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दोस्तो, मेरी इस कहानी के अब तक आप नौ भाग आप पढ़ चुके हैं, मुझे काफी मेल आये औऱ सभी ने कहानी की तारीफ की है आप सभी पाठकों का दिल से धन्यवाद। पिछले भागों में आपने पढ़ा कि हम भाई बहन ने अपने दोस्तों और सहेलियों को सेक्स बेच कर एक लाख रूपये जमा कर लिए थे. अब हम भाई बहन अपने परिवार के साथ अपनी कार में बैठे और जंगल कैंप की तरफ निकल पड़े. अब आगे की कहानी:
हम सब कार में कैम्प की तरफ जा रहे थे, सब बड़े उत्साहित थे। वहां तक का सफ़र छह घंटे का था। काफी भीड़ थी वहां.. पहाड़ी इलाका था। सभी कारें लाइन में अन्दर जा रही थी।
पापा ने गेट से अपने केबिन की चाबी ली और हम आगे चल पड़े। पापा ने बताया कि उनके छोटे भाई अजय यानी हमारे चाचा की फैमिली भी उनके साथ उसी केबिन में रहेगी।
चाचा हमेशा उनके साथ दो बेडरूम वाले केबिन में ही रहते थे। इस बार हमारी वजह से पापा ने तीन बेडरूम वाला केबिन लिया था। हम अन्दर पहुंचे तो मैं वहां का मैंनेजमेंट देख कर हैरान रह गया। एक छोटी पहाड़ी पर बने इस जंगल कैम्प में तक़रीबन 90-100 केबिन बने हुए थे, काफी साफ़ सफाई थी; हर केबिन एक दूसरे से काफी दूर था। इनमें एक से तीन बेडरूम वाले कमरे थे। बीच में एक काफी बड़ा हॉल था जिसमे शायद मनोरंजन के प्रोग्राम होते थे।
पहाड़ी इलाके की वजह से काफी ठंड थी।
हम अपने केबिन पहुंचे, वहां पहले से ही अजय चाचा का परिवार बैठा था। चाचा की उम्र क़रीब 40 साल थी। कान के ऊपर के बाल हल्के सफ़ेद थे… गठीला शरीर और घनी मूंछें। उनकी पत्नी यानि हमारी चाची आरती की उम्र 36-37 के आसपास थी। वो काफी भरे हुए शरीर की औरत थी, काफी लम्बी, चाचा की तरह इसलिए मोटी नहीं लग रही थी। साथ ही हमारी कजिन सिस्टर नेहा भी थी। वो शरीर से तो काफी जवान दिख रही थी पर जब बातें करी तो पाया कि उसमें अभी तक काफी बचपना है!
हम सबने एक दूसरे को विश किया और अन्दर आ गए। पापा ने पहला रूम लिया और दूसरा अजय अंकल ने! पापा ने मुझे और ऋतु से कहा की तीसरा रूम हमें एक साथ शेयर करना पड़ेगा क्योंकि वहां इससे बड़ा कोई केबिन नहीं था।
मैंने मासूमियत से कहा- नो प्रॉब्लम डैड, हम मैंनेज कर लेंगे. और ऋतु की तरफ देख कर आँख मार दी।
हम सबने अपने सूटकेस खोले और कपड़े बदल कर बाहर आ गए। शाम हो चुकी थी; हॉल में ही खाने का इंतजाम किया गया था; हर तरह का खाना था। हमारा ग्रुप आया… हमने पेट भरकर खाना खाया और मैं ऋतु को लेकर टहलने के लिए निकल गया। मम्मी पापा और अजय अंकल की फैमिली वहीं अपने दूसरे दोस्तों से बातें करने में व्यस्त थे।
हमने पूरा इलाका अच्छी तरह से देखा। ठंड बढ़ रही थी इसलिए हम वापिस केबिन की तरफ चल दिए। वहाँ पहुँचकर हमने पाया कि वो सब भी अन्दर आ चुके हैं और ड्राइंग रूम में बैठे बीयर पी रहे हैं। मैंने पहली बार मम्मी को भी पीते हुए देखा पर उन्होंने ऐसा शो किया कि ये सब नोर्मल है। हम सभी वहीँ थोड़ी देर तक बैठे रहे और बातें करते रहे। पापा ने हमें बताया कि नेहा भी हमारे रूम में रहेगी। दोनों लड़कियां एक बेड पर और मैं एक्स्ट्रा बेड पर सो जाऊंगा।
हमने कोई जवाब नहीं दिया।
