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कहानी का पिछला भाग: एक लंड और पूरे परिवार की चुदाई-1 अब तक आपने पढ़ा कि चूत चुदाई के चक्कर में मुझे एक दल्ला मिला, वो अपनी बीवी चुदवाने मुझे अपने घर ले गया. वहां देखा तो उसकी माँ और बहन भी गश्ती (रंडी) थी. मैंने उसकी बहन को चोदना चाहा तो माँ ने पहले चुदवाया फिर बहन की चूत मिली. अब आगे:
तीन चार दिन बाद, मैंने फिर भोलू को देखा और उससे कहा- चलो, आज फिर खाते पीते हैं।
मैंने आर्मी कंटीन में अपने दोस्त से दो सस्ती व्हिस्की की बोतलें ले ली थी। थोड़ी देर में मैं दारू की दो बोतलें और सिर्फ नमकीन, आज मैंने चिकन नहीं लिया, के साथ भोलू के घर जा पहुंचे।
पहले की तरह ही मैंने सब को बड़े बड़े पेग बना कर दिया, खुद कम पी। आज सुनीता ने सफ़ेद पंजाबी सूट पहना था, जिसमें वो बहुत सुंदर लग रही थी। सैंडी के जीन्स और टी शर्ट थी। शीला ने भी बड़े से गले वाला, सूट पहना था।
डेढ़ बोतल पीते पीते भोलू तो लुढ़क गया। शीला और सैंडी अपने कमरे में चली गई क्योंकि मैंने कह दिया था कि आज मैं सुनीता के साथ करूंगा।
मैं और सुनीता दोनों सुनीता के बेडरूम में आ गए और मैंने दरवाजे की सिटकनी लगा दी। सुनीता बेड पे बैठी थी, सबसे पहले मैंने बेड पर बैठ कर अपने जूते, मोज़े, कमीज़ और पेंट उतार दी और बेड के सिरहाने से पीठ टिका कर बैठ गया। दो सिरहाने मैंने अपनी पीठ के पीछे लगा लिए और सुनीता को अपनी ओर खींचा तो वो भी आकर मुझसे लिपट गई। मेरे कंधे पर सर रख कर, एक हाथ मेरे सीने पर रख कर बैठ गई।
मैंने कहा- सुनीता एक बात पूछूँ? वो बोली- जी कहिए। मैंने कहा- तुम मुझे बहुत सुंदर लगती हो, किसी भी कोण से तुम भोलू की पत्नी नहीं लगती, मैं यहाँ अकेला रहता हूँ, और अभी मेरी शादी भी नहीं हुई है। अगर ये संभव हो सके तो क्या तुम मेरे साथ कुछ दिनों के लिए पत्नी की तरह रह सकती हो? वो बोली- क्यों सपने दिखाते हो साहब, मेरा बस चले तो मैं आज इस गंदगी को छोड़ कर भाग जाऊँ। पर आप भी मुझे सिर्फ तब तक ही रख सकते हो, जब तक आपकी शादी नहीं हो जाती, जिस दिन आपकी शादी हो गई, एक शरीफ और नेक लड़की आपके घर आ गई, उस दिन आप भी मुझे निकाल दोगे, मुझे फिर इसी नर्क में आना पड़ेगा।
मैंने कहा- हाँ, ये तो तुमने सच कहा। पर मुझे तुम इतनी अच्छी लगी, इतनी प्यारी लगती हो कि मैं तुम्हें अपनी पत्नी की तरह रखना चाहता हूँ। दुनिया में सबके सभी अरमान पूरे तो नहीं होते, पर अगर तुम चाहो तो मेरा ये अरमान पूरा हो सकता है। वो बोली- तो आप अम्मा से बात कर लो, वो मान गई तो सब सेट हो जाएगा।
मैंने खुश हो कर उसके होंठों को चूम लिया, तो उसने भी आगे बढ़ कर मेरे होंठ चूम लिए। हम दोनों नीचे को खिसकते खिसकते गए और लेट गए। मैंने करवट ली और सुनीता को अपने सीने से चिपका लिया, उसने भी अपने पूरे जोश के साथ मुझे खुद से चिपका लिया। एक दूसरे की आँखों में देखते देखते, जैसे दो प्रेमी हो। हम दोनों एक दूसरे के होंठों को बार बार चूमते रहे। उसकी लिपस्टिक का स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था।
