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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे सचिन ने दिन में ही मौका देख कर अपनी बहन को चोद दिया था। उसे रूपा और पंकज के रिश्ते के बारे में पता नहीं था इसलिए उसने सोनाली से ये वादा भी करवा लिया था कि वो अपने पति और उसकी बहन की चुदाई करवाने में सचिन की सहायता करेगी। अब आगे…
बाकी का दिन यूँ ही ख्यालों में गुज़र गया। रूपा ने तो हल्की फुल्की छेड़-छाड़ से मना कर दिया था, लेकिन जब भी सचिन को मौका मिलता, तो सोनाली के उरोजों या नितम्बों को मसल देता, या फिर अपना लंड उसकी चूत में डाल के एक दो शॉट मार लेता। आखिर शाम हो गई और पंकज पार्टी का सारा सामान लेकर आ गया। स्कॉच तो घर में रहती ही थी, तो लड़कियों के लिए वोड्का और साथ में खाने के लिए कुछ नमकीन वग़ैरा ले आया था।
पंकज- देखो सोना, मैं तो अपनी तरफ से सब ले आया हूँ। तुम्हारी क्या तैयारी है? सोनाली- यार, अब इतनी पार्टी-शार्टी करना है, तो खाना तो ज्यादा खाने का कोई मतलब ही नहीं है। तुम पिज़्ज़ा आर्डर कर दो, और फ्रेश हो जाओ, फिर करते हैं शुरू! बाकी सब तैयारी मैंने कर ली है। पंकज (धीरे से)- और कॉन्डोम्स? भाई-बहन की चुदाई में बच्चा होने का खतरा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। सोनाली- चिंता न करो, जब से हमारा प्लान बना था, रूपा और मैं दोनों ही गोलियां खा रही हैं। पंकज- वाओ यार! डॉक्टर मैं हूँ और मेरी बहन को गोलियां तुम खिला रही हो। गुड जॉब!
इतना कह कर पंकज अंदर चला गया, पहले उसने पिज़्ज़ा आर्डर किया, फिर फ्रेश होने चला गया।
जब पंकज फ्रेश होकर वापस आया, तो सब टीवी पर कोई कॉमेडी प्रोग्राम देख रहे थे, और खिलखिला कर हँस रहे थे। उसका ध्यान सोनाली की ड्रेस पर गया, वैसे तो उसका पूरा बदन लगभग ढका हुआ ही था, लेकिन उसका एक चूचुक (निप्पल) ड्रेस की पट्टियों से बाहर झाँक रहा था।
दरअसल ऐसा इसलिए हुआ था, क्योंकि पूरे दिन सचिन इधर-उधर से आ कर मौका मिलते ही कुछ ना कुछ छेड़खानी कर रहा था, जिसकी वजह से सोनाली बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। उसकी चूत गीली और उसके चूचुक खड़े हो गए थे। इधर ठहाके लगा कर हँसने से ड्रेस हिल रही थी जिससे एक खड़ा हुआ कड़क चूचुक पट्टियों के बीच से बाहर निकल आया था।
पंकज ने कुछ कहे बिना, सीधे आ कर उसको अपने होठों में दबा लिया। सोनाली अचानक से सकपका गई और रूपा-सचिन का ध्यान भी उनकी ही तरफ चला गया। रूपा को तो जैसे तुरंत समझ आ गया और वो उनको देख कर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी। सोनाली ने तुरंत पंकज को हटाया और अपनी ड्रेस ठीक की- आप सच में बहुत बेशरम हो।
