चाचू ने मम्मी की आँखों में देख कर कहा- अब चुपचाप लेटी रहो और मेरा लंड चूसो भाभी! और आरती की तरफ देख कर बोले- डार्लिंग… मेरी थोड़ी मदद करो न… चाची- हाँ… हाँ… क्यों नहीं.. और चाची अपनी जगह से उठी और बेड के किनारे आकर मम्मी के गाउन को खींच कर बीच में से खोल दिया। मम्मी ने नीचे कुछ नहीं पहना था और चाची ने उनकी मोटी जांघें पकड़ कर उनकी रसीली चूत पर अपना मुंह रख दिया।
मम्मी के मुंह में चाचू का लंड था पर फिर भी उनके मुंह से घुटी हुई सी सिसकारी निकल गयी- आआआ आअह्ह्ह्ह… चाचू का लम्बा लंड मम्मी के मुंह में किसी पिस्टन की तरह आ जा रहा था। नीचे बैठी चाची भी अपनी लम्बी जीभ के झाड़ू से मम्मी की चूत की सफाई करने में लगी हुई थी। चाचू ने मम्मी के ऊपर बैठे हुए उनके गाउन के बटन खोल दिए और मम्मी के मोटे चुचे ढलक कर दोनों तरफ झूल गए।
चाचू ने मम्मी के गाउन को कंधों से थोड़ी मुश्किल से उतारा और बाकी काम नीचे बैठी चाची ने कर दिया। चाची ने उनकी गांड ऊपर करके उसे नीचे से बाहर खींच दिया और इस तरह मम्मी हमारे सामने पूरी नंगी हो गयी।
मम्मी को इतनी पास से नंगी देखने का ये मेरा पहला अवसर था। वो किसी अनुभवी की तरह चाचू के लंड को आँखें बंद किये चूस रही थी। मम्मी की चूत से इतना रस बह रहा था कि चाची उसे पी ही नहीं पा रही थी और वो बह कर मम्मी की गांड को भी गीला कर रहा था।
मम्मी के मोटे मोटे चुचे देख कर मेरे मुंह में भी पानी आ गया। मैंने उनके चुचे हमेशा अपने मुंह में लेने चाहे थे। घर में भी जब वो बिना चुन्नी के घूमती थी तो मेरा मन उनकी गोलाइयाँ देख कर पागल हो जाता था और अब जब वो मेरे सामने नंगे पड़े थे… मेरा लंड उन्हें देख कर तन कर खड़ा हो गया था, मैंने अपने हाथ से लण्ड को मसलना शुरू कर दिया।
ऋतु ने इशारा करके पापा को अपनी तरफ बुलाया। वो थोड़ा झिझकते हुए ऋतु के पास आये और हम सबके साथ आकर खड़े हो गए। ऋतु ने अपना हाथ उनकी कमर में लपेट दिया और उनसे सट कर खड़ी हो गयी। पापा थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे.. हो भी क्यों न उनकी जवान लड़की नंगी जो खड़ी थी उनसे चिपक कर…
हम सभी की नजर मम्मी पर गड़ी हुई थी। मेरी देखा देखी पापा ने भी अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपनी पत्नी को अपने भाई और उसकी पत्नी के द्वारा चुदता हुआ देखकर वो भी अपना लंड हिलाने लगे। पापा का मोटा लंड देखकर ऋतु की आँखों में एक चमक आ गयी। वो अपने पापा के लंड को काफी दिनों से देख रही थी और मन ही मन उनसे चुदना भी चाहती थी। आज उन्हें अपने साथ खड़ा होकर हिलाते देखकर उससे सहन नहीं हुआ और उसने झुक कर अपने पापा का लंड अपने मुंह में भर लिया।
पापा के मुंह से एक ठंडी सिसकारी निकल गयी- स्स्स स्स्स्स स्स्स… आआआ आअह्ह्ह… उन्होंने अपना हाथ हटा लिया। अपने सामने बैठी अपनी नंगी बेटी को देख कर उनका लंड फुफकारने लगा और वो तेजी से उसका मुंह चोदने लगे।
