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कहानी के पहले भाग दीदी और उनकी ननद की दमदार चुदाई-1 में आपने पढ़ा कि कैसे दीदी में मुझे अपनी ससुराल में बुला कर रात को मुझसे चूत चुदाई करवाई. अब आगे:
सुबह जब हमारी आँख तब खुली जब भाभी की ननद अंजलि ने आ कर दरवाजा खटखटाया. हम दोनों भाई बहन अभी भी बिल्कुल नंगे ही थे. घड़ी देखी तो सुबह के 8 बज चुके थे.
फिर हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े पहने और दीदी ने जाकर दरवाजा खोला. अंजलि चाय लेकर आई थी और कहने लगी- क्या बात है भाभी, आप तो इतनी देरी से कभी नहीं उठतीं, लगता है रात को काफ़ी देर तक नहीं सोए दोनों भाई बहन..! मैंने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा- हाँ रात काफ़ी देर तक हम बातें करते रहे सो उठने में देर हो गई.
तभी दीदी बाथरूम में चली गईं और अंजलि मेरे पास बैठ गई और हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे.
दोपहर को दीदी और उनकी सास को कहीं बाहर जाना था, जाने से पहले दीदी मेरे पास आईं और बोलीं- संचू डार्लिंग, मैं अपनी सास के साथ कहीं जा रही हूँ, रात तक वापिस आएंगे, कुछ चाहिए हो तो अंजलि से ले लेना. मैंने भी बोल दिया- कुछ भी ले लूँ? तब वो बोली- चुप शैतान, वो तेरे हाथ आने वाली नहीं.
फिर उन्होंने मेरे होंठों पर किस की और जाने लगी, तब मैंने उनको अपनी तरफ खींच कर एक जोरदार चुम्मी जड़ दी. उसके बाद वो मुझसे खुद को छुड़ा कर भाग गईं और ‘रात को मिलते हैं..’ का बोल गईं.
उनके जाने के बाद मैं अंजलि के कमरे में पहुँच गया. वो टीवी देख रही थी उसने गुलाबी रंग का पंजाबी सूट पहना था, जिसमें वो एक सेक्स-बम लग रही थी. मैं भी जा के उसके पास बैठ गया. सर्दी का मौसम था तो अंजलि अपने ऊपर कंबल ओढ़ कर बैठी थी, मैंने भी थोड़ी देर बाद अपने पैर कंबल में डाल दिए. लेकिन मैंने यह बात नोट की कि उसका ध्यान मेरी तरफ़ ज्यादा है. जब मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने अपना ध्यान टीवी की तरफ़ कर लिया.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना पैर हिलाया तो मेरा पैर अंजलि के पैरों से टच हो गया, लेकिन उसने कुछ नहीं बोला. मैंने हिम्मत करके एक बार फिर से अपना पैर उसके साथ टच किया, इस बार भी उसने कुछ नहीं बोला. तभी मैं अपना हाथ धीरे धीरे उसकी जांघों पर ले आया लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं बोली और टीवी देखती रही.
अब मैं अपना हाथ उसकी जांघों पर फिराता रहा और वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी, क्योंकि उसकी साँसें तेज हो रही थीं. मैंने भी ज़्यादा देर ना करते हुए अपना हाथ उसकी दोनों टाँगों के बीच फिराने लगा, उसने भी अपनी टांगें खोल के अपनी सहमति जता दी. लेकिन तभी जब मैंने अपना हाथ उसकी फुद्दी पर फेरा तो पाया कि वो पहले से ही झड़ चुकी थी.
तभी अचानक उसने मेरी तरफ तिरछी नज़र से देखा. फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर ऐसे चूसने लगी कि जैसे आज मुझे खा ही जाएगी. मैं भी कहाँ कम था, मैंने भी संभलते हुए उसको बेड पर गिराया और खुद उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठ चूसने लगा.
कुछ ही पलों में वो इतनी ज़्यादा गरम हो गई थी कि नीचे से अपने चूतड़ उछाल रही थी.
लगभग 10 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसते रहे, उसके बाद मैं सूट के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाने लगा. उसके मुँह से ‘अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह फक मी..’ जैसी आवाजें सुन कर तो मैं पागल हो रहा था. अब मैं उसके कपड़े उतारने लगा तो उसने अपना सूट खुद ही उतार दिया. नीचे उसने काली जालीदार ब्रा पहनी हुई है. उसने अपनी ब्रा भी उतार फेंकी और अन्दर का नज़ारा देख कर तो मेरा लंड बेकाबू सा हो गया. उसके 34 साइज़ के ठोस मम्मे बिल्कुल एवरेस्ट की तरह सीधे खड़े थे. मैंने उसके स्तन पकड़े और दबाने लगा.
