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दोस्तो, आपने मेरी इस चुदाई की देसी स्टोरी में अब तक पढ़ा कि मैंने अपनी चचेरी बहन अनुराधा की टांगों में अपना लंड फंसा कर साथ बैठ कर खाना खाया, उसकी साँसें बहुत तेज चलने लगी थीं. अब आगे..
मैंने अपनी बहन से पूछा- कैसा लग रहा है? मैं महसूस कर रहा था कि मेरी बहन की चूची के निप्पल सख्त हो गए थे और उसकी चुत बहुत अधिक भीग गई थी, उसके रस से मेरी झांट तक गीली हो गई थीं. अनुराधा- आह.. भैया बहुत अच्छा लग रहा है.. ओह.. मैं- तू अपनी चुत तो देख!
उसने अपनी चुत को टच की और बोली- ये तो पूरी तरह से भीग गई है और तुम्हारा लंड भी गीला हो गया है. मैं- हाँ… और मेरा लंड इसलिए गीला हो गया है क्योंकि ये तेरी चुत को बहुत प्यार करता है ना.
हम खाना खाने लगे और मैं बीच-बीच में उसकी चूत में उंगली से उसका जूस निकाल कर चटनी के जैसे चाटने लगा. वो मेरी गोद में बैठी थी और लंड को देख रही थी. अनुराधा- ऐसा लग रहा है जैसे ये मेरा ही लंड हो. मैं- तेरा ही तो है.. जो चाहे कर ले.
खाना खाने के बाद फिर मेरा लंड मेरी बहन की चुत के होंठों में जाने लगा और वो आ उउह.. करने लगी. मैंने उससे कहा- जा.. जाके पैंटी पहन ले.. और दिखा कि कितनी गीली होती है तब तक मैं आता हूँ. वो बेडरूम में गई और उसने अपनी पैंटी पहन ली.. तब तक मैं किचन में से कुछ सामान ले रहा था. मैंने हनी और मिल्क ले लिया. आज मैं उसकी चुत से दूध पीने वाला था.
मैं बेडरूम में गया तो वो बिस्तर पे पैंटी पहन कर बैठी थी. मैंने उसकी ओर देखा तो वो जिस तरह बैठी थी, उससे उसकी पैंटी पर निशान सा बन गया था. मैंने अपनी बहन को नंगी होने को कहा तो वो झट से नंगी हो गई और मुझे पैंटी दिखाने लगी. उसकी पेंटी के चुत वाली जगह में (क्रॉच में) एक गीला धब्बा बन गया था.
मेरे हाथ में सामान देख कर वो पूछने लगी- ये क्या है? मैं- आज तुझे चुदाई दिखाऊंगा.
मैंने पीसी में एक हार्डकोर क्सक्सक्स ब्लू फिल्म स्टार्ट कर दी. मैं बिस्तर पे बैठा था और वो मेरी गोद में बैठी थी. हम एक-दूसरे से खेलने लगे. उसने बड़े ध्यान से मूवी देखी और बीच-बीच में लंड से भी खेलती रही. मैंने उसे गोद से उठा कर कहा- ऐसी होती है चुदाई.. अब बोल चुदेगी मुझसे? अनुराधा- तुम जो कहोगे भैया..
उसने इतना कहा तो मैंने उसके मुँह में लंड घुसा दिया.. वो चूसने लगी. मैंने उसके हाथ मेरे बाल्स पे रखा तो वो मेरी गोटियों से खेलने लगी.
xxx ब्लू फिल्म देख कर उसे थोड़ा-थोड़ा ब्लोजॉब करने का तरीका समझ में आ गया था. अब वो मेरे लंड को चूसने लगी.. जीभ से चाटने लगी. इससे मेरा स्खलन नजदीक आ रहा था. मैं- अया.. अया.. मेरा रस निकल रहा है.. आहह.. आह.. वो लंड चूसती रही और मैंने उसके मुँह में अपना रस छोड़ दिया. मैं उसके बाल खींचने लगा और अपने लंड को धीरे-धीरे घुसाने लगा. मैं- अया.. अनुराधा.. तू बहुत ही सेक्सी है.. आह इधर आ अब मैं तेरी चुत को प्यार करता हूँ.. बिस्तर पर लेट जा और पैर फैला ले.
वो लेट गई.. मैंने उससे आँखें बंद करने को कहा. उसने आँखें बंद की, इसके बाद मैंने हनी की बोतल उठाई और धीरे-धीरे उसके जिस्म पर हनी डालता गया. उसने आँखें खोलीं और पूछने लगी- भाई, क्या कर रहे हो? हनी क्यों डाला? मैं- तू स्वीट डिश है मेरी.. अब मैं तुझे खाऊंगा.