“आआआ आआआ आह्ह्ह…” पापा ने अपनी आँखें बंद करी और एक तेज आवाज निकाली। ऋतु उठ खड़ी हुई और पापा के लंड को पकड़ कर आगे की तरफ चल पड़ी। बेड पर पहुंचकर उसने पापा को नीचे लिटाया और उनकी कमर के दोनों तरफ टाँगें चौड़ी करके बैठ गयी और उनकी आँखों में देखकर अपनी चूत का निशाना उनके लंड पर लगाया और बोली- पापा प्लीज… चोदो मुझे… और उसने अपने मोटे चूतड़ों का बोझ पापा के लंड के ऊपर डाल दिया।
पापा का मोटा लंड अपनी बेटी की चूत में ऐसे गया जैसे मक्खन में गर्म छुरी. “आआ आआआआ आआअह्ह…” ऋतु ने एक तेज सीत्कार ली. उसकी आवाज सुनकर मम्मी ने अपनी आँखें खोली और पास लेटे अपने पति को अपनी बेटी की चूत मारते हुए देखा और फिर उन्होंने भी मौके की नजाकत समझी और अपनी आँखें बंद करके चाचू का लंड चूसने में मस्त हो गयी।
पापा और मम्मी ने जब एक दूसरे को देखा तो वो समझ गए कि अब अपने आपको रोकना व्यर्थ है इसलिए इन हसीं पलों के मजे लो और जब मम्मी ने आँखें बंद कर ली तो पापा ने अपना ध्यान ऋतु की तरफ लगा दिया।
पापा ने अपने हाथ ऊपर उठाये और ऋतु के झूलते हुए मम्मे अपने हाथों में भर लिए। वो हमेशा घर पर अपनी बेटी के ब्रा में कैद और टाइट टी-शर्ट में बंद इन्ही कबूतरों को देख कर मचलते रहते थे। आज ये दोनों रस कलश उनके हाथ में थे। उन्होंने अपना मुंह ऊपर उठाया और उन कलशों से रस का पान करने लगे। उनके मोटे मोटे होंठ और मूंछें ऋतु के नाजुक निप्पलों पर चुभ रही थी पर उनका एहसास बड़ा ही मजेदार था।
ऋतु ने अपने पापा के सर के नीचे हाथ करके अपनी छाती पर दबा दिया और अपना चुचा उनके मुंह में ठूँसने की कोशिश करने लगी। पापा ने अपना मुंह पूरा खोल दिया और ऋतु का आधे से ज्यादा स्तन उनके मुंह के अन्दर चला गया। पापा का मुंह अपनी बेटी के चुचे से पूरा भर गया और फिर जब उन्होंने अपनी जीभ अन्दर से ऋतु के चूचों पर घुमानी शुरू की तो ऋतु तो जैसे पागल ही हो गयी। इतना मजा आज तक उसे नहीं आया था। नीचे से पापा का लम्बा लंड उसकी चूत की प्यास बुझा रहा था और ऊपर से पापा उसका दूध पीकर अपनी प्यास बुझा रहे थे।
चाची अपनी जगह से उठी और अपनी चूत को मम्मी के मुंह के ऊपर ले जाकर रगड़ने लगी। चाचू मम्मी के मुंह से नीचे उतर गए और उनके उतरते ही अपनी जवानी की आग में तड़पती हुई नेहा उन पर झपट पड़ी और चाचू के होंठ अपने मुंह में दबाकर नीचे चित लिटा दिया और चाचा का मोटा लंड अपनी चूत पर टिका कर उसे अन्दर ले लिया। मैंने मम्मी की चूत के ऊपर अपना मुंह रखा और उसे चाटने लगा। मम्मी को शायद पता चल गया था कि मैं उनकी चूत चूस रहा हूँ। उन्होंने उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ ऊपर उठा दिये। मैंने नीचे हाथ करके उनके चौड़े पुट्ठे पकड़े और अपनी दो उँगलियाँ उनकी गांड के अन्दर डाल दी और अपनी लम्बी जीभ उनकी चूत के अन्दर।
मम्मी मचल उठी इस दोहरे हमले से…”आआआ आआआ आआआ आआआ आआह्ह्ह्ह..” मैं उठा और अपना लंड उनकी चूत के छेद पर टिका दिया।