मैंने उसके माथे को चूमा और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा- पकड़ो अपने यार को, और सहलाओ इसे, प्यार करो इसे! मैंने कहा। वो धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने उसके मम्मे पकड़ कर दबाये- ओह सुनीता, तुम बहुत सेक्सी हो जानेमन, अगर तुम इस घर में ना होती तो मैंने पक्का तुमसे शादी करके अपने घर ले जाना था। वो बोली- ले जाओ मेरे मालिक, अब भी ले जाओ, जहां चाहे ले जाओ, तुम्हारे घर की नौकरानी बन के रहूँगी, जो रूखा सूखा दोगे, खा लूँगी, बस यहाँ से ले जाओ। मैंने उसे कहा- ज़रूर इसके बाद मैं शीला से बात करूंगा, और तुम्हें अगर खरीदना भी पड़ा तो खरीद लूँगा, या किराये पे ही सही, पर यहाँ से ले जाऊंगा। बस तुम मेरा मन खुश कर दो। वो बोली- अब तो आपकी बाहों में हूँ, जैसे चाहो इस्तेमाल कर लो मुझे।
मैंने कहा- तुम इस्तेमाल की नहीं, प्यार से सहेज कर रखने वाली चीज़ हो जानेमन! ओह… सुनीता… आई लव यू। सुनीता, मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ। वो बोली- नंगी आप करोगे, या मैं खुद अपने कपड़े उतारूँ? मैंने कहा- पहले मेरी चड्डी उतारो और फिर वहाँ सामने खड़ी हो कर अपने कपड़े एक एक करके उतारो। सुनीता ने अपने दोनों हाथों से मेरी चड्डी नीचे खींची, नीचे से मेरा कडक लंड उछल कर बाहर आया, फिर उसने मेरी बनियान उतारी। उसके बाद उठ कर जाने लगी तो मैंने उसकी मोटी भरपूर गांड पर हाथ फेरा, वो मुस्कुरा कर चली गई।
उसने दरवाजे की सिटकनी लगा दी और खिड़की के भी पर्दे खींच दिये। फिर कमरे की दूसरी लाईट भी जला दी, कमरा रोशनी से भर गया, मेरे बिल्कुल सामने खड़ी हो कर पहले उसने मुझे अपने होंठों से एक चुंबन फेंका, मैंने भी उसका फेंका चुंबन अपने होंठों पे लिया और अपना लंड उसकी तरफ करके हिला दिया। वो मुसकुराई और अपनी क़मीज़ उतारने लगी, क़मीज़ बड़ी टाईट थी तो थोड़ी मुश्किल से ही उतरी।
क़मीज़ के उतरते ही उसका भरपूर मांसल और गोरा बदन मेरे सामने अनावृत हो गया। सफ़ेद ब्रा में मुश्किल से फंसे दो बहुत ही बड़े मम्मे, दूध जैसे गोरे, और नीचे गोरा सपाट मगर चर्बी वाला पेट। जिस पर उसने अपनी सलवार बांध रखी थी। फिर उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोला। सलवार उतारते ही उसकी मोटी मांसल जांघें देख कर मेरा मन मचल गया, मैंने कहा- बस अब और कपड़े तुम मत उतारो, बाकी के मैं खुद उतारूँगा।
वो मेरे पास आई तो मैंने सबसे पहले उसको अपनी बाहों में कस लिया और अपना मुँह उसके बड़े बड़े मम्मों के बीच में घुसा दिया, उसने भी मेरे सर को अपनी आगोश में ले लिया। मैंने बारी बारी उसके दोनों मम्मों को चूमा। “ओह सुनीता, तुम कितनी सुंदर, कितनी सेक्सी हो। सारी उम्र चोद चोद कर भी तुमसे दिल न भरे!” मैंने कहा तो वो बोली- अब तो मैं आपकी ही हूँ, जितना जी चाहे उतना चोद लो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए आप से! मैंने उसके दोनों मम्मे पकड़ कर खूब दबाये, मोटे, वजनदार मगर फिर भी मुलायम मम्मे।
