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पिछले भाग में आपने पढ़ा के कैसे घर वालो की गैर मौजूदगी में समीर और नीतू ने मौज़ मस्ती की। अब आगे की कहानी….
एक दिन नीतू की मौसी प्रेग्नेंसी की वजह से अस्पताल में दाखिल थी। तो नीतू की मौसी के पास उसकी माँ को रात को रहना था। इस लिए घर पे नीतू के पापा और नीतू दोनों ही थे।
मेरी माँ को नीतू के पापा ने बोला के बहन जी, आप आज की रात हमारे यहां रुक जाओ, मुझे किसी जरूरी काम से बाहर जाना है। इस वक्त नीतू अकेली रहेगी। आप तो जानते हो के अकेली लड़की को घर पे कैसे छोड़कर जाऊ।
लेकिन मेरी माता ने बताया के भाई साहब मेरी बहु भी यहां नही है, उसके बच्चे मेरे पास है। आप नीतू को ही मेरे यहां भेजदो। यदि मैं आपके वहां आई तो बच्चे भी साथ आयेगे। सो आप नीतू को ही मेरे घर भेजदो।
नीतू के पापा को बात अच्छी लगी। उसने बोला, मैं 10 मिनट में भेजता हूँ।
जब आधा घण्टा हो गया तब माँ ने बोला,” समीर फोन लगाकर पूछ के नीतू क्यों नही आई। मैंने फोन लगाया तो नीतू ने बोला के उसके मौसी की हालत ज्यादा बिगड़ गयी है तो पिता जी उसी वक़्त उनके परिवार वालो के साथ अस्पताल गए है।
मेरी माँ ने कहा,” ऐसा कर समीर तू बाइक लेकर जा और उसे लेकर आ, वो बेचारी अकेली वहां निराश हो रही होगी।”
मैंने बाइक निकाली और उसके घर की और निकल गया। उसका घर गांव के बाहर था। सो अँधेरे की वजह से मै धीरे धीरे जा रहा था।
करीब 15 मिनट में मैं उसके घर पहुंच गया और उसे साथ आने को बोला।
वो बोली,” थोडा रुक जाओ मैंने मौसी की खबर सुनकर अभी तक खाना नही खाया और गर्मी की वजह से नहाना भी है। इस काम के लिए मुझे करीब एक घण्टा लग जायेगा। तब तक तुम बाइक अंदर करलो।”
मैंने बाइक अंदर करली और दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया। अब हम दोनों अकेले थे। मौसी की तबियत को लेकर नीतू बहुत उदास लग रही थी।
मैंने उसे छेड़ना चाहा लेकिन उसकी कोई प्रतिकिर्या न मिलती देखकर मैंने ज्यादा जबरदस्ती नही की और समय की नज़ाकत को देखते हुए कुछ नही किया। अब मैं उस से बिल्कुल नॉर्मल बाते कर रहा था।
उसने मेरे चेहरे की और देखा और कहा,” नाराज लग रहे हो?
मैंने कहा,” नही, नही मैं भला नराज क्यों होऊँगा?
वो बोली, ” पता है मुझे, मैंने आज कोई प्रतिकिर्या जाहिर नही की जब तुमने मुझे चूमना चाहा था। लेकिन क्या करु मेरा मन आज सुबह से ही मौसी पे अटका हुआ है। उनकी सही सलामत डिलिवरी हो जाये। फेर कोई टेंशन नही रहेगी। खैर छोडो इस बात को, आप अपना मेरी वजह से मूड खराब न करो। खाना खाकर हम इकठे नहाऐगे तब अपने दिल की हर रीझ पूरी कर लेना। अब मैं आटा गूँथ लूँ। बस 4-5 रोटिया बनानी है। तब तक आप टीवी लगाकर बैठ जाओ।”
मैं टीवी लगाकर बैठ गया लेकिन मेरा मन तो नीतू में ही खोया हुआ था। करीब 20 मिंट बाद वो खाना लेकर मेरे पास कमरे में ही आ गयी और बोली,” लो तुम भी खाना खा लो।
मुझे भूख तो नही थी लेकिन उसका मान रखने के लिए उसके साथ ही एक ही प्लेट में खाने लग गया। मैंने रोटी को थोडा सा तोड़कर उसके मुंह में डाल दी। जिस से उसकी आँखे नम हो गयी। मैंने पुछा,” क्या हुआ, रो क्यों रही हो ?
