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दोस्तो, मैं आपका सरस, आपके सामने एक बार एक नई कहानी के साथ फिर से हाजिर हूँ. मेरी पहली कहानी को आप सभी ने बहुत सराहा, जिसके लिए मैं आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करता हूँ. मेरा प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए आप सभी के ढेरों मेल्स मिले.
जिन पाठकों ने मेरी पहली कहानी नहीं पढ़ी हो, वो प्रेमिका की चूत की प्रथम चुदाई पर जाकर मेरी कहानी पढ़ सकते हैं.
मैं आज आप लोगों के सामने अपने एक दोस्त की कहानी लेकर प्रस्तुत हुआ हूँ, जिसने मेरी सेक्सी कहानी पढ़ने के बाद अपनी कहानी मुझसे शेयर की और उसे आप सभी की ओर से मेरी फेवरिट साइट अन्तर्वासना पर प्रकाशित करवाने का अनुरोध किया.
जैसा कि आप सभी को पता है कि मैं एक नये साथी की तलाश में हूँ इसलिए मैं अपने खुद का अनुभव तो शेयर कर नहीं पाऊँगा. लेकिन आप सभी से अनुरोध है कि इस कहानी के बारे में अपने बेशकीमती सुझाव जरूर मेल करें.
सबसे पहले में आपको कहानी के किरदारों से परिचित करवा दूँ. मेरे दोस्त का नाम है रजत और उसकी प्रेमिका का नाम है वंदिता. रजत मेरे गाँव का ही लड़का है और वंदिता उसकी रिलेटिव है. ऱजत 25 साल का है और वंदिता 22 साल की सुंदर और आकर्षक गठीले बदन की मालकिन है.
दोनों की मुलाकात एक शादी समारोह में हुई थी, दोनों की जान पहचान बढ़ी और इस कदर बढ़ी कि रजत के बिस्तर तक जा पहुँची और अभी तक चुदाई जारी है.
आगे की कहानी ऱजत की ज़ुबानी..
मैं रजत अपनी प्रेमिका वंदिता से अपनी बड़ी बहन की शादी में मिला था. वो मेरी बुआ की देवरानी की बड़ी लड़की थी. जब मैंने पहली बार उसे देखा तो बस देखता ही रह गया. वो खाने की मेज पर मेरी बुआजी के साथ बैठी हुई थी.
उसे देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके बारे में जानने के लिए बुआ के पास जा पहुँचा. मैंने बुआजी को नमस्ते करके बात शुरू की. थोड़ी देर के बाद बातों ही बातों में मैंने वंदिता के बारे में बुआजी से पूछ लिया तो बुआजी ने हमारा परिचय करवाया. हमारी बातें शुरू हो गईं.
फिर तो मैं सारे मेहमानों को छोड़कर वंदिता की सेवा करने में लग गया, जिसे देखकर वो भी मुझसे इंप्रेस होने लगी. शादी में हम लोगों की ज़्यादा बातें नहीं हो पाईं लेकिन हम लोगों की नजरों ने बहुत कुछ बातें की, जिसका फायदा मुझे उस वक़्त मिला जब मैं अपनी बुआजी के घर गया. वंदिता अपने घर जाते वक़्त अपना नंबर मुझे दे गई जिससे हम लोगों की फोन पर रोज ही बातें होने लगीं. हम दोनों एक-दूसरे से मिलना चाहते थे, लेकिन ऐसा कोई अवसर नहीं मिल पा रहा था कि हम मिल सकें.
एक दिन वंदिता ने मुझे फोन करके बताया कि उसकी मम्मी उसके मामा के घर जा रही हैं और वो 2 दिन के बाद आएंगी. फिर मैंने अपने पापा से बात करके बुआजी के घर जाने की इजाजत ले ली और मैं तय किए गए दिन अपनी बुआजी के घर पहुँच गया. अचानक से मुझे देख कर बुआजी चौंक गईं और मुझसे घर के समाचार पूछने लगीं.
