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अब तक की इस नोन वेज कहानी में आपने पढ़ा था कि गुलशन जी अपनी बेटी सुमन से अपना लंड चुसवाने की जुगत भिड़ाने में लगे थे, उधर सुमन भी अपने बाप का लंड चूसने के चक्कर में थी. अब आगे..
गुलशन जी सुमन के पास गए और उसके चेहरे को पकड़ कर मुस्कुराने लगे. सुमन- क्या हुआ? केला चाहिए आपको भी? गुलशन- नहीं सुमन मेरे दिमाग़ में एक खेल आ गया है. तू ये बता अगर केला खाने की वजह चूसा जाए तो कैसा लगेगा? सुमन- हा हा हा पापा, आप भी ना कुछ भी.. ये कैसा खेल हुआ? भला कोई केला भी चूसने की चीज है क्या? गुलशन- अरे पगली पता है मुझे.. मगर ये एक खेल है. अच्छा सुन तुझे मैं ठीक से समझाता हूँ. देख इस खेल में आँखें और हाथ बंद होंगे. मैं तुझे फ़्रीज़ की कोई भी चीज जैसे केला हो या कोई सब्जी जैसे भिंडी या तुरयी, कुछ भी मुँह में दूँगा. तू उसे चूस कर बताना वो क्या है?
गुलशन जी की बात सुनकर सुमन की आँखों में चमक आ गई, वो समझ गई इस खेल में उसे लंड चूसने को मिलेगा और साथ ही साथ वो अपने पापा की होशियारी पर फिदा हो गई. मगर उसे थोड़ा शक हुआ अगर गुलशन जी ने लंड ना चुसवाया तो फिर उसने भी दिमाग़ दौड़ाया और फिर बोली- वाओ पापा, ये गेम तो बहुत मस्त सोचा आपने, मगर फ़्रीज़ में क्या-क्या है ये तो मुझे पता है. फिर सब्जी की तो खुशबू से ही पता लग जाएगा कोई ऐसी चीज चूसने को देना, जिसका आसानी से पता ना लग सके. जैसे पेन या पेन्सिल या कोई भी ऐसी चीज जिसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो. हाँ साथ में सब्जी भी यूज करना ताकि कन्फयूजन रहे और खेल लंबा चले.
गुलशन जी ये सुनकर बड़े खुश हुए कि सुमन ने उनकी मुश्किल आसान कर दी. गुलशन- हाँ ऐसे ही करेंगे, चलो अब पहले तुम्हारी आँख और हाथ बाँध दूँ. सुमन- क्यों मेरी क्यों.. आपकी क्यों नहीं? आप टेस्ट करोगे और बताओगे, मैं नहीं बताने वाली.
सुमन ने तो गुलशन जी के अरमानों पर पानी फेर दिया मगर ये भी उसकी अपने पापा को तड़पने की एक साजिश थी. गुलशन- अरे नहीं आइडिया मैंने दिया, तो मैं ही पहले खेलूँगा. आँख तुम्हें बंद करनी होगी समझी! सुमन ने थोड़ी ज़िद की, मगर फिर वो मान गई. वैसे भी उसे मानना ही था.
गुलशन- तुम यहा कुर्सी पर बैठोगी, पीछे तुम्हारे हाथ बाँध दूँगा और आँख पर पट्टी.. ताकि ना तुम छूकर पता कर सको, ना देख कर, समझी! सुमन- पापा इस सबकी क्या जरूरत है मैं हाथ नहीं लगाऊंगी और सच्ची में आँख भी बंद रखूँगी, प्लीज़ ऐसे ही करते है ना. गुलशन- नहीं खेल के कुछ नियम होते हैं, उसी हिसाब से खेलना चाहिए.
सुमन मान गई तो गुलशन जी ने उसे कुर्सी पे बैठा कर पीछे हाथ बाँध दिए और आँखें भी बंद कर दीं. गुलशन- इन्तजार कर.. बस मैं अभी सब चीजें लेकर आता हूँ हाँ..! गुलशन के जाने के बाद सुमन दिल ही दिल में बहुत खुश थी कि आज तो उसे पापा का लंड खुलकर चूसने को मिलेगा.
गुलशन- हाँ तो सुमन तैयार हो तुम? और हाँ सिर्फ़ जीभ और होंठों से पता करना है.. किसी भी चीज को दाँत मत लगाना. सुमन मन में- ओह पापा डरो मत.. मैं आपके लंड को प्यार से चुसूंगी, काटूंगी नहीं, बस जल्दी से मेरे मुँह में आप अपना लंड घुसा दो. गुलशन- कुछ सुन भी रही है तू.. मैंने अभी क्या कहा तुमसे? सुमन- हाँ पापा सुन लिया, अब शुरू करो.
