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इस बाप बेटी सेक्स कहानी में आप पढ़ चुके हैं कि गुलशन जी अपनी बेटी को चोदने की फिराक में थे और वे उससे साफ़ साफ़ चुदाई के लिए कह भी रहे थे, लेकिन सुमन मना कर रही थी. अब आगे:
सुमन के चेहरे पर डर साफ नज़र आ रहा था. पापा- देख सुमन, तू मेरी बात सुन आज नहीं तो कल तुझे चुदाई करनी ही होगी. मुझसे नहीं तो किसी और से.. या शादी के बाद अपने पति से तो चुदेगी ही, तब क्या होगा.. सोच? सुमन- पापा, पता नहीं मुझे इससे इतना डर क्यों लगता है. पापा- अच्छा तुझे कैसे पता दर्द का.. कुछ तो हुआ होगा? तू खुलकर मुझे बता ना!
सुमन ने बताया वो एक बार नहा रही थी तब नीचे साबुन लगाते टाइम ग़लती से उसकी उंगली अन्दर चली गई तो बहुत दर्द हुआ था.. तब से उसको डर लगता है. सुमन ने एक झूठी कहानी सुनाई मगर उसमें जो दर्द हुआ वो सच था आपको भी याद होगा कहानी पढ़ते टाइम सुमन ने चुत में उंगली की थी.
गुलशन जी समझ गए कि सुमन को सेक्स फोबिया है यानि इंसान किसी भी चीज का वहाँ अपने मन में तय कर लेता है, फिर वही उसका डर बन जाता है. हालांकि सुमन ने कभी चुदाई नहीं की थी मगर एक बार चुत रगड़ते टाइम उसकी उंगली जरा सी अन्दर घुस गई थी बस उसी पल से उसको अहसास हुआ कि ये छोटी सी उंगली से इतना दर्द हुआ तो लंड से कितना होगा और यही डर धीरे-धीरे उसको चुदाई के खिलाफ कर चुका था.
पापा- अच्छा ये बात है.. चल जाने दे मैं तेरी चुदाई नहीं करूंगा मगर तुझे मैं खुलकर प्यार तो कर सकता हूँ ना.. उसमें तो तू मेरा साथ देगी ना. सुमन- हाँ पापा, सेक्स के अलावा आप कुछ भी कहो… मैं करने को रेडी हूँ. पापा- तो ठीक है ये नाइटी निकाल दे, मैं रोशनी में तेरे जिस्म को देखना चाहता हूँ.. इसे चूसना चाहता हूँ तेरे निपल्स को निचोड़ कर इनका रस पीना चाहता हूँ. सुमन- चुप करो पापा, मुझे आप से शर्म आ रही है.
गुलशन जी ने अपनी लुंगी उतार दी और लंड को हाथ से सहलाते हुए बोले- अरे लंड चूसने में शर्म नहीं आई तो देखने में कैसी शर्म? ये देख कैसे मेरा लंड तुझे बुला रहा है.. चल अब निकाल दे. सुमन- पापा आप ही निकाल लो ना प्लीज़.
सुमन ने इशारा दे दिया तो गुलशन जी आगे बढ़े और बेटी को नंगी कर दिया अब वो ऊपर से नीचे तक सुमन को निहार रहे थे और मन ही मन अपनी कामयाबी पे खुश हो रहे थे, उन्होंने सुमन को बिस्तर पर लेटाया; उसके नर्म होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया और फिर एक लंबी किस के बाद वो सुमन की जीभ को चूसने लगे. अब सुमन भी खुलकर उनका साथ दे रही थी.
अब गुलशन जी उसके मम्मों पर टूट पड़े और निप्पलों को ऐसे चूसने लगे जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो. सुमन- आह.. पापा नहीं.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आप बहुत अच्छे हो.. आह.. चूसो उफ्फ ऐसे ही दबाओ इन्हें आह.. गुलशन जी मंजे हुए खिलाड़ी थे और सुमन नादान कली थी, उसको तो मज़ा आना ही था. अब गुलशन उसके गले पर सीने के ऊपर पेट पर हर जगह चूम रहे थे, चाट रहे थे और सुमन तड़प रही थी.
