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रूबी चुड़क्कड़ निकली और मेरा भरोसा तोड़ दिया। अब मेरे सामने राहुल के साथ फार्म हाउस में रुकने के अलावा और कोई चारा नहीं था।
राहुल ने मुझे उस रात वहीं रुकने के लिए बोल दिया। मुझे अब डर भी लग रहा था। यहीं वो फार्म हाऊस था जहा राहुल ने कई बार मुझे चोदा था। अब अकेले में उसके साथ रुकना मुश्किल था।
मैने वैसे ही इतने दिन से चुदाई नहीं करवाई थी और अगर राहुल मेरे करीब आया और मुझसे कोई गलती हो गयी तो.
वैसे भी राहुल को मेरी कमजोरी पता थी, मेरी चूत में उंगली होने के बाद मै अपने आप को रोक नहीं पाती. मेरे पास और कोई उपाय नहीं था। वैसे भी मै अपने पति से अलग हो चुकी थी। मेरा पति खुद दुसरी औरतो को चोद रहा हैं तो मै क्युँ ना किसी के साथ चुदवा लु.
पूजा और रूबी, जिन्होंने मुझे हिम्मत दी थी, वो खुद ही दुसरो के साथ चुदवा रही थी। वैसे भी रात को वहां रुकने का मतलब यह नहीं था कि मै चुदवा ही लुंगी.
मैने उसको हां बोल दिया पर परेशानी यह थी कि सिर्फ उसके रूम की ही सफाई हुयी थी और सोने के लिए कोई दुसरी जगह नहीं थी।
राहुल ने मुझे उसके बिस्तर पर सोने को बोल दिया और खुद बाहर सोफे पर सोने के लिए तैयार था। पर मै नहीं मानी. मै उसी शर्त पर वहां रुकने को राजी हुयी कि मै सोफे पर सोउंगी और वो अंदर बिस्तर पर. मै उस दिन फ्रॉक जैसी ड्रेस पहनी थी जो घुटनो के ऊपर तक ही थी।
राहुल ने मुझे ओढने के लिए कुछ दिया और एक तकिया दे दिया। जब वो वहां से चला गया तभी मै सोफे पर लेटी
मेरे दिमाग में सिर्फ रूबी और पूजा ही गुम रहे थे। उन दोनो में मिलकर मुझे सुधार दिया था पर वो दोनो ही बिगड़ैल निकली. मुझे थकान के मारे जल्दी ही नींद आ गयी।
रात को मैंने अपनी जांघो पर कुछ टच होता महसूस किया और मै एकदम से उठ बैठी. मेरी ड्रेस थोड़ी ऊपर उठ चुकी थी और मेरी आधी जांघे नंगी दिख रही थी।
राहुल मुझ पर झुका हुआ था। डर के मारे मुझे उस वक्त कुछ नहीं सुझा और मेरा हाथ चल गया और राहुल को थप्पड़ मार दिया।
मैं: “इसलिए मुझे रात रुकने को बोल रहे थे?”
मैने अपनी ड्रेस को फिर नीचे किया और उठ खड़ी हुयी
राहुल: “तुम्हारा चादर सोफे से नीचे गिर गया था और तुम ठंड से कांप रही थी इसलिए तुम पर चादर डालने आया था”
यह कहकर वो चादर वहीं सोफे पर रख अंदर बेडरुम में चला गया। मैंने अपने नंगे हाथ देखें जहा रोंगटे खड़े हुए थे। सोफे पर बैठ कर अपनी नंगी टांगे देखी, वहां भी ठंड से रोंगटे खड़े थे.
थोड़ी ठंड तो मुझे महसूस हो रही थी। शायद राहुल सही कह रहा था, वो तो सिर्फ मेरी मदद करने आया था और मैंने उसको थप्पड़ जड़ दिया।
बिना गलती के थप्पड़ खाना कितना बुरा लगता हैं वो मै समझ सकती थी। पर अब मै क्या करती . इतनी रात को उसके बेडरुम में जाकर माफ़ी मांगती.