पंकज- अब वो बेचारा इतनी मेहनत करके बाहर आया और कोई उसे चूमे भी नहीं? ये तो बड़ी नाइंसाफी हो जाती ना, इसमें बेशर्मी की क्या बात है? सोनाली- ठीक है, ठीक है… रहने दो।
तभी पिज़्ज़ा आ गया। रात के कुछ नौ बजे होंगे; सब ने मिलकर फैसला किया कि पहले वहीं पिज़्ज़ा खा लेते हैं, फिर अंदर बेडरूम में जा कर पीने और ताश खेलने का कार्यक्रम शुरू करेंगे। लेकिन ताश कैसे खेलना है वो अभी तय नहीं हुआ था, इसलिए पिज़्ज़ा खाते-खाते ही इस बात पर विचार-विमर्श होने लगा।
सचिन- मुझे ताश खेलने का कोई अनुभव नहीं है इसलिए कोई आसान सा खेल होना चाहिए, जो मैं बिना अनुभव के भी खेल सकूँ। पंकज- सत्ती सेंटर कैसा रहेगा? सोनाली- लेकिन जब तक कुछ दाव पर ना लगाया जाए मजा नहीं आएगा। रूपा- लेकिन हमारे पास तो पैसे ही नहीं हैं, हम क्या लगा पाएंगे दाव पर।
सचिन ने भी रूपा का साथ दिया। काफी बातें करने के बाद पंकज ने आखिर एक हल निकाला। पंकज- एक काम करते हैं, सत्ती सेंटर ही खेलते हैं। दाव पर कोई कुछ नहीं लगाएगा लेकिन जीतने वाला हारने वालों से जो चाहे करवा सकता है। मतलब कोई भी टास्क। जैसे वो टीवी पर दिखाते हैं ना एक मिनट में कोई टास्क करने को बोलते हैं।
सचिन- लेकिन खेलना कैसे है वो तो बता दो; मुझे तो कुछ भी नहीं आता। पंकज- अरे, बहुत सरल है, देखो! सबको बराबर पत्ते बाँट देते हैं फिर जिसको लाल-पान की सत्ती मिली हो वो उसको बीच में रख देता है और अगले की चाल आती है। उसके पास लाल-पान का अट्ठा या छक्की हो तो वो इस सत्ती के ऊपर या नीचे रख सकता है। नहीं तो किसी और रंग की सत्ती बाजू में रख सकता है। और वो भी नहीं तो पास बोल दो। अगले वाले कि चाल आ जाएगी। सबसे पहले जिसके पत्ते ख़त्म हुए वो जीत गया समझो। रूपा- फिर जिसके पास जितने पत्ते बचते हैं उनका जोड़ लगा कर नंबर मिलते हैं। सोनाली- ठीक है। जिसको सबसे ज्यादा नंबर मिलेंगे उसको सबसे कठिन काम देंगे और सबसे कम नंबर वाले को आसान काम। पंकज- हम्म! और अगर किसी को टास्क नहीं करना हो, तो गेम छोड़ के जा सकता है। कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं है; ठीक है?
तब तक पिज़्ज़ा भी खत्म होने को आ गया था, और खेल के नियम भी तय हो गए थे। सब लोग हाथ मुँह धो कर बैडरूम में पहुँच गए। लड़कियों ने अपने लिए पहले ही वोड्का मार्टिनी कॉकटेल बना कर रखा था; लड़कों ने अपने-अपने ग्लास में स्कॉच ऑन-द-रॉक्स ले ली। साथ में खाने के लिए सोनाली ने 3-4 तरह की चीज़ें बना रखी थीं, जो हर दो के बीच एक प्लेट में रखी हुई थीं। सबके ड्रिंक्स तैयार होने के बाद, सबने अपने-अपने ग्लास बीच में एक दूसरे से टकराए- चीयर्सऽऽऽ…! पंकज- टू द न्यू लाइफ स्टाइल!
