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मैं अंजलि अरोड़ा एक बार फिर से अपनी चुत की चुदाई की एक नई सेक्सी कहानी के साथ आप सभी के लौड़ों को खड़ा करने आ गई हूँ. पहले मैं अन्तर्वासना के सभी पाठकों का शुक्रिया करती हूँ, जिन्होंने मुझे ढेर सारे रिप्लाई भेजे.. और उन सभी कामुकता भरे मस्त वाले कमेंट्स भी आ रहे हैं.
तो जो नए पाठक हैं पहले उन्हें मैं अपने बारे में बता दूँ, मैं एक 32 साल की हाउसवाइफ हूँ.. मेरा फिगर 34-30-40 का है. मेरा रंग बिल्कुल गोरा.. और दिखने में मैं आज भी ऐसी हूँ कि बुड्डे भी मुझे चोदने को तैयार रहते हैं. मेरे घर में मैं और मेरी सास रहते हैं.. पति बाहर जॉब पर रहता है. मेरी कामुकता का कोई पारावार नहीं, मैं बहुत बड़ी चुदक्कड़ हूँ, जहां भी मेरे काम का मर्द मिले, मैं उसका शिकार कर लेती हूँ.
अब ज़्यादा देर ना करते हुए मैं अपनी चुदाई की कहानी पर आती हूँ.
यह बात तब की है, जब हम लोग आगरा आ गए थे.. नए घर में और घर में पेंट चल रहा था. मेरे पति कुछ दिन के लिए आए, फिर चले गए. उन दिनों पति से मैंने खूब चुदवाया मगर अब सच कहूँ.. मजा मुझे अनजान मर्द के लंड पर कूदने में ही आता है.
खैर नए घर में सब हो चुका था, बस वॉशरूम और बाल्कनी में पेंट रह गया था. पति ने दो लेबर को काम के लिए बुक करवा कर भेज दिया था. मेरी सास ग़ाज़ियाबाद में ही थीं क्योंकि उन्हें पेंट की गंध से एलर्जी है, ज़ुखाम हो जाता है.
तो मैं आगरा वाले घर में अकेली ही देख-रेख कर रही थी. लेबर के दो आदमी थे, दोनों की उम्र 35 के आस-पास ही होगी.
खैर.. ये दोनों सुबह अपना काम करने 10 बजे आए थे. मैं तो उस वक़्त आराम से टीवी देख रही थी. इतने में गेट पर दस्तक हुई.. मैंने पूछा- कौन? आवाज आई- पेंटर!
मैंने सुन कर गेट खोल दिया और दोनों अन्दर आ गए और अपना काम करने लगे. मैं टीवी देखने में लग गई. मैंने कंफर्ट की वजह से ढीला-ढाला सा सलवार सूट पहना हुआ था.
थोड़ी देर बाद लाइट चली गई, गर्मी का टाइम था. मैं बोर होने लगी तो काम देखने पेंटर के पास चली गई. वो दोनों काम कर रहे थे.
मैंने उनसे बातें शुरू करनी शुरू की, पहले नाम पूछा. एक का नाम फ़ारुख था और दूसरे का नदीम… दोनों के बड़े-बड़े बाल थे, जिनमें चोटी बाँध रखी थी. मैंने पूछा- बाल इतने बड़े क्यों कर रखे हैं? बोले- ऐसे ही शौक है. मैं बोली- कहाँ रहते हो? तो उन्होंने अपने मुहल्ले का नाम बताया.
ऐसे बात करते-करते एक बज गया तो वे बोले कि हम लोग खाना खाने जा रहे हैं. मैं बोली- अरे यहीं खा लीजिए.. मैंने बनाया है. बोले- नहीं नहीं भाभी जी.. आप तक़लीफ़ क्यों करती हो. मैं बोली- अरे तक़लीफ़ कैसी.. वैसे भी आज छोले भटूरे बनाए हैं.. खा लीजिए.
मेरे बहुत फोर्स करने पर वे मान गए. मैंने गरम-गरम भटूरे सेंके और देने लगी. दोनों ने बड़ी तारीफ की और खाने के बाद कोने में बैठकर एक-एक बीड़ी पीने लगे. इसके बाद वे काम पर लग गए.
शाम को वो चले गए तो मैं ऐसे ही देखने लगी और अचानक देखा कि एक लेबर का मोबाइल रह गया था. मैंने उठा लिया और रात को ऐसे ही उसका मोबाइल चलाने लगी. मैंने उसमें देखा तो पूरा मोबाइल ब्लू फिल्म्स से भरा हुआ था. मेरी कामुकता जागृत हो उठी, मुझे मस्ती चढ़ने लगी.
इतने में कॉल आई.. मैंने रिसीव की तो वो नदीम था. वो बोला- भाभी जी मोबाइल मैं कल ले लूँगा और आप प्लीज़ उसे चलाएं ना. तो मैं मस्ती में बोली- क्यों जी ऐसा क्या है? तो बोला- नहीं नहीं प्लीज़ मत चलाना. मैं बोली- ओके..