धीरे-धीरे गुलशन जी अब नीचे चुत पर आ गए और सुमन की जांघें चूसने लगे. अब सुमन की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी चुत के बाँध को रोके रखना अब उसके बस का नहीं था. सुमन- ससस्स पापा आह नहीं.. आह.. उफ़फ्फ़.. मेरा पानी निकालने वाला है. गुलशन जी समझ गए कि अब रस की धारा आने वाली है, वो जल्दी से बेटी की चुत से चिपक गए और चुत को होंठों में दबा कर चूसने लगे. उसी पल सुमन की चुत का लावा बह गया वो कमर को हिला हिला कर झड़ने लगी और गुलशन जी सारा रस चाट गए.
सुमन- आह.. पापा उफ़फ्फ़.. बस भी करो जान निकाल कर मानोगे क्या.. आह.. आज तो आपने मेरी चाटे बिना ही पानी निकाल दिया. पापा- क्या चाटे बिना.. चुत बोल सुमन.. मुझे तेरे मुँह से सुनकर अच्छा लगेगा. सुमन- नहीं मुझे शर्म आती है. पापा- अरे नंगी चुत को चटवा सकती है तो पापा की ख़ुशी के लिए बोल नहीं सकती. सुमन- अच्छा ठीक है चुत को आपने चाटा.. मुझे अच्छा लगा. बस अब आप खुश..! पापा- हाँ मेरी जान खुश. अब तू क्या करेगी.. वो भी बोल कर बता. सुमन- मैं आपके इस लंबे लंड को चूस कर ठंडा करूंगी और आपका रस पीऊंगी. पापा- आह.. मज़ा आ गया तेरे मुँह से ये चुत और लंड सुनना कितना अच्छा लगता है. सुमन- चलो अब आप लेट जाओ और मैं भी आपको उसी तरह मज़ा दूँगी जैसे अपने मुझे अभी दिया है. पापा- ठीक है सुमन जैसा तेरा मन करे, तू कर ले.. निकाल ले अपने मन की.
गुलशन जी लेट गए तो सुमन उन्हें किस करने लगी. उनके सीने पर भी किस किया.. फिर उसकी लंड चूसने की ललक उसको नीचे ले गई और वो मज़े से लंड को चूसने लगी. साथ ही साथ वो गोटियां भी चूस रही थी.
पापा- आह.. सुमन आज तूने मेरी बरसों की तमन्ना पूरी कर दी.. आह.. उफ्फ.. चूस मेरी जान आ चूस. पापा की बातें सुमन को और जोश दिला रही थी. अब वो और तेज़ी से लंड को चूस रही थी. पापा- आह.. सुमन चूस.. तेरे होंठों में इतनी गर्मी है..तो तेरी चुत कैसी होगी उफ्फ चूस आह…
काफ़ी देर तक ये चुसाई चलती रही उसके बाद गुलशन जी झड़ गए. सुमन ने उनका पूरा वीर्य गटक लिया और लास्ट बूँद भी जीभ से छत कर साफ कर दी.
पापा- सुमन तुम बहुत अच्छी तरह लंड चूसती हो.. ये कहाँ से सीखा तुमने? सुमन- मैं कहाँ से सीखूँगी.. आपने ही पहले चुसाया था.. तब से सीखी हूँ बस. पापा- अरे मैं कोई इल्ज़ाम नहीं लगा रहा बेटी.. बस मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था. सुमन- पापा मैंने आपको सब बताया ना कि मैंने ये सब क्यों किया था. अब आप प्लीज़ मान जाओ ना. पापा- यार कैसे मान जाऊं और कौन है तेरी फ्रेंड जो मुझसे ऐसे ही चुदवा लेगी? सुमन- वो सब मेरी टेंशन है.. बस आप एक बार हाँ कहो. पापा- नहीं सुमन किसी बाहर वाली से अच्छा है कि मैं तुझे ही चोदूँ.. ताकि घर की बात बाहर ना जाए. सुमन- नहीं पापा मैंने बताया तो है आपको.. मुझे डर लगता है. पापा- अरे शादी के बाद पति रहम नहीं करेगा.. वो तो ज़बरदस्ती तेरी चुत में लंड घुसा देगा और तब ज़्यादा दर्द होगा. इससे अच्छा तू मुझसे चुदवा ले. मैं तेरा बाप हूँ तुझे बहुत प्यार से चोदूँगा समझी.
सुमन ने थोड़ी देर सोचा कि पापा सही कह रहे हैं और पापा से चुदवाने में एक फायदा और भी है. क्योंकि अब वो अच्छी तरह समझ गई थी कि संजय और उसके दोस्त भी उसको चोदना चाहते हैं. अगर वो पापा से चुदवा कर एक्सपर्ट हो जाए, फिर मौका आने पर वो उन सब को भी संभाल सकती है.
