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दोस्तो आपने मेरी भाई बहन चुदाई स्टोरी में अब तक जाना कि मेरी चचेरी बहन अनुराधा मेरे साथ पूरा मजा लेते हुए ओरल सेक्स करने लगी थी. अब आगे..
लास्ट टाइम सेक्स के बाद मैं बिस्तर पर लेटा था और वो मेरे ऊपर थी. मैंने उसे सीधा किया और उसे किस करने लगा. हम दोनों एक गर्म चुम्बन करने लगे. मैं उसकी गांड मसलने लगा, कभी उसके निप्पलों को मसलता. उसकी नारंगियों को पूरे जोर से दबाता तो वो तड़प उठती. हम बेतहाशा एक-दूसरे को चूमने लगे.
मैं- अनुराधा! अनुराधा- हम्म? मैं- आई लव यू. अनुराधा- आई लव यू टू भैया.
वो कहने को छोटी थी मगर उसका जिस्म बहुत ही कमाल का था. थोड़ी मोटी होने के कारण उसका जिस्म बिल्कुल सॉफ्ट था. मैंने उसके जिस्म के हर अंग को चाटा.. उसकी गांड, उसके निप्पल, जाँघों को, चुत को.. आख़िर में तो उसकी चुत बिल्कुल चुदने को तैयार हो गई थी और मेरा लंड शेर हो गया था.
मैं- अनुराधा, एक प्रॉमिस करेगी? अनुराधा- क्या? मैं- तू ज़िंदगी भर मेरी रांड बन के रहेगी? अनुराधा- मतलब? मैं- मतलब, मैं जब चाहूँ तुझे चोद सकूं, चुत चूस सकूं.. मैं जो कहूँ तू मानेगी हमेशा? अनुराधा- हाँ भैया.. मैं बन जाऊंगी तुम्हारी रांड.. हर काम करूँगी. मैं- प्रॉमिस..! क्योंकि अगर तूने नाटक किया तो अगली बार तेरी गांड में पूरा हाथ डाल दूँगा. अनुराधा- नहीं भैया.. ऐसा मत करना. मैं तुम्हारा कहा मानूँगी.. प्रॉमिस.
मैं- और ये बात कभी तेरी रांड माँ को मत बताना न ही अपनी बहन कल्याणी को. अनुराधा- मम्मी को क्यों रांड कह रहे हो.. क्या मम्मी भी आपका लंड चूसती हैं? मैं- हाँ वे लंड चूसती हैं, मगर मेरा नहीं.. दूसरों का.. वो सब जाने दे.. बस तू बताना मत. अनुराधा- हाँ भैया.. तुम जो कहो. मैं- और तू कभी किसी और का लंड नहीं चूसेगी.. सिर्फ़ मेरा.. अनुराधा- ठीक है भाई.. अब मैं थक गई हूँ… गोदी? मैं- आजा…
मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और हम नंगे ही लेट गए. उसने अपनी टांगें मेरी कमर से लपेट लीं. उसकी सॉफ्ट गांड मेरे लंड को टच करने लगी तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. उसे भी महसूस हुआ. वो मेरी आँखों में देखने लगी. मैंने उससे किस किया और बांहों में लपेट लिया. फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और उसे घर छोड़ने गया.
मैं घर आ गया और फिर एक बार मुठ मारी और सो गया. मैं बहुत खुश था. मुझे एक सेक्स डॉल मिल गई थी और मैं जानता था कि वो एक दिन सेक्स क्वीन बनेगी और वो मेरी होगी.
अगले दिन जब वो स्कूल से घर आई तो मैं पहले से उसका इंतजार कर रहा था. मुझे देख और उसकी आँखें चमक गईं. मगर उससे याद था हमारा सीक्रेट, तो कुछ नहीं बोली. मैं फिर से उस घर ले जाने की कोशिश करने लगा. मगर उसकी माँ बीच में आ गई, बोली- उसने अभी खाना नहीं खाया.. चेंज तो कर लेने दे पहले.. वगैरह वगैरह..
मुझे बहुत गुस्सा आया.. मगर मैं जानता था कि जब तक ये रांड नहीं मानेगी, मैं मेरी डॉल को नहीं ले जा पाऊंगा. मैं- चाची, तुम इसके खाने पीने का क्यों इतना सोचती हो? ये तो वैसे ही मोटी है.. अनुराधा- चुप करो भैया.. मैं- घर पे खाना है चाची.. और मैंने भी नहीं खाया अभी तक. चाची- तो यहीं खा लो.. मैं- हम दोनों घर पर ही खाना खा लेंगे.
इससे पहले वो रांड कुछ कहती, मैंने अनुराधा को बाइक पर बिठाया और हम भाग निकले. चाची ने हम दोनों को जाते-जाते ही बोला- इसकी बहन आई तो उसे भी भेज दूँगी.