ये बात सचिन को कुछ समझ नहीं आई, लेकिन फिर उसने अपना ध्यान अपनी स्कॉच पर लगाने में ही भलाई समझी। सब ने एक एक घूँट पिया थोड़ा कुछ खाया और फिर पंकज ने सबको पत्ते बाँट दिए। सबने पत्ते उठाए और जमाने लगे। लाल पान की सत्ती सोनाली को मिली थी। उसने पहली चाल चली, फिर मदिरा के घूँट और पत्तों की चाल चलती रही और 15 मिनट के अंदर सोनाली के सारे पत्ते खत्म हो गए। सोनाली- बताओ किसको टास्क देना है… अब आएगा मजा।
पंकज- एक मिनट… देखो सबसे ज्यादा नंबर रूपा के हैं, फिर सचिन और आखिर में मैं। सोनाली ने सचिन की तरफ देख कर आँखों ही आँखों में इशारा किया “कर दूँ” और सचिन ने भी हामी भर दी। फिर क्या था… सोनाली- एक मिनट के लिए, सचिन रूपा के बूब्स दबाएगा… पंकज- अरे, लेकिन टास्क तो रूपा को देना है न, और मेरा क्या? सोनाली- बड़ी जल्दी पड़ी है खुद के टास्क की? सुन तो लो… और रूपा पंकज को किस करेगी। पंकज- ये क्या बात हुई। रूपा को ये टास्क न करना हो तो? सोनाली- तो रूपा गेम छोड़ सकती है। क्यों रूपा? रूपा- कोई और ये टास्क देता तो मैं शायद आपकी तरफ देखती, लेकिन आपने ही दिया है तो ठीक है, मैं कर लूंगी।
रूपा उठकर पंकज के पास गई और उसके होठों से होंठ लड़ा दिए। सचिन ने भी पीछे से उसके स्तनों को टी-शर्ट के ऊपर से मसलना शुरू कर दिया। पहले तो रूपा के होंठ पास पंकज के होंठों पर रखे थे लेकिन जल्दी ही दोनों के होंठ खुल गए और जीभें आपस में अठखेलियाँ करने लगीं। ऐसा लग रहा था जैसे जीभों की कबड्डी चल रही हो और होंठ बीच की लाइन हों। कभी रूपा जल्दी से जीभ बाहर निकाल कर पंकज के होंटों को छू जाती तो कभी पंकज रूपा के होंठों को चाट लेता। इस कबड्डी में कभी-कभी दोनों जीभें एक साथ निकल कर एक दूसरे से भिड़ भी जातीं। इस सब में एक मिनट कब बीत गया पता ही नहीं चला। आखिर सोनाली के कहने पर उनको होश आया कि अब किस करने की ज़रुरत नहीं हैं।
सोनाली- रूपा! मजा आया? रूपा- क्या भाभी आप भी! पहले खुद टास्क देती हो, और फिर खुद मज़े लेती हो। सोनाली- वो इसलिए कि मैंने किस करने को कहा था, फ़्रेंच किस करना है ऐसा तो नहीं बोला था… इतना कह कर सोनाली ने आँख मारी; सचिन और सोनाली ठहाका मार कर हँस पड़े। रूपा सकुचा कर रह गई। मन ही मन उसने सोचा कि मेरी बारी आने दो भाभी, फिर देखो मैं क्या करती हूँ। शायद किस्मत ने रूपा के मन की बात सुन ली और अगला राउंड वही जीत गई। इससे भी बड़ी बात ये हुई कि सबसे ज्यादा पत्ते सोनाली के बचे थे। दूसरे नंबर पर पंकज और तीसरे पर सचिन था। रूपा- देखा! सबका दिन आता है भाभी! सोनाली- ठीक है यार! बता क्या करना है। रूपा- वही, जो आपने मुझसे कराया था। भैया आपके बूब्स दबाएंगे और आप अपने भाई को किस करोगी… फ़्रेंच किस!
पंकज रूपा की बात सुन कर मुस्कुरा दिया। सोनाली ने भी पंकज को देख कर एक स्माइल दी और सचिन के पास चली गई। रूपा ने पंकज के साथ फ़्रेंच किस ज़रूर किया था, लेकिन उसे पकड़ा नहीं था। सोनाली ने सचिन को अपनी बाहों में लेकर उसके सर को पीछे से सहारा दे कर बड़े ही रोमाँटिक अंदाज़ में किस करना शुरू किया। उनके होंठ एक बार जो जुड़े कि फिर अलग नहीं हुए। दोनों की आँखें भी बंद थीं। अंदर उनकी जीभें कैसी कुश्ती लड़ रहीं थीं, ये बस उनको ही पता था। बाहर से उनकी जीभे तो नहीं दिखाई दे रहीं थीं.