पापा- क्या सोच रही हो सुमन. ये दुनिया बहुत खराब है, इसमें जीना है तो इसके तौर-तरीके सीखने जरूरी है. नहीं तो बाद में तुम्हें मौका नहीं मिलेगा. सुमन- ठीक है पापा, मैं आपकी बात मान लेती हूँ.. मगर आपका लंड बहुत बड़ा है और मुझे पता है एक बार तो ये मेरी जान निकाल ही देगा और कल कॉलेज में मेरा जाना बहुत जरूरी है तो आज आप बस ऐसे ही मज़ा ले लो, कल आप मेरी चुत मार लेना.
पापा- थैंक्स बेटा मुझे ये मौका देने के लिए.. अब इतना वेट किया है तो एक दिन और सही.. बस कल देखना मैं तुझे कैसे कली से खिलता हुआ गुलाब बना देता हूँ. सुमन- ठीक है पापा आपकी बातों से चुत में फिर हलचल शुरू हो गई है. एक बार और इसको चूस कर ठंडा कर दो ना. पापा- क्यों नहीं मेरी जान तेरी चुत को तो पूरी रात चूस सकता हूँ.. मगर बदले में तुझे भी कुछ करना होगा. सुमन- नहीं पापा आपका पानी बहुत देर से निकलता है और दूसरी बार तो पता नहीं कितनी देर लगेगी. फिर मुझे सुबह जल्दी उठने में तकलीफ़ हो जाएगी.
पापा- अरे मैं लंड चूसने को नहीं बोल रहा.. पहले मेरी बात सुन तो लेती. सुमन- अच्छा तो फिर क्या बात है. पापा- आज रात तू ऐसे ही नंगी मेरे साथ चिपक कर सोएगी, यहीं इसी कमरे में. सुमन- नहीं पापा पूरी रात ऐसे नंगी.. नहीं नहीं.. रात को आपका दिमाग़ घूम गया और अपने मेरी चुत में लंड घुसा दिया तो? पापा- अरे मैं तेरा पापा हूँ कोई जल्लाद नहीं और तुम्हें मुझपे इतना भी भरोसा नहीं है क्या? ऐसी हरकत मैं क्यों करूँगा?
सुमन- सॉरी पापा ग़लती हो गई अच्छा ठीक है हम ऐसे ही सोएंगे.. चलो अब जल्दी से मेरी चुत को ठंडा करो. पापा- पहले मैं अपना लंड चुत पे रगड़ता हूँ.. फिर चाट लूँगा.. ठीक है. सुमन- नहीं आप फिर गर्म हो जाओगे तो मुझे भी आपका पानी निकालना पड़ेगा. आप ऐसे ही कर दो फिर चुपचाप सो जाएँगे.
पापा मान गए और अबकी बार उन्होंने जीभ से चुत को कुरेद कर सुमन को मज़ा दिया. फिर अच्छे से चुत की चुसाई की और उसको ठंडा किया.
सुमन- थैंक्स पापा.. अब हम सो जाएं मगर आपका लंड तो बहुत कड़क हो गया. पापा- कोई बात नहीं बेटा, इसको ऐसे सूखा रहने की आदत है.. मगर बस आज की बात है. कल से तो इसकी हर रात रंगीन हो जाएगी. सुमन- हाँ पापा, मैं कोशिश करूंगी कि आपको कभी सूखा ना रहना पड़े लेकिन माँ के आने के बाद हम कैसे करेंगे? पापा- जैसे अभी कर रहे हैं.. वैसे ही करेंगे. सुमन- ओके पापा जी. पापा- बस मेरी जान अब कल का इन्तजार है. उसके बाद सब कमी दूर हो जाएगी.
गुलशन जी ने सुमन को अपने से चिपका कर सुला लिया. सुमन तो दो बार झड़ने के कारण थक गई थी, तो उसको जल्दी नींद आ गई. मगर गुलशन जी सोने की कोशिश करते रहे. वैसे तो ऐसी कली पास में हो और वो भी नंगी, तो किस पागल को नींद आएगी मगर गुलशन जी ने अपने ज़ज्बात पर काबू रखा और देर से ही सही, उनको भी नींद आ ही गई.
साथियो, आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है? आनन्द लें और कमेंट्स करें. [email protected] बाप बेटी सेक्स कहानी जारी है.
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