मैं उसके कसे हुए चूचों को चूसने लगा, वो सिसकारियाँ भरने लगी और मेरा सर पकड़ कर अपने चूचों को रगड़ने लगी. उसे मजा आ रहा था, वो मदहोश हो रही थी. उसने अब मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने के लिए कहा. उसके बाद वो मेरी छाती पर किस करने लगी.
दस मिनट तक हम दोनों यूं ही एक दूजे को चूमते चाटते रहे, बहुत मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा. उसके बाद मैंने उसकी पजामी भी उतार दी. अब वो मेरे सामने केवल पैंटी में थी, जो बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
अगले ही पल उसने अपनी पेंटी खुद उतारी और अब उसकी नंगी फुद्दी मेरे सामने थी.
मैं उसकी फुद्दी के पास मुँह ले गया.
क्या मस्त खुशबू थी फुद्दी की.. आह..
मैंने अपनी जीभ उसकी फुद्दी में अन्दर घुसाई तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं और वो मेरे सर पकड़ कर फुद्दी पर रगड़ने लगी.
थोड़ी देर बाद उसने कहा- अब नहीं रहा जाता, डाल दो अब अन्दर.. अब एक पल भी बर्दाश्त नहीं होता.
लेकिन तभी मैंने उसको अपना लंड चूसने को बोला. मेरे कहने की देरी थी, उसने मेरा लंड चूमना शुरू कर दिया. वो एहसास शायद मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता. जैसे जैसे वो मेरा लंड मुँह में अन्दर ले जाती, उसकी जीभ की गर्माहट मुझे अपने लंड पर महसूस होती.
करीब 10 मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा फिर मेरे बिना कुछ कहे बिस्तर पर टांगें फ़ैला कर लेट गई और कहने लगी कि सारे मज़े तुम ही लोगे या मुझे भी दोगे?
मैं उसके चेहरे पर फुद्दी मरवाने की वासना साफ देख सकता था, उसे चुदने की आग लगी हुई थी.
अब मुझ पर भी भी सेक्स का भूत सवार हो गया, वासना के जोर में मैं कंडोम लगाना भी भूल गया और सीधा लंड उसकी चूत पर टिका दिया.
उसने टांगें और फ़ैला लीं और कहा- धीरे धीरे डालना, क्योंकि मेरा सिर्फ़ दूसरी बार है तो दर्द होगा.
इस वक्त मैंने उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया. जैसे ही मैंने धक्का मारा तो लंड अन्दर जाने लगा.
अंजलि चिल्लाने लगी- आह अआह आह.
थोड़ी ही देर में सब कुछ नॉर्मल हो गया और मैं धक्के मारने लगा. अंजलि अब पागल होने लगी और चिल्लाने लगी- आह आह आह. जोर से मारो..
वो मेरे बदन को नोंचने लगी और उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के इर्द गिर्द कस लिया.
मैंने धक्कों की गति और बढ़ा दी. दस मिनट त़क मैं अंजलि को ताबड़तोड़ ठोकता रहा, तभी अंजलि ने अपनी टाँगें ढीली कर दीदी मतलब उसकी फुद्दी ने पानी छोड़ दिया था.
तभी मैंने लंड बाहर निकाला और उसको घोड़ी बन जाने के लिए कहा. मैंने उसके चूचे हाथ में लेकर पीछे से लंड डाल दिया और उसे चोदने लगा.
वो इतना मजा ले रही थी कि एक हाथ से अपनी फुद्दी रगड़ रही थी. मैंने उसे खूब जोर से चोदा.. और थोड़ी ही देर में अंजलि ने फिर से पानी छोड़ दिया. उसके थोड़ी ही देर बाद मैंने भी उसकी फुद्दी को अपने माल से भर दिया.
इसके बाद काफी देर तक मैं यूं ही अंजलि के ऊपर ही लेटा रहा. अंजलि मेरे
होंठों को बार बार चूम रही थी और आत्मसंतुष्टि के भाव के साथ मुस्कुरा रही थी.
फिर हम दोनों बाथरूम में गए, नहाए और थोड़ी देर आराम किया.
लेकिन ना मैंने खुद कपड़े पहने और ना ही अंजलि को पहनने दिए. उसके बाद हम दोनों ने नंगे ही लंच किया और जब लंच करने के बाद अंजलि बर्तन धो रही थी तो मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और उसके मम्मे दबाने लगा, मेरा लंड भी टाइट हो कर उसके चूतड़ों की दरार में घुस रहा था और अंजलि ने भी कोई विरोध नहीं किया और मेरी तरफ घूम कर मेरे होंठ चूसने लगी और एक हाथ से लंड को सहलाने लगी.
