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दोस्तो, मैं रसिया बालम आपके लिए एक और कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ। जैसा मैंने पिछली कहानी सजा के बाद बुर की चुदाई का मजा में आपको बताया कि मैंने किस प्रकार रचना की चुदाई की और वहाँ की सारी बातें मीरा को पता चल गई थी। अब मेरा टारगेट मीरा थी.
दोस्तो, पहले मैं आपको मीरा के बारे में बता दूँ। वह मेरे मोहल्ले की सबसे सुंदर लड़कियों में से एक थी. उसकी लंबाई 5 फीट 5 इंच, रंग गोरा, नशीली आँखें, पतले-पतले होंठ, पतली कमर, मीडियम साइज के चूचे… मतलब एकदम टंच माल थी। वह मेरा टारगेट इसलिए थी क्योंकि उसे मेरी और रचना की बातें पता चल चुकी थी और वह भी मुझे परेशान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी। वह जब भी मिलती तो ‘लड़की से पिट गया’ कह कर मुझे चिढ़ाती. उसके ताने सुन सुन कर मैं परेशान हो चुका था, मेरे दिमाग पर बस उसे चोदने की धुन सवार थी।
एक दिन मम्मी ने मुझे किसी काम से मीरा के यहाँ भेजा। जब मैं उसके यहाँ पहुंचा तो उसके सिवा घर पर कोई नहीं था। वह मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- कहो कैसे आना हुआ? मैंने कहा- आज तो तेरे लिए ही आया हूँ।
वह समझ गई कि मैं कुछ ना कुछ हरकत करूंगा तो उसने मुझे धमकी देते हुए कहा- देख मुझसे दूर रहना नहीं तो मैं सबको बता दूंगी। मैं उसे पकड़ते हुए बोला- कि तूने मेरी इज़्ज़त का ज़नाजा तो निकाल दिया… अब बचा ही कौन है जिसे मेरे बारे में ना पता हो. और अगर तू किसी को आज के बारे में बताएगी तो मैं कह दूंगा कि तूने ही मुझे बुलाया था। यह सुनकर वह बोली- तू वाकई में बहुत कमीना है। मैंने कहा- तू मुझे कमीनापन दिखाने पर मजबूर कर रही है. यह कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को जोर से मसल दिया।
उसने दांतों से मेरा हाथ काट कर अपने आप को छुड़ाया और बाहर आँगन में आकर खड़ी हो गई. तभी उसकी मम्मी आ गई और मैं उन्हें मम्मी का बताया हुआ काम बोल कर अपने घर आ गया। जब मैं उसके घर से आ रहा था तो वह बाहर गेट तक मेरे साथ आई और गाली देते हुए मेरे बाजू को जोरों से नोच लिया। मैंने उसे कहा- जिस दिन अकेली मिल गई तो इसका भी बदला लूंगा।
मैं इसी फिराक में रहने लगा कि कब इसे अकेले में दबोचूं।
एक कहावत है कि बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी, एक ना एक दिन तो छुरे के नीचे आएगा। बस वह दिन आ ही गया। एक छुट्टी वाले दिन दोपहर को मीरा की मम्मी मेरे घर आयीं और मेरी मम्मी से खेतों पर घूमने को चलने के लिए कहा तो मेरी मम्मी भी तैयार हो गई। दोनों खेतों पर घूमने चली गई।
मुझे इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था, उनके जाते ही मैं मीरा के घर पहुंच गया। वह कमरे में बैठी हुई थी… मैंने पीछे से जाकर उसे पकड़ लिया. वह एकदम चौक गई और मुझे देख कर बोली- प्लीज़ कोई बदतमीजी मत करना! उसकी विनती सुनकर मैंने उसे छोड़ दिया और उसके पास बैठ गया। मैंने उससे पूछा- तू मुझे परेशान क्यों करती है? तो उसने कहा- मुझे मजा आता है। मैंने थोड़ा गंभीर होकर उससे कहा- तेरा यह मजाक लोगों की नजर में मुझे बदनाम भी कर सकता है. तो उसने कहा कि वह अब मजाक नहीं करेगी।