मैंने पूछा- तुम्हारे घर में कोई बच्चा नहीं दिखता? क्या तुम्हारे कोई बच्चा नहीं है? वो बोली- बच्चा तो हो जाता अगर इस कमीने में पैदा करने का दम होता, डॉक्टर से चेक करवाया था, तो इस में ही कमजोरी निकली। मैंने कहा- मेरे बच्चे को जन्म दोगी? वो बोली- ज़रूर, आप उसे अपना नाम दो या न दो, पर अगर आप कहोगे, तो मैं आपके बच्चे की माँ बन सकती हूँ। मैंने कहा- तो ठीक है, आज तो नहीं पर जब तुम्हें अपने घर ले जाऊंगा, तब हम बिना कोंडोम के सेक्स करेंगे और मैं तुम्हें प्रेग्नेंट करूंगा। वो बोली- ठीक है।
बस फिर मैंने उसे घुमा कर बेड पे गिरा लिया और उसके ऊपर लेट गया, उसके होंठों को चूमते चूमते मैंने नीचे हाथ डाल कर उसका ब्रा के हुक खोले। जब मैं ऊपर को उठा तो उसने अपनी दोनों बाहें भी ऊपर उठा दी, और बड़े आराम से उसकी ब्रा उसके विशाल मम्मों को आज़ाद करके उसके बदन से अलग हो गई। कितने बेदाग, साफ, मुलायम और गोरे मम्मे थे।
मैंने अपने हाथों में उसके दोनों मम्मे पकड़ कर दबाये, तो उसने अपने दोनों गोरे, लाल सुरक नेल पोलिश लगे हाथों से मेरी नंगी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया। मेरा तना हुआ लंड उसके गोरे पेट पर पड़ा आराम कर रहा था। मेरी जांघें पीठ कमर सब को उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज़ से सहलाया।
मैंने कहा- सुनीता, तुम बदन को बहुत अच्छा सहलाती हो। वो बोली- अरे इसी तरह बदन सहला कर मैं किसी भी मर्द को सिर्फ 3 मिनट में फारिग कर सकती हूँ। मैंने कहा- मगर मैं 3 मिनट में फारिग नहीं होना चाहता, मैं तुम्हें बहुत देर चोदना चाहता हूँ। वो बोली- आप चिंता मत करो, जितनी देर चाहो आप मुझे चोद सकते हो, मैं आपको उसका भी तरीका बता दूँगी।
मैं थोड़ा सा आगे खिसका और मैंने अपना लंड सुनीता के मुँह के पास किया, तो उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपना सर उठा कर मेरे लंड को चूसने लगी। गोरा सुंदर चेहरा और गहरी मारून लिपस्टिक लगे होंठों में मेरा काला लंड मुझे बहुत ही प्यारा लग रहा था और सुनीता भी उसको बड़े प्यार से चूस रही थी।
मैंने भी अपना एक हाथ पीछे ले जा कर उसकी चड्डी के अंदर डाल कर उसकी चूत का दाना सहलाना शुरू किया, पहले तो कुछ देर सूखा सूखा लगा, मगर बाद में मैंने महसूस किया कि उसकी चूत गीली हो चली है। उसकी चूत के दाना सहलाने से उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी, उसकी सांस तेज़ हो रही थी, और वो मेरे लंड को खा जाने की हद तक अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। मैंने पूछा- मजा आ रहा है? उसने हाँ में सर हिलाया।
मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और उसके ऊपर से नीचे उतरा, उसकी चड्डी अपने हाथों से उतारी और उसकी घुमा कर बेड के बीचे में लेटाया। उसकी दोनों टाँगें खोली, बिल्कुल बीच में गोरी गुलाबी फुद्दी, जिसके आस पास एक भी बाल नहीं थी, एकदम चिकनी। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने आगे बढ़ कर कर उसकी फुद्दी को चूम लिया।
वो एक दम से उठी- अरे ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा- तुम्हारी इस खूबसूरत फुद्दी ने मुझे पागल कर दिया है। वो बोली- तो ये भी तो आपका लंड देख कर पागल हुई जा रही है, क्यों न इन दोनों का मिलन करवा दिया जाए?