वो बोली,” समीर तुम अजनबी होकर इतना प्यार कर रहे हो। तूने मुझे कभी भी बेगाना होने की बात महसूस नही होने दी। लेकिन एक मेरा पति था, उसकी पत्नी होते हुए भी उसने एक दिन भी मुझे ऐसे रोटी नही खिलाई। इस लिए मेरा मन भर आया। खैर छोडो इस बात को अब तुम मुंह खोलो अब मैं तुम्हे अपने हाथो से खिलाऊँगी।”
वो मेरे मुंह में रोटी को थोडा थोडा करके डालने लगी।
मैंने थोडा शरारत करने की सोची और उसकी ऊँगली को हल्का सा काट लिया। वो दर्द से तिलमिला गयी और थोडा गुस्सा दिखाते हुए रुठने का नाटक करने लगी। मैंने उसे बड़े प्यार से मनाने की कोशिश की लेकिन वो थी के मानने का नाम ही नही ले रही थी।
फेर मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उसको उनके ही बेडरूम जो के रसोई के साथ वाला ही कमरा था, उसमे ले गया और बेड पे जाकर पटक दिया। मुझे नीतू ने अपने ऊपर खींचा, अपने सीने से लगाया और मैंने उसकी ठोड़ी ऊपर को उठा कर अपने होंठ उसके होंटों पर धर दिये।
एकदम पतले गुलाब की पंखुड़िया जैसे उसके होंठ मेरे थोड़े से कठोर होंठो की कैद में आ गए। हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों पर बार बार चूमा।
फेर नीतू ने धीरे से मेरे कान में बोला,” सिर्फ होंठो पर ही समय बर्बाद करोगे या आगे भी चलोगे?
मैंने भी कह दिया,” आगे आगे देखिये होता है क्या ?” और इसपे हम दोनों हंस दिए।
अब मैंने उसको लिटाया और सबसे पहले उसके माथे पे किस किया, फेर होठ रगड़ता हुआ उसकी गालो पे किस किया और हलकी हल्की चक्की भी काटी.
वो बोली,” चक्की न काटो यार, निशान पड़ जायेंगे। घर पे भी जाना है न माँ क्या कहेगी ? मुझे उसकी बात सही लगी।
मैंने कहा,” चलो अब आपकी बारी है। असल में मुझे उसकी पिछली चुदाई के दौरान कही बात याद आ गई के फ्री टाइम में तेरा लण्ड चूसूँगी। मैंने सोचा इतना अच्छा मौका हाथ से भला क्यों गंवाना। अब मैं लेट गया और आँख के इशारे से उसे करने को न्यौता दिया।
नीतू ने मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया और अंडरवियर में हाथ डाल कर लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे बड़े ही प्यार से बच्चे की तरह देखने लगी। मैंने उससे शरारती अंदाज़ में पूछा- क्या हुआ, क्या देख रही हो? उसने एक नजर उठा कर मुझे देखा और उसको प्यार से किस करने लगी, उसने पहले एक किस सुपारे पर की और धीरे से सुपारे को मुंह में भर लिया, अंदर ही अंदर सुपारे पर जीभ चलाने लगी।
क्या आनन्द था यार, कहने सुनने से परे, आँखे बन्द करके इस आसमानी सैर का मजा ले रहा था। वो लण्ड लेने के लिए इतनी उतावली हो रही थी के एक हाथ अपनी सलवार में डाल के अपनी चूत को सहला रही थी और अपना सर आगे करके हलक तक लण्ड ले जाती और गू गू की आवाज़ करने लगती। उसकी आखो में पानी सिम आया था। लेकिन उसका मुख चोदन बन्द नही हुआ। जब मुझे लगा के मेरा माल निकलने वाला है तब मैंने उसे हट जाने को कहा।
अब मैंने उसे लेटने को बोला! उसने जल्दी से अपनी सलवार उतारी और मैंने देर न करते हुए उसकी चूत में जीभ डाल दी और अंदर तक जीभ को ले जाकर अंदर बाहर करने लगा, वो कामुकता वश पागलों जैसे मचलने लगी, उसने दोनों टाँगों के बीच में मेरे सर को कस लिया.