मैं चलने को खड़ा हुआ तो उसने मुझे बैठने को कहा और पूछने लगी कि उस रात रचना ने मुझे चांटा क्यों मारा था। मैंने उसे बताने से मना कर दिया तो वह बोली कि वह किसी को नहीं बताएगी। तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और मैंने उससे कहा कि तुम नाराज हो जाओगी. उसने कहा- मैं नाराज नहीं होऊँगी।
मैंने उससे कहा कि उस रात मैंने गलती से रचना को दबोच लिया था। उसने पूछा कि गलती से कैसे? तो मैंने कहा- रचना की जगह तुम्हें दबोचना चाह रहा था। यह सुनकर वह मुझे गाली देते हुए बोली- मुझे क्यों दबोचना चाहते थे? तो मैंने कहा कि मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और मेरे कहने पर ही उस दिन रचना ने तुम्हें रोका था।
यह सुनकर वह आग बबूला हो गई और यह बात सबको बताने की धमकी देने लगी तो मैंने उसे समझाया कि आज तक मैंने तुझे कभी परेशान नहीं किया और नहीं कभी करूँगा। लेकिन यह हकीकत है कि मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ और तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ। अगर तुम्हें कोई परेशानी है तो तुम मना कर सकती हो, मैं बुरा नहीं मानूंगा। यह सुनकर वह मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने उसे जवाब देने के लिए कहा तो वह बोली- बाद में सोच कर बताऊंगी।
यह सुनकर मैं अपने घर आ गया। दोस्तो, आधा काम मेरा हो चुका था क्योंकि जब कोई लड़की सोच कर बताने को कहें तो समझ लो कि उसके मन में भी कुछ ना कुछ है. और यही हुआ।
पढ़ाई में व्यस्त होने की वजह से मेरा बाहर जाना बहुत कम था। इसलिए उस दिन के बाद मुझे बाहर घूमने का मौका ही नहीं मिला। जब कई दिनों तक उसने मुझे नहीं देखा तो एक दिन वह मेरे घर आई। मैं अपने ऊपर वाले कमरे में पढ़ाई कर रहा था, वह मम्मी से पूछती हुई मेरे कमरे में आ गई। मैं उसे देख कर आश्चर्य चकित रह गया।
वह बोली- क्या बात है आजकल दिखाई नहीं दे रहे हो? मैंने पढ़ाई बंद करते हुए कहा- बाहर निकलने का दिल ही नहीं करता! उसने पूछा- क्यों क्या हुआ? तो मैंने चेहरे पर बनावटी निराशा के भाव लाते हुए कहा कि बाहर घूमने का कोई बहाना तो होना चाहिए।
वह मेरी बात समझ गयी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ, वह बोली- मुझे तुमसे दोस्ती करने में कोई दिक्कत नहीं है परंतु किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी होगी। मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा- मैं कभी किसी को नहीं बताऊंगा। मेरी तरफ से संतुष्ट होकर उसने कहा कि वह भी उसे पसंद करती है।
दोस्तो, अगर मुझ जैसा कमीना इंसान भी मौके का फायदा नहीं उठाएगा तो कौन उठाएगा। मैंने उसे तुरंत अपनी बाहों में भर लिया और उसके माथे और गालों पर चुम्बन कर दिया। उसने अपने आप को छुड़ाते हुए कहा- नीचे मम्मी को पता है कि मैं ऊपर आई हुई हूँ। मैंने भी ज्यादा जिद नहीं की और उसे आजाद कर दिया। उसके चेहरे पर एक खुशी थी और मेरा दिल तो भांगड़ा करने के लिए कर रहा था परंतु मैं अपने आप को कंट्रोल कर रहा था।
वह जाने लगी तो मैंने अपनी दोनों बाहें फैला दी तो वह भी मुस्कुराकर मेरी बाहों में आ गई और गाल पर पप्पी देते हुए बोली- अब चलती हूँ, बाकी फिर कभी। और फिर वह चली गई।
अब मुझे उस ‘फिर कभी’ का इंतज़ार था। मैं मौके का जुगाड़ देखने लगा परंतु मौका मिल नहीं पा रहा था।