फिर सोचा सुबह उठकर ही माफ़ी मांगुगी. तब तक शायद उसका गुस्सा भी शांत हो जाऐ। मै चादर ओढ़ कर फिर सो गयी। सुबह हल्की ठंड के साथ मेरी नींद उड़ी. चादर फिर से सोफे के नीचे पड़ा था। उठकर देखा तो ड्रेस पूरी ऊपर होकर लगभग मेरी कमर तक आ चुकी थी और मेरी पैंटी दिखने लगी थी।
मै जल्दी से कपड़े नीचे कर बदन ढका. अच्छा हुआ राहुल अभी तक नहीं उठा था। मै अब बाहर बालकनी में आयी और गार्डन की तरफ देखने लगी। सुबह को उस फार्म हाऊस का नजारा बहुत हसीन होता हैं।
देखा तो राहुल गार्डन में दौड़ लगा रहा हैं। राहुल पहले ही उठ चुका था और उसने मुझे इस तरह सोते हुए देख लिया होगा। मै शर्म से पानी पानी हो गयी।
इस बार तो उसने मुझे चादर भी नहीं ढका. ढकता भी क्युँ, पिछली बार भलाई करने गया था तो मुझसे थप्पड़ खाया था, फिर वहीं गलती क्युँ करता.
मुझे बालकनी में खड़ा देख राहुल बालकनी के नीचे आया और एक अजीब सी शक्ल बनायी और फिर मुझे बोल दिया कि उसका ड्राइवर 1 घंटे में आने वाला हैं जो मुझे मेरे घर ड्राप कर देगा. यह कह कर वो फिर चला गया अपनी जॉगिंग के लिए.
मै वाशरूम गयी और थोड़ी देर बाद अपना मेकअप टच अप कर तैयार थी। मै अब बाहर आयी। मै अब दुगुना शर्मींदा थी, एक तो सोते हुए अपने अंगप्रदर्शन से और दुसरा बेवजह राहुल को थप्पड़ मारने से . मै राहुल के पास माफ़ी मांगने गयी।
मैं: “राहुल, आई एम सॉरी रात को मैंने ग़लतफ़हमी में जो किया”
राहुल: “कोई और होता तो वो भी यहीं करता. मेरी ही गलती थी, मुझे तुम्हे उठा देना चाहिए था। पर हमारे पहले की रिश्ते को ध्यान में रखकर मैंने सोचा मै ही तुम्हे बिना उठाए चादर ओढ़ा दू”
राहुल ने मेरे लिए कॉफ़ी बनायी और मै उसके सामने सोफे पर बैठे पांव क्रॉस किए बैठी थी। ड्रेस छोटी थी तो मेरी नंगी जांघे थोड़ी दिख रही थी और मै यह देख पिछली घटना याद कर शर्माने लगी।
उसने कुछ ज्यादा ही मेरी नंगी टांगे सोते हुए देख ली थी। पर फिर सोचा हमारे पिछले सम्बन्धो के दौरान वो पहले ही मुझे पूरा नंगा देख चुका हैं, फिर यह तो कुछ नहीं था।
मैं: “मेरी ड्रेस थोड़ी छोटी हैं और मुझे रात को सोते वक्त इतना ध्यान नहीं रहा तो उसके लिए सॉरी , मै इस तरह सो रही थी”
उसने एक हल्की स्माईल ली और कुछ नहीं बोला और फिर वो अपनी हंसी नहीं संभाल सका और जोर जोर से ठहाका लगाते हुए हंसने लगा। एक बार तो मै बहुत शर्मींदा हुयी कि उसने मुझे कैसी स्तिथि में देखा था कि मुझ पर हस रहा था, पर फिर हंसने वाली बात थी तो मै खुद हंस पड़ी थी। शायद इस तरह मेरा वो पाप उतर जाऐ कि मैंने उसको थप्पड़ मारा था। मुझे हंसता देख वो और भी ज्यादा हंसा. फिर थोड़ी देर बाद हम दोनो शांत हुए.
मैं: “इतना क्युँ हस रहे थे?”
राहुल: “पुराणी याद आ गयी थी। जब मैंने तुम्हारी पैंटी अपने पास रख ली थी और तुम मुझसे मेरे केबिन में मांगने आयी थी”
मैं: “मै इस तरह सो रही थी तो तुम नजर नहीं फेर सकते थे! इस तरह सोती हुयी लड़की को देखते शर्म नहीं आयी?”