लेकिन रूपा को सचिन के हाथ, सोनाली की कमर सहलाते हुए साफ़ नज़र आ रहे थे। हाथ भले ही उसकी ड्रेस के ऊपर थे, लेकिन उंगलियाँ उन पट्टियों के बीच से उसकी नंगी कमर सहला रहीं थीं। कुछ देर बाद तो उत्तेजना में सचिन ने ड्रेस को थोड़ा ऊपर करके अपने दोनों हाथ सोनाली के नग्न नितम्बों पर रख दिए।
लेकिन तभी रूपा चिल्लाई- हो गया एक मिनट, हो गया। सब अपनी अपनी जगह पर वापस चले गए। रूपा- क्यों सचिन, बड़ा मजा आ रहा था अपनी बहन के साथ। बहुत हाथ चल रहे थे? सचिन- मेरी बारी आने दो, फिर देखता हूँ, तुम क्या-क्या कंट्रोल करती हो।
खेल फिर शुरू हुआ, खाली जाम फिर से भर दिए गए। शराब और शवाब दोनों की खुमारी बढ़ती जा रही थी। खेल खत्म हुआ और पंकज जीत गया। सबसे ज्यादा पत्ते सचिन के निकले, उसके बाद सोनाली और रूपा के। रूपा- ये लो, आ गया तुम्हारा नंबर। टास्क, देने का तो पता नहीं, ले ही लो। ही ही ही… पंकज- ठीक है मस्ती कुछ ज्यादा हो गई। अब सिंपल टास्क। सचिन तुम अपनी शर्ट निकालो और सोना- रूपा तुम दोनों इसका एक-एक निप्पल चूसो। सचिन- इतना सिंपल भी नहीं है, लेकिन फिर भी ठीक है।
सचिन ने शर्ट निकाल दी, रूपा और सोनाली उसके दोनों तरफ आ कर बैठ गईं। दोनों ने सचिन के चूचुकों पर अपनी जीभ फड़फड़ाना शुरू किया। अभी कुछ ही सेकंड हुए थे कि रूपा ने सोनाली को आँख मार कर नीचे की तरफ इशारा किया। सोनाली ने देखा, कि रूपा ने अपना हाथ, सचिन के शॉर्ट्स के ऊपर से ही, उसके लंड पर रख दिया है, और उसे सहला रही है। ये देख कर सोनाली मुस्कुरा दी, और रूपा भी। एक मिनट होते होते सचिन के लंड ने उसके शॉर्ट्स में तम्बू खड़ा कर दिया था। जब ये दोनों अलग हुईं तो रूपा ने सबको वो तम्बू दिखाया और सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।
अगली पारी के लिए पत्ते बांटे जाने लगे। सचिन- रूपा! अब देख तू! अभी नहीं तो कभी तो मेरी बारी आएगी। जब भी आएगी मैं भी ऐसे ही हँसूँगा।
किस्मत को भी शायद सचिन की झुंझलाहट पर दया आ गई। इस बार उसे अच्छे पत्ते मिले और अब तक खेल खेल कर, वो इस खेल की बारीकियां भी समझ गया था। वो अच्छे से खेला और जीत गया। और तो और, इस बार सबसे ज्यादा पत्ते रूपा के ही बचे थे, उसके बाद पंकज और सोनाली का नंबर था। सचिन- अब आई ऊँटनी पहाड़ के नीचे… निकाल अपनी शर्ट। रूपा- मैं लड़की हूँ यार! ऐसे कैसे? सचिन- वैसे भी, सब तो दिख रहा है। इतनी शर्मीली होतीं तो ऐसा शर्ट पहनतीं क्या? रूपा- अब यार ऊपर वाले ने इतने मस्त बूब्स दिए हैं तो क्यों छिपाना। सचिन- फिर अच्छे से ही दिखाओ ना, और दीदी-जीजा जी तुम्हारे निप्पल चूसेंगे। रूपा- नहींऽऽऽ…! रूपा फ़िल्मी स्टाइल में दोनों कान पर हाथ रख कर चीखी।
रूपा ने शर्ट निकाल दिया और पंकज-सोनाली उसके निप्पल चूसने लगे। जैसे ही एक मिनट होने वाला था सचिन ने सोनाली का हाथ दबा कर इशारा किया और सोनाली ने एक उंगली जल्दी से रूपा की स्कर्ट में डाल दी। रूपा ने अंदर कुछ पहना तो था नहीं, तो उंगली सीधी चूत में चली गई। इस से पहले रूपा कुछ समझ पाती, सचिन ने बोल दिया कि एक मिनट हो गया।