मैंने फोन रख दिया इसके बाद मैंने रात भर ब्लूफिल्म देखी और चुत में मूली से मजे लिए. मुझे अब नदीम याद आने लगा.. उसका लंड सोचने लगी कि कैसा होगा.. फिर मेरा मन अब उससे चुदवाने का होने लगा. खैर.. मैं रात को सो गई.
अगले दिन दोनों आए.. नदीम मुझसे मस्ती में बोला- आपने मोबाइल तो नहीं चलाया? मैं भी बोल उठी- ऐसा क्या था उसमें.. मुझे दिखाओ? तो बोला- आपके मतलब का कुछ ख़ास नहीं है. मैं भी बोल पड़ी- उसमें तो मेरे मतलब का ही था. तो वो बोला- फिर.. क्या देखा आपने? मैंने बोला- लो अपना मोबाइल.. कुछ नहीं देखा. ये कह कर मैं रूम में चली गई.
आज मैंने वाइट कलर का स्लीवलैस कुर्ता और पजामी पहनी थी और अन्दर कुछ भी नहीं पहना था. आज मैंने अपनी चुत से बाल भी साफ़ कर लिए थे. फिर मैंने चाय बनाई और उन दोनों को देने गई.. तो उनसे बात करने लगी.
मैंने पूछा- तुम्हारी शादी हो गई? तो नदीम बोला- नहीं. मैं बोली- क्यों? बोला- कोई मिली नहीं. मेरे मुँह से अचानक निकल गया कि तभी मोबाइल में भंडार लगा रखा है. इस बात से वे दोनों मेरी और देखने लगे. तो नदीम बोला- हाँ भाभी अब क्या करें.. वैसे भी हम तो आदमी हैं.. तो थोड़ी बहुत तसल्ली हो ही जाती है.
मैं समझ गई कि साला मुठ मारता होगा. मैं मन में बोली कि आज तुझे अपनी चुत का स्वाद चखा दूँगी.
फिर फ़ारुख बोला- अरे भाभी जान, एक बात बोलूँ.. बुरा मत मानना! मैं बोली- हाँ बोलो. तो बोला- आपके शौहर बड़े नसीब वाले हैं.. जिनको आप जैसी खूबसूरत जोरू मिली.
तो मैं शर्मा सी गई और तभी अचानक मेरी नज़र नदीम के लंड पर गई.. क्योंकि वो सीढ़ी पर खड़ा था. उसका लंड अलग दिख रहा था. इतने में नदीम उतरा और बोला- हां भाभी, ये सच कहा रहा है, आप बहुत सुंदर हो. मैं हंस कर बोली- हाँ ठीक है.. चलो काम पर ध्यान दे लो.
मैं कमरे में आ गई और रूम बंद करके चुत में धकाधक उंगली करने लगी और नदीम के लंड को सोचने लगी.
चुत से पानी निकालने के बाद मैं उठी, मुँह धोया और फिर सब सामान्य रहा. शाम को वो दोनों चले गए.
फिर अगले दिन आए तो आज मैं मन में सोच कर बैठी थी कि कैसे न कैसे दोनों के लंड खा लूँ.
आज मैंने बस एक लॉन्ग टॉप पहना था.. उसमें तो मेरी गांड और चूचे ऐसे दिख रहे थे, जैसे बाहर आने को तैयार हों.
दोनों जब आए तो मुझे घूरने लगे. मैं इठला कर बोली- क्या हुआ? तो बोले- कुछ नहीं..
मैं समझ गई थी. अब फिर वो काम करने लगे.
मैं टीवी देख रही थी और इतने में आवाज़ आई- भाभी जी..
मैं बाहर आई तो नदीम ने जो दिखाया, उसे देखा कर मैं हैरान रह गई. उसने ऊपर के जंगले में से मेरी कल की चुत में उंगली करते हुए वीडियो बना ली थी.
मैं ये देख कर डर गई और बोली- इसे डिलीट कर दो. तो बोला- भाभीजी नहीं, मैं नहीं करूँगा.. इसे देख कर तो मैं रोज़ मुठ मारूँगा. मैं बोली- प्लीज़ कर दो डिलीट.. तो फ़ारुख बोला- नहीं नहीं भाभी जी.. हमारा इसे क्या फ़ायदा होगा.. इसमें कम से कम आपको देख कर लंड तो खड़ा करके हिला लेंगे.
अब मैं भी थोड़ा डर खत्म करके बोली- चलो मेरे सामने देखो.. मैं तुम्हारी मुठ मार दूँगी लेकिन इसे अभी डिलीट करो. तभी एकदम नदीम ने अपना सोता हुआ लंड निकाल कर कहा- ठीक है भाभी.. तो चलो मुठ मार दो.
मैं हड़बड़ा गई और लंड को घूरने लगी. लंड सच में बहुत मस्त वाला था. सुपारा एकदम लाल और सोता हुआ लंड तना हुआ था. उसने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे खींच कर बोला- लंड चूसेगी? मैं कुछ नहीं बोली.