मैंने सोचा टाइम लिमिटेड है.. वो आ गई तो कुछ नहीं होगा. हम मेरे घर में आ गए. अब आज मजा लेने का समय कम मिलने की स्थिति थी.
मेरे मम्मी-पापा आज आउट ऑफ स्टेशन गए थे और अगली सुबह आने वाले थे तो मैं तो फ्री था मगर कल्याणी आ गई तो प्राब्लम हो जाती. मैंने वो सब सोचने में ज़्यादा टाइम नहीं वेस्ट किया. मैंने घर लॉक किया और अनुराधा को बांहों में उठा कर सीधा बेडरूम में ले आया. वो नाटक करने लग गई. बहाने बनाने लग गई. उसने स्कूल ड्रेस पहना थी. स्कर्ट्स मेरी पसंद की ड्रेस, जिसमें से चुत का जल्दी काम लग जाता है.
अनुराधा- आज नहीं मूड भैया… मैं- नखरे मत कर रांड… अनुराधा- ना… वो मुझे छेड़ कर भागने लगी.
मैं- ओह.. तो लगता है जबरदस्ती करनी ही होगी. वो हंस पड़ी, मैंने उसे पकड़ा और सीधा बिस्तर पे उल्टा पटक दिया. अनुराधा- अऔच.. भैया धीरे… मैं- तो काम शुरू कर! अनुराधा- मुझे भूख लगी है. मैं- हाँ तो मेरा लंड है ना.. जितना चाहे चूस.. थोड़ी देर बाद उसमें से दूध तो निकलेगा ही. अनुराधा- नहीं भैया मुझे कुछ खाना खाना है. मैं- चुप कर.. तू मेरी रांड है.. मैं जो कहूँ तू करेगी.. प्रॉमिस याद है ना? अनुराधा- हाँ भैया याद है.. मगर कुछ खा लूँ तो सब करूँगी. मैं- हम्म.. चल नंगी हो. अनुराधा- अभी? पहले खाना खाती हूँ ना.. प्लीज़ भैया. मैं- हाँ खा लेना जो खाना है..पहले जैसा कहता हूँ वैसा कर.. नंगी हो जा. अनुराधा- ठीक है. मैं- रुक.. रहने दे. अनुराधा- क्यों? क्या हुआ भैया? मैं- मैं खुद तुझे नंगी करूँगा!
मैं बिस्तर पे आ गया, वो मेरे सामने ही बैठी थी अपने घुटने मोड़ कर, जिस वजह से उसका स्कर्ट थोड़ा ऊपर हो गया था. मैं बिस्तर के सामने खड़ा हो गया और उसके पैरों को पकड़ कर उसे बिस्तर के किनारे तक खींचा. अब वो मेरे सामने लेटी थी. मैंने उससे उल्टा किया. मैं- कुत्ता देखा है? अनुराधा- हाँ… मैं- कुत्ते जैसी बैठ. अनुराधा- मतलब? मैं- अरे जैसा कुत्ता खड़ा रहता है ना, उस तरह से बन जा. अनुराधा- मैं कुछ समझी नहीं.
मैं उसको पेट से पकड़ कर उठाया और उल्टा कर दिया.. तो वो पेट के बल लेटी हो गई थी.. फिर मैंने उसके हेयर पकड़े और उन्हें खींचा. अनुराधा- आअहह.. दर्द हो रहा..बाल क्यों खींच रहे हो? इस दौरान वो अपने आप ही डॉगी स्टाइल में आ गई. मैं- देख तू किस तरह बैठी है.
उसने अपनी नजरें पीछे घुमाईं और समझ गई कि डॉगी स्टाइल क्या होता है. मैं- समझी? अब जब भी डॉगी स्टाइल कहूँ तो तू ऐसे ही बैठ जाना. अनुराधा- ओके भैया.. अब खाना खाते हैं ना? मैं- मैंने क्या कहा था तुझे.. तू क्या है मेरी? अनुराधा- रंडी.. मैं- हाँ.. तो मुँह बंद रख और जितना कहता हूँ वैसा कर..समझी? अनुराधा- ओके भैया.
अब उसकी गांड मेरे सामने थी.. मैंने उसकी स्कर्ट को धीरे-धीरे उठाना स्टार्ट किया. उसने वाइट कलर की पैंटी पहनी थी. मैंने उसकी स्कर्ट को उसकी गांड पे रखा और अपने अंगूठे से उसकी चुत को ऊपर से सहलाने लगा. अनुराधा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और फिर वैसा करते ही मैंने उसकी स्कर्ट को खींच कर उसके जिस्म से अलग कर दिया. अब वो सिर्फ़ पैंटी और शर्ट में थी. मैंने उससे सीधा किया और घुटने के बल बैठा दिया.