मैंने उसके जिस्म पर लगा हुआ हनी लिक करना स्टार्ट किया.. उसके निप्पल को चूसता रहा. मुझे उसका जिस्म बहुत ही स्वीट लग रहा था. वो भी आ उउहह कर रही थी और बदन को ऐंठते हुए मादक अंगड़ाई लेने लगी- आअहह.. ऊहह..भैयाया..
मैं कभी उसके निप्पलों को पिंच करता, कभी चूसता कभी मींजता.. वो बहुत गर्म हो गई थी. मैं उसकी चुत को सहलाने लगा. फिर मैं रुक गया.
तो उसने आँखें खोल दीं. ग्लास में जो दूध था, मैंने उसका सिप लिया और उसे अपने मुँह में रखा कर उसके पैरों को पकड़ कर मैंने अपने होंठ बिल्कुल उसकी चुत से चिपका दिए. उसकी चुत में दूध की पिचकारी छोड़ दी. वो सिहरन से चिल्ला उठी. मैंने उसे पकड़ के रखा था. फिर मैंने उसके पैर पकड़ के उल्टा खड़ा किया. अब उसका सिर जमीन पर और चुत ऊपर हवा में थी. मैंने उसकी आँखों में देखा और स्माइल करके उसकी चुत की ओर देखा. मेरा थूका हुआ दूध उसकी चुत में भर था और रिस रहा था. मैं फिर से उसकी चुत को बिल्कुल करीब से चूसना स्टार्ट किया.
अनुराधा- अया.. भैयायआअ.. गुदगुदीईई हो रही है.. अया.. उउह.. भैया आह.. मैं- मजा आ रहा है? अनुराधा- आआआअहह..
वो चीखने लगी और उसकी चुत से दूध का फव्वारा सा निकाल पड़ा. उसकी साँसें बहुत तेज हो गई थीं और उसे बहुत तेज स्खलन हुआ था. वो हाँफने लगी और आँखें बंद करके उसी पोजीशन में बनी रही. मैंने उसे छोड़ा तो वो मेरी तरफ देखने लगी- भाई… मैं हमेशा तुम्हारी रंडी बनी रहूँगी, बस मुझे चूसते रहना.
मगर मेरा लंड अब भी कड़क था, खड़ा था, मेरी आग अभी बुझी नहीं थी. मैं उसकी ओर देखने लगा. वो मेरे लंड को देख रही थी. मेरे लंड से प्रीकम टपक रहा था.. वो समझ गई थी. वो अपनी पीठ के बल लेटी थी.. उसकी नंगी टांगें फैली हुई थीं. दूध अब भी उसकी चुत से टपक रहा था. मैंने उसके चुत को उंगली से टच किया और उसका जूस अपने लंड पे लगा दिया. उसकी चुत चमक रही थी.
मैं- अब मेरे लंड का क्या होगा?? अनुराधा इतराते हुए बोली- लंड तुम्हारा है.. खुद ही कुछ कर लो.. मैं क्या करूँ? वो अब बहुत उत्तेजित लग रही थी. मेरा लंड अब एकदम लाल होने लगा था. मैं बोला- नाटक मत कर और चुपचाप कुछ कर इसका..
उससे मस्ती सूझने लगी और वो नखरे करने लगी- मैं अब थक गई हूँ.. और मेरी चुत भी दुख रही है. आज तुम ही कुछ कर लो. मैं- अच्छा?? मैं ही कुछ करूँ.. ठीक है. मैंने उसकी टांगें पकड़ीं और उसे अपनी ओर खींचा.. तो वो हंसने लगी. मैं- अब अपने लंड के लिए मैं ही कुछ करता हूँ.
मैंने उसके हाथों को बिस्तर पर दोनों साइड खींचा.. वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने एकदम खुली हुई लेटी थी. मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपनी गांड उसके निप्पलों पर टिका दी. वो मेरे वजन से छटपटाने लगी और अपने आपको फ्री करवाने की कोशिश करने लगी.
मैंने अपना वजन उस पर रखा हुआ था तो वो उठ ही नहीं पा रही थी. इस पोजीशन में मेरा लंड उसकी गर्दन को टच कर रहा था.
अनुराधा- भैया.. क्या कर रहे हो?? छोड़ो मुझे.. जाने दो.
मैंने अपने राइट हैड से उसकी एक टांग को ऊपर किया और साइड से उसकी गांड पे जोर का थप्पड़ मारा- साली.. जब मैंने कहा कि कुछ कर तो नाटक कर रही थी. तूने ही तो कहा था कि खुद ही कुछ कर लूँ. अब कर तो रहा हूँ, मैं जो चाहूँ करूँगा. कसम से अगर तू छोटी न होती तो तुझे अभी तो चोद डालता. अनुराधा- अया.. भैया.. मारो मत.. मैं चूसती हूँ तुम्हारा लंड.. मुझ पर से उठो. मैं- अब तो मैं नहीं उठने वाला. अब जैसा मैं चाहूँगा तू वो ही करेगी.