नेहा पहले ही जाकर हमारे रूम में सो चुकी थी। फिर तक़रीबन एक घंटे बाद सबको नींद आने लगी और सभी एक दूसरे को गुड़ नाईट करके अपने-2 रूम में चले गए। रास्ते में मैंने ऋतु से नेहा के बारे में विचार जानने चाहे तो उसने कहा- पता नहीं… छोटी है… देख लेंगे! और हंसने लगी।
अपने रूम में जाकर मैंने ऋतु से कहा- मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि इन्होंने हमें एक ही रूम में सोने के लिए कहा है इससे बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता था। ऋतु- हाँ… सच कह रहे हो, हम अब एक दूसरे के साथ पूरी रात ऐश कर सकते हैं। मैंने नेहा की तरफ इशारा करके कहा- पर इसका क्या करें? ऋतु ने कहा- देख लेंगे इसको भी…पर पहले तो तुम मेरी प्यास बुझाओ! और वो उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टांगें मेरी कमर के चारों तरफ लिपटा ली और मेरे होंठों पर अपने सुलगते हुए होंठ रख दिए।
मैंने अपना सर पीछे की तरफ झुका दिया और उसके गद्देदार चूतड़ों पर अपने हाथ रखकर उसे उठा लिया। ऋतु की गरम जीभ मेरे मुंह के अन्दर घुस गयी और मुझे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी। मैंने उसके नीचे के होंठ अपने दांतों के बीच फ़सा लिए और उन्हें चूसने और काटने लगा… आज हम भाई बहन काफी उत्तेजित थे; मैंने एक नजर नेहा की तरफ देखा पर वो बेखबर सो रही थी।
मैंने दरवाजा पहले ही बंद कर दिया था। मैं ऋतु को किस करता हुआ बेड की तरफ गया और पीठ के बल लेट गया। नेहा एक कोने में उसी बेड पर सो रही थी; हमारे पास काफी जगह थी; मैंने अपने हाथ बढ़ा कर ऋतु के मम्मों पर रख दिए… वो कराह उठी- आआआ आअह… .मम्मम… दबाओ भाई… ऊऊऊ…मेरी चूचियाँ! मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, उसकी ब्रा में कैद चुचे मेरी आँखों के सामने झूल गए, मैंने उन्हें ब्रा के ऊपर से ही दबाया; काली ब्रा में गोरी चूचियां गजब लग रही थी। मैंने गौर से देखा तो उसके निप्पल ब्रा में से भी उभर कर दिखाई दे रहे थे।
मैंने अपने दांत वहीं पर गड़ा दिए और उसका मोती जैसा निप्पल मेरे मुंह में आ गया। ऋतु ने हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा भी खोल दी और वो ढलक कर झूल गयी। मैंने अपना मुंह फिर भी नहीं हटाया और उसकी झूलती हुई ब्रा और निप्पल पर मैं मुंह लगाए बैठा था। ऋतु की आँखें उन्माद के मारे बंद हो चुकी थी; उसने मेरा मुंह अपनी छाती पर दबा डाला… मेरे मुंह में आने की वजह से उसकी ब्रा भी गीली हो चुकी थी। गीलेपन की वजह से ऋतु के शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गयी।
उसने मेरे मुंह को जबरदस्ती हटाया और बीच में से ब्रा को हटाकर फिर से अपना चुचा पकड़ कर मेरे मुंह में ठूंस दिया जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए करती है, वैसे ही उसने अपना निप्पल मेरे मुंह में डाल दिया; मैंने और तेजी से उन्हें चूसना और काटना शुरू कर दिया। मैंने एक हाथ नीचे किया और पलक झपकते ही उसकी जींस के बटन खोल कर उसे नीचे खिसका दिया। जींस के साथ-2 उसकी पेंटी भी उतर गयी और मेरी बहन की चूत की खुशबू पूरे कमरे में फैल गयी।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी… मेरी बहन की चूत में उंगली ऐसे अन्दर गयी जैसे मक्खन में गर्म छुरी… वो मचल उठी और उसने अपने होंठ फिर से मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी। एक हाथ से वो मेरी जींस को उतारने की कोशिश करने लगी; मैंने उसका साथ दिया और बेल्ट खोल कर बटन खोले।
