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हाय दोस्तो, कैसे हो सब.. मेरा नाम जय है, मैं जयपुर शहर से हूँ. मैं पिछले एक साल से इस साईट पर हूँ और मैंने बहुत सी चोदन कहानियां पढ़ी हैं, सभी बहुत पसंद आईं. मैंने भी सोचा कि मैं भी अपनी लाइफ की घटना आप सबके साथ शेयर करूँ.
इससे पहले मैं आगे बढूँ, कुछ अपने बारे में आप सबको बता दूँ. मैं महिला पाठकों के लिए ख़ास बताना चाहता हूँ कि मेरे लंड का साइज 7 इंच है. अभी मेरी आयु केवल 22 साल है. मैं एक मिडल क्लास फैमिली से हूँ और दिखने में बहुत स्मार्ट हूँ. ये मैं अपनी तारीफ नहीं कर रहा हूँ, अक्सर सभी मेरे लिए ऐसा कहते हैं, इसलिए कहा है. मेरी कोई ज्यादा बॉडी-शॉडी नहीं है, पर स्वस्थ और मस्त जरूर हूँ. अब आप सबको ज्यादा बोर नहीं करूँगा, पर ये सब बताना भी जरूरी था.
यह कहानी मेरी और रीना की है, यह मेरी पहली कहानी है, यह घटना बिल्कुल सच है. रीना के नाम याद करने से ही वो हसीन पल याद आ जाते हैं. बात दो साल पहले की है, जब मैं बीएससी के दूसरे साल में था और अभी एमएससी कर रहा हूँ.
तब मेरी छुट्टियाँ चल रही थी, मैं घर में बोर हो रहा था तो मैंने सोचा कि कहीं घूमने जाना चाहिए. मैंने दीदी के यहाँ जाने का तय कर लिया. मेरी दीदी यहीं जयपुर में ही रहती हैं.
मैंने अपने घर पर कहा और अगले दिन मैं यहाँ से दीदी के घर को निकल गया. मैं काफी खुश था क्योंकि मेरी दीदी और जीजू से अच्छी बनती है. मैं अपने दीदी के घर पहुँच गया तो वहाँ का नजारा ही अलग नजर आ रहा था. वहाँ घर में काफी लोग थे, मैंने सोचा कोई रिलेटिव होंगे.. पर जब अन्दर गया तो मालूम हुआ कि यहाँ तो कोई धार्मिक आयोजन चल रहा था. जानकारी की तो मालूम चला कि भागवत कथा हो रही थी.. और इसी वजह से काफी चहल-पहल थी.
मैं अन्दर जाकर दीदी से मिला तो वो मुझे देख खुश हो गईं. दीदी ने कहा कि मैंने अभी ही घर पर फोन किया था कि तुझे भेज दें, प्रोग्राम है. तब मालूम हुआ कि तू तो पहले से आ रहा है.
हम दोनों इसी तरह की सामान्य बातें कर रहे थे. उसी पल वहाँ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की आई, वैसे सभी लड़कियां खूबसूरत ही होती हैं. सच में यार क्या लग रही थी.. पतली सी, उसकी कमर 28 इंच के करीब और रंग एकदम गोरा था.. उफ्फ्फ.. उसे देख कर तो दिल झनझना गया, बस नजर तो मानो रुक सी गई. उसका प्यारा सा चेहरा, फिर होंठ.. आह बहुत ही प्यारे और रसीले थे.
मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था और जैसे ही वो आई, मेरी नजर उससे टकरा गई, वो भी मेरी आँखों में झांकते ही दीदी से कुछ कहते-कहते रुक सी गई. दो पल बात करने के बाद वो खड़ी हो गई. फिर दीदी के उससे पूछने पर मालूम हुआ कि वो ऐसे ही किसी काम के बारे में बात कर रही थी.