राहुल: “मैने थोड़े ही तुम्हे बोला था कि तुम अपनी पैंटी दिखाओ. तुम खुद दिखा रही थी, कोई भला क्युँ नहीं देखेगा”
मैं: “यह क्या बार बार पैंटी पैंटी बोल रहे हो. कोई तुम्हारे बारे में ऐसा बोले तो?”
राहुल: “मगर मै तो पैंटी पहनता ही नहीं हूँ”
यह बोलकर वो फिर जोर से हंसे लगा और मै भी बिना हंसे नहीं रह पायी।
राहुल: “वैसे तुम जब कभी यह ड्रेस पहनो तो बालकनी में मत खड़े होना. नीचे से अब दिखता हैं”
मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया। वो फिर हंसने लगा। बालकनी में खड़ी हुयी थी तब वो बालकनी के नीचे खड़े होकर मुझे बोलने आया था। तब उसने फिर मेरी ड्रेस के नीचे से मेरी पैंटी देख ली थी। शायद इसी कारण उस वक्त उसने अजीब सी शक्ल बनायी थी।
मैने सोफे पर पड़ा कुशन उठा कर उसकी तरफ गुस्से में उछाल दिया, पर कुशन उस से दूर जा गिरा. वो फिर ठहाका लगा हंसने लगा। वो मजाक मजाक में मेरा अपमान कर रहा था। मैंने कॉफ़ी मग वहीं रखा और उठ कर उसकी तरफ झपटी.
ठहाका लगाने से पहले उसने अपना कॉफ़ी मग पहले ही टेबल पर रख दिया था। मैंने कुशन से उसको मारना शुरु कर दिया पर वो हंसता रहा और मै चिढ़ती रही.
हम भूल ही गए थे कि हम रिश्तो के किस मौड़ पर थे। उसने मेरे हाथ वाला कुशन पकड़ लिया, मैंने छुड़ाने की कोशिश की. मै उस से कुशन नहीं छीन पायी। मेरी जद्दोजहद देख उसने कुशन छोड़ दिया और मै कुशन खिंचते पिछे की तरफ जा गिरी. मै पीठ के बल पीछे गिरी और मेरी टांगे ऊपर हवा में उठ गयी। मेरी ड्रेस एक बार फिर कमर तक उठ गयी और मेरी पैंटी उसको दिख गयी।
मै एक बार फिर शर्म से पानी हो चुकी थी। मै जल्दी से कपड़े संभालते खड़ी हुयी और अपने हाथ में पकड़ा कुशन उस पर दे मारा और गुस्से से ज्यादा शर्म से मै उसकी तरफ पीठ कर अपने सोफे के साइड में जाकर खड़ी हो गयी।
उसकी हंसी अब बंद हो गयी थी। कुछ सेकण्ड के बाद उसका शरीर मेरे पिछे आकर टकराया. मै पूरा हिल गयी। उसने अपना एक हाथ मेरे पेट पर लपेट कर पकड़ लिया।
मेरी गांड उसके आगे के हिस्से से चिपक गयी और थोड़ा दब गयी। दुसरा हाथ उसने मेरे हाथों में रखा और हमारी उंगलिया आपस में उलझ कर फंस गयी।
उसके होंठ मेरी गरदन को चूमते हुए मुझे नशा दिला रहे थे। मेरा अपने आप पर कण्ट्रोल जाता रहा। मै आंखे बंद किए उसके चूमने को महसूस करती रही.