दोस्तो, कभी कभी बुरी खबर किसी के लिए अच्छी होती है, जैसे कुछ दिन बाद उसकी बुआ जी की सास का स्वर्गवास हो गया और अचानक ही मेरे और उसके घर वालों का वहाँ जाने का प्रोग्राम बन गया। जिस दिन उन्हें वहाँ जाना था, उस दिन मेरे पिताजी ने मुझे स्कूल जाने से मना कर दिया और घर पर ही रहने को कहा और मैंने भी तुरंत हाँ कर दी क्योंकि मुझे आज के दिन का ही तो इंतजार था।
सुबह 8:00 बजे सभी लोग बुआ जी के यहाँ के लिए निकल गए। उसके जाते ही मैंने मीरा को अपने घर आने को कहा तो उसने कहा कि वह घर का काम खत्म करके आएगी। मैं उसका इंतजार करने लगा। मैंने अपनी बेडरूम की सफाई की, मतलब सारी चीजों को सही तरीके से लगाया।
करीब 10:00 बजे के आसपास वह मेरे घर आई। कसम से क्या कयामत लग रही थी… उसने गुलाबी रंग की टॉप और नीले रंग की जींस पहने हुई थी। उस टॉप और जींस में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। उसे देखते ही मेरा लंड उसे सलामी देने लगा।
उसके आते ही सबसे पहले मैंने घर का मेन गेट अंदर से बंद कर दिया। अब घर में सिर्फ हम दोनों ही थे। मैं उसे अपने कमरे में लेकर आया और जाते ही उसे बाहों में ले लिया। उसने भी अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, हम दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे। शायद पहले शुरुआत कौन करें इसका इंतजार कर रहे थे. मैंने ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
दोस्तो, जैसे ही मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे, उसने तुरंत मेरे होंठों को किस करना शुरु कर दिया और बड़े ही प्यार से चूसने लगी. उसके नाजुक होंठ इस तरह लग रहे थे जैसे गुलाब की पंखुड़ियां हो। किस करते करते मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर सवार हो गया। मैं उसके होंठों को लगातार चूसता जा रहा था और एक हाथ से उसकी छाती को सहला रहा था।
उस पर धीरे-धीरे खुमार छाने लगा… उसकी आँखें बंद होना शुरू हो गई। मैंने अपने कार्य को आगे बढ़ाते हुए अपने हाथ को नीचे की तरफ खिसकाना शुरू किया और उसकी छाती से उसके पेट से होते हुए उसकी जांघों के बीच में ले आया। जैसे ही मेरा हाथ उसके जन्नत के द्वार पर आया तो उसने तुरंत ही दोनों टांगों के भींच लिया।
मैंने भी ज्यादा जल्दबाजी ना दिखाते हुए उसकी जांघों को ही सहलाना शुरू कर दिया। दोस्तो, वह धीरे धीरे जवानी के नशे में खोने लगी, उसके हाथों ने भी हरकत करना शुरू कर दिया था। उसने भी मेरे सर को, पीठ को और सीने को सहलाना शुरू कर दिया था। मैं लगातार उसके गालों और माथे पर पर चुम्बन किए जा रहा था।
धीरे-धीरे मैंने नीचे का रुख किया और उसके गर्दन पर चुम्बन करना शुरू किया। उसकी सांसें लगातार तेज होती जा रही थी। मैंने धीरे धीरे उसके टॉप को उतारना शुरु किया, उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने जैसे ही उसका टॉप उतारा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी… क्या चूची थी!!!! गजब की चूची… सफेद ब्रा में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो ताजमहल की दो गुम्मद खड़ी हों। उन्हें देखकर मैं बेकाबू हो गया और मैंने झट से उसकी ब्रा को उतार फेंका और उसकी चूचियों पर टूट पड़ा।