मैंने भी अंजलि को उठा कर रसोई की सेल्फ़ पर बिठा दिया और उसकी टांगें चौड़ी करके खुद घुटनों पर बैठ कर उसकी चूत चाटने लगा.
थोड़ी देर चूत चाटने के बाद मैंने खड़ा होकर अंजलि की चूत में लंड घुसा दिया और हमारी एक और ताबड़तोड़ चुदाई शुरू हो गई. थोड़ी देर चोदने के बाद मैंने अंजलि को सेल्फ़ से नीचे उतारा और सेल्फ़ पर झुका कर खड़ी करके पीछे से लंड उसकी फुद्दी में घुसा दिया. अब की बार अंजलि के मुँह से हल्की सी अह्ह्ह निकली, लेकिन फिर वो भी मज़े लेकर और अपने चूतड़ हिला-हिला कर चुदवाने लगी.
अंजलि के मुँह से अब लगातार ‘आआऊऊ उम्म ह्ह्ह्ह..आआ आआआअ.. बस्स्स.. ब्स्स्सस् स्स्स…’ की ही आवाज आ रही थी वो बोल रही थी- बहुत मजा आ रहा है… और जोर से मारो.
थोड़ी देर इसी पोज़ में चुदाई करने के बाद हम दोनों बाहर हॉल में आ गए. हॉल में आकर मैं वहाँ पड़े दीवान पर लेट गया. अंजलि मेरा इशारा समझते हुए लंड के ऊपर बैठ गई और जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगी.
वो इतने जोर से चोदने लगी कि अब मुझे भी लग रहा था कि आज वो मुझे चोद रही है. थोड़ी ही देर में अंजलि तेज तेज सीत्कार निकालते हुए झड़ गई और मेरे ऊपर गिर पड़ी. मैंने भी उसको घुमा कर अपने नीचे किया और 69 में आकर उसकी फुद्दी का सारा रस चाट गया. उधर अंजलि भी मेरा लंड घपाघप चूस रही थी.
थोड़ी ही देर में अंजलि फिर से गरम हो गई थी, लेकिन मैं आज अंजलि के साथ पूरा मज़ा लेना चाहता था. पता नहीं फिर इसके बाद वो मेरे लंड के नीचे आती भी या नहीं, इसीलिए मैं दोबारा से अंजलि के ऊपर आ कर उसके मम्मों को सहलाने लगा और मेरा खड़ा लंड अंजलि की फुद्दी से रगड़ खा रहा था.
अंजलि अपनी कमर को ऊपर उठाकर लंड को अपनी फुद्दी में लेना चाह रही थी, वह हाँफ रही थी- प्लीज़.. डालो.. न..आ.. आ..ह.. उ..इ..इ..ओं.. अब नहीं रुका जाता..आ.. आ..ह..
फिर मैंने जोर से धक्का मारा. धक्के के साथ ही पूरा लंड अब फिर से फुद्दी के अन्दर था. मैंने धक्के मारना चालू रखे.
हम दोनों चुदाई में मस्त थे. मैं अंजलि के मम्मे चूस-चूस कर जोर-जोर से चोद रहा था. वो भी नीचे से चूतड़ उछाल-उछाल कर चुद रही थी.
दस मिनट तक इसी तरह तेज धक्कों के बाद वो शांत हो गई. मैं भी थोड़े धक्के और लगाने के बाद चरम पर पहुँच गया और पूरा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया.
झड़ने के बाद मैं दीवान की दूसरी तरफ जा कर लेट गया. वो शांत होकर अब मेरे ऊपर आ गई और हम दोनों उसी तरह थोड़ी देर पड़े रहे. मैं उसे चूमने लगा और वो मुझे.
थोड़ी देर बाद अंजलि ने बताया- आज पहली बार मैं संतुष्ट हुई हूँ. अपने जिस ब्वॉयफ्रेंड के साथ मैंने पहली बार किया था, उसने मुझे इतना मज़ा नहीं दिया था.
ये कह कर उसने मेरे होंठों पर एक किस किया और उठ कर कपड़े पहनने लगी क्योंकि अब दीदी और उनकी सास के आने का टाइम हो चला था.
मैंने भी कपड़े पहने और घर की हालत को ठीक करने में अंजलि की मदद की.
फिर कुछ ही देर में दीदी और उनकी सास वापिस आ गईं.
अगर कोई कमी रह गई हो या मेरा कोई मित्र मुझे कोई सुझाव देना चाहता हो कि मैं कैसे अपनी कहानी में और रोमांच पैदा कर सकता हूँ तो कभी भी खुल कर अपनी बात मुझसे करने के लिए मुझे मेरी ई-मेल आइडी पर संपर्क करें. आपके विचारों का स्वागत है. [email protected]
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