उसकी बात को मैं वहीं लेटा हुआ सुन रहा था. जब मेरी नजर उस पर पड़ी थी. वो बोल रही थी तो उसके होंठ एक-दूसरे से छू कर दिलकश नजारा पेश कर रहे थे. उसको यूं देख कर मेरे जिस्म में आग सी लग रही थी. फिर मेरी नजर उसके गले से होती हुई मम्मों पर गई. टाइट टी-शर्ट में उसे तने हुए दोनों प्यारे से चूचे बड़े ही मस्त दिख रहे थे. उसके मम्मे छोटे से सेब की तरह थे. उन्हें देख कर तो मेरे लंड ने उठना शुरू कर दिया. मेरा दिल कहने लगा कि अगर इस वक्त ये माल उठ कर मेरी बांहों में आ जाए, तो जैसे मेरी तो जान ही निकल जाए.
मैंने खुद पर कण्ट्रोल किया और बस चुप लेटा रहा. फिर थोड़ी देर में वो जैसे ही बाहर निकली तो एक पल के लिए मेरी नजर से उसकी नजर फिर से मिल गई. बस.. और फिर वो मुझे देखते हुए बाहर चली गई.
कुछ देर यूं ही मुँह बाये रहने के बाद मैं अपने होश में आया और दीदी से पूछने लगा कि कौन है ये.. आपकी क्या लगती है? मालूम हुआ कि इसका नाम रीना है और अभी पढ़ाई कर रही है. दीदी के रिलेशन में उनकी ननद लगती है और पहली बार ही यहाँ आई है.
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था, बस रीना को ही देखने का मन कर रहा था. मैं तुरंत उठा और वहां से बाहर आया.. पर मुझे वो घर में कहीं न मिली. मैं मायूस हो गया और अन्दर जा कर जीजू के पास बैठ गया. कुछ देर बाद मैं किसी काम से मार्किट गया और लौटने में रात हो गई. अब मेरा मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था और थकान भी हो रही थी तो मैं सोच रहा था कि घर जाते ही बस सो जाना है.
पर अभी कहाँ सोना मिलना था. जैसे ही वापस घर आया और अन्दर सामान लेकर जा रहा था तो देखा कि वो अन्दर वहीं बैठी हुई थी. मेरी तो जैसे पूरी थकान गायब हो गई और उसे देख कर मैं बहुत खुश हो गया. मैं भी इधर-उधर घूम कर जल्दी से वहीं जा बैठा.. यहाँ दीदी भी बैठी हुई थीं. वहाँ सब बातें कर रहे थे, मैं भी वहीं बैठ कर बातें करने लगा. मेरी नजर रीना पर ही टिकी थीं. अब उसकी नजरें भी कुछ-कुछ मुझसे मिल रही थीं.
मेरे दिल में हलचल मची हुई थी. कुछ ही देर बाद उसकी नजर मुझ पर ज्यादा रुकने लगी. उसकी नजर मुझसे टकराती तो मैं खुश हो जाता. फिर एकाध बार मैं मुस्कुराया तो उसने भी मुझे बड़े प्यार से देखा. मैंने उससे आँखों से बाहर जाने का इशारा किया. उसने मुँह फेर लिया. दो-तीन बार ऐसे हुआ. मैं डर भी रहा था कि कहीं गड़बड़ न हो जाए. वैसे मैंने इससे पहले दो बार सेक्स किया है, पर अभी डर लग रहा था.
मैंने एक बार फिर हिम्मत करके इशारा किया और इस बार इशारा करके मैं उठ कर बाहर निकल गया. मैं बाहर एक तरफ जाकर खड़ा हो गया और ऊपर वाले से दुआ करने लगा कि मदद कर.
फिर कुछ ही पल में वो बाहर आ गई.. और इधर-उधर देखते हुए मेरे पास आ रही थी. मेरी धड़कनें बढ़ गईं और गला सूखने लगा गया. मुझसे कुछ कहा नहीं गया. वो मेरे पास से धीरे-धीरे गुजर गई और मैं कुछ कह नहीं पाया. मुझे खुद पर थोड़ा गुस्सा भी आया कि मौका था पर मैं चूक गया.