सोनाली ने रूपा की चूत के रस से भीगी उंगली सचिन को दिखाई। सचिन ने सोनाली का हाथ पकड़ा और रूपा को दिखाते हुए सोनाली की उंगली चूस ली। रूपा ने मुस्कराहट बिखेर के सचिन की जीत में भी अपनी ख़ुशी जाहिर की। सचिन अपनी जीत और रूपा को गीला कर देने से इतना खुश था, कि अगले गेम में उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और हार गया। इस बार फिर पंकज जीता था। पंकज- लगता है मेरी किस्मत में साला ही लिखा है। पिछली बार सिम्पल टास्क दे दिया था लेकिन अब नहीं दूँगा। एक काम करो तुम अपने शॉर्ट्स निकालो। सोनाली- नहीं!… सोनाली बनावटी शर्म दिखाते हुए अपना चेहरा अपने हाथों से ढक कर बोली। पंकज- तुमको बहुत शर्म आ रही है ना, तुम उसे किस करो फिर तुमको नीचे देखने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी; और रूपा तुम! तुमको बड़ा मजा आ रहा था ना पिछली बार, उसका लंड सहलाने में? अब आराम से नंगा लंड सहलाओ।
सचिन ने अपने शॉर्ट्स निकाले और सोनाली ऐसे ही अपना चेहरा ढके हुए उसके पास गई। पास जा के उसने हाथ हटाए और सचिन को आँख मार दी। इधर रूपा ने सचिन का लंड मुठियाना शुरू कर दिया, उधर सोनाली का चुम्बन पिछली बार से और ज्यादा प्रगाढ़ था। दोनों आँखें बंद किये अपने चुम्बन में खोये हुए थे लेकिन सोनाली इस चुम्बन में सचिन की प्रतिक्रियाओं से ही महसूस कर पा रही थी कि नीचे रूपा क्या कर रही है।
सचिन ने भी पीछे से सोनाली की ड्रेस में हाथ डाल कर उसके नितम्बों को सहलाना शुरू कर दिया था। ये हरकत पंकज तो नहीं देख पा रहा था लेकिन रूपा की तिरछी नज़रें साफ देख पा रहीं थीं। रूपा ने मुठ मारना इतना तेज़ कर दिया कि एक पल तो सचिन को लगा कि वो झड़ जाएगा क्योंकि तीन लोगों के सामने नंगे हो कर अपनी बहन के साथ ऐसे चुम्बन का उसका ये पहला अनुभव था और उस पर ये रूपा का हस्तमैथुन। लेकिन इस से पहले कि कुछ होता, एक मिनट पूरा हो गया।
पंकज- मेरा एक सुझाव है गेम को छोटा कर दिया जाए। ऐसा लग रहा है कि सबको खेल में कम और टास्क में ज्यादा दिलचस्पी है तो हम केवल तीन पत्ते देते हैं और उनके नंबर के हिसाब से टास्क देते हैं। सब को पंकज का सुझाव सही लगा, लेकिन जब पत्ते बांटे गए तो पता चला पंकज ही हार गया। सोनाली ये बाज़ी जीत गई थी।
सोनाली- पंकज! तुमने मेरे भाई को नंगा किया, अब तुम्हारी बारी है। सचिन तुम इनका शर्ट निकालो और रूपा तुम अपने भाई की चड्डी खिसकाओ। सचिन ने तो पंकज का शर्ट निकाल दिया लेकिन जब रूपा ने अपने भाई के शॉर्ट्स नीचे खिसकाए तो उसके टाइट शॉर्ट्स में से उसका तना हुआ लंड स्प्रिंग की तरह निकल कर रूपा के चेहरे पर लगा। इस पर सोनाली और सचिन अपनी हँसी रोक न पाए।
अगले राउंड में रूपा जीती और सोनाली हार गई। रूपा- भाभी! बहुत देर बाद पकड़ में आई हो… कब से मस्ती चालू है आपकी… बहुत मज़े ले लिए सबके अब आपकी बारी है। सोनाली- यही तो इस गेम का उसूल है। मैं तुम्हारे मज़े नहीं लेती, तो तुमको मेरे मज़े लेने में, मजा कैसे आता? रूपा- ठीक है, ठीक है! पहले तो आप अपनी ड्रेस निकालो। सबको नंगा करके खुद को महारानी समझ रही हो। भैया! आप भाभी की चूत चाटो और सचिन तुम किस कर लो।
