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नमस्कार, मैं आप लोगों को इस देसी चुदाई की कहानी में बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी चाची की चुदाई की.
मेरा नाम प्रिंस है और मैं फतेहपुर यूपी का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 25 साल है और कद 6 फुट है, मेरा लंड 7 इंच का है और ये मोटा इतना है कि किसी भी प्यासी औरत की प्यास बुझा सकता है.
मेरा पहला चुदाई वाला प्यार, मेरी चाची की उम्र भी इस वक्त 30 साल के आस-पास होगी. चाची थोड़े छोटे कद की हैं और ज्यादा गोरी नहीं हैं. पर उनकी आँखें और उनका गदराया हुआ बदन बड़ा ही कामुक है.. उनके चूचे तो ऐसे तने हुए रहते हैं कि कोई भी उन पर फिदा हो जाए.. जैसे कि मैं हो गया था.
मेरी देसी कहानी लगभग 7 साल पहले की है. जब मैं 18 साल का था. उस वक्त मेरी गर्लफ्रेंड तो थी, पर मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. इसलिए मैं जब भी चाची को नहाते हुए देखता या ऐसे ही उनकी चूचियां देख लेता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
चाची की शादी को लगभग 15 साल हो गए हैं और 3 बच्चे भी हैं, पर कोई कह नहीं सकता था कि चाची की इतनी उम्र है. उनका घर मेरे घर के सामने ही है और मैं उनके घर काफी जाता भी हूँ. मेरी मां से उनकी अच्छी दोस्ती है. मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ. मैं जब उनके घर जाता था तो कई बार मैंने ये बात गौर की कि वो मुझे देख कर मुस्कुरा देती थीं. बस यहीं से मेरी वासना उनके लिए धीरे-धीरे जागने लगी और मैं उनकी चुदाई के सपने देखने लगा.
मेरी मनोकामना भगवान ने सुन ली और एक साल पहले मुझे मौका मिल ही गया. मेरी माँ को मामा की शादी में एक हफ्ते के लिए जाना था, तो उन्होंने चाची को हमारे घर में सोने के लिए बोल दिया. क्योंकि मेरे पापा बाहर जॉब करते हैं और घर में सिर्फ मैं और मेरी बहनें थीं. फिर मेरी माँ शादी में चली गईं और चाची हमारे घर पर आ गईं.
बस अब मेरे पास चाची को पटा कर चोदने के लिए एक हफ्ते का वक्त था. खैर.. उस दिन मेरी बहनें स्कूल चली गईं और मैं सर दर्द का बहाना बना कर स्कूल नहीं गया. चाची ने खाना तो सुबह ही बना दिया था तो वो टीवी देखने लगीं और मैं भी उनके पास ही बैठ गया. मैंने चाची से कहा- मेरा सर दर्द कर रहा है. तो उन्होंने कहा- ला मैं सर दबा देती हूँ.
फिर उन्होंने मेरा सर अपनी जाँघों पे रख लिया और दबाने लगीं. मेरा दिल जोर से धड़कने लगा, पर मैंने खुद पे काबू रखा. फिर मैंने करवट ली और अपना सर उनकी तरफ करके थोड़ा आगे खिसक गया. अब मेरा सर बिल्कुल उनकी चूत के पास था और उनके जिस्म की खुशबू मैं महसूस कर रहा था.
दोस्तो आप समझ सकते हो कि जिस चीज का सपना आप सालों से देख रहे हैं और वो चीज आपके सामने हो, तो क्या हाल होगा. मेरे लिए खुद पर काबू करना मुश्किल हो रहा था और मेरा लंड भी धीरे-धीरे कड़क होने लगा था.
मैं वैसे ही लेटा रहा और सोने का नाटक करने लगा. फिर चाची ने भी तकिये का सहारा लिया और थोड़ा सीधी हो गईं. उनका ध्यान टीवी पर था, पर मेरी रुचि टीवी में नहीं थी. मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. मैंने हिम्मत की और अपना दांया हाथ ऊपर करके उनके पेट पर रख दिया. चाची ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की. फिर मैंने थोड़ी और हिम्मत की और इस बार हाथ सीधे उनके सीने पर यानि दांईं चूची पर रख दिया और चुपचाप लेटा रहा. इस बार जब चाची ने कुछ नहीं कहा तो मुझे लगा कि शायद चाची सो गई हैं, मैंने धीरे से अपनी एक आंख खोली तो देखा चाची जाग रही थीं.