मैं अन्दर जा ही रहा था कि वो फिर से आ रही थी. इस बार मैंने उसके करीब आते ही उससे कहा- आप कब तक यहाँ हो.. नाम क्या है आपसे वो कुछ कहना नहीं.. बस पूछना है. दरअसल मैं इस पल घबरा सा गया था. इस तरह से मैं न जाने उससे ये सब क्या कह बैठा.
उसकी हंसी छूट गई.. और बस ये कह कर निकल गई कि एक बार में ही सब जान लोगे? जाते वक्त उसका हाथ मेरे हाथ से हल्का सा टच हो गया था. आह.. क्या सॉफ्ट लगा ऊऊफ्फ..
पर अब मैं खुश था क्यूंकि उसने मुझसे कुछ तो कहा और हँसी भी थी. तो अब तो मैं उछलने लग गया और फिर से अन्दर जा बैठ गया. अब वो भी मुझसे नजर मिला रही थी और स्माइल भी दे रही थी, मैं खुश था. हम एक-दूसरे को देख रहे थे और वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था. हम नजरों से एक-दूसरे से बातें कर रहे थे. पर मैं उससे अकेले में बातें करना चाह रहा था. वहां सब लोग थे इसलिए मौका नहीं मिल पा रहा था. फिर कुछ देर बाद सब सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि रात के 9 बज चुके थे.
सभी जेंट्स को ऊपर छत पर सोना था और लेडीज को नीचे ही सोना था. सोने की बात सुनकर मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. मैं तो बस रीना का साथ चाहता था, पर ऐसा नहीं हो सकता था.
सब सोने के लिए जा चुके थे. मैं भी ऊपर जाने के लिए बाहर निकला, पर ना जाने क्यों मेरे कदम बाहर गेट पर जाकर ही रुक गए.. और मैं बस गेट पर जाकर रुक गया. मैं वहीं कुछ पल के खड़ा रहा और सोचा कि एक बार और रीना दिख जाए.. पर ऐसा नहीं हो रहा था.
फिर मैं जैसे ही ऊपर जाने लगा.. तभी रीना बाहर आई. वो टॉयलेट के लिए आई थी और मुझे इसे देखने की तमन्ना पूरी हो गई. वो आते ही खनकती हुई आवाज में बोली- सोना नहीं है आपको.. क्या रात भर यहीं खड़े रहना है हाँ? मैं खुश था और अब मेरा डर भी दूर हो चुका था. मैंने तपाक से बोला- आप कहें तो आपके लिए पूरी उम्र यहीं खड़े-खड़े गुजार दें! फिर उसने मुझे स्माइल दी और कहा- गुड नाईट… अब सो जाओ.
उसने ये कहा और एक स्माइल दी. बस मुझे और क्या चाहिए था. मुझे तो मानो ग्रीन सिग्नल मिल गया था. मैं समझ गया था कि इसके भी दिल में मेरे लिए कुछ तो है. फिर मैं भी गुड नाईट कह कर सोने को चला गया. मैं ऊपर छत पर जाकर लेट गया. पर नींद तो मेरी रीना चुरा के ले गई थी.
मेरी आँखों के सामने उसके रसीले होंठ और चूचे ही नजर आ रहे थे. फिर उसकी जवानी को याद करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं उठा और बाथरूम जाकर रीना को याद करते हुए मुठ मारने लगा. ऊऊऊह्ह… और इस बार कुछ देर बाद ही में झड़ गया.. बहुत सारा वीर्य निकल कर फर्श पर गिर गया. मैं निढाल सा उसको याद करते हुए आँखें मूंदे लंड पकड़े रह गया. फिर फर्श पर पड़े माल पर पानी डाल कर वहां से निकल आया.
अब मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा था और अबकी बार मुझे लेटते ही नींद आ गई.