सोनाली तो वैसे भी दिन भर से खुद को नंगी ही महसूस कर रही थी। उसने एक सेकंड में अपनी ड्रेस निकाल दी और पंकज की तरफ चूत करके बैठ गई। उसके घुटने मुड़े हुए थे और वो अपनी कोहनियों के बल आधी लेटी हुई थी। पंकज नीचे झुक के सोनाली की चूत चाटने लगा और सचिन घुटनों और हाथों के बल किसी घोड़े की तरह चलता हुआ सोनाली को किस करने पहुंचा।
सचिन, सोनाली को किस कर ही रहा था कि रूपा ने चुपके से सचिन का लंड ऐसे मुठियाना शुरू किया जैसे कोई गाय का दूध निकालता है। सचिन कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। उसने एक हाथ से सोनाली का एक स्तन मसलना शुरू किया और अपना चुम्बन तोड़ कर दूसरे स्तन के चूचुक को चूसने लगा।
रूपा को लगा सचिन कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो रहा है तो उसने उसे छेड़ने के लिए बोल दिया कि एक मिनट हो गया; सब वापस अपनी जगह बैठ गए।
रूपा- तुमसे किस करने को बोला और तुम तो निप्पल ही चूसने लग गए… इतने पसंद आ गए अपनी बहन के बूब्स? रूपा ने सचिन को छेड़ने के अंदाज़ में कहा।
सचिन- क्या करता, तुम तो मुझे गाय समझ के मेरे लंड से ही दूध निकालने लग गईं थीं। सोचा थोड़ा अपनी बहन का दूध पी लूँ, ताकि तुमको थोड़ी मलाई ही मिल जाए। रूपा को इस बात पर थोड़ी हँसी आ गई लेकिन उसने हँसी दबाते हुए मुस्कुरा कर अपनी आँखें नीची कर लीं। लेकिन बाकी सबने हँसी रोकने की ऐसी कोई कोशिश नहीं की।
अगले राउंड में सचिन जीता और रूपा हार गई। सचिन को तुरंत मौका मिल गया रूपा के मज़े लेने का। सचिन- सबसे पहले तो ये स्कर्ट निकालो। सबको नंगा करके अब क्या तुमको रानी बनना है? सचिन ने ऐसा कहने के बाद सोनाली की तरफ देखते हुए गर्दन हिलाई, जैसे इशारे में कह रहा हो, कि मैंने आपका बदला ले लिया। सोनाली ने भी इसका जवाब अपना सर हिलाते हुए मुस्कुरा कर दिया। सचिन- दीदी! आप इसके बूब्स के साथ खेलो और जीजाजी आप अपनी बहन की चूत चाटो। सोनाली- नहीं यार! भाई बहन हैं। थोड़ा आराम से खेलो, इतना फ़ास्ट मत जाओ। सचिन- ठीक है, तो आप अपने टास्क अदला-बदली कर लो।
अब रूपा उस ही स्थिति में थी जैसे थोड़ी देर पहले सोनाली आधी लेटी हुई थी। इस बार सोनाली अपनी ननद की चूत चाट रही थी और रूपा का भाई उसके बगल में घुटनों के बल खड़ा हो कर अपनी बहन के स्तनों के साथ खेल रहा था। कभी वो उनको उंगलियों से धक्का दे कर हिलता तो कभी चूचुकों को उमेठ देता। घुटनों को बल खड़े होने की वजह से उसका लंड भी रूपा के स्तनों के पास ही था। रूपा ने अपने एक हाथ से अपने भाई के लंड को पकड़ कर अपने स्तन पर मारना शुरू कर दिया। सचिन रूपा की इस हरकत से बड़ा उत्तेजित हो गया और अपनी बहन के नंगे नितम्बों को सहलाने लगा; ना केवल हाथों से, बल्कि अपने गालों से भी वो सोनाली की तशरीफ़ सहला रहा था। उसे उसकी बहन की चूत की खुशबू मदमस्त कर रही थी।
उधर रूपा ने भी जब सचिन को ऐसा करते देखा तो अपने भाई का लंड मुँह में ले लिया लेकिन तब तक एक मिनट हो चुका था; सब लोग वापस अपनी जगह पर आ गए।