मैंने कहा- सब कुछ ठीक है बस आपकी याद आ रही थी तो मिलने आ गया. बुआजी ने कहा- बहुत अच्छा किया जो तू आ गया.
एक बात में आपको बताना भूल गया कि मेरी बुआजी एक जॉइंट फैमिली में रहती हैं. बुआजी ने वंदिता को आवाज लगाई और पानी लाने के लिए कहा. थोड़ी देर के बाद वंदिता मेरे लिए पानी लेकर आई और मुझे उस हूर परी के दर्शन हुए, जिसके लिए मैं यहाँ आया था. मुझे देखकर वंदिता ने स्माइल किया और बदले में मैं भी मुस्कुरा दिया.
पानी लेने के बहाने मैंने वंदिता के हाथ को छू लिया तो वंदिता आँखों के इशारे से मुझे मना करने लगी.
वंदिता गुलाबी रंग के सलवार सूट में बहुत सुंदर दिख रही थी. थोड़ी देर बात करने के बाद मेरी बुआजी दूध लेने के लिए गाँव में चली गईं. अब मैं और वंदिता बैठकर बातें करने लगे. मैंने वंदिता को गले से लगाने की कोशिश की तो वंदिता ने मुझे मना कर दिया कि कोई देख लेगा और रात में मिलने का प्रोग्राम बनाने लगी.
वंदिता ने कहा- हम लोग सब बाहर सोते हैं. वैसे तो मैं अपनी मम्मी के पास सोती हूँ लेकिन आज मम्मी नहीं है तो मुझे तुम्हारी बुआजी के पास सोना पड़ेगा. मैं तुम्हारा बिस्तर मेरे पास लगा दूँगी, जिससे मेरे एक तरफ तुम्हारी बुआजी और एक तरफ तुम हो जाओगे. जब बुआजी सो जाएं तो तुम चुपके से उठकर मेरे बिस्तर पर आ जाना.
अभी तक मैंने वंदिता को किस भी नहीं किया था तो मैं रात के बारे में सोच सोच कर रोमांचित होने लगा. जल्दी ही शाम हो गई और शाम से रात. हम सब लोगों ने खाना खाया और फिर मैं और बुआजी बात करने लगे. मैंने अपने फोन से बुआजी की घर पर बात करवाई.
थोड़ी देर के बाद मैं वंदिता सब लोगों के बिस्तर लगाने लगी और सब लोग सोने की तैयारी करने लगे.
अब हम लोगों को रात के दस बज चुके थे. सब लोग अपने अपने बिस्तरों पर जा चुके थे. कुछ सो गए थे ओर कुछ जाग रहे थे. घर का सारा काम निपटाकर बुआजी और वंदिता भी अपने अपने बिस्तरों पर आ गईं. वंदिता ने लाइट बंद कर दी. रात अंधेरी होने के कारण हम लोगों को बहुत आसानी हो गई.
जब बुआजी बिस्तर पर आईं तो मुझे आवाज लगाई लेकिन मैं सोने का नाटक करने लगा. बुआजी को लगा कि मैं सो गया हूँ. वंदिता को चिंता होने लगी कि यदि मैं सो गया, तो सारा प्लान खराब हो जाएगा. इसलिए सोने के बाद मुझे हाथ से जगाने की कोशिश करने लगी. जैसे ही वंदिता ने अपना हाथ मेरे बदन से छुआ मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया. अब वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
उसकी परेशानी देखते हुए मैंने उसका हाथ छोड़ दिया. थोड़ी देर बाद जब सब लोग सो गए तो वंदिता ने मुझे इशारा किया और मैं झट से उसकी चादर में आ गया. हम दोनों करवट लेकर लेटे हुए थे. मैंने वंदिता को जोरदार हग किया हुआ था. उसका कोमल बदन पहली बार मेरी बांहों में था.