ऋतु किसी पागल शेरनी की तरह उठी और बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी जींस पूरी तरह से उतारी और मेरी जींस को नीचे से पकड़ा और बाहर निकाल फेंका। मेरा लंड स्प्रिंग की तरह बाहर आकर खड़ा हो गया। वो नीचे झुकी और मेरा पूरा लंड निगल गयी और चूसने लगी। उसकी व्याकुलता लंड को चूसते ही बनती थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे अपनी तरफ घुमा कर 69 की अवस्था में लिटा लिया। उसकी चूत पर मुँह लगते ही मेरा मुंह उसके रस से भर गया क्योंकि उसका एक ओर्गास्म हो चुका था।
मैंने करीब 15 मिनट तक बहन की चूत चाटी, मैं भी झड़ने के करीब था पर मैं पहले बहन की चूत का मजा लेना चाहता था। मैंने उसे फिर से घुमाया और अपनी तरफ कर के उसकी गीली चूत में अपना मोटा लंड डाल दिया… वो चिल्लाई- आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… अय्य्य्यीईईइ… ऋतु की चूत काफी गीली थी पर उसके कसी होने की वजह से अभी भी अन्दर जाने में उसे तकलीफ होती थी… पर मीठी वाली।
मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू किये; उसकी चूचियां मेरे मुंह के आगे उछल रही थी किसी बड़ी गेंद की तरह। मैं हर झटके के साथ उसके निप्प्ल को अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा। अंत में जैसे ही उसका निप्पल मेरे मुंह में आया… वो झटके दे दे कर झड़ने लगी… और मेरे दाई तरफ लुढ़क गयी। मैंने अपना लंड निकाला और उसे लेटा कर उसके ऊपर आ गया और फिर अपना लण्ड अन्दर डालकर उसे चोदने लगा।
मैंने नोट किया कि इस तरह से स्टॉप एंड स्टार्ट तकनीक का सहारा लेकर आज मेरा लंड काफी आगे तक निकल गया… मैंने करीब पांच मिनट तक उसे इसी अवस्था में चोदा। वो एक बार और झड़ गयी। मैं भी झड़ने वाला था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकालना चाहा, उसने मुझे रोक दिया और अपनी टांगें मेरी कमर के चारो तरफ लपेट दी और बोली- आज अन्दर ही कर दो… मैं हैरान रह गया पर इससे पहले कि मैं कुछ पूछ पाता… मेरे लंड ने पानी उगलना शुरू कर दिया।
उसकी आँखें बंद हो गयी और चेहरे पर एक अजीब तरह का सुकून फ़ैल गया। मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए पूरे मजे लिए और उसकी चूत के अन्दर अपना वीर्य खाली कर दिया और उसके ऊपर लुढ़क गया।
उसकी टांगें अभी भी मुझे लपेटे हुए थी। मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया, मेरा हाथ बगल में सो रही चचेरी बहन नेहा से जा टकराया। मैंने सर उठा कर देखा तो वो अभी भी सो रही थी और काफी मासूम लग रही थी।
ना जाने मेरे मन में क्या आया, मैंने अपना एक हाथ उसके चुचे पर रख दिया। वैसे तो वो कमसिन थी पर उसके उभार काफी बड़े थे। मुझे ऐसे लगा कोई रुई का गुबार हो। मैंने नोट किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। यह महसूस करते ही मेरे लंड ने ऋतु की चूत में पड़े-पड़े एक अंगड़ाई ली। मेरे नीचे मेरी नंगी बहन पड़ी थी और मैं पास में सो रही दूसरी बहन के चुचे मसल रहा था।
मेरी बहन के साथ रंगीन रातें कब तक चलेंगी, चचेरी बहन के हमारे कमरे में होते हुए रोज रातें रंगीन करना मुश्किल काम लग रहा था.