इस बार पंकज जीता और रूपा हारी। पंकज- अब ये एक मिनट का प्रतिबंध, मजा कम और सजा ज़्यादा लग रहा है। अब ये आखिरी टास्क है, इसके बाद जिसको जो करना है कर सकता है। ठीक है? सबको पंकज का प्रस्ताव पसंद आया और सबने हामी भर दी।
पंकज- ठीक है, आज शाम को रूपा ने हमको अपनी चुदाई दिखाने का आमंत्रण दिया था, तो अब यही उसका टास्क है। रही बात सोनाली की तो अभी मैंने देखा सचिन बड़ा व्याकुल हो रहा था तुम्हारी चूत चाटने के लिए, तो तुम जा कर अपने भाई से अपनी चूत चटवाओ। इतना सुनते ही रूपा ने सचिन को धक्का दे कर उसे लेटा दिया और खुद उसके खड़े लंड पर जा कर बैठ गई।
सोनाली भी सचिन के सर के दोनों तरफ घुटनों के बल खड़ी हो गई। सोनाली ने अपने घुटनों को इतना मोड़ा कि उसकी चूत उसके भाई के मुँह को छूने लगे और फिर बाक़ी का काम सचिन की जीभ ने सम्हाल लिया। तब तक रूपा ने भी सचिन का लंड अपनी चूत में डाल कर उस पर उछलना शुरू कर दिया था।
पंकज भी जल्दी ही वहीं बाजू में आ कर घुटनों के बल खड़ा हो गया और अपनी बहन और बीवी को अपनी बाहों में ले लिया। रूपा ने अब उछलने की बजाए अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था। रूपा और सोनाली दोनों के एक-एक स्तन पंकज के सीने से दबे हुए थे। तीनों पास आये और एक त्रिकोणीय चुम्बन में रम गए। तीनों की जीभें और होंठ आपस में ऐसे गुँथ गए थे जैसे कुश्ती में पहलवान आपस भी भिड़ जाते हैं।
थोड़ी देर बाद चुम्बन टूटा लेकिन ज़्यादा समय के लिए नहीं क्योंकि अब पंकज पूरा खड़ा हो गया था, और उसका लंड रूपा और सोनाली के होंठों के बीच में था। ननद-भोजाई मिल कर अपने भैया-सैंया का लंड एक साथ चूसने-चाटने लगीं। कभी कभी दोनों के होंठ या जीभ एक दूसरे को छू जाती, तो अपने आप दोनों के चेहरे पर एक मुस्कुराहट खिल जाती।
रूपा ने जब देखा कि उसके भाई का लंड चट्टान बन चुका है तो वो सचिन के लंड पर से उठ गई। उसने बहुत घुड़सवारी कर ली थी, अब वो खुद, अपने भाई के लिए घोड़ी बन कर खड़ी हो गई। रूपा- भाभी! दोनों लंड अब चुदाई के लिए तैयार हैं। अब आप भी भाई चोद बन ही जाओ।
सोनाली ने एक झटके में अपना आसन बदल लिया और उसकी चूत उसके भाई के मुँह से हट के लंड पर आ टिकी। उसने अपने भाई का लंड अपनी चूत पर ठीक से जमाया और सट्ट से बैठ गई। उसकी चूत ने भी सचिन का लंड गप्प से अन्दर ले लिया।
उधर सचिन ने देखा कि पंकज भी अपना लंड अपनी बहन की चूत पर रगड़ रहा है। इधर सोनाली ने भी उछल-उछल कर चुदाई शुरू कर दी। सचिन ने रूपा की तरफ देखा तो उसके चेहरे के भावों से ही पता चल गया कि पंकज ने भी अपनी बहन की चूत में लंड उतार दिया है।
रूपा- तुम जानना चाहते थे ना, कि वो कौन था, जिसने मुझे पहली बार चोदा था? ये ही थे, मेरे पंकज भैया; और तुम्हारी दीदी ने ही चुदवाया था मुझे इनसे। सोनाली- अब यार, ये सचिन को तो इतने साल लग गए मेरी चुदाई तक आने में, सोचा तब तक तुम्हारी चुदाई देख कर ही खुश हो लूँ? सचिन- दीदी! …आप? …कब से? सोनाली- जब से तुझे बाथरूम में शो दिखाना शुरू किया था तब से, भोंदू!