मैंने दाएं चूची की निप्पल को मुंह से चूसना शुरू किया और दूसरी चूची को हाथ से सहलाना शुरू किया। वह पागल होने लगी… उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। वह अपनी छाती को ऊपर उठाकर कर मजे ले रही थी। मैंने बारी-बारी से दोनों सूचियों को निचोड़ना शुरू किया और वह आनन्द के सागर में गोते लगाने लगी। उसे जो मजा आ रहा था वह उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।
मैंने उसकी चूचियों को दांतों से काट कर लाल कर दिया। उसकी चूचियों पर मेरी दांतों के निशान साफ दिखायी दे रहे थे।
मैंने धीरे धीरे नीचे की तरफ आना शुरू किया और उसके पेट को सहलाते हुए उसकी जीन्स में हाथ डाल दिया। उसने मेरा हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन इस बार मैंने उसकी एक भी नहीं चलने दी और पेंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया। उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जिसकी वजह से पैंटी भी गीली हो गई थी। मैं पूरी तरह से उसके ऊपर हावी था… उसकी चूचियां मेरे मुंह में थी, मेरा एक हाथ उसकी चूत के ऊपर था। इस समय वह अपनी जवानी के सबसे हसीन पलों का एहसास कर रही थी।
मैंने अधिक समय न लेते हुए उसके जीन्स और पैंटी को को उतार दिया। इस समय वह मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। क्या कहूँ उसके सौंदर्य के बारे में क्या गजब लग रही थी, उसकी आँखें नशीली हो रही थी… गाल एकदम लाल हो रहे थे… चूचे एकदम तने हुए… पतली पतली कमर और उसके नीचे लंबी लंबी टांगें और उन टांगों के बीच में गुलाबी चूत और उसकी चूत के ऊपर हल्के हल्के भूरे रंग की छोटे-छोटे बाल। उसका वह सौंदर्य देखकर मैं मन ही मन सोचने लगा कि वाकयी में नारी के रूप में बहुत नशा होता है… तभी तो विश्वामित्र जैसे योगी का तप भंग हुआ होगा।
जब उसने मुझे अपने सौंदर्य को निहारते हुए देखा तो वह शरमा गई और चादर को अपने ऊपर ले लिया।
अब मेरा अपने ऊपर से नियंत्रण खत्म होता जा रहा था। मैंने एक ही झटके में अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके बगल में लेट गया। मैंने उसके ऊपर से चादर हटाई तो वह मुझसे लिपट गई। उसका शरीर इस कदर गर्म हो रहा था कि जैसे उसे तेज बुखार आ रहा हो।
मैंने अपना काम पुनः शुरू किया… मैंने उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ़्त में लेकर चूसना शुरू किया और अपना हाथ उसके शरीर पर फिराना शुरू किया। वो भी पूरी तरह एक्टिव मोड में आ गई और उसकी उंगलियां मेरे बालों में चलना शुरू हो गयी और कभी उसके हाथ मेरी गर्दन को सहलाते तो कभी पीठ को सहलाते हुए मेरे चूतड़ों तक पहुंच जाते. वह पूरी तरह से मजे ले रही थी। अपना लंड मैंने उसके हाथ में दे दिया और उसे धीरे धीरे सहलाने को कहा. धीरे-धीरे मैंने भी उसकी चूत को सहलाना शुरू किया. जैसे ही मैंने उसकी चूत में थोड़ी सी उंगली डाली तो उसकी सिसकारियां निकलने लगी। मैं हल्के हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा. वह पूरी तरह से बेकाबू हो गई और बोली- डार्लिंग बहुत हो गया… अब मत तड़पाओ… प्लीज मेरी गर्मी को शांत कर दो मेरे राजा. मुझे चोद दो प्लीज… अब मत तड़पाओ मेरी जान।
मैंने कहा- थोड़ा सब्र करो, सब्र का फल मीठा होता है। वह बोली- मेरी जान, पिछले 1 घंटे से सब्र ही कर रही हूँ। मैंने उससे पूछा- क्या तुम चुदने के लिए तैयार हो? तो उसने तुरंत हामी भर दी.