मैं उठा और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया; ऋतु भी मेरे पीछे आ गयी और मेरे सामने नंगी पोट पर बैठ कर मूतने लगी। वो मुझे लंड साफ़ करते हुए देखकर हौले हौले मुस्कुरा रही थी। मैंने तौलिये से लंड साफ़ किया और बाहर आ गया। मैंने अपनी शोर्ट्स पहनी और टी शर्ट उठाई और पहन कर दीवार पर लगे छोटे से शीशे के आगे आकर अपना चेहरा साफ़ करने लगा।
शीशा थोड़ा छोटा और गन्दा था। मैं थोड़ा आगे हुआ और अपने हाथ से उसे साफ़ करने लगा। मेरे हाथ के दबाव की वजह से वो हिल गया और उसका कील निकल कर गिर गया। मैंने शीशे को हवा में लपक कर गिरने से बचाया।
मैंने देखा शीशे वाली जगह पर एक छोटा सा होल है। मैं आगे आया और गौर से देखने पर मालूम चला की दूसरी तरफ भी एक शीशा लगा हुआ है पर शीशे के उलटी तरफ से देखने की वजह से वो पारदर्शी हो गया था जिस वजह से मैं दूसरे कमरे में देख पा रहा था। वो कमरा अजय चाचा का था; वो खड़े हुए अपनी बीयर पी रहे थे।
तब तक ऋतु भी बाथरूम से वापिस आ चुकी थी और कपड़े पहन रही थी; मैंने उसे इशारे से अपनी तरफ बुलाया; वो आई और मैंने उसे वो शीशे वाली जगह दिखाई तो वो चौंक गयी और जब सारा माजरा समझ आया तो हैरानी से बोली- ये तो चाचा का कमरा है… क्या वो हमें देख पा रहे होंगे?
मैं- नहीं, ये शीशे एक तरफ से देखने वाले और दूसरी तरफ से पारदर्शी है… ये देखो! और मैंने उसे अपने रूम का शीशा दोनों तरफ से दिखाया।
उसके चेहरे के भाव बदलते देर नहीं लगी और उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान तैर गयी और बोली- ह्म्म्म तो अब तुम अपनी बहन के बाद चाचा के कमरे की भी जासूसी करोगे। मैंने कहा- चोरी छुपे देखने का अपना ही मजा है। वो हंस पड़ी और हम दूसरे कमरे में देखने लगे।
अब चाचा बेड के किनारे पर खड़े हुए अपने कपड़े उतार रहे थे। उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ चड्डी में ही बैठ गए। आरती चाची बाथरूम से निकली और चाचा के सामने आकर खड़ी हो गयी; उन्होंने गाउन पहन रखा था। चाचा ने अपना मुंह चाची के गुदाज पेट पर रगड़ दिया और उसके गाउन की गाँठ खोल दी। चाची ने बाकी बचा काम खुद किया और गाउन को कंधे से गिरा दिया। चाची ने नीचे सिर्फ पेंटी पहन रखी थी।
आगे की हिंदी सेक्स कहानी अगले भाग में। आप मेरी बहन भाई चुदाई स्टोरी पर अपने विचार मुझे मेल कर सकते हैं, साथ ही इंस्टाग्राम पर भी जोड़ सकते हैं।
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