गुलशन जी ने पहले सुमन के मुँह में रोटी बेलने का बेलन दिया और थोड़ी देर में सुमन ने बता दिया. उसके बाद केला, पेन्सिल दिया, वो भी सुमन ने बता दिया.
सुमन- पापा मैं जीत गई, मैंने सब चीज सही बताई हैं. गुलशन- अरे अभी कहाँ.. अब लास्ट चीज बाकी है. इसका नाम बता तब तू जीतेगी. सुमन- अच्छा तो लाओ, उसमें क्या है अभी उसका नाम भी बता देती हूँ.
गुलशन जी अब उत्तेजित हो गए थे, उन्होंने अपना लंड लुंगी से बाहर निकाला, जो अभी आधा ही खड़ा था.. यानि पूरे शबाब पे नहीं आया था.
गुलशन- ये अनोखी चीज है सुमन, ध्यान से बताना तू.. ठीक है?
इतना कहकर वो लंड को उसके होंठों के एकदम पास ले गए.
सुमन ने पहले जीभ से सुपारे को चाटा और फिर धीरे से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
गुलशन जी को असीम आनन्द की प्राप्ति हुई, मगर वो अपने ज़ज्बात को काबू में किए हुए वैसे ही खड़े रहे.
सुमन ने थोड़ी देर लंड चूसा, फिर मुँह हटा लिया क्योंकि थोड़ा नाटक करना पड़ता है, नहीं तो गुलशन जी को शक हो जाता.
सुमन- पापा, ये क्या है बहुत अजीब सी चीज है, गोल भी है, नर्म भी है कुछ नमकीन सा स्वाद है, समझ नहीं आ रहा. गुलशन- अरे कहा था ना.. ये हार्ड है. ऐसे जल्दी समझ नहीं आएगा वैसे तुझे एक हेल्प देता हूँ. ये लंबी चीज है अगर तू पूरा मुँह में लेकर चूसेगी तो शायद इसका नाम बता पाएगी, नहीं तो हार जाओगी. सुमन ने फिर लंड को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी. गुलशन जी भी अपनी बेटी को लंड चुसवा कर बहुत ज़्यादा खुश हो रहे थे.
सुमन सुपारे को होंठों में दबा कर चूस रही थी. अब वो ज़्यादा से ज़्यादा लंड मुँह में लेना चाहती थी मगर वो कोई मॉंटी का लंड तो था नहीं, जो वो पूरा निगल जाती. ये तो 8″ का अज़गर था, जिसे निगलना मुश्किल था. दूसरी बात वो चीज को पहचानने के लिए ये कर रही थी, तो ज़्यादा मज़ा भी नहीं ले सकती थी. मगर उसने एक तरकीब लगाई, लंड को वापस बाहर निकाला.
गुलशन- अरे क्या हुआ.. तुझे इसका नाम पता चल गया क्या? सुमन- नहीं पापा समझ में नहीं आ रहा. ये तो कोई बड़ी लॉलीपॉप जैसी कोई चीज है. इसमें से थोड़ा नमकीन रस जैसा आ रहा है.. और ऐसा स्वाद मैंने लाइफ में कभी नहीं चखा है.
सुमन की बात सुनकर गुलशन जी थोड़े घबरा गए क्योंकि उनके लंड से पानी की बूंदें आने लगी थीं और सुमन को शक ना हो जाए ये सोच कर उन्होंने बात को बदल दिया और सुमन तो खुद यही चाहती थी. गुलशन- अरे वाह तू तो बहुत करीब आ गई. ये रियल में ऐसी ही चीज है, इसमें रस भी रियल है. अब तू इसको चूसती रह और मज़ा लेती रह. जब समझ आ जाए बता देना. सुमन- ठीक है पापा अब तो खुलकर चूसना पड़ेगा.. तभी मज़ा आएगा. गुलशन- हाँ ये हुई ना बात, चल चूस और रस के पूरे मज़े ले.
सुमन को अब कोई डर नहीं था वो खुलकर लंड को चूसने लगी. मगर एक गड़बड़ थी कि उसने पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी चुत रस टपका रही थी. ऐसे तगड़े लंड की चुसाई से उसकी उत्तेजना भी बढ़ गई थी. उसका बहुत मन था कि उसके पापा उसकी चुत को चूस कर उसकी खुजली मिटा दें. मगर ये इतना आसान नहीं था, तो वो बस लंड को चूस कर मज़ा लेने लगी.