थोड़ी देर उसके बदन से खेलने के बाद मैं उसके होंठों को चूमने लगा. बड़े ही मुलायम और रसीले होंठ थे, एकदम गुलाब के पंखुड़ी के जैसे होंठ थे. वंदिता मेरा पूरा साथ दे रही थी. हम लोग ज़्यादा हलचल बिल्कुल भी नहीं कर रहे थे. हम दोनों के हाथ एक-दूसरे के बदन को पूरी तरह से नापतौल रहे थे.
कुछ देर बाद वंदिता गर्म होने लगी और कामुक सिसकारियां भरने लगी. बुआजी के पास में सोए होने की वजह से वह अपनी सिसकारियों और अपनी साँसों को दबाने की कोशिश करने लगी. लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल पा रही थी. उसके मुँह से ‘आअहह उम्म्म्म आअहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आऊहह हहोहह..’ की आवाजें निकल रही थीं.
अब वंदिता मेरे लंड से खेलने लगी और मैं उसकी पैंटी को खोल कर उसकी चूत में उंगली करने लगा. जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, तो देखा कि उत्तेजना की वजह से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी है. मेरी उंगली उसकी चूत में आसानी से जाने लगी. मुझे एहसास हो गया कि वंदिता पहले भी सेक्स कर चुकी है. जब मैंने इशारे से उससे पूछा तो उसने बाद में बताने की बात कहकर बात को टाल दिया.
मैं वंदिता की चूत में उंगली को तेज़ी से करने लगा. अब वंदिता की सिसकारियां बढ़ती जा रही थीं. वंदिता ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर रखवा लिया. मैं समझ गया कि वंदिता अब लंड लेने के लिए तैयार है. अब मैंने हल्का सा धक्का दिया और चूत के चिकनी होने की वजह से लंड आसानी से वंदिता की चूत में चला गया.
वंदिता के मुँह से एक जोरदार ‘आहह..’ निकल गई जैसे की उसे असीम आनन्द मिला हो. वह धीरे-धीरे अपनी गांड को हिलाने लगी. मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को पेलने लगा. वंदिता मस्त होने लगी. चूत के चिकनी होने की वजह से मुझे भी मस्ती ज़्यादा ही आने लगी. हम दोनों के मुँह से ‘आअहह हमम्म्म आहह् म्म्म्म ..’ की आवाजें आने लगीं.
अब वंदिता मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने की कहने लगी. कुछ देर के बाद मैंने अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया और अपने लंड से वंदिता की प्यारी सी चूत को तेज स्पीड में चोदने लगा.
कुछ देर के बाद हम दोनों का शरीर अकड़ने लगा और हम दोनों का पानी छूट गया. लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों पूरी तरह से पसीने में हो गए थे.
अब हम अपनी साँसों को संभालने में लग गए. वंदिता और मेरी नजरें मिलीं और हम मुस्कुरा दिए. फिर वंदिता ने मेरे गाल पर प्यारा सा चुम्बन किया, बदले में मैंने भी उसे चूम लिया. मैंने अपने मोबाइल में टाइम देखा तो रात के 2 बज रहे थे.
इसके बाद हमने एक और बार चुदाई की. फिर मैं अपने बिस्तर पर आकर सो गया. दो दिन में बुआजी के घर रुका और इन 2 दिनों में मैंने अपनी जिंदगी को बहुत ही खूबसूरत तरीके से जिया.
वंदिता आज भी मेरी जिंदगी में मेरी प्रेमिका है और इस जनवरी में हमारी रिलेशनशिप को 2 साल पूरे हो जाएँगे. इन 2 सालों में मैंने वंदिता के साथ कई रातें गुलाबी की हैं, लेकिन उस पहली रात का मजा ही कुछ और था.
तो दोस्तो, यह थी मेरे दोस्त रजत की अपनी प्रेमिका की चूत चुदाई की कहानी उसी की जुबानी. मुझे उम्मीद है आप सभी लोगों को कहानी बहुत पसंद आई होगी और आप सभी दोस्त मेरा हौसला बढ़ाते रहेंगे. मुझे आप सभी के मेल्स का बेसब्री से इंतजार रहेगा. [email protected]
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