मैंने उससे कहा- जानेमन, पहली बार चुदाई में दर्द भी होता है. तो वह बोली- मुझे पता है और मैं सब सहन कर लूँगी। मैंने उसे पूछा- तुम्हें कैसे पता? तो उसने कहा- पड़ोस वाली नई भाभी ने मुझे अपनी सुहागरात का किस्सा सुनाया था और यह भी बताया था कि पहली बार की चुदाई में थोड़ी देर दर्द होता है।
यह सुनकर मेरा हौसला आसमान छूने लगा और मैंने उसे सीधा लिटा कर उसकी चूत पर हल्की सी क्रीम लगाई और थोड़ी सी अपने लंड पर भी लगाई और लंड को उसकी चूत पर सेट किया। उसने अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डाली हुई थी, अपनी आँखें इस कदर बंद की हुई थी कि जैसे वह पहले ही झटके पर सील टूटने की उम्मीद कर रही हो।
परंतु मैंने यह काम धीरे-धीरे करना उचित समझा, मैंने धीरे से लंड से झटका मारा तो फक्क से लंड का सुपारा उसकी चूत में जा फंसा। मैं वहीं रुक गया और उसके चेहरे के भाव पढ़ने लगा। उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखा… मैं उसे देख कर मुस्कुराया तो उसने शरमा कर अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया।
जब किसी खूबसूरत लड़की पर चुदाई का खुमार छा जाता है तो उसकी खूबसूरती क़यामत में तब्दील हो जाती है। उस समय वह क़यामत मेरे नीचे नंगी लेटी हुई थी और मेरा लंड उसकी चूत में था। एक तो मेरे शरीर की गर्माहट और दूसरा उसकी चूत में मेरा लंड उसे पागल कर रहा था।
मैंने धीरे धीरे चुदाई करनी शुरू की. मैंने उसकी चूत में लंड को सिर्फ 2 इंच ही डाला हुआ था और उसी से चुदाई कर रहा था। उस चुदाई से वह इस कदर मदहोश हो रही थी कि शायद वह यह भी भूल गई थी कि जब पूरा लंड उसकी चूत में आएगा तो दर्द भी होगा। उसने अपनी बाहों में मुझे इस कदर कसा हुआ था कि उसकी चूचियां मेरी छाती में गड़ रही थी।
करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उससे कहा- मेरी छम्मक छल्लो, पूरा डाल दूं? तो उसने कहा- देर क्यों कर रहे हो, मैं तो कब से इंतजार कर रही हूँ। मैंने कहा- दर्द होगा. तो वह बोली- मैं सहन कर लूंगी.
मैंने उसकी टांगों को फैलाया और अपना पूरा वजन उसके ऊपर डाल दिया। उसकी गर्दन के दोनों तरफ अपनी दोनों कोहनियों को टिकाकर उसके चेहरे को अपने हाथों में ले लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर टिका दिए। दो चार छोटे-छोटे झटके देने के बाद मैंने एक ही झटके में उसका कौमार्य भंग कर दिया मतलब उसे लड़की से औरत में तब्दील कर दिया।
मेरे उस झटके से वह बिलबिला गई परंतु उसने धैर्य से काम लिया. मैंने भी झटके लगाने बंद कर दिए। उसकी चूत से गरम गरम खून मेरे लंड से होता हुआ उसकी जांघों पर बहने लगा। मैं उसके ऊपर लेट गया. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। मैंने उसके आँसुओं को पौंछा और उससे पूछा- ज्यादा दर्द हो रहा है? तो उसने कहा- मुझे नहीं पता था इतना दर्द होता है. भाभी तो कह रही थीं कि थोड़ा सा दर्द होगा.