काफ़ी टाइम तक ये लंड चुसाई चलती रही. अब तो गुलशन जी धीरे-धीरे झटके भी मारने लगे थे, उनकी उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी. उनके विशाल लंड से रस की धारा निकलने को बेताब थी, तभी उन्होंने जल्दी से लंड को बाहर निकाला और पास पड़े प्याले में सारा रस निकाल दिया तब जाकर उनको सुकून मिला.
सुमन भी समझ गई थी कि उसके पापा ठंडे हो गए हैं मगर उसने अनजान बनने का नाटक किया- क्या हुआ पापा, चुसाओ ना.. बहुत मज़ा आ रहा था. गुलशन- बस बस.. बहुत टाइम हो गया और तू इसको पहचान भी नहीं पाई इसका मतलब तू हार गई है. सुमन- अरे थोड़ी देर और चूसती तो पता लग जाता ना पापा. गुलशन- नहीं अब तुझे हार मान लेनी चाहिए.. मैंने तुझे बहुत मौका दिया. सुमन- अच्छा बाबा हार गई मैं.. बस हैप्पी! चलो अब मुझे खोलो तो.
गुलशन जी ने वो प्याला टेबल के नीचे छुपा दिया और लुंगी ठीक करके सुमन को खोल दिया. मगर ये सब करने के पहले उन्होंने ये नहीं सोचा था कि लास्ट में सुमन को वो क्या चीज का नाम बताएँगे.
सुमन- ओफफो आप बहुत स्मार्ट हो पापा.. लास्ट में चीज ऐसी ले आए कि मैं पता ही नहीं लगा सकी. वैसे अब तो में हार गई हूँ, तो बताओ मुझे वो क्या चीज थी.. जिसे चूसने में मुझे इतना मज़ा आ रहा था? गुलशन- व्व..वो तत..तू हार गई है. अब तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी समझी. सुमन- अरे मगर वो चीज का नाम तो मुझे पता होना चाहिए ना? गुलशन- नहीं अगर बता दूँगा तो दोबारा मैं कैसे जीतूँगा.. चल तू हार गई है. सुमन- अच्छा ऐसे कैसे हार गई. आपकी बारी भी आएगी और आपको भी ऐसे ही बताना होगा.
गुलशन जी तो अब ठंडे हो गए थे. अब कहाँ उनका मन था, तो बस वो बहाना बनाने लगे कि वो थक गए हैं, आराम करना है. सुमन- ये चीटिंग है पापा, ऐसे मैं नहीं हार मानूँगी ओके.
बोलते बोलते सुमन की नज़र टेबल के नीचे पड़े प्याले पे गई.
सुमन- अच्छा तो वो चीज अपने नीचे छुपा कर रखी है, अभी देखती हूँ.
सुमन उस प्याले को लेने लगी, तो घबराहट में गुलशन जी ने सुमन के पैर में पैर मार दिया, जिससे वो उलझ कर गिर गई और उसकी मैक्सी भी ऊपर हो गई. जिसकी वजह से उसकी खुली चुत के दीदार गुलशन जी को हो गए.
सुमन की नज़र गुलशन जी की नज़र पर गई, जो कहीं और ही टिकी थी. तब उनकी नज़र का पीछा करते हुए सुमन को अहसास हुआ कि वो उसकी चुत को घूर रहे हैं, जो रस से भीगी हुई थी और चमक रही थी.
सुमन ने हालत को समझते हुए जल्दी से कपड़े ठीक किए और झूठ मूट का नाटक करने लग गई. सुमन- ओह माँ.. मर गई मैं उउउह पापा. गुलशन- अरे ठीक से चल भी नहीं सकती. अब गिर गई ना.. दिखा कहाँ लगी है.
सुमन के दिमाग़ में अपनी चुत को शांत करने का फ़ौरन आइडिया आ गया.
सुमन- आह.. पापा पैर में दर्द हो रहा है और कमर में भी जोर से लगी है. गुलशन- अच्छा तू खड़ी हो, मैं देखता हूँ. सुमन- आह.. उठा भी नहीं जा रहा.. बहुत दर्द हो रहा है पापा.
बस-बस सारा मज़ा आज ही लोगे क्या कल के लिए भी कुछ बाकी रहने दो. अब सुमन की चुत कैसे शांत होती है, ये अगले पार्ट में देखना.
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