उसने मुझे वहीं बिठा दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख कर बोला- अब हिला भी दे इसे..! मैं लंड हिलाने लगी, तो फ़ारुख ने भी लंड निकाल लिया. वो तो पूरा नंगा हो गया और उसका लंड पूरा खड़ा होकर तनतना रहा था. मैं अब जोश में आने लगी और दोनों के लौड़ों को हिला-हिला कर चूसने लगी. दोनों कुछ देर में झड़ गए.
फिर मुझे फ़ारुख ने खड़ा किया और किस करने लगा, तभी पीछे से नदीम ने मेरी तरफ आकर सलवार खोल दी और अपना मुँह मेरी गांड पर घुसा-घुसा कर चाटने लगा. वो मेरे चूतड़ों पर चांटें मारने लगा.
मैं मदहोश होने लगी और बोली- कमरे में चलो ना.. आज मुझे चोद डालो.
नदीम ने मुझे गोदी में उठाकर बेड पर पटक दिया और दोनों अब पूरे नंगे होकर मेरे ऊपर आ गए. एक मेरे मम्मों को चूमने लगा, दबाने लगा, काटने लगा और दूसरा मेरी चुत बहुत बुरी तरह चाटने लगा.
मैं मदहोशी में ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए उसका सर अपने चुत पर दबाने लगी. अब नदीम ने मेरे मुँह में लंड घुसा दिया तो मैं उसके लंड को गपागप चूसने लगी. उसका लंड एकदम लाल था और शाइन कर रहा था. उधर फ़ारुख मेरी चुत चाट-चाट कर मुझे पागल करने लगा और मेरे मम्मों को बुरी तरह दबाने लगा. मैं बहुत पागल हो गई और बोली- अब लंड घुसा दो यार!
तो फ़ारुख ने मेरी गांड के नीचे दो तकिये लगाए, इससे मेरी चुत बहुत ऊपर उठ गई थी, मैंने अपनी दोनों टांगें फैला दीं और फ़ारुख से बोली- आज मुझे रांड बनाकर चोदो. मेरा इतना कहना था कि उस हरामी फ़ारुख ने लंड को ऐसा घुसाया कि चुत में एक ही बार में पूरा घुसेड़ डाला.
मैं ऊपर तक उठ गई और उससे चिपक गई.. तो वो मुझे चूमने लगा और धकापेल चोदने लगा. मेरा पूरा बदन हिलने लगा. मैं गहरी साँस लेकर बोली- हायईई क्या चोदता है भेनचोद.. तो बोला- रंडी की बच्ची.. साली चुदक्कड़.. आज तेरी चुत का भोसड़ा बना दूँगा. वो अब बहुत तेज़ी से चोदने लगा और चूचे दबाते हुए मुझे चूमने लगा.
उधर नदीम मेरे बदन से खेल रहा था. थोड़ी देर में फ़ारुख हटा तो नदीम आ गया. उसने मेरी गांड पर एक चांटा जड़ दिया और बोला- चल मादरचोदी गांड दिखा.. छिनाल बहुत गांड मटका रही थी.. साली घोड़ी बन. उसका लंड अपनी गांड में लेने से मैं घबराते हुए बोली- तेल तो लगा लो. तो बोला- चुप रह रंडी..
उसने मेरी गांड पर थूका और उधर फ़ारुख ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. फिर नदीम ने बड़ा हिला देने वाला झटका मारा और गांड पर धकाधक झापड़ मारते हुए मेरी गांड मारने लगा. मेरी साँस अटक गई.. आगे मुँह में, पीछे गांड में..
अब थोड़ी देर में फ़ारुख ने लंड से माल छोड़ दिया और मेरे सर पर गिरा दिया.
इधर नदीम मुझे कुत्ते की तरह चोदने लगा था. मैं भी जोश में धकाधक गांड को पीछे लाकर लंड को और अन्दर तक घुसवाती और ‘आअहह हमम्म.. चोद इस रांड को साले.. क्या चोदू है तू.. आहह..’ करते हुए चुदवाने लगी. थोड़ी देर में नदीम भी झड़ गया और वो मेरी गांड में बहुत सारा गर्म माल भरने लगा. जो मुझे अलग ही महसूस हो रहा था.
अब मैं ऐसे ही उल्टी लेट गई. शाम को वो दोनों चले गए और फिर रात को दोनों दोबारा आए और मुझे शराब पिलाकर और खुद भी पीकर चोदम-चोदी का फिर खेल शुरू किया. सारी रात मेरी चुदाई हुई.
अगली सुबह तक तो मैं चलने लायक तक नहीं रही. फिर मुझे उन्होंने ऐसे ही रोज़ तीन दिन तक चोदा और अपने पेंट वाले काम के पैसे भी नहीं लिए. बाद में उन दोनों ने मुझे कई बार मेरे घर में ही चोदा, जिसमें मैंने भी बहुत मजे लिए.
तो दोस्तो, बताना मेरी कामुकता भरी चुत की चुदाई की कहानी कैसी लगी. मुझे आपके मेल्स का इन्तजार रहेगा. शुक्रिया अगली बार फिर एक नई चुदाई की सेक्सी कहानी के साथ मुलाक़ात होगी. [email protected]
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