फिर सुबह उठा तो 7 बज चुके थे.. दोपहर तक कुछ भी खास नहीं हुआ. सब खाना खाकर इधर-उधर घूम रहे थे. मैं अन्दर जाकर बैठ गया और वहीं मेरी प्यारी रीना बैठी हुई थी, पर दीदी भी वहीं थीं. हम एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए. कुछ पल बाद दीदी को किसी ने बाहर बुलाया और वो चली गईं. अब हम दोनों ही रह गए थे, पूरे रूम में सन्नाटा था. हम दोनों ही चुप थे. फिर मैंने चुप्पी तोड़ते हुए उससे नार्मल बातें की. हम ऐसे ही पढ़ाई और कुछ की नार्मल बातें कर रहे थे. मैंने सोचा बहुत हुआ, अब मतलब की बात की जाना चाहिए, अच्छा मौका है, मैंने कहा- मुझे आपसे कुछ कहना है, बुरा मत मानना अगर आपको अच्छा ना लगे तो कह देना.. मैं यहाँ से चला जाऊंगा और आपको कभी नहीं दिखूंगा. उसने कहा- हाँ कहो, आपको जो कहना है.
मैंने पूरी हिम्मत जुटाई और रीना के सामने अपनी मुहब्बत का इजहार करने का हौसला जगाया. रीना ने मेरी तरफ देखा तो मैंने कहा- जब से आपको देखा है, मैं कुछ खो सा गया हूँ, आप मुझे बहुत पसंद हो.. मैं आपको चाहने लगा हूँ. क्या आप मुझे पसंद करती हो?
ये सुनकर पहले तो वो चुप रही. उसकी चुप्पी से मेरी तो फटने लग गई थी कि ये कहीं किसी से कह ना दे. कुछ पल बाद रीना ने सर झुका कर ‘हां’ कह दी और स्माइल देते हुए शर्म से बाहर भाग गई. मेरी तो जैसे लॉटरी निकल गई हो, मैं बहुत खुश था कि ये तो अब मेरी है. फिर इसके बाद अगले दिन तक हम दोनों को बात करने का मौका नहीं मिला. अगले दिन रात के करीब 8 बज रहे थे.. अन्दर बैठे हुए थे. तभी रीना बाहर निकली.. उसकी गांड मटकते हुए बड़ी मस्त लग रही थी. मुझे उसकी मटकती गांड देख कर यूं लगा कि जैसे अभी जाकर दबा दूँ.. उफ्फ्फ्फ़.. क्या थिरकन थी.
मैं भी उसके पीछे निकल गया और उसके पास जाकर मैंने कहा- आज सोना मत.. आपसे रात को बहुत सी बातें करनी हैं. उसने इतराते हुए कहा- क्यों? मैं तो सोऊँगी.. रात को बाहर क्यों आऊं?
मैंने उसी पल अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. “आह्ह्ह् ऊऊह्हह…” उसके मुँह से ऐसी आवाज आ रही थी और अगले ही पल वो अपने हाथों से मुझे दूर कर रही थी, पर मैंने उसे मजबूती से पकड़ रखा था और उसके होंठों को चूसे जा रहा था. अब उसका विरोध भी कम हो गया और मैं मस्ती से उसके होंठों का रसपान कर रहा था. अब तो नीचे से मेरे लंड ने उठना शुरू कर दिया था.
कुछ पल बाद मैंने अपने होंठ अलग किए और उसके भागते ही मैं भी अन्दर आकर बैठ गया. कुछ पल तक वो अन्दर नहीं आई तो मैं डर गया कि कहीं उसे बुरा ना लग गया हो. मैं तुरंत उठ कर बाहर गया. वो वहीं कोने में वैसे के वैसे ही आकर खड़ी हो गई थी.
मैंने उसे हाथ लगाया तो लगा जैसे वो नींद से जगी हो. उसे एकदम झटका सा लगा.. पर उसके चेहरे पर चमक थी और वो हंसती हुई अन्दर चली गई. अब जाकर मेरी जान में जान आई. बाद में रीना ने मुझे बताया था कि उस पल उसके जिस्म में करंट सा लगा था, क्योंकि पहली बार किसी ने उसके होंठों को चूमा था.. इसलिए मैं कुछ पल के लिए वहीं जम सी गई थी. फिर घबरा कर भाग गई थी. लेकिन फिर न जाने क्यों उधर ही किसी खोज में आ गई थी.