उसने मुझे चूमना बंद किया और मेरा हाथ छोड़ा. फिर मेरी ड्रेस का निचला किनारा पकड़ लिया और उसको धीरे धीरे ऊपर उठाने लगा।
मैने नीचे देखा. मेरी ड्रेस मेरी जांघो तक ऊपर उठ चुकी थी, और फिर धीरे धीरे ऊपर होते हुए मेरी पैंटी तक आ चुकी थी।
मैने अपना हाथ अपनी ड्रेस के ऊपर से ही चूत पर रख दिया और वो ड्रेस आगे से ऊपर नहीं उठा सका. उसने ड्रेस वहीं छोड़ दी और वो ड्रेस फिर नीचे हो गयी। उसका एक हाथ अभी भी मुझे कमर से झकड़े हुए था।
फिर उसने पीठ पर से मेरी ड्रेस की चैन पूरी खोल दी और मेरी ड्रेस ऊपर से थोड़ी ढीली हो गयी। अगले ही पल उसने मेरा पेट छोड़ा और अपने दोनो हाथों से मेरी ड्रेस को मेरे कंधो से नीचे उतार दिया।
मेरे दोनो कंधे नंगे हो गए और मैंने दोनो हाथों से अपनी ड्रेस को कंधो से और नीचे गिरने से बचाया. राहुल ने मेरा एक हाथ पकड़ उसको ड्रेस से हटाया. फिर दुसरा हाथ भी नीचे कर दिया।
मेरे कंधे अब पूरी तरह बाहर आ गए थे और सिर्फ ब्रा की पट्टी थी। ड्रेस मेरे मम्मो पर जाकर अटक गयी थी।
फिर उसने अपने दोनो हाथों से मेरी ड्रेस को ऊपर से नीचे खिंच कर निकालना शुरु किया. मेरे हाथ नीचे ही थे और ऊपर उठ कर मुझे नंगा होने से बचाने की कोशिश नहीं कर रहे थे.
मेरी ड्रेस मेरे मम्मो के ऊपर से उतर कर नीचे हो गयी और पेट तक आ गयी। मेरा ब्रा और उसमे झांकते गौरे मम्मो का उभार दिखने लगा था।
इतने दिन से चुदाई को तड़पते मेरे बदन ने आत्मसमर्पण कर दिया था। मेरी ड्रेस अभी भी मेरे पेट पर अटकी थी और राहुल ने मेरे ब्रा की पट्टी भी कंधे से हटा कर कोहनी तक ले आया।
ब्रा का ऊपर का सपोर्ट हटटे ही मेरा ब्रा मेरे मम्मो से थोड़ा नीचे खिसका और ऊपर का थोड़ा ज्यादा उभार दिखने लगा।
वो अपना एक हाथ अब मेरे ब्रा के ऊपर के मम्मो के उभार पर रगड़ने लगा। उसका हाथ धीरे धीरे नीचे आता गया और मेरा ब्रा नीचे खिसकता गया।
मेरा लगभग ऊपर का आधा मम्मा उसने दबोच लिया था। एक और झटका मारते ही मेरा ब्रा मेरे मम्मो से हट सकता था।
मेरे मम्मो के ऊपरी भाग को अपने एक हाथ झकड़े हुए उसने दुसरा हाथ से मेरी ड्रेस को नीचे खिसकाना जारी रखा। मेरी ड्रेस जो अब तक मेरे पेट पर अटकी थी अब कमर के नीचे आ गयी।
और मेरे कूल्हो से निकलते ही वो नीचे जमीन पर जा गिरी और मै सिर्फ पैंटी और ब्रा में खड़ी थी। ब्रा भी आधा तो खुल ही चुका था।
तभी बाहर कार का हॉर्न बजा, शायद उसका ड्राइवर आ गया था। राहुल ने मेरे सीने से अपना हाथ हटाया और मैंने जल्दी से अपने ब्रा की पट्टी फिर कंधे पर चढ़ा ली.
नीचे झुकते हुए मैंने अपने पांवो में पड़ी अपनी ड्रेस को ऊपर खिंचते हुए फिर से अपनी पैंटी ढक दी और फिर पेट और मम्मो पर चढ़ाते हुए अपने बदन को ढक दिया।
तभी राहुल का हाथ आया और उसने पीठ पर मेरी ड्रेस की चैन बंद कर दी. मै उसकी तरफ देखें बिना अपना पर्स उठाए दरवाजे की तरफ बढ़ी और बाहर निकल कर तेजी से कार की तरफ बढ़ी।
राहुल और मैं कुछ ज्यादा ही खुल गए और हम दोनों एक गलती करते करते रह गए।
कहानी आगे जारी रहेगी!
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