अब वो समझ गई और खुद ही अपनी शर्ट निकालने लगी. उसने नीचे सिर्फ़ वाइट कलर की चड्डी पहनी थी.. वो पैंटी उतारने लगी तो मैंने उसे रोक दिया. अनुराधा- क्या हुआ? नहीं निकालूँ!
मैंने उसके मासूम शक्ल को देखा.. और उससे बांहों में जकड़ कर फ्रेंच किस करने लगा. वो भी मेरी कॉपी करने लगी. मैं- मेरा लंड पकड़.. अनुराधा- तुमने तो निकाला ही नहीं.. कहाँ से पकड़ लूँ..! मैं- तो तू निकाल ले ना..
वो खड़ी हो गई और अपने हाथों से मेरी जीन्स निकालने लगी और मेरी अंडरवियर भी एक झटके में निकाल दी.. मेरा लंड स्प्रिंग जैसा उछल कर उसके सामने आ गया. उसे अब कोई शर्म नहीं आ रही थी. जैसे ही उसने मेरा लंड देखा वो उससे खेलने लगी. मैं- अभी मत कर कुछ.. रहने दे.. डॉगी स्टाइल में आ जा.
वो फिर डॉगी स्टाइल में बैठ गई.. मैंने उसकी चड्डी की ओर देखा..और उसकी चुत को मसलने लगा, उसकी गांड पे किस करने लगा.
मैं- आज तेरी चुत ज़्यादा गीली नहीं लग रही है. अनुराधा- क्यों? मैं- मैं चाहता हूँ कि तेरी चुत इतनी गीली हो जाए कि तेरी पैंटी पूरी तरह भीग जाए. अनुराधा- मगर कैसे भैया?? मैं सूसू करूँ क्या? मैं- नहीं.. अपने आप ही गीली हो जाएगी.
इतना कह कर मैंने उसकी चड्डी निकाल दी और वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मैंने उसके निप्पलों को पिंच किया तो कराह उठी. मेरे लंड से प्रीकम निकल रहा था.. जो उसने देखा. अनुराधा- भैया दूध.. मैं- हाँ पता है.. तेरे लिए ही है.. लेकिन अभी नहीं..
मैं अपनी रूम में गया और एक तौलिया ले आया. मैं- अब तेरी चुत को गीला करेंगे. अनुराधा- कैसे? मैं- बिस्तर पे खड़ी हो जा.
वो बिस्तर पे खड़ी हो गई. मैं उसके पीछे आया और घुटनों पर बैठ गया. अब मेरा लंड उसकी गांड को छू रहा था.
अनुराधा- क्या कर रहे हो? मैं- तेरी गांड में लंड घुसा रहा हूँ. अनुराधा- नहीं भैया.. दुख़ता है. प्लीज़ मत करो. मैं- अन्दर नहीं घुसा रहा. चुप से खड़ी रह.. मैंने उसकी गांड को मसलना स्टार्ट किया और उससे कहा- जरा पैरों को फैला.
उसने अपने पैर फैला दिए और मैंने उसके पैरों के बीच ठीक चुत के नीचे अपना लंड लगा दिया. मैं- अब पैरों को बंद कर. अनुराधा- लंड तो बाहर निकालो. मैंने उसकी गांड पे एक स्लॅप किया अनुराधा- आअहह.. सॉरी समझ गई..
उसने अपने पैरों को बंद किया. अब मेरा लंड उसकी चुत के होंठों को टच कर रहा था और उसकी जाँघों में फंसा हुआ था. मैंने तौलिया कमर के चारों तरफ बाँध दिया. अब वो मुझसे बँधी थी, मेरा लंड उसकी चुत पर रगड़ खा रहा था. उसने नीचे देखा और बोली.
अनुराधा- क्या इसे चोदना कहते हैं? मैं- नहीं.. अभी लंड तेरी चुत के बाहर है.. जब वो चुत के अन्दर जाता है तो उससे चोदना कहते हैं. तू बस यूं ही खड़ी रह. मैं तुझे अब गोदी में उठाऊंगा. तू जैसी खड़ी है वैसी ही रहना.
मैंने उसके अंडरआर्म्स के बीच हाथ डाला और उसे उठा कर किचन की ओर चलने लगा. जैसे-जैसे मैं चलने लगा मेरा लंड उसकी चुत पर घिसने लगा.
अनुराधा- आहा.. भैया लंड अन्दर जैसा जा रहा है. मैं- हाँ लेकिन अन्दर नहीं जा रहा.. सिर्फ़ बाहर से घिस रहा है.. जैसे मैं हिलूँगा, तेरी चुत मेरे लंड पे घिसेगी.
इसके बाद इसी अवस्था में हम दोनों ने किचन से खाना लिया और चेयर पे बैठ गए. मेरा लंड अब भी उसके पैरों में फंसा था. हम खाना खाने लगे मगर अनुराधा की साँसें तेज होने लगीं.
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