मैंने उसके घुटने पकड़ कर अलग अलग किए, वो फिर से लेट गई और मैंने अपना लंड उसकी चूत पे सेट किया, और जैसे ही मैंने ऊपर से ज़ोर लगाया, सुनीता ने भी नीचे से अपनी कमर हिला कर मेरे लंड को बड़े प्यार से अपनी चूत के अंदर सही से लिया। एक सनसनाहट सी मेरे बदन में हुई, जब मेरा लंड सुनीता की चूत में घुसा।
मैंने कहा- सुनीता, फुद्दी तो मैंने और भी बहुत सी औरतों की मारी है, मगर तुम्हारी फुद्दी जैसी फुद्दी किसी की नहीं मिली। उसने मुझे नीचे को खींच लिया और अपने होंठों को मेरे होंठो पर रख दिया। लाल सुर्ख होंठों को मैं अपने मुँह के अंदर खींच गया और चूस डाला, जितनी भी ताकत से मैं उसके होंटों को चूस सकता था।
अपनी जीभ जब मैंने उसके होंठों पर फेरी तो उसने मेरी जीभ अपने होंठों में लेकर चूसी, मेरी लंड के टोपे तक सनसनी सी दौड़ गई। दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे जैसे कोई पुराने बिछड़े प्रेमी मिले हो। सुनीता मेरी जीभ, मेरे होंठ और मेरे लंड, तीनों को अपने अंदर खींच खींच कर चूस रही थी। गीली चूत उसकी फ़च फ़च की आवाज़ कर रही थी, और मेरे हर घस्से पर वो ‘ऊँह… आह…’ कर रही थी।
मुझे बाद में याद आया, यार मैं एक गश्ती की चूत मार रहा हूँ, और कोंडोम तो मैंने चढ़ाया ही नहीं। फिर सोचा, कोई बात नहीं, जो होगा देखा जाएगा, अभी तो मजा लूँ। गिनती के 8 या 9 मिनट ही मैं सुनीता को चोद पाया और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया, मगर उसने कोई ऐतराज नहीं किया। मैंने कहा- कहीं प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाओगी? वो मुस्कुरा कर बोली- जी नहीं, अभी तो मेरा सेफ पीरियड चल रहा है।
मैंने कहा- मैं थोड़ी देर बाद एक बार और तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ। वो बोली- कोई बात नहीं, ज़रूर कर लेना। पहले कुछ और चाहिए तो बताओ? मैंने कहा- थोड़ी चाय पीने का मन था।
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने कहा- क्या तुम मेरे लिए, ऐसे ही नंगी ही चाय बना कर ला सकती हो? वो बोली- क्यों नहीं, हमारे घर में सब ने एक दूसरे को नंगा क्या सेक्स करते हुये भी देखा, मैं ऐसे ही चाय बना लाऊँगी।
मेरे कहने पर वो नंगे बदन ही जाकर चाय बना कर लाई, हम दोनों ने बैठ कर चाय पी। चाय के साथ मैंने थोड़ी सी अफीम निकाल कर खाई तो उसने भी मांग ली। काले चने के बराबर हम दोनों ने थोड़ी थोड़ी खा ली।
उसके बाद कितनी देर बैठे बातें करते रहे, वो अपनी हालत के लिए, अपने पति और सास को कोसती रही, मैं उसकी हाँ में हाँ मिलाता रहा। थोड़ी देर बाद मैं और सुनीता फिर से एक दूसरे में समा गए, इस बार हमने एक बहुत ही लंबी पारी खेली, कभी वो ऊपर तो कभी मैं, हम दोनों अपने सभी अस्त्र शस्त्र एक दूसरे पर चलाये और बहुत ही खुशनुमा माहौल में एक दूसरे को पूरा संतुष्ट किया। फिर मैं उठ कर गया और शीला के कमरे का दरवाजा खटखटाया।