अब जब भी मौका मिलता, मैं उसे किस कर लेता. कभी जानबूझ कर उसके बूब्स पर धीरे से हाथ फेर देता. इन सबसे रीना अनजान थी. दो दिन तक यही सब चलता रहा. पर इतने में मैं कहाँ मानने वाला था. मेरे पूरे जिस्म में आग लगी हुई थी, मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था. अब तो मैं रीना को चोद देना चाहता था.. पर मुझे अभी तक ऐसा मौका नहीं मिल पा रहा था. अब तो फंक्शन भी पूरा होने को था.
अगले दो दिन तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ क्योंकि मौका नहीं मिल रहा था. अगले दिन फंक्शन पूरा हो गया था और लगभग सभी लोग जा चुके थे. लेकिन जीजू को वक़्त नहीं मिल पाने के कारण वो रीना को छोड़ने नहीं जा सके. तो रीना अगले दो-तीन दिन यहीं रहने वाली थी.
सबके चले जाने के बाद अब हमें एक-दूसरे से बातें करने का मौका मिल रहा था. शाम का टाइम था, जीजू, दीदी अपने कामों में लगे हुए थे. मैं अन्दर से उठा और रीना के पास जाकर खड़ा हो गया, वो रसोई में थी. मैंने पीछे से उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया.. और मेरा लंड उसकी गांड से सटा हुआ था.
‘ऊऊह्ह्ह्ह क्या करते हो आप.. कोई आ जाएगा.. छोड़ो मुझे प्लीज..!’
पर मैंने पीछे उसे बांहों में पकड़ा रखा और गर्दन पे किस करने लगा.. अपनी जीभ घुमाने लगा. रीना के मुँह से ‘सिस्सस्स ऊऊऊह्ह..’ की प्यारी आवाज आ रही थी. मेरे हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर उसके मम्मों तक पहुँच रहे थे. जैसे ही मेरे हाथ मम्मों तक पहुँचे, उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिए. उसका जिस्म हल्का सा कांपने लगा, जो मुझे महसूस हो रहा था. मेरे हाथ मम्मों पर रुके हुए थे और अब मैंने अपनी उंगलियों को मम्मों पर घुमाना शुरू कर दिया.
इस हरकत से रीना सिहर उठी और उसकी सांसें तेज होने लगीं. इधर मेरा लंड भी अपने उफान पर आ चुका था. तभी किसी के अन्दर आने की आवाज आई और मैं जल्दी से अलग होकर फ्रीज में से पानी की बोतल निकाल कर ले गया. ये दीदी थीं.. वो किसी काम से अन्दर आई थीं. मुझे ऐसे पल में रीना से दूर होना बहुत बुरा लग रहा था.
मैं बाहर टीवी चलाकर लेट गया, लेकिन मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. दीदी अब भी वहीं अन्दर उसके पास थीं. मैं तुरंत उठा और बाहर घूमने चला गया.. जिससे मैं खुद पर कण्ट्रोल कर सकूं.
फिर शाम को मैं घर वापस आया, सब अपने काम में बिजी थे. रात हुई.. फिर मेरी रीना की कुछ ही बात हो पाई. मैंने कहा- क्या हुआ ऐसे उदास क्यों हो.. मेरी हरकत से बुरा लगा..? रीना- नहीं ऐसा नहीं है.. वो मुझे अजीब सा लग रहा है.. किसी काम में मन नहीं लग रहा है. मैंने पूछा- क्यों..? रीना ने कहा- बस आपसे बातें करने का आपके पास रहने का मन करता है.
कुछ देर यही सब बातें हुईं.. और फिर हमें काफी देर हो चुकी थी तो डर था कि कहीं कोई आ न जाए. हमने एक-दूसरे को गुड नाईट कहा और सोने चले गए.
मित्रो, मैं अपनी रीना के साथ एक एक पल को लिखूंगा. आप मुझे मेल कीजिएगा. [email protected]
कहानी का अगला भाग: जीजू की चचेरी बहन की बुर चोदन की कहानी-2
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