मैंने कहा- बस थोड़ा सा हिम्मत से काम लो, फिर बहुत मजे आएंगे। वह बोली- अब इसके अलावा और रास्ता ही क्या है। उसकी यह बात सुनकर मुझे हंसी आ गई और मुझे देखकर वह भी मुस्कुराने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा कि अब दर्द कैसा है तो वह बोली पहले से बहुत कम है. उसकी यह बात सुनकर मैंने धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करना शुरू किया। कुछ ही देर में उसको भी मजा आने लगा और उसकी पकड़ मुझ पर मजबूत होने लगी। मैंने धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी।
जैसे जैसे मेरी स्पीड बढ़ती गई वैसे वैसे उस पर मस्ती छाने लगी। अब वह सारी शर्म छोड़ कर मेरा साथ देने लगी। मैंने पूछा- रानी कैसा लग रहा है? वह बोली- जानू, ऐसा लग रहा है कि जिंदगी भर चुदती ही रहूँ। मैंने कहा कि अब जिंदगी भर तुम्हारा मुझ पर हक हो गया है, जब चाहो तब मेरे इस लंड का मजा लेती रहना! यह सुनकर उसने मुझे माथे पर चूम लिया।
जो मजा उसकी चुदाई में आ रहा था वह पहले कभी नहीं आया। जैसे-जैसे जुदाई आगे बढ़ रही थी, वैसे वैसे उस पर भी खुमारी छा रही थी। वह धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले कर कह रही थी- आअह्ह… आअह्ह… जानू बहुत मजा आ रहा है…. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊऊऊ ओहोहह… ऊओह्ह्ह… और चोदो मेरे राजा… आआह्ह्ह… ऊऊइईई… मरर्रर गयी मेरे बलमा… मुझे अपनी रानी बना लो… मेरी जान चोदो बहुत मजा आ रहा है… ऑऊईईई ऊईईई माँ… मेरी चूत को फाड़ दो मेरे साजन… बहुत मजा आ रहा है.. आआह्ह्ह उऊंहह और तेज़ करो मेरे प्राणनाथ!
उसकी इस तरह की बातें, आवाजें मुझे प्रोत्साहित कर रही थी, मैं लगातार अपने चुदाई की स्पीड बढ़ा रहा था। काफी देर की ज़बरदस्त चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और वह बोली- राजा, मुझे कुछ हो रहा है… मेरा शरीर अकड़ रहा है। मैंने कहा- छम्मक छल्लो, तुम्हारा पानी निकलने वाला है. वह बोली- मतलब? मैंने कहा- तुम्हें पहली चुदाई का परमानन्द मिलने वाला है।
जैसे जैसे उसका स्लखन नजदीक आता गया, वैसे वैसे उसकी पकड़ मुझ पर मजबूत होती चली गई। उसका पानी निकलते ही वह निढाल हो कर लेट गई लेकिन मैंने चुदाई को बदस्तूर जारी रखा और अपना पानी भी जल्द ही निकालने का प्रयास शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मेरा भी पानी निकलने को तैयार हो गया। मैंने उससे कहा- डार्लिंग मेरा भी पानी निकलने वाला है कहाँ निकालूं? तो उसने कहा- आज मैं सभी प्रकार से सभी सुख लेना चाहती हूँ इसलिए अंदर ही निकाल दो।
मेरे वीर्य से उसकी चूत लबालब भर गई और मैं थक कर उसके ऊपर लेट गया। वह बड़े ही प्यार से मेरे बालों में उंगलियां फेर रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से हटा तो उसकी चूत से मेरे वीर्य और उसके खून का मिश्रण बहने लगा. उसकी चूत सूज़ कर मोटी हो गई थी। यह देखकर वह बोली- तुमने यह क्या हाल कर दिया है। मैंने कहा- जानू मजा के साथ-साथ सजा भी मिलती है। यह सुनकर वह मुझसे लिपट गई और मुझे किस करने लगी।
करीब एक घंटे बाद हम दोनों फिर से गर्म हो गए और दोबारा से चुदाई करने लगे। इस बार उसे पहले से ज्यादा मजा आया, वह बोली- मेरे साजन, आज से मैं तुम्हारी दासी हो गई हूँ। जब चाहे तुम मेरी चूत को चोद सकते हो।
उसके बाद जब भी मौका मिलता मैं उसे जी भर के चोदता।
आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया मेरी ईमेल ID पर कमेंट करके बताएं मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा. [email protected] महिला पाठकों के मेल का भी मुझे इंतजार रहेगा… कृपया जरूर मेल करें।
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