आज मैं मम्मी की चूत चुदाई कर रहा था, उसी छेद के अन्दर अपना लंड डाल रहा था जहाँ से मैं निकला था। मेरे लंड का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मम्मी तो बिफर ही पड़ी। उन्होंने अपने चूतड़ फिर से ऊपर उठा लिये और मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर समाता चला गया। “आआआ आअह…” मम्मी के मोअन की हल्की आवाजें चाची की चूत से छन कर मुझे सुनाई दे रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैं तेजी से अपनी माँ की चूत मारने लगा।
उधर ऋतु अपने आखिरी पड़ाव पर थी, वो पापा के लंड के ऊपर उछलती हुई बडबडा रही थी- आआआअह्ह्ह… चोदो मुझे पापा… अपने प्यारे लंड से… फाड़ डालो अपनी बेटी की चूत इस डंडे से… चोदो न… जोर से… आआआह्ह्ह… बेटी चोद… सुनता नहीं क्या तेज मार… कुत्ते… बेटिचोद… चोद जल्दी जल्दी… आआआ आआह्ह… डाल अपना मुसल मेरी चूत के अन्दर तक… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह… और तेज और तेज और तेज… आआआअह्ह्ह… हाँ… ऐसे..ही… भेन्चोद… चोद… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह!
पापा से अपनी बेटी के ये प्यारे शब्द बर्दाश्त नहीं हुए और उन्होंने अपना रस अपनी छोटी सी बेटी की चूत के अन्दर उड़ेल दिया। ऋतु भी पापा के साथ साथ झड़ने लगी।
ऋतु को देखकर नेहा को भी जोश आ गया… वो भी चिल्लाने लगी चाचू के लंड पर कूद कर- हननं… डेडी…चोदो अपनी बेटी को… देखो ऋतु को ताऊ जी कैसे चोद रहे है… वैसे ही चोदो अपनी लाडली को… डालो अपना लंड मेरी चूत के अन्दर तक… आआहहह… डाआल ऊऊऊऊओ… और वो भी चाचू के साथ साथ झड़ने लगी।
ऋतु पापा के लंड से नीचे उतरी और पापा के लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। चाची जो अपनी चूत मम्मी से चुसवा रही थी, उन्होंने अपना सर आगे किया और ऋतु की चूत से टपकते पापा के रस को पीने लगी।
मेरे लिए भी अब सब्र करना कठिन हो गया था। मैंने भी एक दो तेज झटके मारे और अपना पानी मम्मी की चूत के अन्दर छोड़ दिया। मम्मी ने अपने अन्दर मेरे गर्म पानी के बहाव को महसूस किया और वो भी जोर से चिल्ला कर झड़ने लगी- आआह आआ आअह्ह्ह्ह… आआआ… अह.. अह.. अ..अ..हहा.. ह..अ..ह.. हा..हा.. हा…! मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतु जो पापा के लंड से उतर चुकी थी, आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी। अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी।
मम्मी ने ऋतु के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगें खींच कर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी। ऋतु की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी। थोड़ी ही देर में उन दोनों की चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक दूसरी के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी।
चाची ने हम तीनों बच्चों की तरफ हाथ करके कहा- ये कितने अच्छे बच्चे हैं… वो हमारी परफ़ोरमेन्स से काफी खुश थी।
इस नोन वेज सेक्स के बाद क्या हुआ? आगे की कहानी अगले भाग में! आप अपने विचार मुझे मेल से भेज सकते हैं और मुझे इंस्टाग्राम पर भी जोड़ सकते हैं। [email protected] Instagram/ass_sin_cest
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