किन्तु अब स्थिति ऐसी थी जिसमें उसकी चूत के अंदर मेरी जीभ अपना कमाल दिखा रही थी और उसके स्तनों के ऊपर मेरे हाथ अपना कमाल दिखा रहे थे.
कुछ ही पलों में वो बिस्तर में ही लेट के चूत चटवाने का आनन्द लेने लगी अब कामुकता के वशीभूत होकर उसके पैर स्वतः खुल गये और वो दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी मानो मेरा पूरा सर ही अपनी चिकनी चूत में घुसा देगी।
वो अपने मज़े में इतना खो गयी के उसका पानी कब निकल गया उसे पता नही चला, जिस से मेरा मुँह पूरी तरह से भीग गया। मुझे थोड़ी बेजती महसूस हुई के मैंने तो इसे छोड़ देने को कह दिया था। लेकिन साली ने मुंह पे कर दिया। अब मैं बदले की भावना में आ गया। एक बार पानी निकल जाने से वो निढाल होकर गिर पड़ी उसकी सांसे फूली हुई थी।
मैंने बेडशीट से अपना मुह पोंछा और उसे बोला,” क्यों जानू मज़ा आया या नही।
वो बोली,” आज जितना मज़ा तो कभी भी नही आया समीर। मुझे तेरी बीवी से जलन महसूस हो रही है के वो इस मज़े का रोज़ाना मज़ा लेती होगी। जब मैं कभी कबार साल, महीने में एक दो बार ही ले पाऊँगी।”
मैंने कहा,”कोई बात नही यार, चाहे एक बार ही सही लेकिन पूरा मज़ा तो लो इस पल का।” इतना कहते ही मैंने अपना लण्ड उसके मुंह से पास कर दिया।
उसने बिना कोई आना कानी किये फेर मेरे लण्ड को अपने मुंह की ग्रिफत में ले लिया और मैंने उसके मुंह के ऊपर होकर हल्की हल्की अपनी कमर हिलाने लगा। उसकी जीभ के स्पर्श मात्र से ही सोये लण्ड में फेर से जान आ गयी और मैंने उसके मुंह से निकालकर अब उसकी टांगो के बिच आ गया।
वो बोली,” जल्दी करो घर भी जाना है न देर हो रही है।”
अब मैंने अपनी पोजिशन ले ली और उसकी दोनों टांगो को कन्धों को रखकर अपने तने हुए लण्ड का सुपारा उसकी कामरस से सनी हुई चूत के मुंह में रखा और हल्की सी कमर हिलाने से लण्ड का सुपारा उसकी चूत में समा गया और वो आँखे बन्द करके इस पल का मज़ा लेने लगी।
थोड़ी देर के बाद बोली,” आज तुम अपना माल मेरी चूत में नही मेरे मुह पे छोड़ना, क्योंके मुझे डेट को आये हुए 3 दिन ही हुए है, कही कोई गडबड न हो जाये।”
मेरी तो मानो दिल की मुराद पूरी हो गयी हो। मैं बड़े जोर शोर से कमर चला रहा था के मुझे लगा के अब मेरा माल निकलने वाला है।
तो मैंने जल्दी से लण्ड उसकी चूत से निकालकर थोडा आगे होकर उसके मुंह में दे दिया और गर्मा गर्म वीर्य की पिचकारियों से उसका चेहरा भर दिया। अब मैं भी हांफता हुआ। उसके साथ ही लेट गया।
जब हमारी सांसे थमी तो हमने उठकर अपना हाथ मुंह साफ किया और बाथरूम में चले गए। वहां हमने एक दूसरे को मल मल के नहलाया और एक दूसरे की चुसाई की। फेर हम उसके घर को ताला लगाकर मेरे घर पे आ गए।
ये थी आज की कहानी, आपको जैसी भी लगी मेरे ईमेल “[email protected]” पे निसंकोच भेज दे। इस कहानी का तीसरा और आखरी भाग जल्दी लेकर आउगा। तब तक के लिये अपने दीप पंजाबी को दो इजाजत….
नमस्कार !!!!
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