मैंने अपनी आंख फिर बंद कर ली. उनकी चूची मेरे हाथ में थी, पर मैं हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि दबा दूं. मैंने धीरे से चूची दबाना शुरू किया तो उन्होंने मेरा हाथ अपनी चूची से हटा दिया. फिर मैंने करवट ली और पेट के बल लेट गया. अब मेरा मुँह और नाक ठीक उनकी चूत के ऊपर था. मेरा लंड अब मेरे काबू में नहीं था. मेरा लंड रॉड की तरह सख्त हो चुका था और दर्द भी करने लगा था, पर उस समय मेरे पास चुपचाप लेटे रहने के सिवाए और कोई रास्ता नहीं था.
फिर चाची ने टीवी बन्द कर दिया तो मुझे लगा शायद अब चाची सोना चाहती हैं. मैंने एक आंख खोल कर चुपचाप देखा तो चाची आंख बंद करके लेटी थीं. मैं तो यही चाहता था कि चाची सो जाएं और हुआ भी वही, जैसा मैं सोच रहा था.
मैं आधे घंटे तक उनको चुपचाप देखता रहा. अब मुझे यकीन हो गया कि चाची पूरी तरह सो चुकी हैं. मेरे पास यही मौका था. मैं धीरे से उठा और बैठ गया, फिर उनकी साड़ी को धीरे-धीरे उनके सीने से हटा दिया. अब मैं उनके उभारों को देख पा रहा था, जोकि ब्लाउज में कैद थे. मैं आपको बता दूँ कि चाची के चूचे भी काफी बड़े हैं. मैं अपना हाथ चाची की चूचियों पर फिराने लगा. काफी देर तक चाची की चूचियों से खेलने के बाद मेरा दिमाग अब उनकी चूत की तरफ गया. मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं चाची जाग ना जाएं. पर मेरी वासना कह रही थी जो होगा देखा जाएगा.
मैं उनके पैरों की तरफ आया, धीरे से साड़ी को उठाया और जैसे ही मैं साड़ी ऊपर खिसकाने लगा, चाची ने करवट बदल ली.
मैं डर गया, मुझे लगा चाची सब कुछ जान गईं.. तो मैं वहां से भागा और सीधे बाथरूम में घुस गया. दरवाजे की दराज से देखा तो चाची अभी भी सो रही थीं. तब जाके मेरी जान में जान आई. डर की वजह से मेरा लंड अब सिकुड़ चुका था. मैं फिर बाथरूम से निकला और बेड के पास पहुँच गया. मैंने पानी पिया.. क्योंकि पहली बार मैं ये सब कर रहा था तो डर के मारे मेरा गला सूख रहा था.
मैं दोबारा बेड के पास गया और फिर से चाची की साड़ी को पेटीकोट के साथ धीरे-धीरे ऊपर खिसकाने लगा और कमर के पास लाकर छोड़ दिया. इतनी हिम्मत करके जो काम मैंने किया था, उस पर पानी फिर गया.. क्योंकि चाची करवट लेकर लेटी हुई थीं तो उनकी चूत उनकी जाँघों के बीच छिपी हुई थी और मुझे ठीक से दिख नहीं रही थी.
मैंने चुत को पहले एक-दो बार ब्लू-फिल्म में तो देखा था, साक्षात पहली बार देखने का मौका था और मैं ये मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था. इसीलिए मैं कुछ ज्यादा ही उत्सुक था, पर उस वक्त मेरे पास चाची के सीधा होने का इंतजार करने के अलावा और दूसरा रास्ता नहीं था, चूंकि मेरी फट भी रही थी.
फिर मेरा ध्यान उनकी गांड की तरफ गया, जो कि पूरी खुली हुई थी और करवट लेके लेटने की वजह से साफ दिख रही थी. मैं बेड पर चढ़ कर बैठ गया और उनकी गांड को निहारने लगा.
मैं उनके गोरे-गोरे नितम्बों को छूना चाहता था, पर मजबूर था क्योंकि चाची के जागने का डर भी था. मैं छूने या ना छूने की कशमकश में ही था कि तभी चाची सीधी हो गईं और अपनी दोनों टांगों को मोड़ कर ऊपर कर लिया.
बस मैं तो मानो सुन्न हो गया क्योंकि मेरा ख्वाब.. मेरा सपना.. मेरी चाची की चूत इस वक्त मेरे सामने खुली हुई थी. मैं उनके पैरों की तरफ जाके बैठ गया और मेरा हाथ मैंने अपनी पैंन्ट के अन्दर डाल कर लंड सहलाने लगा.