तब तक दोनों भाई-बहन के जोड़ों की चुदाई भी ज़ोर पकड़ चुकी थी। सचिन इन नई-नई बातों से और भी उत्तेजित हो गया था। उसने सोनाली को खींच कर अपने सीने से लगा लिया। सोनाली के स्तनों की नरमाहट और चूत की गर्माहट ने सचिन को इतनी ताकत दी, कि वो पूरी रफ़्तार से लंड उछाल-उछाल कर नीचे से ही अपनी बहन चोदने लगा। रूपा ने भी उसका जोश बढ़ाया- चोद, भेनचोद! चोद अपनी बहन को; पता नहीं कब से तेरे लंड की प्यासी है तेरी बहन की चूत; आज बुझा दे इसकी प्यास।
इन सब बातों ने सचिन और सोनाली को इतना उत्तेजित कर दिया कि दोनों भाई-बहन ज़ोर से झड़ने लगे “आँ… आँ… आँ… आँ… उम्मम्मम… आहऽऽऽ…!”
सचिन इतनी ज़ोर की चुदाई के बाद बिल्कुल बेदम हो गया था। सोनाली भी उसके ऊपर निढाल पड़ी हुई थी। सचिन उसकी पीठ और नितम्ब सहला रहा था।
इस तरह भाई से बहन ने अपनी चूत की चुदाई करवा ली. थोड़ी देर बाद जब जान में जान आई तो सोनाली उठी और देखा कि रूपा उसे इशारे से बुला रही थी। वो रूपा के पास गई, और रूपा उसकी चूत चाटने लगी। सोनाली की चूत से अब तक उसके भाई का वीर्य निकल रहा था; रूपा सब चाट गई। उधर सचिन ने भी सोनाली से अपना लंड चटवा के साफ़ करा लिया।
सचिन और सोनाली अब रूपा और पंकज का उत्साह बढ़ाने लगे। सोनाली रूपा के नीचे 69 की की पोजीशन में आ गई। सोनाली, रूपा की चूत का दाना चूसने लगी जबकि पंकज उसे चोद भी रहा था। ऐसे ही रूपा भी सोनाली की चूत का दाना चूस रही थी और सचिन ने साथ में अपनी बहन की चुदाई शुरू कर दी।
ननद भौजाई एक दूसरे की चूत का दाना चूस भी रहीं थीं और साथ-साथ अपने-अपने भाइयों से चुदवा भी रहीं थीं।
ऐसे ही पोजीशन बदल बदल कर अलग अलग तरह से चुदाई करते करते, आखिर सब थक कर सो गए। किसी को होश नहीं था कि कौन कितनी बार झड़ा और किसने किसको कितनी बार चोदा। ये सब हिसाब तो अब कल सुबह ही होगा जब सबकी नींद खुलेगी।
दोस्तो, इस कहानी में मैंने ज्यादा ऊह-आह नहीं डाला है क्योंकि कम से कम मेरे अनुभव के हिसाब से असल ज़िन्दगी में सेक्स वैसा नहीं होता जैसा पोर्न विडियोज़ में होता है। इसलिए कोशिश की है कि कहानी ज्यादा हो और सेक्स का दिखावा कम।
फिर भी अगर आपके कोई सुझाव हों या आप बताना चाहें कि आपको यह दो भाई-बहन की जोड़ियों की सामूहिक चुदाई वाली कहानी कैसी लगी तो आप मुझे ईमेल कर सकते हैं। आपका क्षत्रपति [email protected]
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