उसने दरवाजा खोला, मैं नंगा ही उसके कमरे में दाखिल हुआ। मुझे देख कर वो बोली- क्यों बाबू, मेरी लोगे या मेरी बेटी की? उसकी बात में व्यंग सा था। मैंने कहा- मैं सुनीता को कुछ दिन अपने घर रखना चाहता हूँ, ताकि मैं इस सुंदरी की जवानी का भरपूर मजा ले सकूँ। इसके लिए मुझे तुमको कितने पैसे देने होंगे? वो बोली- एक दिन का 1000 लूँगी, जितने दिन, उतने हज़ार।
मैं वापिस आया, अपनी पेंट की जेब से 10000 निकाले और शीला को दिये- ये लो 10000, आज से सुनीता मेरी, मैं इसे अपने साथ अपने घर ले जा रहा हूँ। शीला मेरी आँखों में गहरा देख कर धीरे से बोली- जब दिल भर जाए, तो वापिस कर जाना।
मैं वापिस सुनीता के रूम में आया और उसे ले कर दूसरे रूम में गया, जहां भोलू दारू पी कर धुत्त हो कर गिरा पड़ा था। सुनीता ने गुस्से में भोलू पे थूक दिया, मैंने कहा- इसे और सज़ा देते हैं। मैंने अपना लंड हिला हिला कर खड़ा किया, उस पर कोंडोम चढ़ाया, और थूक लगा कर भोलू की गांड में घुसेड़ दिया। नशे में ही भोलू ने हल्की सी चीख मारी, मगर सुनीता बोली- और ज़ोर से मारो साले कमीने इंसान की, मादरचोद ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद करके रख दी।
उसने फिर भोलू के मुँह पर थूका और मुझे कहा- पूरा डालो साले के, अंदर तक फाड़ दो इस हरामी को। मैंने भी भोलू की गाँड में लंड पेलते हुये सोचा, यार ये तो सारे परिवार को ही मैंने चोद दिया, माँ, लड़का, लड़की और बहू, वाह, कमाल ही हो गया।
भोलू की थोड़ी से मारने के बाद मैंने सुनीता से कहा- चलो सुनीता, आज से अपने घर में रहेंगे। मैंने अपने कपड़े पहने, सुनीता ने अपना सूटकेस पैक किया और हम दोनों पति पत्नी की तरह, शीला के घर से बाहर आ गए, बाइक पर बैठा कर मैं उसे अपने घर ले आया।
अगले 5-6 दिन हम दोनों ने खूब जम कर सेक्स किया, सुबह, दोपहर, शाम, रात… जब जी किया, हमने खूब एक दूसरे को चोदा। फिर मैंने सुनीता से कहा- सुनीता, अगर मैं तुमसे शादी करना चाहूँ, तो भाग चलोगी मेरे साथ? वो मेरे सीने से लिपट गई, बोली- मैं यही बात उस दिन से सोच रही थी, जिस दिन आप मुझे लेकर आए थे।
अगले ही दिन मैंने अपने ऑफिस में अर्ज़ी दी और अपनी बदली दूर की करवा ली और शादी कर ली। आज 5 साल हो गए हैं इस बात को… मैं और सुनीता एक बहुत अच्छे पति पति की तरह अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं, हमारे दो बच्चे भी हैं, एक बेटी और एक बेटा।
सुनीता भी एक बहुत ही अच्छी पत्नी, माँ और दोस्त की तरह मेरे साथ अपना साथ निभा रही है। ज़िंदगी में सब कुछ सेक्स ही नहीं होता, सबसे बड़ा होता है, प्यार और विश्वास।
मेरी इंडियन सेक्स स्टोरी पर आपके विचार आमंत्रित हैं. [email protected]
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