मैंने ध्यान से देखा कि चाची की चूत पे छोटे छोटे बाल थे. शायद उन्होंने 10 या 15 दिन पहले ही शेव किया रहा होगा. मैं अपना चेहरा चूत के पास ले गया और गौर से देखा तो दोनों फांकों के बीच हल्का लाल रंग साफ दिख रहा था. चूत देखने के नशे में मैं ऐसा खोया कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब झड़ गया मेरा पैंट और चड्डी दोनों गीली हो गईं. दिल तो नहीं कर रहा था पर मुझे पैंट बदलने के लिए उठना ही पड़ा.
बाथरूम में जाकर मैंने पैंट और चड्डी को धोया और हाफ लोअर पहन कर वापस आ गया. आकर देखा कि चाची जाग गई थीं और बैठी थीं. मुझे देख कर बोलीं- सर दर्द कैसा है अब? मैंने कहा- अब ठीक है चाची.
फिर वो अपने घर चली गईं और मैं टीवी देखने लगा, पर मेरा मन नहीं लग रहा था. चाची की चूत का वो नजारा मेरे दिमाग में घूम रहा था. चाची ने शाम को हमारे ही घर पर खाना बनाया और उनके बच्चों ने, मैंने और मेरी बहन सबने मिलकर खाना खाया, फिर सोने की तैयारी करने लगे.
मैं यही सोच रहा था कि कब चाची सोएं और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ पर मेरी उम्मीदों पर पानी तब फिर गया जब चाची बोलीं कि चलो छत पर सोते हैं. मुझे पता था कि चाची के आसपास उनके बच्चे सोयेंगे तो मेरा प्लान कामयाब नहीं होगा.. तो मैंने दूसरी चाल चली, मैंने कहा- चाची आप जाकर सो जाओ, मैं फिल्म देखूंगा. क्योंकि मुझे पता था कि चाची को भी फिल्म देखना बहुत पसंद है. चाची झट से बोलीं- मैं भी फिल्म देखूंगी, मैं बच्चों को सुला कर आती हूँ.
मैं तो यह चाहता ही था. चाची छत पर चली गईं और मैं उनकी चूत की कल्पना में खो गया. मैं कुर्सी पर बैठ कर फिल्म देखने लगा और चाची आकर बिस्तर पर लेट कर फिल्म देखने लगीं. एक घंटे बाद चाची की आँखें बंद होने लगीं और धीरे-धीरे वो सो गईं. इधर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. मैंने 2-3 बार आवाज दी, फिर भी चाची नहीं बोलीं, तो मैं समझ गया कि चाची सो चुकी हैं.
मैंने टीवी बंद की और सीधे बेड पर आ गया और अपने काम पर लग गया. सबसे पहले मैंने चाची की साड़ी को सीने से हटा दिया. चाची ने ब्रा नहीं पहनी थी तो उनके निप्पलों का उभार साफ दिख रहा था. फिर मैंने पैरों की तरफ से उनकी साड़ी को खींच कर कमर तक चढ़ा दिया और हिम्मत करके अपना हाथ उनकी टांगों पर रखा. जब कोई हलचल नहीं हुई तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे से उनकी दोनों टांगें उठा कर ऊपर कर दीं.
अब चाची की चूत आजाद हो चुकी थी. अब बारी थी चूचियों की, पर ब्लाउज खोलने में रिस्क ज्यादा था. फिर भी मैंने हिम्मत की और नीचे के दो बटन खोल कर ब्लाउज ऊपर को खिसका दिया और मम्मों को खोल दिया.
ये सब करते वक्त मैं सोच रहा था कि शायद चाची बेसुध होकर सोती हैं.
खैर.. अब जन्नत मेरे सामने थी, पर मैं उसका मजा पूरी तरह से नहीं ले सकता था. मैंने अपना हाथ एक चूची पे रखा और धीरे-धीरे दबाने लगा. दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाने के बाद मैं चूत की तरफ बढ़ा. अपना हाथ चाची की मरमरी जांघ पर रखा और फिराते हुए धीरे से चूत की तरफ ले गया. चाची की चुत की दोनों फांकों को खोला और अपनी नाक चूत के पास ले गया तो अजीब सी खुशबू आई, पर उस वक्त मुझे बहुत अच्छी लगी. जैसा मैंने ब्लू फिल्म में देखा था वैसे ही एक उंगली मैंने धीरे से चूत में डाल दी और धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा. मुझे डर तो बहुत लग रहा था पर वासना के सामने डर कम पड़ गया.
दोस्तो, मेरी चाची की चुदाई की कहानी की इस कड़ी में इतना ही, अब अगली कड़ी में जानिए कि कैसे मैंने अपनी देसी चाची को चोद दिया. आप मेल भेज सकते हैं. [email protected]
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