इतना कह कर मैंने साइड में रखी हनी की बॉटल को हाथ में लिया. मैं- हनी पसंद है ना तुझे? अनुराधा- हाँ.. मैं- आज तू स्वीट लंड लेगी मेरा.. हाथ आगे कर. अनुराधा- क्यों?
मैंने इस बार उसका निप्पल पिंच किया.. अनुराधा- आहह.. लगती है भैया. मैं- तो जैसा कहा, वैसा कर.. ठीक है? अनुराधा- ओके भैया.. मैं- हाथ सामने कर और इस बॉटल से हनी अपने हाथ पे लेकर मेरे लंड पर लगा.
मैंने बॉटल उसके हाथों में दी और वो हनी हाथ में लेने लगी. मैं थोड़ा और आगे हो गया. अब मेरा लंड उसके चेहरे पर था. उसके गाल को टच कर रहा था. वो मेरे लंड पर हनी लगाने लगी. अनुराधा- हो गया अब? मैं- अब मुँह खोल.. इसी पोज़िशन में मैं ये लंड तेरे मुँह में डालूँगा.. और तू इसे चूसेगी.
मैं अपने घुटनों के बल आ गया और लंड उसके होंठों पे टिका दिया. उसने अपना गरम मुँह खोला और मैंने लंड उसके मुँह में अन्दर तक घुसा दिया- आअहह.. अब ये लंड तभी तेरे मुँह से निकलेगा जब मेरा दूध निकलेगा.. चूस. वो अपना मुँह आगे-पीछे करके लंड चूसने लगी और मैं अपनी कमर हिलाने लगा. उसके सॉफ्ट होंठ मेरे लंड पर मुझे टाइट लगने लगे थे. हनी की वजह से लंड आसानी से आगे-पीछे हो रहा था.
मैं- आअहह.. ऐसे.. हाँ आह.. ले मुँह में पूरा लंड.. साली रंडी मेरा लंड चूस.. आह और अन्दर ले.. आह! अब मैं जोर-जोर से आगे-पीछे होने लगा और अपनी गोटियां उसके चेहरे पे पटकने लगा.
मैं- अच्छा लग रहा है ना मेरा लंड? अगर हाँ तो अपनी एक उंगली तेरी चुत में डाल.. मैं समझ जाऊंगा. बोल मत.. मुँह से लंड की चुसाई चालू रख. उसने अपनी उंगली चुत पे लगा दी, मतलब मेरा स्वीट लंड वो बड़े प्यार से चूस रही थी. मैं- आह.. आह अनुराधा.. रुक मत.. आ मैं माल छोड़ रहा हूँ.
मैं उसके मुँह में झड़ गया और थक कर उसकी साइड में लेट गया. मेरी साँसें बहुत तेज थीं और उसके मुँह से मेरा माल थोड़ा थोड़ा निकल रहा था. मैंने उसे उंगली से साफ किया और वो ही उंगली उसकी चुत पर घिसने लगा. उसकी गीली गीली चुत पर मैं अपनी उंगली को घिसता रहा और उसे एक और स्खलन हुआ.
मैं- अनुराधा? वो हाँफने लगी. अनुराधा- क्या? मैं- तुझे अभी चोदूँ? अनुराधा- हाँ भाई… चोदो मुझे अभी चोद दो.. मैं तुम्हारी रंडी हूँ.
हम किस करने लगे.
मैं- आज नहीं मगर मैं ही तुझे सबसे पहले चोदूँगा, ये प्रॉमिस है मेरा.. तब तक ऐसे ही चलने दो. जिस दिन तेरी चुत पर झांट उग गई, उस दिन मैं तेरी गांड मारूंगा, तेरे निप्पल चूसता हुआ तेरी चुत में ये मोटा लंड डाल दूँगा.
हम दोनों थक गए थे.. हमने थोड़ा रेस्ट किया और फिर बाथ लिया. वहां भी एक बार ओरल सेक्स किया और फिर मैंने उसे घर छोड़ आया.
इस बात को आज काफ़ी साल हो गए. मैं पढ़ाई करने के लिए दूसरी सिटी में चला गया. अनुराधा को देखे काफी समय बीत गया, ना मैंने उससे देखा था, ना बात की थी.
फिर एक बार मौक़ा आया, मेरी बुआ के लड़के की शादी थी तो मुझे घर जाना था. तब से पहले हमारे बीच जो कुछ हुआ था, उस सबको याद करके मैं बहुत एग्ज़ाइटेड था. मैं जानता था कि इस बार अब अनुराधा मुझसे पक्का चुदेगी. शादी भले ही किसी और की हो मगर सुहागरात तो मैं ही मनाऊंगा.
दोस्तो, मेरी इस चुदाई की देसी स्टोरी पर आप अपने विचार भेज सकते हैं. [email protected] कहानी जारी है.
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